मुझे गन्दा गन्दा लगता है ! -1

(Mujhe Ganda Ganda Lagta hai-1)

मैं श्रेया आहूजा फिर से आपके सामने पेश हूँ किशोरावस्था की एक गाथा लेकर..

बात उन दिनों की है जब मैं अट्ठारह साल की थी, पढ़ाई में अच्छी नहीं थी इसीलिए दसवीं कक्षा में थी। मेरे दोस्त बड़े बड़े थे अक्सर क्रिकेट खेलते थे… दोस्त से मेरा मतलब था लड़कों से लड़कियाँ मुझसे शुरू से नापसंद थी… बहुत पढ़ाकू और एक नंबर की स्वार्थी होती है लड़कियाँ ! हमेशा बेकार की बातें करते रहती हैं… इसलिए मेरे दोस्त हुआ करते थे दानिश, रौनक और संजय।

हम चारों अक्सर लफंडरबाजी करते रहते थे।

एक शाम हम चारों लुक्का-छुप्पी खेल रहे थे… मैं और दानिश छुपे हुए थे, संजय खोज रहा था और रौनक भी कहीं छुपा हुआ था।

मैंने एक फ्रॉक पहनी हुई थी.. जो घुटनों तक थी.. पंजाबन हूँ तो बहुत बाल हुआ करते थे मुझे। दानिश और मैं बहुत करीब थे, छुपे हुए… दानिश का लिंग मेरे कूल्हों को छू रहा था… मेरे कूल्हे बड़े हो रहे थे… मेरे मम्मे भी बड़े हो रहे थे… सेक्स क्या होता है मुझे अच्छे से पता था..
इन लड़कों के साथ रहकर सब पता था मुझे कि ये आपस में क्या कोड बातें करते थे, सब पता था पर सच बताऊँ, किसी ने मुझ पर डोरे डालने की कोशिश नहीं की थी।

संजय और रौनक तो बिल्कुल बच्चे से मन के थे, हाँ इन में से दानिश सबसे बड़ा था… इंटर का छात्र था..

हम दोनों बेड के नीचे छुपे हुए थे… तभी दानिश का हाथ मेरे पैर पर पड़ा… धीरे धीरे मेरी जाँघों तक अपना हाथ ले गया वो !
मैं नहीं रोकती तो न जाने कहाँ तक ले जाता… मैंने उसका हाथ पकड़ के हटा दिया..

उसने मेरे होंठों पर एक छोटी सी चुम्मी ले ली और भाग गया…

उस रात मैं यही सब सोचती रही… वो क्या कर गया था मेरे साथ… जब मैं बाथरूम गई तो मेरी पैंटी गीली थी… ऊँगली डाली तो अन्दर चिपचिपा सा था… मुझे गन्दा गन्दा सा लग रहा था…

अगले दिन मैंने अपनी भाभी से पूछा जो हमारे यहाँ किरायदार थी…

मैं- भाभी एक बात पूछूँ…?
भाभी- हाँ हाँ बोलो?

मैं- कल रात मेरे उसमें से कुछ निकल रहा था… बड़ा चिपचिपा सा पानी सा था… अजीब सी महक थी… पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था… क्या था वो??

मैं भाभी से खुल के बात कर लिया करती थी इसीलिए कोई हिचकिचाहट नहीं हुई मुझे।
भाभी- पगली वो तो पानी होता है…

मैं- पानी नहीं था भाभी…

भाभी- पगली उसको पानी ही कहते हैं… जो संभोग करने से पहले निकल जाता है ताकि लड़कों का लंड आराम से घुस जाये !

यह बात मम्मी ने सुन ली… तभी वो गुस्से में आई- कमीनी ! पानी निकलवाती है फुद्दी से… स्कूल पढ़ाई सब नदारद… क्या करके आई है करमजली?

भाभी- आंटी जी, बात तो सुनो…
मम्मी- चुप कर तू… आने दे आज इसके पापा को ! ऐसा सबक सिखाती हूँ इसे आज…

मम्मी अक्सर मुझे मारा करती थी… गाली दिया करती थी… उस दिन भी…

मम्मी ने मेरे स्कर्ट ऊपर उठाया.. मुझे झुकाया और पैंटी नीचे सरका करके लगाने लगी मेरे चूतड़ों पे डंडे !

