मेरे प्यार की कीमत-2

(Mer Pyar Ki Keemat- Part 2)

This story is part of a series:

हम ऑटो लेकर होटल पार्कव्यू पहुँचे, वहाँ हमें सूट नम्बर 205 के सामने पहुँचा दिया गया। शीतल ने डोर बेल पर ऊँगली रखी। बेल की आवाज़ हुई। कुछ देर बाद दरवाजा थोड़ा सा खुला। उसमें से आनन्द का चेहरा दिखा।

‘गुड गर्ल!’ उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और अपने होंठों पर जीभ फिराई।
मुझे लगा मानो में उसके सामने नंगी ही खड़ी हूँ।
‘आओ अंदर आ जाओ।’ उसने दरवाजे को थोड़ा सा खोला।
मैं अंदर आ गई। मेरे अंदर आते ही दरवाजे को बंद करने लगा।
शीतल ने आवाज़ लगाई- आनन्द, मुझे भी तो आने दो।

‘तेरा क्या काम है यहाँ? चल भाग जा यहाँ से! कल सुबह आकर इस राण्ड को ले जाना!’ कहकर भड़क से आनन्द ने दरवाजा बंद कर दिया।

मैंने चारों ओर देखा। अंदर अंधेरा हो रहा था। एक सजावटी स्पॉट लाइट कमरे के बीचों बीच गोल रोशनी का दायरा बना रही थी। कमरा पूरा नज़र नहीं आ रहा था।

उसने मेरी बाँह पकड़ी और खींचता हुआ उस रोशनी के दायरे में ले गया।

‘बड़ी शेरनी बनती है? आज तेरे दाँत ऐसे तोड़ूँगा कि तेरी कीमत दो टके की भी नहीं रह जाएगी।’

मैं अपने आप को समेटे हुए खड़ी हुई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों पर अपने मोटे होंठ रख दिए। उसकी जीभ मेरे होंठों को एक दूसरे से अलग कर मेरे मुँह में प्रवेश कर गई। शराब की तेज बू आ रही थी उसके मुँह से। शायद मेरे आने से पहले पी रहा होगा। वो मेरे मुँह का कोई कोना अपनी जीभ फिराए बिना नहीं छोड़ना चाहता था। एक हाथ से मेरे बदन को अपने सीने पर भींचे हुए था और दूसरे हाथ को मेरी पीठ पर फेर रहा था।

अचानक मेरे चूतड़ों को पकड़ कर उसने ज़ोर से दबा दिया और अपने से सटा लिया। उसके लंड को अपनी चूत के ऊपर सटा हुआ महसूस कर रही थी। मैं उसके चेहरे को दूर करने की कोशिश कर रही थी मगर इसमे सफल नहीं हो पा रही थी। उसने मुझे पल भर के लिए छोड़ा और मेरे कुर्ते को पकड़ कर ऊपर कर दिया। मैं सहमी सी हाथ ऊपर कर खड़ी हो गई। उसने कुर्ते को बदन से अलग कर दिया, फिर मेरे ब्रा में ढके दोनों उरोजों को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया।

इतनी ज़ोर से मसला की मेरे मुँह से ‘आआआ आआआहह हह’ निकल गई। उसने मेरी ब्रा के दोनों चूचियों के बीच से ब्रा को पकड़ कर ज़ोर से झटका दिया। ब्रा दो हिस्सों में अलग हो गई। मेरे स्तन उसकी आँखों के सामने नंगे हो गए। उसने मेरे बदन से ब्रा को उतार कर फेंक दिया और दोबारा मेरे निपल्स को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।

‘ऊऊ ऊओफ्फ़ प्लीज़ प्लीज़ धीरे करो!” मैंने दर्द से तड़पते हुए कहा।

‘क्यों भूल गई अपने झापड़ को हरामज़ादी? आज भी मैं भूला नहीं हूँ वो बेइज़्ज़ती। आज तेरी चूत को ऐसे फाड़ दूँगा कि तू कभी अपना सिर उठा कर बात नहीं कर पाएगी। सारी जिंदगी मेरी राण्ड बनकर रहेगी!’ कहकर वो मेरी एक छाती को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, चूस क्या खा ही रहा था मेरे वक्ष को।

उसने मेरी सलवार के नाड़े को एक झटके में तोड़ दिया, सलवार सरसराती हुई मेरे कदमों पर ढेर हो गई।

‘मैं ऐसा ही हूँ! जो भी मेरे सामने खुलने में देर लगाती है, उसे मैं तोड़ देता हूँ।’ वो बोले जा रहा था- साली मादरचोद! चाँटा मारा था तूने मुझे! कुतिया अब देख साली रांड!

