मेरी कुंवारी बुर की पहली चुदाई कैसे हुई- 3

(Ladki Ki Pahli Chudai Kahani)

लड़की की पहली चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे बॉयफ्रेंड के नाकाम रहने पर उसके चचा ने मेरी कुंवारी बुर को चोद कर मुझे मेरे फर्स्ट सेक्स का मजा दिया.

यह कहानी सेक्सी आवाज में सुन कर आनन्द लें.

मैं सुहानी चौधरी फिर से अपनी कुंवारी चुत की चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर आ गई हूँ.

लड़की की पहली चुदाई कहानी के पिछले भाग
पहली चुदाई के लिए बॉयफ्रेंड ने लंड ढूंढा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे ब्वॉयफ्रेंड सूरज के चाचा जी ने मुझे चोदने के लिए नंगी कर दिया था.
सूरज मेरे सामने ही बैठा था.

अब आगे लड़की की पहली चुदाई कहानी:

चाचा जी ने मुझे सोफ़े पर कमर के बल गिरा दिया और रेंगते हुए मेरे मेरी छाती पर आकर मेरे मम्मों को भर भर कर चूसने लगे.
मैं आंखें बंद करके इस पल का आनन्द लेते हुए सोफ़े में ऊपर नीचे होने लगी.

मेरे कंठ से ‘उम्महह … उमम्ह … चाचा जी … आह … आराम से … स्सी.स्सी … मजा आ रहा है.’ कर रही थी.

मैं चाचा जी के कच्छे में खड़े लंड को अपनी टांगों पर महसूस कर सकती थी.

आखिरकार चाचा जी ने मेरे जिस्म को छोड़ा और तुरंत खड़े हो कर अपने सारे कपड़े उतार दिए.

उनका लंड किसी सांप की भांति फड़फड़ा रहा था और करीब 7 इंच बड़ा होगा और 2 इंच के लगभग मोटा.

मेरे मुँह से तुरंत निकल गया- अरे बाप रे … इतना बड़ा लंड, इसे मैं कैसे ले पाऊंगी. मेरी तो फट ही जाएगी.

वो बोले- अरे सब ले जाएगी सुहानी तू अपनी चूत में, तुझे पता नहीं है, आज कल की लड़कियां बड़े से बड़ा लंड ले जाती हैं. ले पकड़ कर देख, यही चोदेगा आज तुझे.

उन्होंने लंड मेरी तरफ बढ़ा दिया.

उधर सूरज का लंड भी हल्का हल्का खड़ा होना शुरू हो गया था.

फिर चाचा जी ने बोला- अब पता है ना बेटा … क्या करना है तुम्हें?
मैंने कहा- क्या करूं चाचा जी?

चाचा बोले- ब्लू फिल्मों में नहीं देखा क्या! अब तुम्हें लंड मुँह में लेना है.
मैंने कहा- नहीं चाचा जी, मुँह में नहीं लूंगी, गंदा लगता है.
चाचा जी बोले- अरे बेटा, कुछ गंदा नहीं लगेगा.

उन्होंने अपना लंड हिलाया और बिल्कुल मेरे होंठों के पास ले आकर मेरे कानों के पास से मेरा सिर पकड़ लिया.

वो बोले- ले साली, किस कर इसे अपने खूबसूरत होंठों से.

मैं वहीं नीचे घुटनों के बल बैठ गयी और मैंने नाक सी सिकोड़ कर उनके खड़े लंड के सुपारे को हल्के से किस किया.

इससे लंड और फड़फड़ाने लगा.
चाचा जी बोले- ऐसे करेगी, तो कैसे मजा आएगा … शुरू शुरू में अजीब लगता है, बाद में तो तू लपक कर लंड चूसा करेगी रंडियों की तरह.

चाचा जी ने एक हाथ मेरे सिर के पीछे ले जाकर पकड़ लिया और दूसरे से अपना लंड मेरे होंठों पर घिसने लगे.
फिर उन्होंने मेरी चूची को जोर से दबाया तो मेरा मुँह खुल गया और चाचा जी ने उसी पल मेरे मुँह में अपना लंड घुसा दिया.

उनका सख्त लंड मेरे मुँह में जगह बनाता हुआ घुस गया और हलक तक जा कर अटक गया.
मुझे तो एकदम से उल्टी सी आने को हुई.

पर चाचा जी ने लंड बाहर निकाला और फिर दुबारा डाल दिया.

अब मैं भी धीरे धीरे उनके कहे अनुसार लंड अन्दर बाहर चूसने लगी. बस 3-4 मिनट तक ‘गुप्प … गुप्प … गुप्प.’ करते हुए लंड चूसती रही.

चाचा जी भी बस मुसकुराते हुए आंखें बंद करके ‘उम्महह … उमम्ह … आहह … सुहानी मेरी रंडी … आहह … चूस … बहुत मजा … आ रहा है.’ कहते रहे.

