एक कुंवारे लड़के के साथ-4

(Ek Kunvare Ladke Ke Sath-4)

शालिनी 2009-01-21 Comments

कहानी का पिछला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-3

मैं अपने पूरे जोर से उसके लण्ड की सवारी कर रही थी और एक बार फिर मुझे अपने चरम सीमा पर पहुँचने का अंदाजा हो गया था।
‘ओह मनीष, मैं झड़ने वाली हूँ !’ मैं जोर से चिल्लाई और अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई।

उस समय मेरे जोर जोर से उछलने से एक बार तो ऐसा लग रहा था कि बेड ही टूट कर गिर जायेगा। मैं देख रही थी कि मनीष भी मेरे झड़ने का मज़ा ले रहा है। अब वह एक लड़की को चुदाई के दौरान झड़ने का अनुभव ले रहा था। अब यह तो वही जानता था कि उसको सबसे ज्यादा मज़ा कब आया जब मैंने उसका लण्ड चूसा या जब उससे अपनी चूत चुसवाई या जब मैं उसको चोदते हुए झड़ी, तब।
अब जब मनीष चुद चुका था मैं उसको आदमी मानने लगी।

एक बार जब मेरी साँसें सामान्य हो गई तो मैं उसके ऊपर से उतर कर बेड पर अपनी टांगें खोल कर लेट गई।
‘अब तुम्हारी बारी है, मेरी जान !’ अपनी चूत उसको दिखाते हुए कहा।
‘मैं कहाँ और कैसे डालूँ…’ वह पूछने लगा।
‘तुम सिर्फ मेरे ऊपर आ जाओ और अपना लण्ड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो, मनीष। बाकी मैं सब कुछ कर लूंगी।’ मैंने उसको उत्साहित किया।

जैसे ही वह मेरी टांगों के बीच में आया, मैंने उसके लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रखा और उसको एक धक्का मारने को कहा और उसको अपने ऊपर लिटा लिया। फिर मैंने नीचे से अपनी गाण्ड को धीरे धीरे उछालना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों से मनीष की उभरी हुई गाण्ड को सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने उसके होठों को चाटते और चूसते हुए कहा- चोदो मुझे ! जोर से चोदो मुझे ! मनीष, मैं जानती हूँ कि तुम मुझको चोद सकते हो। मैं हमेशा से तुमसे चुदने के सपने देखती थी !

क्या? तुम मेरे साथ चुदाई के बारे में सोचती थी? हैरानी से अपना लण्ड मेरी चूत के अंदर बाहर करते हुए उसने कहा।
‘हाँ !! मनीष हाँ !! चलो अब मुझे चोदो, जोर जोर से चोदो, अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में अंदर तक डाल दो !’
और अब मनीष की चोदने की गति बढ़ने लगी।

‘तुम्हें ऐसे अच्छा लगता है? तुम्हें ऐसे चुदने में मज़ा आता है, शालू?’ मनीष ने पूछा।
‘हाँ ! बस बोलो मत, सिर्फ प्यार करो मुझे, चोदो मुझे, और अंदर तक चोदो ! और जोर से और तेज़!’ मैं उसको और भी उत्साहित करने लगी।

वह अपना लण्ड अपनी जड़ तक मेरी चूत में पेल रहा था, उसके टट्टे मेरी गाण्ड को छू रहे थे। मैं फिर से अपनी चरम सीमा पर पहुँचने वाली थी।
‘ओह!!! मनीष ! हाँ !!!! चोदो मैं झड़ने वाली हूँ, ऐसे ही जोर जोर से चोदते रहो!!!!!!’ मैं जोर से चिल्लाई।

उसने अपनी गति बढ़ा दी और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने लगा। मैंने अपनी टांगें उसकी पीठ लपेट दी और झड़ने लगी,’ओह मनीष, और जोर से चोद डालो मुझे, आज मेरी चूत को फाड़ दो!’