और फिर मेरे बोबे को कुचल कर मेरी चूत को भी मसलने लगा, नोच रहा था मुझे! फिर उसने मेरी एक बाँह को पकड़ कर मरोड़ दी।

मैं दर्द के मारे पीछे घूम गई।

उसने ज़मीन से मेरी चुन्नी उठा कर मेरे दोनों हाथ पीछे की ओर करके सख्ती से बाँध दिए, लाइट का स्विच ओन कर दिया।

पूरा कमरा रोशनी से जगमगा उठा। सामने सोफे पर एक और लड़का बैठा हुआ था।

‘इसे तो तुम पहचानती होगी? मेरा दोस्त सन्नी!’

सन्नी उठ कर पास आ गया, उसने मेरे बदन की तरफ हाथ बढ़ाए। मैंने झुक कर बचने की कोशिश की, सन्नी ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा, मेरे चेहरे को अपने पास लाकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

आनन्द मेरे शरीर के नीचे के हिस्सों पर हाथ फिरा रहा था। मेरी जांघ पर कभी चिकोटी काटता तो कभी चूत के ऊपर हाथ फेरता। मेरी पेंटी को शरीर से अलग कर दिया। फिर उसने एक झटके से अपनी दो मोटी मोटी ऊँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी और एक ऊँगली मेरी गान्ड में घुसेड़ दी।

जिंदगी में पहली बार चूत और गान्ड पर किसी बाहरी वस्तु के प्रवेश ने मुझे चिंहुक उठने को मजबूर कर दिया.. पहली बार मेरे बदन से कोई खेल रहा था इस लिए मेरा शरीर गर्म होने लगा, मेरे दिमाग़ का कहना अब मेरा शरीर नहीं मान रहा था। ‘अब तुझे दिखाते हैं कि लंड किसे कहते हैं।’

कह कर दोनों अपने अपने शरीर पर से कपड़े खोलने लगे। दोनों बिल्कुल नंगे हो गये। दोनों के लंड देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मेरी चूत का छेद तो बहुत ही छोटा था। एक ऊँगली डालने में दर्द होता था मगर दोनों के लंड का घेर तो मेरी मुट्ठी से भी मोटे थे, घबराहट से मेरे माथे पर पसीना आ गया।

‘प्लीज़ मुझे जाने दो!’ मैंने रिरियाते हुए कहा।

‘हमने तो तुझे नहीं पकड़ा! तू खुद चलकर इस दरवाजे से अंदर आई है हमसे चुदने के लिए, अपनी मर्जी से! आई है या नहीं बोल? मादरचोद!’ कहते आनन्द ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे गाल चुम्मी ली।

मैंने हाँ में सिर हिलाया।

‘फिर अब क्यों मना कर रही है?’ उसने मेरे चूतड़ों पर चपत मारी और बोला- तो जा! मैं भी शीतल से अपने संबंध तोड़ देता हूँ। तुझे पता है। शीतल प्रेग्नेंट है? मेरा बच्चा है उसके पेट में! तेरी मर्ज़ी है! तू चली जा!’ वो बोले जा रहा था और मेरी चूत गान्ड बोबे गाल जहाँ उसकी मर्ज़ी हो, मसले जा रहा था।

उसकी बात सुनकर ऐसा लगा मानो किसी ने मेरे अंदर की हवा निकाल दी हो। मैंने एकदम विरोध छोड़ दिया। आनन्द ने मुझे घुटनों पर बैठने को कहा।

दोनों अपने अपने लंड मेरे होंठों पर फिराने लगे- ले इन्हें चाट कुतिया!’ आनन्द ने कहा- खोल अपना मुँह!’