आखिर लंड चुसाने के बाद चाचा जी मुझे सोफ़े पर धक्का दे दिया और मेरी पैंटी खींच कर नीचे से निकाल दी.

मेरी पैंटी को भी चाचा जी ने सूरज के मुँह पर फेंक दी और बोले- ये ले साले, इस पर लंड रगड़ कर मुठ मार ले, क्योंकि तेरी बंदी को तो मैं ही चोदूंगा.

फिर चाचा जी ने मेरी कुंवारी चूत का जायजा लिया और सूंघ कर बोले- आह क्या बात है … गज़ब की चूत है, किसी ने चोदी भी नहीं है.
मैंने कहा- अरे चाचा जी, चोदना तो दूर, देखी भी आपने ही है पहली बार.

चाचा जी बोले- हम्म … फिर तो बड़ा मजा आएगा. उन्होंने मेरी चूत को हल्के से किस किया.

इससे मेरे पूरे जिस्म में सिरहन सी दौड़ गयी और मुझे पहली बार एक असीमित आनन्द आया.

फिर चाचा जी ने तो अपनी जीभ का कमाल दिखा दिया और अन्दर बाहर कुत्ते की तरह जीभ दे दे के मुझे मजा देने लगे.

चाचा जी इतनी शिद्दत से मेरी चूत चाट रहे थे कि मुझे कितना मजा आ रहा था ये मैं बयान नहीं कर सकती.

आखिर मेरी चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी और चाचा जी भी सुड़प सुड़प करके चूत चाटे जा रहे थे. मैंने उनका सिर बालों से पकड़ा हुआ था और अपनी टांगों से भींच कर मैं अपनी चूत चटवा रही थी.

मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था. मैं बोली- आहह … स्सी … बस चाचा जी अब तो चोद ही दो मुझे, प्लीज!
चाचा जी बोले- ठीक है सुहानी बेटा, चलो बेडरूम में चलते हैं.

फिर हम तीनों बेडरूम में पहुंच गए.
चाचा जी बोले- सुहानी, तू अपनी टांगें खोल कर बेड पर लेट जा.

मैं तुरंत लेट गयी.

उधर सूरज भी साइड में पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और उसने अपनी पैंट कच्छे सहित उतार दी.
उसका लंड खड़ा तो था, पर बिल्कुल ढीला.

इधर चाचा जी का लौड़ा तो एकदम सख्त हो रखा था.

मैंने कहा- चलो ना चाचा जी … अब कितना इंतज़ार करवाओगे, अब तो चोद दो.
चाचा जी बोले- देखा, भैन की लौड़ी कितनी हुड़क मच रही है चुदवाने की, अब तू जल्दी ही बिल्कुल रंडी बन जाएगी!

मैंने बोला- अरे चाचा जी, बाद का तो पता नहीं … पर आज के लिए तो मैं सिर्फ आपकी रंडी हूँ, प्लीज अपनी इस रंडी को चोद दो ना!

फिर चाचा जी मेरे ऊपर आकर झुक गए और मेरी आंखों में देखते हुए कहा- हो सकता है थोड़ा दर्द हो, क्योंकि तू पहले चुदी नहीं है ना.
मैंने कहा- कोई नहीं, आप चोदो, चाहे मैं कितना भी रोऊं, गिड़ागिड़ाऊं, पर रहम मत करना और चोदना चालू रखना. बहुत वक़्त से चुदवाने का इंतज़ार कर रही हूँ.

चाचा जी बोले- सोच ले, रुकूंगा नहीं, चाहे जबरदस्ती चोदना पड़े.
मैंने कहा- मुझे पकड़ लेना, ज़बरदस्ती काबू में कर लेना … पर चोदते रहना.

फिर तो चाचा जी को पूरी इजाजत मिल गयी. उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रखा और थोड़ा सा ऊपर नीचे घिस कर चिकना किया. उसके बाद उन्होंने लंड को धीरे धीरे मेरी चूत पर रख कर धक्का लगाना शुरू किया. पर मेरी चूत इतनी टाइट थी कि लंड एक सेंटीमीटर भी नहीं घुस पा रहा था.

मुझे अभी चूत पर हल्का सा खिंचाव और हल्का सा ही दर्द हो रहा था. मैंने कहा- रुको मत चाचा जी, आज मत रुको.

फिर तो चाचा जी अपना लंड चूत पर रख कर दबाने लगे और उनका सख्त लंड मेरी चूत जबरदस्ती खोलने लगा.

अब मुझे हल्का हल्का सा दर्द होने लगा, तो मैं ‘आई … आई … ऊई … स्सी … स्सी …’ करने लगी. उनका लिंगमुंड अन्दर जा चुका था और मेरी सील पर जाकर लग रहा था. चाचा जी के लंड को भी सील महसूस हो गयी थी.

