मैंने भी चूत चुदवाना सीखा-2

(Maine Bhi Choot Chudwana Seekha- Part 2)

सीमा सिंह 2017-01-11 Comments

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मेरी चूत की पहली चुदाई

फिर एक दिन उसने बताया कि उसकी बहन अपने परिवार के साथ बाहर कहीं जा रही है, उसका घर खाली है।
अब रात को तो मैं घर से बाहर आ नहीं सकती थी तो दिन का ही प्रोग्राम तय हुआ।

अपने घर पर सहेली घर जाने का बोल कर मैं आ गई, वो मुझे अपनी बहन के घर ले गया, अच्छा सुंदर घर था।

हम दोनों सीधे बेडरूम में गए, वहाँ पहले उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक और पेटीज़ दी, हम दोनों ने खाया पिया।
उसके बाद उसने मुझसे पूछा- क्या तुमने पहले कभी कुछ किया है?
मैंने कहा- नहीं, आज तक तो कुछ नहीं किया, बस कभी कभी उंगली से कर लेती हूँ।
वो बोला- मैं भी कभी कभी हाथ से कर लेता हूँ।

मैंने कहा- तुम हाथ से कैसे करते हो?
वो बोला- रुको, मैं दिखाता हूँ।

कह कर उसने अपने हाथ से एक्शन करके दिखाया कि ऐसे लंड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करते हैं।
मैं बड़े ध्यान से उसका एक्शन देख रही थी।

वो मेरे पास आ कर बैठा, मेरी ठुड्डी को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिये।
यह तो मुझे बहुत ही पसंद था तो मैं भी उसके होंठ चूसने लगी और वो मेरे बूब्स से खेलने लगा।

‘तेरे बूब्स बहुत सॉफ्ट हैं, दिखाएगी मुझे?’ उसने कहा।
तो मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी।
‘अरे वाह तू, तो ब्रा भी पहनने लगी!’
मैंने कहा- आज स्पेशल पहन कर आई हूँ।

उसने खुद अपने हाथों से मेरी ब्रा खोली- वाओ, क्या मस्त चूची है तेरी!
कह कर उसने मेरी एक चूची अपने मुंह में लिया और चूसने लगा।

मुझे उस रात की बात याद आ गई, जब मेरे मामा के लड़के ने मेरे बूब्स चूसे थे। मैंने भी पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया।
वो बोला- देखना है तेरे को मर्द का लंड?
मैंने कहा- हाँ, तू दिखाएगा तो देख लूँगी।

उसने अपनी पैंट और चड्डी दोनों उतार दी और उसके बाद उसने अपनी टी शर्ट भी उतार दी।

मोटा, लंबा काला लंड हवा में बिल्कुल सीधा तना हुआ था, वो मेरे पास आया और मुझे हाथ में पकड़ा दिया। मैंने महसूस किया कि इसका लंड मेरे मामा के लड़के के लंड से मोटा भी था और लंबा भी।

मैंने उसके सहला कर देखा।
वो बोला- चूसेगी?
मैंने मना कर दिया- छी: गंद… यह भी कोई चूसने की चीज़ है।
वो बोला- अगर एक बार चूसने की आदत पड़ गई न, तो फिर तू बिना चूसे न रह पाएगी।
‘हूंह, मैं तो यह गंदा काम कभी भी न करूँ!’ कह कर मैंने अपना मुंह बिचका लिया।

फिर उसने कहा- चल अपनी जीन तो उतार!
मैंने अपनी जीन और चड्डी दोनों उतार दी।

‘अरे तेरी चूत पे अभी तक बाल भी नहीं आए, इधर देख तेरे यार के पूरा जंगल उग रहा है।’

सच में उसकी छाती, पेट और टाँगों पर सब जगह बाल ही बाल थे।
मैंने कहा- तभी तो रीछ लग रहे हो।
वो बोला- जब यार का लौड़ा जाएगा न अंदर, तब बताना, रीछ हूँ कि क्या हूँ।

मैंने पूछा- यह इतना मोटा, मुझे मारोगे क्या? मैं नहीं ले सकती इतना मोटा।
वो बोला- देखते हैं!

