लण्ड कट जाएगा.. ऐसा लगा-1

(Lund Kat Jayega.. Aisa Laga- Part 1)

ऋषि कुमार 2016-12-12 Comments

This story is part of a series:

मेरा नाम ऋषि है, मैं छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव से हूँ।

आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा शीर्षक है कहानी का
‘लण्ड कट जाएगा.. ऐसा लगा’

यह भी कोई शीर्षक है..
लेकिन यह शीर्षक मेरे और मेरी बीवी सरिता के पहले सम्भोग की गवाह है.. जिसे जब तक जिन्दा हूँ.. कभी भूल नहीं पाऊँगा और इस क्षण को अनुभव करवाने के लिए अपनी बीवी सरिता का मैं हमेशा आभारी रहूँगा।

मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बंधित हूँ, गाँव का होने की वजह से देखने में मेरा शरीर हृष्ट-पुष्ट और तंदरुस्त है, शक्ल-सूरत से भी ठीक ठाक हूँ।

मेरी यह कहानी मेरी और मेरी बीवी सरिता की है, कहानी बहुत ही दिलचस्प और बिल्कुल सच्ची है। मेरा दावा है कि इस सच्ची घटना को पढ़ने के बाद सम्भोग में आपकी रूचि और बढ़ जाएगी।

मेरी बीवी सरिता बहुत ही गोरी, खूबसूरत और गाँव की होने की वजह से वो भी गठीले शरीर की मालकिन है.. एकदम क़यामत लगती है।
जिस समय हमारी शादी हुई.. मेरी उम्र 21 साल और सरिता 18 साल की थी और बहुत ही क़यामत लगती थी.. वो आज भी जैसी की तैसी दिखती है।

वैसे हमने प्रेम-विवाह किया था। शादी से पहले हमने कभी सम्भोग नहीं किया था। हमें पता नहीं था कि सम्भोग कैसे किया जाता है। उत्तेजना तो होती थी लेकिन कभी करने का मौका नहीं मिला, बस उसके उरोजों को दबाया था और चूमा था।

मैं और सरिता शादी करने के लिए बहुत ही उतावले थे, वो दिन आ ही गया जिसका हमें बेसब्री से इंतज़ार था।

कहानी को ज्यादा लम्बा न करते हुए मैं सीधे सुहागरात पर आता हूँ।
शादी के दूसरे दिन हम लोगों को अपना कमरा दिया गया। रात हुई, सरिता कमरे में पहले से पहुँच गई थी। मैं भी अन्दर गया, सरिता लाल साड़ी में सज-धज कर तैयार बैठी थी।
कमरे में CFL की दूधिया रोशनी में वो एक क़यामत लग रही थी।

मैं तो उसे देखता ही रह गया इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकता। लाल साड़ी में लिपटा हुआ उसका गोरा बदन बहुत ही हाहाकारी लग रहा था।
जी तो कर रहा था कि तुरंत जाऊं और उसे पकड़ लूँ, लेकिन सम्भोग के मामले में जल्दीबाजी ठीक नहीं होती इसलिए मैंने अपने आप पर काबू किया क्योंकि अब सरिता तो मेरी ही थी, तो क्यों न आराम से सम्भोग किया जाए।

मैं सरिता के नजदीक गया और मैं भी बिस्तर पर बैठ गया, उसके दोनों कन्धों को पकड़ा और एक सोने की अंगूठी उसे उपहार स्वरूप दी।

सरिता बोली- इसकी क्या जरूरत थी, हम दोनों जो चाहते थे.. वो तो हमें मिल गया।
मैं बोला- देना जरूरी था, मुँह दिखाई के लिए देना पड़ता है।

उसके बाद हमने बहुत सारी बातें की उसकी और मेरे बारे में… जैसे इतना दिन मैं उसके बिना कैसे रहा वो मेरे बिना कैसे रही।

वैसे आग तो दोनों तरफ लगी थी… तो पहल मैंने की, उसके चेहरे को हाथ में लिया और दोनों आँखों को चूमा।
उसका शरीर गुलाबी होने लगा था।

उसके बाद उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। कुछ देर होंठों को चूमने के बाद वो खुद जीभ बाहर निकाल कर मेरा साथ देने लगी। जब जीभ से जीभ टकराते थे.. तो जन्नत का अनुभव होता था।

अब दोनों के मुह की लार एक-दूसरे के मुँह में जाने लगी, बहुत अच्छा लग रहा था।

अब हमारे होंठ एक-दूसरे से अलग हुए, मैंने उसके कपड़े धीरे-धीरे उतारने शुरू किए, सबसे पहले उसकी साड़ी उतारी, उसके बाद उसके खुले अंगों को लगातार चूमने लगा। सरिता सिसकारियां लेने लगी ‘उन्ह्ह.. उन्ह्ह.. अह.. इस्स्स्स..’