वो बोले- ले बेटा सुहानी अब तेरी सील टूटने वाली है … थोड़ा दर्द बर्दाश्त करना.
मैंने होंठ भींचते हुए सहमति में हां में गर्दन हिलाई.

चाचा जी ने अपना लंड मेरी छोटी चूत में घुसाने में अपनी पूरी जान लगा दी और एकदम से मेरी चूत की झिल्ली यानि सील फट गयी.
मुझे एकदम से असहनीय दर्द हुआ और मेरी आंखें चौड़ी हो गईं.

मेरी ज़ोर की चीख निकल गयी- आआआई … स्सी … स्सी … मर गई चाचा जी फट गई मेरी आह आह!

हालांकि की चाचा जी का लंड आधा ही अन्दर गया था, पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था.

फिर भी चाचा जी ने लंड नहीं निकाला और पूरा अन्दर घुसाने लगे.

मेरी आंखों में आंसू आ गए थे जो मेरे गालों से होते हुए नीचे लुढ़क गए.
मैं दर्द से छटपटा रही थी और चाचा जी ‘हम्म … हम्म … हम्म ..’ करते हुए ज़ोर से धक्के लगा रहे थे.

वो लंड अन्दर घुसाते जा रहे थे. इधर मैं दर्द से ‘सीई … स्सी … आई.’ चिल्ला रही थी.

मगर चाचा जी एक थाप और लगा दी.
अब मेरे कंठ से बर्दाश्त नहीं हुआ- आह चाचा जी … आहह … रुक जाओ … प्लीज … आहह.

पर चाचा जी नहीं रुके और पूरा लंड चूत में अटका कर ही दम लिया.
उनका लंड मेरी चूत में फंस गया था और चाचा जी रुक चुके थे.

मैंने चाचा जी से विनती की- प्लीज एक बार लंड निकाल लो, मैं दुबारा डलवा लूंगी, थोड़ा दर्द कम हो जाने दो.

आखिर चाचा जी ने मेरी बात मान ली और धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाल लिया.

लंड निकलते ही मेरी जान में जान आयी.
अब भी मुझे दर्द और जलन महसूस हो रही थी. मैं हल्के हल्के ‘स्सी … स्सी ..’ कर रही थी.

चाचा जी का लंड मेरी चूत के खून से सना हुआ था और बेड की चादर पर भी खून की बूंदें गिर गयी थीं.

चाचा जी के लंड ने एक झटके में ही मुझे कमसिन से जवान बना दिया था. उधर सूरज अपना लंड हल्के हल्के सहला रहा था.

आखिर 1-2 मिनट आराम करने के बाद चाचा जी एकदम से आए और बोले- चल सुहानी बहुत हुआ, अब तेरी ढंग से चुदाई होगी.

इसके साथ ही उन्होंने मेरी टांगें खोल दीं और अपना लंड एक झटके में मेरी चूत में घुसा दिया.
उस झटके ने मुझे ऊपर को सरका दिया था. मेरे मुँह से ‘आऊ ..’ निकली और चाचा जी का लंड मेरे अन्दर था.

फिर चाचा जी ने धीरे धीरे अन्दर बाहर लंड करना शुरू कर दिया और ‘हम्म … हम्म …’ करने लगे.

इधर शुरू में मुझे हल्का सा दर्द ही हो रहा था, तो मैं ‘आहह … आह … स्सी … आई ..’ कर रही थी.

फिर कुछ देर के बाद दर्द कम हो गया और उनका लंड मेरी चूत में जो घर्षण कर रहा था, उससे मुझे मजा आने लगा.
अब मैं भी उनका साथ देने लगी और बेड में ऊपर नीचे हिलते हुए ‘आहह … आहह … आहह … चाचा जी … आह … और ज़ोर से … चोदो आहह … आई … चाचा जी.’ बोलने लगी.

चाचा जी मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदते रहे.
तभी सूरज की ज़ोर की आह की आवाज से मेरा ध्यान उसकी तरफ गया, तो देखा तो वो लंड हिलाते हुए फिर से जल्दी झड़ गया था.

चाचा जी बोले- ये तो देखने देखने में ही चला गया.
मैंने भी कहा- पता नहीं आपकी तरह कब चोद पाएगा.
चाचा जी बोले- कोई बात नहीं बेटा, जब तक सूरज तुझे चोदने लायक नहीं हो जाता … तू मेरे पास ही आ जाया करना चुदवाने. तेरे लिए तो मेरा लंड हमेशा खड़ा है.

फिर हम दोनों ने थोड़ी देर चुदाई रोक दी और आराम करने लगे.