कह कर वो मेरे ऊपर लेट गया, मैंने भी अपनी दोनों टाँगें खोल कर उसको अपने ऊपर लेटने दिया। उसका तना हुआ लंबा मोटा लंड मेरे पेट से लगा हुआ था।

उसने मुझे किसिंग करनी शुरू की, मैंने भी उसके होंठ, जीभ सब चूसे। होंठ चूसने के बाद वो मेरे गाल, कान के आस पास, गर्दन के पास और कंधों पर चूमने लगा।
मेरे तो बदन में गुदगुदी होने लगी।

फिर मेरे दोनों छोटे छोटे बूब्स पकड़ लिए और बारी बारी से दोनों के निप्पल चूसने लगा। मेरे बदन पर जहाँ भी वो अपना मुंह लगाता, वहीं से बिजली सी कौंधती और मेरे बूब्स के निप्पल से होते हुये मेरी चूत तक जाती और हर करंट पर मेरी चूत और पानी छोड़ती।
बहुत बूब्स चूसे उसने, मेरे दोनों निप्पल चूस चूस के सख्त और गुलाबी कर कर दिये।

बूब्स के बाद वो नीचे को गया और मेरी कमर और मेरे पेट पे यहाँ वहाँ चूमा, अब कमर पे तो मुझे गुदगुदी ही बहुत होती है, मैं तो हंस हंस के पगला गई। मैंने बहुत उसे रोकने की कोशिश की, उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और लगा रहा… तड़पा के रख दिया उसने मुझे।

मेरे यार ने मेरी चूत चाटी

उसके बाद कमर से नीचे आ गया, अब वो मेरी चूत के आस पास और जांघों को चूमने लगा।
मैंने कहा- यहाँ मत करो, मुझे बहुत ज़्यादा गुदगुदी होती है।
वो बोला- जितना मज़ा ले सकती है, उतना मज़ा ले!

और फिर से मेरी चूत के आस पास चाटने लगा।

और फिर उसने मेरी बिना बालों वाली चूत को अपने मुंह में भर लिया और अपनी जीभ को मेरी चूत की दरार में घुमाया।
अभी तक मैं इस आनन्द से अंजान थी कि जब कोई चूत को चाटता है तो कैसा मज़ा आता है।
यह सच में गजब का नज़ारा था… मेरी तो आँखें बंद हो गई।

दो मिनट में ही आनन्द के इस क्षण में मैं कब स्खलित हो गई, मुझे कुछ पता न चला।

शायद उसे भी पता चल गया था कि मेरा काम हो चुका है मगर फिर भी वो चाटता रहा।
उसकी जीभ में तो जैसे जादू था, स्खलित होने के दो मिनट बाद मुझे फिर से मस्ती छाने लगी।

चढ़ती जवानी की उम्र, और ऊपर से मैं खुद इतनी कामुक। जिसका हर वक़्त मन सेक्स के बारे में ही सोचता रहता हो, वो क्या ठंडी होगी।
मेरे बदन में सेक्स की आग फिर से जल उठी, मैं अपनी कमर ऊपर उठा उठा कर उसको अपनी चूत चटवाने लगी।

मैंने पहली बार लंड चूसा

जब मैं फिर से उत्तेजित होने लगी, तो वो उल्टा घूम गया। अब उसका लंड बिल्कुल मेरे मुंह के पास था, उसने मेरी चूत से अपना मुंह हटाया और बोला- इसको अपने हाथ में पकड़ और खेल इससे!

