आज कुछ तूफानी करते हैं !

(AAj Kuchh Tufani Karte Hain)

श्रेया आहूजा का आप सभी को सलाम !

यह आपबीती है मेरे चचेरे भाई बल्लू की जो कटनी, मध्यप्रदेश में रहता है।

इस आपबीती को बल्लू ने मुझे अपनी जुबान से तब बताया जब वो मेरे यहाँ जालंधर अपनी शादी के सिलसिले में आया हुआ था।

बल्लू बचपन से बहुत शरारती हुआ करता था। उसका एक दोस्त हुआ करता था जावेद। जावेद उससे उम्र में चार पाँच वर्ष ज्यादा बड़ा था, दोनों अक्सर साथ दिखा करते थे। जावेद अक्सर मेरे भाई को बिगाड़ने में लगा रहता था इसीलिए चाचा जी को बल्लू का उससे मिलना अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन…

चाचा जी- बेटा, मैं और तेरी मम्मी जोधपुर काम से जा रहे हैं आने में सप्ताह लग जायेगा।

बल्लू- मैं अकेला ? क्यूँ पापा?

चाचा जी- अब ज्यादा सवाल मत कर… और हाँ पीछे से कोई गड़बड़ मत करना।

चाचा जी जोधपुर चले गए और पीछे छोड़ गए चोदू पहलवान बल्लू और जावेद को !

बल्लू- यार जावेद, तूने कभी चूत मारी है?

जावेद- हाँ यार, कितनी ही दफा !

बल्लू- अच्छा यार, किसकी? और कैसा लगता है?

जावेद- जन्नत.. लगता भी है और उसका नाम भी था… जन्नत मेरी ममेरी बहन है।

बल्लू- अब क्या हुआ? कहाँ है वो?

जावेद- उसकी तो शादी हो गई…

बल्लू- लेकिन तूने चोदा कैसे उसे?

जावेद- बताता हूँ बे… तू भी न बस पीछे ही पड़ जाता है !

जन्नत देखने में बहुत ही खूबसूरत है … मानो हूर की परी.. वो अक्सर मेरे यहाँ आया करती थी। मेरी उम्र रही होगी करीब अठारह और उसकी बीस। जब भी आती, मैं बीच में जन्नत और फिर खाला एक ही बेड में सोया करते थे।

दिसम्बर की एक रात जब कड़ाके की ठण्ड पड़ रही थी… हम दोनों एक ही रजाई में थे और खाला अपने कम्बल में थी… कोई हम दोनों पर शक भी करे तो कैसे करता…

हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे उस रात, वो मुझसे लिपट कर सो रही थी। उसने छोटा सा कुर्ता पहना था और नीचे पजामा खोल कर सो रही थी, मैंने हाफ पेंट पहनी हुई थी। मेरी जांघें उसकी मुलायम जांघों को सहला रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी जांघों में

रखा और धीरे धीरे उसके पैंटी की तरफ ले जाने लगा। डर था अगर वो उठ जाये और खाला को बता दे फिर…

लेकिन मैं अपने को रोक न सका और धीरे धीरे उसके जांघों के ऊपर ले गया। मैंने देखा कि उसने तो पैंटी ही नहीं पहनी है। मैं खुद को रोक न सका और उसकी चूत में उंगली डाल दी !

जन्नत पता नहीं सो रही थी या जगी हुई थी, पर उसने कोई प्रतिकिया जाहिर नहीं की उस वक़्त, मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने झट से अपने सारे कपड़े रजाई के अन्दर ही खोल डाले और जन्नत से लिपट गया।

धीरे धीरे मैंने जन्नत के भी सारे कपड़े खोल डाले। अब हम दोनों एकदम नंगे थे। वो मुझ पर एक जांघ चढ़ाई हुई थी। मैंने उसके गोल गोल मम्मे चूसने चालू किये। वो जग चुकी थी।

जन्नत- पागल, अगर खाला उठ गई तो?

मैं- नहीं उठेगी, तू बस पलट जा !

जन्नत पलट गई… मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डालना चाहा, पर घुस न सका। फिर एक पैर उसके ऊपर चढ़ा दिया और अपना लंड घुसा दिया और अन्दर बाहर करने लगा।

जन्नत की सिसकारियाँ तो निकली पर मैंने उसके मुँह को दबाये रखा ! यार मेरा लंड खतना किया हुआ है, तो आराम से अन्दर बाहर हो रहा था ! पहली रात तो मैं जल्द ही झड़ गया…

अगले दिन:

जन्नत- कल रात कैसा लगा?

मैं- बहुत अच्छा था पर खाला थी इसीलिए जल्दी झड़ गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

जन्नत- हाँ हाँ ! कोई बात नहीं बच्चे, खाला दो महीनों के लिए गाँव जा रही है.. मैं तो आती रहूँगी… अब मत कहना कि जल्दी झड़ जाऊँगा… कम से कम एक घंटे तक चोदना होगा मुझे… डीज़ल इंजन हूँ, देर से गर्म होती हूँ मैं !