अब मैं उसको और भी उत्साहित कर रही थी। अभी तक बहुत बार मैं चरम सीमा पर पहुँची हूँ परंतु आज तक जितने बार भी मैं चुदी हूँ कभी भी इतनी स्खलित नहीं हुई। हम बहुत ही कामुकता और तीव्रता से चुदाई कर रहे थे। अब मनीष भी चुदाई का इतना ही आनंद ले रहा था जितना कि मैं।

तभी मनीष ने चोदने की गति बढ़ा दी और अपने अनुभव से मैं समझ गई कि अब वह झड़ने वाला है।
‘मैं झड़ने वाला हूँ !’ मनीष के मुंह से निकला।
मैंने उसके होठों को चूसते हुए कहा,’मेरे अंदर ही झर जाओ, मनु। मैं तुम को किसी लड़की की चूत में झड़ने का मज़ा देना चाहती हूँ।’

और तभी उसके लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ छूटने लगी। उसका गरम वीर्य मेरी गरम चूत को बहुत ठंडक पहुंचा रहा था। हम दोनों लगभग एक साथ ही झड़े और वो तब तक मेरी चूत में लण्ड अंदर बाहर करता रहा जब तक कि उसके टट्टे खाली नहीं हो गए और फिर मेरे ऊपर ही गिर गया।

थोड़ी देर के बाद मनीष ने कहा,’मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी लड़की को चोदने में इतना मज़ा आता है।’
‘परंतु क्या मैंने ठीक से चोदा?’
‘चूंकि तुम्हारी पहली बार थी इसलिए तुम बहुत ही बढ़िया रहे !’ मैंने मुस्कराते हुए कहा।

और यह सच भी था क्योंकि बहुत समय के बाद किसी लड़के ने मुझे एक ही दिन में इतनी बार चरमसीमा पर पहुँचाया था।

उसके बालों को सहलाते हुए मैंने कहा,’तुम बहुत ही जल्दी सीखने वालों में से हो पर जब सेक्स का मामला हो तो तुमको और भी बहुत कुछ सीखना पड़ेगा जैसे चोदने के नए नए आसन और लड़की को चरम सुख देने के नए नए तरीके।’

थोड़ी देर के बाद उसके हाथ फिर से मेरे मोम्मों से खेल रहे थे। चूँकि हम दोनों थके हुए थे इसलिए मैंने उसको नहा कर आराम करने को कहा और खुद भी नहा कर रसोई में बाकी का काम खत्म करने लगी।

मैंने उसको खाने के लिए पूछा तो उसने कहा- थोड़ी देर के बाद खा लेंगे।
तब मैंने दोनों के लिए मिल्क-शेक बनाया और हम दोनों फिर से बेडरूम में टेलिविज़न देखने लगे।
‘मनीष, क्या तुम गाण्ड मारने के बारे में भी कुछ जानते हो?’ मैंने धीरे से उसके गाल को चूमते ही पूछा।

उसने मुझे धक्का दे कर नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया और फिर कहने लगा,’शालिनी, तुम तो जानती हो आज पहली बार मैंने किसी लड़की को छुआ है, तब गाण्ड मारने के बारे मैं कैसे जानूंगा?’

तब उसने पूछा,’क्या तुमने गाण्ड भी मरवाई है?’
‘हाँ बहुत बार !’ मैंने जवाब दिया।
‘तुमको कैसा लगता है जब कोई तुम्हारी गाण्ड मारता है? मेरा मतलब क्या तुम्हें दर्द नहीं होता?’ मनीष ने पूछा।

‘होता है, परंतु जब लण्ड तथा गाण्ड दोनों अच्छी तरह से चिकने हों और अगर एक बार लड़की लण्ड की मोटाई की अभ्यस्त हो जाए तो मज़ा भी आता है।’ मैंने कहा।
‘मैं तुम्हारी गाण्ड के बारे में नहीं जानता पर तुम्हारी चूत बहुत ही तंग और मस्त थी। मुझे बहुत ही मज़ा आ गया।’ मनीष ने कहा।
उससे गाण्ड के बारे में बातें करते हुए उसकी आँखों की चमक से पता लग रहा था कि मनीष गाण्ड मारने की कोशिश भी करना चाहता था।