मैंने उसका लंड अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी। उसके लंड से खेलते खेलते मैंने सोचा कि अगर यह मेरी चूत चाट सकता है तो मैं इसका लंड क्यों नहीं चूस सकती।

पहले मैंने उसके लंड को अपने चेहरे पे घिसाया, फिर चूमा और फिर आँखें बंद की और उसका लंड अपने मुंह में ले लिया।
बड़ा बकवास सा स्वाद मुंह में आया, मगर फिर भी मैंने उसका लंड अपने मुंह से नहीं निकाला, चूसती गई, अपनी जीभ से चाटने लगी।
क्यों जो चीज़ मुझे कुछ देर पहले गंदी लग रही थी, अब उसे मैं किसी लोलीपोप की तरह चूस रही थी?
और क्यों लंड चूसने को मैं खुद एंजॉय भी कर रही थी?

फिर मैंने हाथ से उसका लंड छोड़ दिया और सीधा मुंह से उसको चूसने लगी, वो भी अपनी कमर चला कर मेरे मुंह को चोद रहा था। मेरा मन नहीं कर रहा था कि मैं अपनी आँखें खोलूँ मगर उसने मेरे मुंह से अपना लंड निकाला और वापिस घूम गया।

मेरी अनचुदी चूत में पहला लंड

अब वो फिर से मेरे ऊपर आ गया, मैंने फिर से अपनी टाँगें खोली और उसका लंड पकड़ कर अपने आप ही अपनी चूत पर रख लिया।

उसने अपने हाथों की उँगलियाँ मेरे हाथों की उँगलियों में फंसा ली और मेरे दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर से ले जा कर पीछे जकड़ लिया, अपने होंठ मेरे होंठों पे रखे तो मैंने खुद अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी।
मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर उसने अपनी कमर हिला कर ही अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया।

मैंने भी नीचे से अपनी कमर हिला कर उसकी सेटिंग को सही से बिठाया। बस फिर उसने हल्के से अपना लंड मेरे अंदर ठेला, जैसे कोई लकड़ी का डंडा अंदर घुसा हो।

मैंने आँखें खोली, दर्द की एक लहर मेरे चेहरे पे छा गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मगर उसकी आँखें बंद थी।
मैंने कुछ बोलना चाहा मगर उसने अपना मुंह मेरे मुंह से नहीं हटाया, और अपना लंड और मेरे अंदर घुसा दिया।

मेरी बाजू उसने पीछे जकड़ रखी थी, मुंह से मुंह चिपका रखा था, मेरे बदन को अपने बदन से दबा रखा था, सिर्फ मेरी टाँगें ही आज़ाद थी, और मैं अपनी एड़ियाँ रगड़ रही थी, मगर वो तो साला पता नहीं किस मस्ती में था, बस घुसाता ही गया और पूरा लंड उसने मेरे अंदर डाल दिया।

मैं खुद देख कर हैरान थी कि जो मोटा और लंबा लंड देख कर मैं डर रही थी, वो सारे का सारा मेरी चूत में समा चुका था।
उसकी कमर बिलकुल मेरी कमर से सटी हुई थी।

मैंने पूछा- पूरा डाल दिया क्या?
वो बोला- हाँ, और क्या आधा डालना था, पूरा ही डालते हैं।

मैंने फिर कहा- मुझे दर्द हो रहा है।
वो बोला- पहली बार सबको थोड़ा बहुत होता है, तो दर्द छोड़, और मज़ा ले।
कह कर वो अपनी कमर आगे पीछे करके कभी अपना लंड बाहर निकलता और कभी फिर अंदर डाल देता।

मुझे दर्द भी हो रहा था, मगर उसके लंड के अंदर बाहर आने जाने से एक अजीब सा आनन्द भी आ रहा था जैसे कान में खुजली हो तो कान में खुजाने में आता है, मगर यह मज़ा उस से भी ज़्यादा था।
जितनी खुजली मिट रही थी, उतनी और बढ़ रही थी।
मैंने अपना सर उठा कर देखा, सच में मेरी कलाई जितना मोटा और लंबा लंड होगा उसका और वो भी पूरा बाहर निकाल लेता और फिर से अंदर डालता।

‘क्यों मज़ा आ रहा है?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- हाँ, आ रहा है।
‘तो बस आँख बंद करके लेट जा और मज़ा ले!’ वो बोला।

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली, वो कभी मेरे होंठ चूसता, कभी गाल, कभी बूब्स चूसता। मैंने तो अपना सब कुछ उस पर न्योछावर कर दिया था।

कितनी देर वो मुझे चोदता रहा। मुझे बस इतना याद है कि हर 3-4 मिनट बाद मैं स्खलित हो जाती थी मगर वो नहीं हुआ।
थोड़ी देर बाद वो बोला- सुन, घोड़ी बनेगी।
मैंने पूछा- कैसे?