फिर क्या, अगले दो महीने तक मेरी तो मस्ती ही मस्ती ! जन्नत को कभी दोपहर, कभी रात लगातार चोदता रहा !

बल्लू- सच में? और बच्चा नहीं हुआ?

जावेद- कंडोम के बारे सुना है… वो लंड पर पहन लो, फिर चुदाई करो… मुठ कंडोम में गिरेगा !

बल्लू- लेकिन यह कंडोम मिलेगा कहाँ?

जावेद- मेडिकल स्टोर में… लेकिन तू करेगा क्या… चोदेगा किसको?

बल्लू- यार तू कोई जुगाड़ करवा ना !

जावेद- मैं? मैं कहाँ से करूँ?

बल्लू- यार तू किसी चालू माल को जानता होगा… या रंडी खाने में कोई जानपहचान? पैसे हैं मेरे पास !

जावेद- कितना खतरनाक है, तुझे पता भी है? भूल जा रंडीखाना… हाहा … वहाँ जायेगा तो तेरा मोबाइल फ़ोन, तेरे कपड़े तक रख लेंगे, चड्डी में घर आना पड़ेगा।

बल्लू- यार फिर क्या करूँ? किसको चोदूँ?

जावेद- यार सिंपल… मैं अपनी गर्ल फ्रेंड फातिमा को चोदता हूँ… तू भी चोद किसी को पटा कर !

बल्लू- अबे तू तो जानता है, मेरे मम्मी पापा कैसे है? लड़की तो दूर, तेरे से भी नहीं मिलने देते !

जावेद- यार तब तो तू मुठ ही मार… चल मैं चलता हूँ ! बाय…

जावेद चला गया… उसकी कहानी से मेरा लंड तो खड़ा हो गया, पर सोच रहा था किसको और कैसे चोदूँ।

अगले शाम मैंने देखा कि एक उन्नीस बीस साल की लड़की जो बाहर कचरे कूड़े को चुन चुन कर अपने बोरे में भर रही थी।

उससे मैंने बहाने से अपने घर में बुला लिया।

मेरे घर के पिछवाड़े में काफी कचरा पड़ा था तो सोचा कि उस लड़की से साफ़ करवा दूँ।

मैं- कितना लोगी यह सब साफ़ करने का?

लड़की- कुछ भी दे देना साहब !

उस लड़की को मैंने ऊपर से नीचे तक देखा … डील-डौल तो ठीकठाक था, सांवली थी… पतली सी कमर.. ब्रा नहीं पहनी थी इसीलिए उसके गोल गोल मम्मों का आकार उसके कुर्ते से बाहर झाँक रहा था। …नीचे उसने लम्बी सी स्कर्ट पहन रखी थी, कपड़े फटे थे, जहाँ तहाँ से उसका सांवला बदन दिखाई दे रहा था।

घर पर कोई नहीं था …इससे अच्छा मौका नहीं था मेरे पास !

मैं- तुम्हारा नाम क्या है?

लड़की- नाम से क्या करना साहब… वैसे लोग मुझे चुटकी बुलाते हैं।

मैं- कहाँ रहती हो? माँ बाप?

चुटकी- पास के चाल में… माँ बाप का पता नहीं … गाँव के कुछ लोग है वहीं साथ में रहते हैं।

मैं- अच्छा!

चुटकी- साहब… कूड़ा कचरा बेच कर जितना कमा लेती हूँ दस बीस रुपये दिन के !

मैं- अच्छा ठीक है… जल्दी साफ़ कर दे, पचास रुपये दे दूंगा।

चुटकी- पचास रुपये? अभी किये देती हूँ… जल्दी क्या है? वैसे भी कौन इंतज़ार कर रहा होगा मेरा !

वो साफ़ कर रही थी… मैं उससे देख रहा था… जैसे झुकी उसके गोल गोल मम्मे दिख गए !

हरामजादे जावेद की बातों ने मेरे अन्दर चोदने की इच्छा इतना भर दी थी कि !

एक बात तो साफ़ हो गई थी.. घर पर कोई नहीं है इसका… और पैसे के लिए यह कुछ भी करेगी !

फिर सोचा कचरा उठाने वाली के साथ सेक्स… कितनी गन्दी बात है… लोग क्या कहेंगे?

फिर सोचा जवान लड़की है… मज़े तो यह भी दे सकती है।

चुटकी- साहब, यह हो गया, अब निकालो रुपये !

मैं- यह ले सौ रुपये !

चुटकी- सौ रुपये…??

मैं- हाँ कुछ और भी काम करेगी?