मैंने अपने मुँह को थोड़ा सा खोला। आनन्द ने अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया, मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। बहुत ही तीखी गंदी सी गन्ध आई, मुझे घिन सी आने लगी।

सन्नी के हाथ में मूवी कैमरा था।, आनन्द मेरे मुँह में धकाधक अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुख चोद रहा था।

कुछ देर इस तरह मेरे मुँह को चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला। उसकी जगह सन्नी ने अपना लंड मुँह में डाल दिया। फिर वही होने लगा जो पहले हो रहा था। मेरे जबड़े दर्द करने लगे। जीभ भी खुरदरी हो गई थी।

‘चल कमीनी, अपना मुँह और खोल और हम दोनों अपना लंड एक साथ डालेंगे।’

मैं सोचने लगी कि मेरे मुँह में एक साथ दो मूसल जा सकते हैं क्या। दोनों अपने अपने लंड पेल रहे थे अंदर करने के लिए!

आनन्द ने मेरी चूत में अपना पैर का अंगूठा भी फंसा दिया था। आनन्द ने अपना लंड मुँह में डाल दिया मगर सन्नी बाहर गालों पर ही फेरता रह गया, उसका लंड मुँह के अंदर आधा ही जा कर रह जाता था, वो उसे पूरा अंदर डालने में सफल नहीं हो पा रहा था।

आनन्द ने फिर मुझे खींच कर बिस्तर पर ले गया और मेरे सिर को खींच कर बेड के कोने तक लाया। इस तरह की मेरा सिर बिस्तर से नीचे झूल रहा था। अब उसने मेरा सिर अपने हाथों में उठाकर अपना लंड अंदर डालना शुरू क्या। अब लंड को गले के अंदर तक डाल दिया, लंड पूरा समा गया था, उसकी झाँटें मेरे नथुनों में घुस रही थी, मुझे साँस लेने में परेशानी हो रही थी।

‘अरे आनन्द, ऐसे मत ठोक उसे!’ सन्नी जो मेरी तस्वीरें ले रहा था उसने कहा।

यह सुन कर आनन्द ने अपना लंड थोडा बाहर खींचा, फिर कुछ देर तक मेरे मुँह में अपना थूक डाल डाल के मेरी चूत की तरह चोदने के बाद मुझे बिस्तर पर चिट लिटा दिया। अब वो भी बिस्तर पर चढ़ गया और मेरी टाँगें फैला दी। जितना हो सकता था उतना फैला कर हाथों से पकड़े रखा।

‘अबे अब पास आ कर क्लोज़ अप ले! एक एक हरकत की तस्वीरें खींच! अभी इसकी चूत से खून भी टपकेगा। सब कैमरे में आना चाहिए!’ उसने सन्नी को कहा।

सन्नी मेरी चूत के होंठों के बीच सटे उसके लंड की फोटो लेने लगा।

आनन्द अब धीरे धीरे मेरी चूत पर दबाव डालने लगा.. मगर उसका लंड इतना मोटा था कि अंदर ही नहीं घुस पा रहा था। उसके लंड से निकले प्री-कम से और कुछ मेरे रस से वो जगह चिकनी हो रही थी। दबाव बढ़ता गया मगर बार बार उसका लंड फिसल जाता था। ‘तेल लाऊँ?’ सन्नी ने पूछा।

‘अबे तेल लगाने से तो आराम से अंदर चला जाएगा। फिर क्या मज़ा आएगा।’ इस बार अपनी ऊँगलियों से मेरी चूत के मुँह को फैला कर अपने लंड के टोपे को वहाँ लगाया और अपने शरीर का पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत के दीवारों को छिलता हुआ अंदर सरकने लगा और मेरे कौमार्य की झिल्ली पर जाकर एक बार रुक गया।

मुझे ज़ोर से दर्द हुआ-ऊ ऊऊ ऊहह हह माआ आआ आअ मर गइई। ओह नाह ईईई!

अगले झटके में मेरे कौमार्य को तोड़ते हुए आनन्द का लंड को पूरा अंदर घुस गया। अगर चूत में कोई तेल लगाया होता तो इतना दर्द नहीं होता लेकिन मुझे दर्द से चिल्लाते देख कर उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसका लंड इतना मोटा था की चूत की चमड़ी उसके लंड पर चिपक सी गई थी।

कुछ देर तक इसी तरह रहने के बाद जैसे ही वो अपने लंड को बाहर खींचने लगा तो ऐसा लगा की मेरा गर्भाशय भी लंड के साथ बाहर आ जाएगा। उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाला और मेरे सामने ले कर आया। उसके लंड पर मेरी खून के कतरे लगे हुए थे। मेरी चूत से खून रिस कर बिस्तर पर टपक रहा था- देख मादरचोद, तेरी चूत को आज फाड़ ही दिया। ले इसे चाट कर साफ कर कुतिया!’