उसने मुझे उठा कर उल्टा करके चारों पाँव पे खड़ा कर दिया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत पर रखा और अंदर घुसेड़ दिया।तब मुझे समझ में आया कि जब मैंने कुत्ते और कुतिया को सेक्स करते देखा था तो कुत्ते ने कुतिया के किस जगह अपना लंड डाला होगा, और मेरे मामा का लड़का मेरी गांड में ज़ोर लगता रहा।

‘साला चूतिया…’ मैंने मन ही मन में सोचा।
इस अंदाज़ में भी मेरे बॉय फ्रेंड ने मुझे बहुत देर तक चोदा।
मैंने उस से पूछा- कितनी देर और करोगे?
वो बोला- क्यों कहीं जाना है क्या?
मैंने कहा- नहीं, जाना तो नहीं। वैसे ही पूछा।

वो बोला- अगर नहीं जाना तो चुदवाती रह! अगर कोई और तकलीफ है तो बता दे।
मैंने बोली- बस अब बहुत हो गया।
वो बोला- तो मैं फिर अपना पानी भी निकाल दूँ।
मैंने कहा- निकाल लो।

बस उसके बाद तो उसने बड़े ज़ोर से मुझको चोदा, और चोदते चोदते मुझे बहुत से गालियां भी निकाली, मेरी माँ को बहन को, मुझे भी कुत्ती, कंजरी, रंडी, हरामज़ादी और न जाने क्या क्या कहा।
मैं भी जोश में थी तो मैंने भी उसकी किसी गाली का बुरा नहीं माना।

फिर उसके लंड ने गर्म गर्म पानी की फुव्वारे छोड़े।
हम दोनों को उस वक़्त पता नहीं था कि अगर कोंडोम इस्तेमाल न करना हो तो मर्द को अपना वीर्यपात बाहर करना चाहिए।
उसने अपने वीर्य से मेरी चूत को भर दिया जो बहुत सारा तो चू कर मेरी चूत से बाहर ही टपक गया।

मैं लेटी रही, वो भी मेरे साथ ही लेटा था पसीने से लथपथ!
वो बोला- कैसा मज़ा आया?
मैंने कहा- बहुत मज़ा आया।

‘तो क्या सीखा?’ वो बोला।
मैंने कहा- लंड से चूत चुदाई!
उस दिन ज़िंदगी में पहली बार मैंने लंड और चूत जैसे शब्द अपनी ज़ुबान से कहे थे।

करीब आधा घंटा हम दोनों लेटे आपस में बातें करते रहे।
फिर वो बोला- थोड़ा सा मेरा लंड चूसेगी।
मुझे खुद पर हैरानी हुई जब, मैं उसका लंड जिस पर उसका वीर्य सूख कर जाम चुका था, बिना किसी हिचकिचाहट के अपने मुंह में ले गई।

चूसते चूसते उसका लंड फिर से सख्त हो गया तो वो बोला- चल अब तुझे चुदाई के कुछ और सबक सिखाता हूँ। उसके बाद उसने मुझे अपने ऊपर बैठा कर मुझसे चुदाई करवाई।
उसके दिये हुये सबक मुझे आज तक याद हैं।

स्कूल खत्म होने के बाद वो पता नहीं कहाँ चला गया, मगर मैं आज भी जब भी किसी से सेक्स करती हूँ, तो अक्सर वो मुझे याद आ जाता है।

मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी पर अपने विचार नीचे जरूर लिखें।
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