भाभी- अरे बड़ी हो गई है वो… अब तो मत मारो इस तरह…
मम्मी- बहुत बड़ी हो गई है।

मम्मी ने मार मार के मेरी गांड बिल्कुल लाल कर दी थी ! तभी भाभी ने उन्हें रोक और मुझे उठाया और पैंटी पहनाई और मेरी फ्रॉक नीचे की !

भाभी ने अगले दिन मुझे अपने यहाँ बुलाया और मुझे पलंग में उल्टा लेटा दिया ! मेरी स्कर्ट उठाई और पैंटी नीचे की ! मेरे दोनों गोल गोल चूतड़ों पर हल्दी चूना का लेप लगाया !

भाभी- तू अपने बदन से बाल क्यूँ नहीं साफ़ करती?
मैं- लेकिन उसमें तो बहुत दर्द होगा न?
भाभी- अरी पगली, बाज़ार जाकर बाल हटाने वाली क्रीम ले आ मैं कर दूंगी !

अगले दिन मैं वो क्रीम लेकर आई.. भाभी ने मेरे कपड़े हटाये… मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और वो ब्रा और पेटीकोट पहनी हुई थी, हम दोनों बाथरूम में थे।

पहले उन्होंने मेरी बगलों में क्रीम लगाई और दोनों बांहों में लगाया… दस मिनट तक लगाने के बाद उससे हटाया… सारे बाल हट चुके थे। फिर मेरी टांगों पर लगाई और फिर हटा दिए सारे बाल !

तब भाभी ने मेरी पैंटी खींची…
मैं- भाभी रहने दो न !
मैं शर्मा गई !
भाभी- अरे पगली मैं भी तो एक औरत हूँ… चल साफ़ करने दे !

भाभी ने मेरी पैंटी को नीचे सरकाया… मेरी टांगें खोली और बड़े प्यार से मेरी चूत के आसपास क्रीम गोल गोल गुमा गुमा कर लगाई, फिर पानी का फुहार और चूत के सारे बाल बह गए… मेरी चूत एकदम नंगी हो गई… मेरी चूत कैटरीन कैफ जैसी चिकनी चमेली हो गई।

भाभी ने मेरी चूत पर हाथ फेर दिया और अपनी कन्नी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी।

भाभी- एकदम तंग है तेरी गली ! हा… अह…
मैं- उई भाभी ! तुम भी ना !

भाभी ने अपना पेटीकोट खोल दिया अपना पैंटी नीचे सरकाई।

भाभी- अब देख क्या रही है… चल बची हुआ क्रीम लगा… साफ़ करके मेरी चूत को अपने जैसी चिकनी चमेली कर !

मैंने भी वैसे वैसे कर दिया जैसे भाभी मुझे बता रही थी।

फ़िर भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे भी… हम दोनों एकदम नंगे नहाने लगी।
मैंने भाभी की चूत देखी… मुझसे काफी बड़ी थी… गुलाबी चर्बी बाहर थी… गुद्देदार थी…

भाभी- क्या देख रही है… जब तू भी चुद जाएगी और बच्चे निकालेगी तब तेरी भी ऐसी हो जाएगी।

नहाते वक़्त भाभी ने कई बार मेरे मम्मे दबाए… साबुन लगाया.. सफाई के बहाने कई बार मेरी चूत में ऊँगली डाली !
मुझे गन्दा गन्दा लग रहा था… पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ कर रही थी…

बाद में पता चला जब मेरी नौकरानी ने बताया- आप भाभी से दूर रहना…

पूछने पर उसने बताया- घर की हर नौकरानी के साथ उसने ऐसा ही किया था… मालिश के बहाने वो नंगी हो जाया करती थी और उसने कई रात जब घर पर कोई नहीं होता था उसे नंगे साथ सोने पर मजबूर किया करती थी।

तब से मैंने भाभी से दूरी बना ली…

हम एक शाम दानिश के साथ एक पार्क में गए। मैंने उस शाम गुलाबी टॉप और सफ़ेद स्कर्ट पहनी हुई थी। चलते चलते दानिश ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

दानिश- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ! शादी करोगी मुझसे?
मैं- हट… कितनी लड़कियों से कह चुके हो?
दानिश- सच में सिर्फ तुमसे… पहली बार…!