मैंने घिन से आँखें बंद कर ली। मगर वो मानने वाला तो था नहीं। मैंने आँखें बंद किए हुए अपना मुँह खोल दिया। उसने अपना लंड वापस मेरे मुँह में डाल दिया। फिर उसने वापस लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और तेज तेज धक्के मारने लगा। उसके हर धक्के से मेरी जान निकल रही थी। लेकिन कुछ ही देर में दर्द ख़त्म हो गया और मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर उछालने लगी। आधे घंटे तक इस तरह से चोदता रहा। इस बीच मेरा तीन बार रस झड़ गया था।

उसके बाद मुझे उठा कर अपने ऊपर बिठा लिया, मैं उसके लंड को अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठ गई। उसका लंड पूरा अंदर चला गया। उसके सीने पर घने बाल थे जिन्हें अपने हाथों से सहलाते हुए मैं मजे लेकर अपनी कमर ऊपर नीचे कर रही थी। मेरे दोनों चूचियाँ ऊपर नीचे उछल रही थी।

सन्नी से नहीं रहा गया, उसने बिस्तर पर खड़े होकर मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। इस तरह दोनों से चुदते हुए मैं फ़िर झड़ गई। आनन्द मेरी छातियों से खेल कर मुझे आनन्दित कर रहा था। सन्नी इतना उत्तेजित था कि उसका लंड थोड़ी ही देर में तन गया और ढेर सारे पानी से उसने मेरा मुँह भर दिया। मुझे घिन सी आ गई। मैंने सारा पानी बिस्तर पर ही उलट दिया।

सन्नी अब गहरी साँसें ले रहा था मगर आनन्द की स्पीड में कोई कमी नहीं आई थी। इस आसन में भी वो मुझे पंद्रह मिनट तक चोदता रहा।

‘प्लीज़ अब बस करो, मैं थक गई हूँ। अब मुझसे ऊपर नीचे नहीं हुआ जा रहा।’ मैंने उससे मिन्नत की।

मगर वो कुछ भी नहीं बोला लेकिन अगले पाँच मिनट में उसका बदन सख़्त हो गया। उसके हाथ मेरे उरोजों पर गड़ गये। मैं समझ गई कि अब वो ज़्यादा देर का मेहमान नहीं है। उसने मेरे निप्प्ल पकड़ कर अपनी ओर खींचे, मैं उसके सीने पर लेट गई। उसने मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए और ऐसा लगा मानो एक गर्म धार मेरे अंदर गिर रही हो।

अब हम एक दूसरे से लिपटे लेटे हुए थे, मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था। ए/सी चल रहा था मगर उसके बाद भी मैं पसीने से नहा गई थी।

पहली बार में ही इतनी जोरदार चुदाई ने मेरे सारे अंग ढीले कर दिए थे.. एक एक अंग मेरा दुख रहा था। मैंने किसी तरह उठकर बिस्तर के पास रखा पानी का ग्लास आधा पिया और आधा अपने चेहरे पर डाल लिया।

थोड़ी देर बाद सन्नी उठा और मुझे हाथों पैरों के बल बिस्तर पर झुकाया और खुद बिस्तर के नीच खड़े होकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वो ज़ोर ज़ोर से मुझे पीछे की ओर से ठोकने लगा। मेरे चेहरे को पकड़ कर आनन्द ने अपने ढीले पड़े लंड पर दबा दिया। मैं उसका मतलब समझ कर उसके ढीले लंड को अपने जीभ को निकाल कर चाटने लगी। मैं पूरे लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी। कुछ ही देर में आनन्द का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। अब वो मेरे बालों से मुझे पकड़ कर अपने लंड पर ऊपर नीचे चलाने लगा। काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद सन्नी ने अपना पानी चूत में डाल दिया..