उसके बाद धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
ब्लाउज उतारने के बाद उसके अन्दर की ब्रा दिखी जो लाल रंग की थी।
मैं ब्रा के बाहर से ही उसके उरोजों को चूमने लगा, उसकी मादक सिसकारियाँ बढ़ने लगीं ‘उन्ह्ह्ह.. उन्ह.. अह.. इस्स्स..’

अब बारी थी उसके पेटीकोट की.. उसके पेटीकोट का नाड़ा जैसे ही खोलने को हुआ, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे खोलने के लिए मना करने लगी।
लेकिन मैं नहीं माना और जबरदस्ती नाड़ा खींच दिया, फिर धीरे-धीरे पेटीकोट उतारने लगा।
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अब सरिता शर्माने लगी और अपने कमर वाली जगह को ढकने लगी, उसका चेहरा शर्म से गुलाबी होने लगा, उस समय सरिता लाल पैन्टी और लाल ब्रा में बिल्कुल बला जैसी खूबसूरत लग रही थी।
वो अपना पूरा अंग छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। जहाँ मैं चूमता जाता उस जगह लाल-लाल निशान पड़ने लगे।
सरिता गर्म होने लगी और गर्म-गर्म साँसें लेने लगी, उसके मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं ‘ओह.. उम्म… इस्स्स..’

जैसे ही मैं किसी जगह को चूमता.. उसकी ‘ओह.. इस्स्स्स्स..’ की आवाज आती।

मैं फिर से उसकी ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को चूमने और चूसने लगा, उसकी कामुक आवाजें और तेज हो गईं ‘इस्स.. आह्ह.. ओह्ह..’

अब मैं उसकी ब्रा को खोलने लगा तो सरिता मना करने लगी लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, उसे उठा कर बिठाया और ब्रा के हुक को खोलने लगा।
ब्रा का हुक खोलते ही मैं उसके तने हुए उरोज देख कर दंग रह गया। इतना गोरा तन.. आप विश्वास नहीं करोगे। मेरे मुँह में पानी आ गया।

मैं उसे देखता ही रह गया, मेरा हाथ अपने आप उसके ऊपर रेंगने लगे, पहली बार किसी के एकदम गदराए हुए चूचों को देखा था।
दिखने में ठोस और छूने में इतने मुलायम चूचे थे कि उसके सामने रुई की नरमी भी बेकार थी।

उत्तेजना के मारे उसके मम्मों के टिप कड़े हो उठे थे। वे सुर्ख गुलाबी कलर रंग के हो उठे थे।

मैं उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा, सरिता का बुरा हाल होने लगा, वो जोर जोर से सिसकारने लगी ‘इस्स्स्स.. आह्ह.. ओह्ह..’

उसके बाद चूमते हुए मैं नीचे आने लगा, उसकी पैन्टी के पास आया, उसकी कामरस की खूशबू पाकर मेरा मन खुश हो गया।
नारियल जैसी खुशबू मेरी उत्तेजना और बेसब्री को बढ़ा रही थी।
अब मैं बाहर से ही उसकी योनि को चूमने लगा।

क्या बताऊँ दोस्तो.. उसकी योनि के रस से उसकी पैन्टी भीग गई थी, मैं पैन्टी के ऊपर से ही उसके कामरस का आनन्द लेने लगा। मेरे सब्र का बांध टूट रहा था, जितनी बार मैं उसे चूमता.. उतनी बार उसका शरीर अकड़ने लगता। सरिता जोरों से मादक सिसकारियाँ लेती और बस यही बोलती- ओह.. जान.. इस्स.. ओह्ह.. इस्स.. प्लीज् ऐसा मत करो.. प्लीज ऐसा मत करो।

उसकी रिक्वेस्ट में इंकार से ज्यादा स्वीकृति थी।
मुझे उसे तड़पाने में बड़ा मजा आ रहा था, जैसे ही वो बोलती कि प्लीज ऐसा मत करो, मैं उसकी योनि को और जोर से चूम लेता था।

अब मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैं सरिता की पैन्टी को उतारने लगा, सरिता ने मना कर दिया।

दोस्तो.. आगे की कहानी भी लिखूंगा.. जरा सब्र कीजिए।

आप अपने मेल मुझे भेज सकते हैं।
[email protected]
कहानी जारी है।

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