मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-14

(Meri Madmast Rangili Biwi- Part 14)

इमरान 2016-07-12 Comments

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अंकल और मैं, हम दोनों अकेले घर में रहे। मुझे आज भी याद है उस घर की पहली रात!

सलोनी को तो यही सब कुछ अच्छा लगता है… उसके पास आज तीन मर्द थे जो उसके बदन की सेवा में लगे थे।
पर मुझे तो सलोनी की पहली चुदाई से सरोकार था कि उसकी कुँवारी चूत में कैसे पहली बार लंड गया।

सलोनी- मुझे तो ऐसे ही अंकल का साथ अच्छा लगता था इसलिये उनके घर में किसी के होने या ना होने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला था।

अंकल ने मुझको अपने गले से लगा कर प्यार किया जैसे हमेशा करते हैं, फिर वे बोले- मेरे कमरे में AC है, इसलिये तुम इसी में रहो। पढ़ाई करने के बाद रात को यहीं सो जाया करना!

मुझे वो पहली रात्रि और उसके बाद वाली सब रातें भली प्रकार से याद हैं, उस वक्त ने मेरी ज़िंदगी में एक नया रंग दे दिया था जो कुछ मुझे पता नहीं था, .अंकल ने मुझे वह सब सिखाया।

अंकल के घर आने से पहले मैं घर में नाईट सूट पहनती थी पर मेरी मम्मी ने मुझे अब यहाँ के लिए नाईटी दी थी कि वहाँ यही पहनना!

पहली बार नाईटी पहनना… वो भी अपने प्यारे अंकल के सामने… मुझे रोमांच हो रहा था क्योंकि उस वक्त अंकल ही थे जो मेरी हर बात की तारीफ़ किया करते थे।

मैरून रंग की सिल्क नाईटी मेरे ऊपर बहुत फ़ब रही थी और मेरे स्लिम चिकने बदन से जैसे चिपक सी गई थी।
मैंने सपष्ट महसूस किया कि अंकल अजीब सी निगाहों से मुझे देख रहे थे।

मैं जब पढ़ने जाने लगी तोवे बोले- बेटी, आज तो सफ़र से आई हो.. थकी होगी, आओ आज आराम कर लो! मैं तुम्हें सुबह जल्दी उठा दूँगा पढ़ने के लिये! अभी तो पहला पेपर ही तीन दिन बाद है, हो जायेगी पूरी तैयारी… मैं हूँ ना… तुम चिंता बिल्कुल मत करना!

और उन्होंने उस रात मुझे पढने नहीं दिया… पढ़ने का दिल तो मेरा भी नहीं था।
मैं उनके पास ही जरा से दूरी बना कर लेट गई… मैंने दूसरी ओर करवट ली और कुछ ही देर बाद ही अंकल का हाथ मेरी कमर पर था।

वे बोले- अरे, इतनी दूर क्यों लेटी हो? पास आओ ना… कुछ देर बात करते हैं, नींद आने लगी है क्या?
मैंने कहा- नहीं अंकल्…
बोलकर उनकी ओर करवट ले ली।

उनका हाथ जो मेरी कमर पर था वो अब मेरे उभरे हुए कूल्हों पर आ गया था।

इससे मुझे कोई आपत्ति नहीं थी, यही सब तो अंकल हमेशा करते थे जब भी मौका मिलता था और आज तो पूरा मौका था।

उन्होंने मुझे और अपनी तरफ़ खिसका कर, अपनी एक बाजू फैलाकर मुझे उस पर लेटा लिया।
अब हम दोनों के सिर आपस में मिले हुये थे, उन्होंने ‘बहुत प्यारी हो तुम!’ कहते हुए… मेरे गाल को चूम लिया।

ऐसे तो वे जाने कितनी ही बार मेरे दोनों गालों को चूम चुके थे, इसलिये मुझे कोई आपत्ति नहीं थी।

फिर अंकल ने मेरे गोल चूतड़ों पर हाथ फिराया और फ़िर हाथ को एकदम पीठ पर ले गये तो उनके हाथ में मेरी ब्रा कि स्ट्रिप आ गई…
मैंने अभी कुछ माह पहले से ही ब्रा पहननी शुरू की थी, स्पोर्ट ब्रा थी बिना हुकों वाली!

अंकल तुरन्त बोले- यह क्या सलोनी? तुम रात में ब्रा पैन्टी पहन कर सोती हो? बुरी बात!
‘क्यों अंकल? इसमें क्या हुआ? ब्रा तो मैंने अभी थोड़े दिन पहले ही पहननी शुरू की है।

‘वो तो ठीक है बेटी, पर रात में इतने कसे कपड़े पहन कर नहीं सोया करते… ऐसा करने से अंग खराब हो जाएँगे और वहाँ निशान भी पड़ जाएँगे। फिर तेरा पति ही तुझे सुन्दर नहीं मानेगा।

अंकल की बात सुन कर मैं सच में मैं डर गई क्योंकि मैं अंकल को बहुत अच्छा मानती थी, वे जो भी कहेंगे सही ही कहेंगे।

मैंने कहा- ठीक है अंकलजी, मैं रात में ब्रा पैन्टी पहन कर नहीं सोया करूँगी।

तो अंकल ने कहा- कब से? आज ही से शुरू कर दो!

जैसे ही मैं उठने लगी, उन्होंने तुरन्त मुझे लिटा दिया, बोले- कहाँ जा रही हो? ला मैं ही उतार देता हूँ, अगर कोई निशान हुआ तो क्रीम वगैरा भी लगा दूँगा जिससे साथ ही ठीक हो जाये।

मैं कुछ बोलती, उससे पहले ही उन्होंने मेरी नाईटी ऊपर उठा दी।
मुझे खास शर्म नहीं आई क्योंकि अंकल पहले भी मुझे पैन्टी में देखते रहे थे, जब मेरी फ्रॉक या स्कर्ट को ऊपर करके मेरी पैंटी के ऊपर से मेरे कूल्हे या मेरी चूत को सहलाते थे।

कभी कभी तो अंकल हल्के से उंगली अंदर को दबा कर भी सहला देते थे तो उस वक्त तो मुझे बहुत गुदगुदी होती थी और अच्छा भी महसूस होता था।

अंकल ने मेरी नाईटी कमर तक उठाई, पहले मेरी पैंटी पर हाथ फिराया, फिर उसे सरका कर उतारने लगे।
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पहले तो मुझे शर्म आई यह पहली बार कोई मर्द मेरी पैंटी उतार रहा था तो मैंने हल्का सा विरोध किया पर अंकल को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा, उन्होंने मेरी पैन्टी पूरी नीचे को सरका कर मेरे पाँव से बाहर निकाल दी।

मैं अपने हाथों से नाईटी नीचे करने लगी तो मेरा हाथ पकड़ कर बोले- रुक तो जा… अभी ब्रा भी तो उतारनी है।

मैंने कहा- रुको ना अंकल… वो तो ऊपर से निकल जाएगी!
और मैंने अपनी नाईटी नीचे कर ली।

वो तो शुक्र था कि कमरे में ज्यादा रोशनी नहीं थी, सिर्फ़ एक हल्का सा नाइट बल्ब जल रहा था।

मैं उठ कर उनकी तरफ़ पीठ करके बैठ गई और…
कहानी जारी रहेगी।

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