‘अगर तुम कभी भी गाण्ड मारने का अनुभव करना चाहते हो तो मैं हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ।’ मैंने कहा।

मैंने ‘कभी भी’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया कि शायद वो थक गया होगा। परंतु मैं गलत थी।
‘क्या हम अभी कोशिश कर सकते हैं?’ मनीष के मुंह से निकला।
हालाँकि मनीष का लण्ड पूरी तरह से खड़ा नहीं था परंतु पूरी तरह से ढीला भी नहीं था।

‘क्यों नहीं ! अगर तुम चाहो तो मुझे सब कुछ स्वीकार है।’ मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों से मसलते हुए कहा।

मैंने उसको बाथरूम से तेल लाने को कहा। जैसे ही वह तेल की शीशी लेकर आया, मैंने उसको चूमना-चाटना शुरू कर दिया ताकि उसका लण्ड एकदम कड़क हो जाए।

मैंने उसके लण्ड को भी चूमना और चाटना शुरू कर दिया और जब उसका लण्ड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया तो मैंने बहुत सारा तेल अपनी हथेली में डाल कर उसके लण्ड की मालिश करनी शुरू कर दी।

अब मनीष का लण्ड का सिरा तेल से चमक रहा था, तब मैंने उसको कहा,’चलो, अब मेरी गाण्ड में अपनी अंगुली से तेल लगाओ और इतना चिकना कर दो कि तुम्हारा लण्ड मेरी गाण्ड में आसानी से घुस जाए।’

और तब मनीष ने अपने कांपते हुए हाथ से अपनी एक अंगुली पर तेल लगा कर मेरी गाण्ड में डालनी शुरू की तो मैंने कहा,’कम से कम दो अँगुलियों में तेल लगा कर मेरी गाण्ड में डाल। !’

जब मुझे ऐसा लगा कि मेरी गाण्ड इतनी चिकनी हो चुकी है कि लण्ड ले सकती है तो मैंने उसके तेल से भीगे हुए लण्ड को अपनी गाण्ड के छेद पर रखा और उसको धक्का मारने को कहा।

मनीष एक बार में ही अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में डालना चाहता था परंतु मैंने कहा,’ गाण्ड में लण्ड धीरे धीरे ही डाला जाता है ताकि लड़की की गाण्ड भी लण्ड के आकार प्रकार की अभ्यस्त हो जाए और लड़की को ज्यादा दर्द भी ना हो।’

मेरी बात को मानते हुए उसने धीरे से अपने लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू किया और जैसे ही उसके लण्ड का सिरा मेरी गाण्ड में घुसा तो मैंने कहा,’अब रुक जाओ ताकि मेरी गाण्ड लण्ड की अभ्यस्त हो जाए।’

थोड़ी देर के बाद मनीष ने धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू कर दिया और अपना आधे से ज्यादा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। ओह, आह की आवाजें मनीष के मुंह से निकल रही थी। ‘बहुत दर्द हो रहा है तो अपना लण्ड बाहर निकाल लो मनीष, फिर कभी कर लेंगे, आज रहने दो।’ मैंने कहा।

‘नहीं, अब तो मैं तुम्हारी इतनी बड़ी गाण्ड मार कर ही रहूँगा।’ मेरी कमर को पकड़ कर उसने जोर जोर से झटके मारते हुए कहा,’तुम्हारी गाण्ड बहुत ही मस्त है शालू ! बहुत अच्छा लगा रहा है।’ मेरी पीठ पर चूमते हुए उसने कहा।

‘और जोर से डालो ! मेरी बड़ी गाण्ड को जोर जोर से चोद दो ! अपना पूरा का पूरा लण्ड मुझे दे दो ! मनीष, चोदो मुझे !’