आनन्द ने मुझे उठा कर ज़मीन पर पैर चौड़ा कर के खड़ा किया और बिस्तर के किनारे बैठ कर मुझे अपनी गोद में दोनों तरफ पैर करके बिठा लिया। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं उसके घुटनो पर हाथ रख कर अपने शरीर को उसके लंड पर ऊपर नीचे चलाने लगी। कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद वो एक बार फ़िर मेरे अंदर खल्लास हो गया। इस बार मैंने भी उसका साथ दिया। हम दोनों एक साथ झड़ गये।

सन्नी ने खाना मंगवा लिया था। हम उसी तरह नंगे हालत में डिनर करके वापस बिस्तर पर आ गये। मुझसे तो कुछ खाया ही नहीं गया। सारा बदन लिजलिजा हो रहा था। दोनों ने मुझे अब तक अपना बदन साफ़ भी नहीं करने दिया था। खाना खाने के बाद मैं उनका सहारा लेकर उठी तो मैंने पाया पूरे बिस्तर पर खून के कुछ कुछ धब्बे लगे थे। में सन्नी के कंधे का सहारा लेकर बाथरूम में गई.. लेकिन वहाँ भी उन्होंने दरवाजा बंद नहीं करने दिया। आनन्द मेरी गान्ड और चूत से खेल रहा था, मैं मूत रही थी और तब भी आनन्द चूत में ऊँगली आगे पीछे कर रहा था, काट रहा था मेरी गान्ड और जाँघों को और सन्नी मूवी ले रहा था!

उन दोनों की मौजूदगी में मैं शर्म से पानी पानी हो गई। वापस बिस्तर पर आकर कुछ देर तक दोनों मेरे एक एक अंग से खेलते रहे। मेरी उसी नंगी हालत में अलग अलग पोज़ में कई फोटो खींचे, फिर मेरी चुदाई का दूसरा दौर चालू हुआ। यह दौर काफ़ी देर तक चलता रहा। इस बार सन्नी ने मुझे अपने ऊपर बिठाया और अपना लंड अंदर डाल दिया। इस हालत में उसने मुझे खींच कर अपने सीने से सटा लिया, मेरे दोनों पैर घुटनो से मुड़े हुए थे इसलिए मेरी गान्ड ऊपर की ओर उठ गई। आनन्द ने मेरी चुदती हुई चूत में एक ऊँगली डाल कर हमारे रस को बाहर निकाला और मेरी गान्ड पर लगा दिया। एक ऊँगली से मेरी गान्ड में अंदर तक इस रस को लगाने लगा।

मैं उसका मतलब समझ कर उठना चाहती थी। मगर दोनों ने मुझे हिलने भी नहीं दिया। आनन्द ने अपनी ऊँगली निकाल कर मेरी गान्ड को अपने हाथों से अलग किया और मेरी गान्ड पर अपना लंड लगा दिया और धीरे से अपना लंड अंदर धकेला।

ऐसा लगा मानो कोई मेरी गान्ड को डंडे से फाड़ रहा हो, मैं ‘आ आआ आआईय ईईई ऊऊँ म्म्म्मी ममाआअ एयाया ऊओ’ जैसी आवाजें निकालने लगी। मगर उसका लंड के आगे का मोटा हिस्सा अब अंदर जा चुका था। मैंने दर्द से अपने होंठ काट लिए मगर वो आगे बढ़ता ही जा रहा था। पूरा अंदर डालने के बाद ही वो रुका।

फिर दोनों मेरे चिल्लाने की परवाह किए बिना ही धक्के मारने लगे। ऊपर से आनन्द धक्का मरता तो सन्नी का लंड मेरी चूत में घुस जाता। जब आनन्द अपना लंड बाहर खींचता तो में उसके लंड के साथ थोडा ऊपर उठती और सन्नी का लंड बाहर की ओर आ जाता। इसी तरह मुझे काफ़ी देर तक दोनों ने चोदा फिर एक साथ दोनों ने मेरे दोनों छेद में अपना अपना पानी डाल दिया। में भी उनके साथ ही झड़ गई।

रात भर कई दौर हुए अलग अलग पोज़ में, मैं तो गिनती ही भूल गई।

लगभग चार बजे के करीब हम एक ही बिस्तर पर आपस में लिपट कर सो गये।

कहानी जारी रहेगी।

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