मैं जानती थी उसका बहुत चक्कर भी रह चुका है। उसके बारे में यह भी बात थी कि वो रंडीखाने जाता है।

मैंने हाथ छुड़ा लिया तो दानिश नाराज़ हो गया !

दानिश- मुझे पता है कि तुम मेरे बारे क्या सोचती हो… साले उस कमीने संजय के वजह से !
मैं- नहीं, उसने कुछ नहीं कहा।

दानिश- तुम उससे प्यार करती हो न… एक नंबर का ठरकी है वो…
मैं- नहीं उससे नहीं करती.. लेकिन तुमसे भी नहीं करती हूँ।

शाम ढल चुकी थी… दानिश ने मुझे एक ओर खींच कर पेड़ के पीछे ले गया। दानिश काफी लम्बा चौड़ा था। देखने में भी अच्छा था… उसने मुझे बांहों में ले लिया !

उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे किस करने लगा… उसने मेरे मुँह के अन्दर अपनी जीभ डाल दी, मुझे गन्दा गन्दा लगा तो मैंने उसे धक्का दे दिया।

वह अपना एक हाथ मेरे स्कर्ट के अन्दर ले गया और पैंटी के भीतर घुसा दिया… मेरे चूतड़ों को मसलने लगा।

मैं- मुझे जाने दो…
दानिश- पहले बोलो, तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं?
मैं- ओके करती हूँ बस… अब जाने दो मुझे !

दानिश- मुझे यकीन कैसे होगा?
मैं- ओह हो ! अब कैसे यकीन दिलाऊँ?
दानिश- मेरा लंड चूस के… चूसो ना ! बहुत मज़ा आयेगा।

उसने मुझे नीचे बैठाया… अपनी जीन्स की जिप खोल और अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया ! उसका लंड काला और गुलाबी टोपा था। लंड खड़ा हो गया था.. उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे होंठों पर लंड रख दिया।

दानिश- मुँह खोलो… अन्दर लो.. चुप्पे मारो !

मैंने आँखें बंद की और थोड़ा सा अन्दर लिया उसका गुलाबी टोपा ! उससे खारा पानी जैसा निकल रहा था… मैंने तुरंत बाहर निकाल दिया क्यूंकि मुझे गन्दा गन्दा लग रहा था।

दानिश ने मुझे ऊपर उठाया…

दानिश- चल कोई बात नहीं… यहीं चुदेगी… अँधेरा हो गया है, पार्क में कोई आयेगा भी नहीं !
मैं- यहाँ… न बाबा न… कोई आ गया तो…?

तभी एक आवाज़ आई… एक पुलिस वाला हवलदार था- मादरचोद कौन है वहाँ… साले लड़की चोदता है… रुक साले…
उस हवलदार ने मुझे आकर पकड़ लिया…

हवलदार- रंडी साली, ज्यादा गर्मी चढ़ी है… आज यहीं तेरी गर्मी उतारता हूँ !

मैं- अह सर, मैं मेजर जैल सिंह की बेटी हूँ… यह बदतमीज़ी मेरे साथ ना करना !

हवलदार डर गया… मेरे पापा को शहर में सब जानते थे… वो बहुत पहुंचे हुए थे…

हवलदार ने मुझे जाने से कहा और फिर दानिश को पकड़ लिया, उसने दानिश को बहुत डंडे मारे… इतना कि उसने मुझसे मिलना भी छोड़ दिया।

उस दिन घर आकर मैंने दसियों बार ब्रश किया होगा…

अब मेरा भाभी से और दानिश से कोई लेना देना नहीं था…

कहानी जारी रहेगी।
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