उसकी जोर जोर से हुंकारने की आवाजें आ रहीं थी और धीरे धीरे उसने अपना पूरा आठ इंच का लण्ड मेरी गाण्ड में डाल दिया और अपने पूरे जोर से मेरी गाण्ड मारने लगा। मैं उसके टट्टों को अपनी चूत को छूते हुए महसूस कर रही थी।

‘बस ऐसे ही चोदो, जानू, मेरी बड़ी गाण्ड को ऐसे ही चोदो जैसे तुमने मेरी चूत चोदी थी !’ अब मैं भी उससे ऐसी भाषा में बात कर रही थी ताकि वो और भी उत्साहित हो जाये।

‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी किसी लड़की की गाण्ड भी मारूंगा। तुम्हारी गाण्ड मारते हुए बहुत अच्छा लग रहा है।’ मनीष ने कहा।

‘ओह मनीष ! मुझे रंडी की तरह चोदो !’ मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा।

मनीष ने अब अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी। उधर मनीष मेरी गाण्ड मार रहा था और दूसरी ओर मेरा हाथ मेरी चूत से खेल रहा था।

तभी मुझे लगा कि एक बार फिर से झड़ने वाली हूँ। जिज्ञासुओं के लिए बता दूँ कि गाण्ड मरवाते हुए भी चरम सीमा पर पहुँचने का अपना ही आनंद है। और उस दिन मनीष ने मुझे कितनी बार चरमसीमा पर पहुँचाया में गिनती ही नहीं कर पाई।

‘मनीष, चोदो, ओर चोदो !! अपने बड़े लौड़े से मुझे चोदते रहो !’ मैंने चिल्ला रही थी। ‘मैं झड़ने वाली हूँ!!!!!!!!!!’ मैं अपनी पूरे जोर से चिल्लाई और अपनी पूरी शक्ति से तकियों में सिर दबा लिया ताकि मेरा सिर दीवार पर ना टकराए।

मैं झड़ने लगी और मनीष को एक नया अनुभव मिलने लगा,’मैं झड़ने वाला हूँ, शालू !’ मनीष ने कहा,’मैं भी तुम्हारी मस्त गाण्ड में झड़ने वाला हूँ !’

‘झर जाओ ! मेरी गाण्ड में ही झर जाओ! मैं तुम्हारे वीर्य को अपनी गाण्ड में महसूस करना चाहती हूँ !’ मैंने कहा।

बस मेरा इतना ही कहना था कि मनीष के लण्ड से गरम गरम वीर्य की पिचकारियाँ छुटने लगी और मेरी गाण्ड को भरने लगी और जब उसका लण्ड पूरी तरह झर गया तो वो मेरे ऊपर ही गिर गया। ‘इस अनुभव को मैं अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं भूलूँगा !’ मनीष ने धीरे से मेरी गर्दन को चूमते हुए कहा।

‘मैं भी ! तुम जानते हो जब कोई लड़की चुदाई के दौरान झड़ती है तो इसका मतलब है कि तुम लड़की को पूरा मज़ा दे रहे हो !’ मैं मुस्कुराते हुए कहने लगी।

‘सच? क्या तुमको मज़ा आया? क्या मैंने अच्छे से चोदा?’ मनीष ने पूछा।

‘मनु, मैं बहुत ही संतुष्ट हूँ।’ मैंने कहा और उसको अपने ऊपर से हटाती हुई उसके साथ ही लेटे लेटे उसको चूमने लगी,’जब भी तुम चाहो, यहाँ आकर मज़ा ले सकते हो।’ तभी थोड़ी देर के बाद मेरे मोबाइल पर पूजा का फोन आया और मैंने मनीष को तैयार होने को कहा और हम दोनों ने स्नान किया और अपने अपने कपड़े पहन लिया।

मनीष मुझे उसको सेक्स के बारे में अनुभव देने के लिए बार-बार धन्यवाद दे रहा था और मैं उसको एक कुंवारे लड़के से चुदने के सपने के बारे में धन्यवाद दे रही थी।

उसके बाद मनीष मेरा बहुत ही खास प्यार बन गया जिसको मैंने पूजा के साथ कभी भी नहीं बांटा।

हम दोनों ने कई सप्ताहांत एक साथ बिताए और मैं अलग अलग आसन में चुदवाती थी। इस प्रकार मेरा एक कुंवारे लड़के से चुदने का सपना पूरा हुआ।

आपके विचारों का स्वागत है [email protected] पर !

कहानी का अगला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-5

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