चुटकी- हाँ साहब, करुँगी।

मैंने उसकी बांह पकड़ ली और कमर में हाथ रख दिया- ये करेगी? और रुपये दूंगा।

चुटकी- ये मैंने किया नहीं है साहब… डर लगता है।

मैं- अरे कुछ नहीं होगा।

मैं उसकी कमर को सहलाने लगा… अपना एक हाथ उसकी पीठ पर ले गया… वो कांपने लगी… उसने अपने को मुझसे दूर किया।

मैं- क्या हुआ… आज तक तुझे किसी ने चोदा नहीं है क्या?

चुटकी- एक बूढ़े बाबा थे जो गाँव से मुझे यहाँ लाये थे, उन्होंने मुझे एक रात नंगा कर दिया दिया था पर मैं भाग निकली।

मैं- और मुझसे भी भाग निकलेगी?

चुटकी- साहब लेकिन घर पर कोई होगा तो?

मैं- कोई नहीं है … पांच सौ रुपये दूंगा।

उसने हामी भर दी मेरी तो निकल पड़ी .. मेरी थोड़ी फट भी रही थी … पहली बार है, कहाँ डालूँ कैसे डालूँ !

उसको मैं अपने स्टोर रूम यानि गोदाम के अन्दर ले गया… उसने सारे कपड़े उतार दिए।

क्या बताऊँ, क़यामत लग रही थी… कोई सोच भी नहीं सकता था कि कचरा उठाने वाली की ऐसी फिगर होगी।

साँवला पतला बदन… मदमस्त कमर… गोल गोल मम्मे… और गांड चूतड़ मस्त थे।

मैं अपना होश खो रहा था … पहले उसे अपना लंड चूसने को कहा…

वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चुप्पे लगाने लगी।

मैं- अहह अहह चुटकी चूसती रह…

मैं चावल की बोरी पे बैठ गया और वो नीचे बैठ चुप्पे मार रही थी।

मैं झट से उसका विडियो बनाया अपने स्मार्ट फ़ोन में और अपलोड भी कर दिया इस बीच !

फिर मैंने उसके उसी बोरे पे लिटाया … दोनों जांघें फैलाई और अपना लंड डालने लगा।

पहली बार तो फिसल गया पर दूसरी बार जैसे थोड़ा अन्दर गया। चुटकी- ई ई… अह दर्द हो रहा है… बहुत बड़ा है… नहीं जायेगा !

मैं- जायेगा… तू बस चुप रह !

मेरा लंड जैसे आधा गया… वो चीख पड़ी।

चुटकी- मादरचोद ये क्या किया… छोड़ मुझे…

मेरा लंड धीरे धीरे पूरा अन्दर चला गया… मैं घस्से मारने लगा… बहुत मज़ा आ रहा था, यह भी नहीं सोच रहा था कि यह कूड़े वाली है, न जाने कितने दिन से नहीं नहाई होगी … मैली कुचैली सी रहती होगी ! लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ सेक्स भरा हुआ था, मैंने धक्के और तेज कर दिए।

चुटकी- मादरचोद चोद दिया भोसड़ी के… ई दर्द हो रहा है खून निकाल दिया…

मैं- ऐ लड़की गाली मत दे … बस चुदवा ले… अह आहा हा

चुटकी- अह अह ई अम्मा … मैया रे .. भोसड़ी का … फाड़ दिया मेरी बुर को…

वो देहाती में गाली दे रही थी.. पहली बार था उसका भी… मैं बस चोदे जा रहा था।

फिर मैंने अपना सारा माल उसकी बुर में डाल दिया।

मैं- अहह अह !

चुटकी- अह गांडू … मदरचोद …

जैसे मैं स्खलित हुआ चुटकी ने मेरा लंड हटाया … और अपनी बुर देखने लगी।

चुटकी- चोद दिया हरामी ने… फट गई मेरी बुर… खून आ रहा है ! देख मादरचोद !

मैं- गाली देना बंद कर ! समझी.. ये ले अपना रुपया और दफा हो जा !

चुटकी- नहीं चहिये तेरा रूपया… भोसड़ी का !

फिर मैंने उसकी बुर में छोटे से कपड़े को ठूँस दिया।

मैं- चल अब रुक जायेगा… जा अब !

उसने रुपये लिए और अपने कपड़े पहने और चल पड़ी…

रात हो चली थी !

मज़ा आ गया था आज चुदाई करके…

अगले दिन फिर उसका इंतज़ार किया पर वो नहीं आई।

इसी तरह दो महीने गुज़र गए…

एक दिन वो मुझे नज़र आई सड़क पर… मैं नज़र बचा कर निकल गया !

अगले दिन भी दिखी… घर पर कोई नहीं था… उसे फिर बुला के चोद दिया…

इस तरह कई दिन बीत गए… बहुत चुदाई की उसकी….

अब शादी की बारी है मेरी … चुदाई से तो मन भर गया !

श्रेया आहूजा यानि कि मैं….” हर चीज़ से मन भर सकता है, चुदाई से नहीं…!”

दोस्तो, बताएं ज़रूर कैसी लगी मेरी पेशकश !

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