मैंने सूरज से कहा- यार, अपना इलाज़ करा ले, वरना कभी मुझे नहीं चोद पाएगा.
फिर चाचा जी बोले- चल बेटा सुहानी, अब फटाफट घोड़ी बन जा और देख मेरी मर्दानगी.

मैं बेड पर घोड़ी बन गयी और चाचा जी अपना लंड ले कर मेरे पीछे आ गए.

उन्होंने मेरी कमर को पकड़ के नीचे दबाया, जिससे की मैं बीच में से नीचे झुक गयी और गांड की तरफ से ऊपर उठ गयी.

चाचा जी बोले- तैयार है बेटा सुहानी!
मैंने कहा- जी चाचा जी, पेल दो अपना लंड.
चाचा जी बोले- तो ये ले फिर!

और घपक करके अपना पूरा लंड एक झटके में ही मेरी चूत में घुसा दिया. मेरे मुँह से ज़ोर से ‘आउच ..’ निकल गयी और मेरी आंखें बंद हो गईं.

अब तक मेरा दर्द काफी कम हो गया था और चाचा जी ने मुझे धक्के मार मार के चोदना शुरू कर दिया था.
वो मुझे आगे पीछे हिलाते हुए लंड घुसाए धक्के मार रहे थे और मैं बेड में आगे पीछे हिल रही थी.

मेरे खुले बाल और लटके हुए बूब्स ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे.
मैं ज़ोर ज़ोर से ‘आहह … आहह … आहह … चाचा जी … और ज़ोर से … आहह … बहुत मजा आ रहा है … चाचा जी आह बस चोदते रहो. रुकना मत … आहह … स्सी … आहह.’

चाचा जी इतनी ज़ोर से चोद रहे थे कि उनका बेड भी चुरर चुरर करने लगा था.

चाचा जी मुझे चोदते हुए अपने भतीजे सूरज से बोले- देख बेटा सूरज, ऐसे चोदते है लड़की को. आहह … आहह … क्यों बेटा सुहानी … मजा आ रह है ना!
मैंने भी कहा- आहह … चाचा जी पूछो मत … कितना मजा आ रहा है.

उधर सूरज को हल्की सी शर्मिंदगी सी महसूस हो रही थी.

चाचा जी ऐसे ही मुझे 6-7 मिनट तक चोदते रहे और अब मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा. मेरे पूरे शरीर में आनन्द भर गया था.
अब मैं चिल्लाने लगी थी- आह और ज़ोर से हुनहह … चाचा जी … आहह और ज़ोर से … उन्हहह …

फिर तो बस मेरी चूत पानी से लबालब भर गयी और फच्छ फच्छ की आवाज आने लगी.
मुझे बहुत मजा आ रहा था, इसके साथ ही मेरी सांस अटक सी गयी थी.

मेरी चूत फच्च्ह फच्च्ह करते हुए झड़नी शुरू हो गयी और मैं हांफते हुए शांत हो गयी.

पर चाचा जी का अभी झड़ना अभी बाकी था, तो वो मुझे चोदते रहे और फिर एक मिनट बाद ही ज़ोर से ‘आहह … सुहानी बेटा … आह …’ करने लगे.

लंड खाली करते हुए चाचा जी मेरी चूत में ही झड़ गए और मेरे से अलग होकर साइड में बेड पर गिर गए. मैं भी फिर सीधी होकर बेड पर लेट गयी और हम दोनों ज़ोर ज़ोर से सांसें भरने लगे.

मेरी पहली चुदाई बहुत धमाकेदार थी और इतना मजा तो शायद मुझे कोई और नहीं दे सकता था.

आखिर जब हमें आराम करते हुए 10-15 मिनट हो गए तो चाचा जी बोले- जाओ बेटा सुहानी, बाथरूम में जा के खुद को साफ कर लो.

मैं उठ कर बाथरूम में चली गयी.

बाथरूम में लगे शीशे को देख कर मुझे मुस्कराहट आ गई … क्योंकि एक तो मैं पूरी नंगी थी और ऊपर से चुदाई करवा के आई थी.

मैंने अपनी चिकनी चूत को अच्छे से धोया और चाचा का सब वीर्य पेशाब करके बाहर निकाल दिया. अच्छे से तौलिए से सब पौंछ कर मैं बाहर आ गयी और अपने कपड़े पहन लिए.

मेरे बाहर आते ही चाचा जी बाथरूम में चले गए अपना लंड साफ करने लगे.

फिर मैं और सूरज हाल में बैठ कर बात करने लगे.

सूरज ने पूछा- तो कैसा लगा सुहानी?
मैंने कहा- बहुत मजा आया सच में, पर अगर तुम अच्छे से चोद सकते, तो यहां आने की जरूरत नहीं पड़ती.

फिर चाचा जी अन्दर से आते हुए बोले- तो कोई बात नहीं बेटा, अगले राउंड में इससे भी चुदवा लेना, आखिर इसने भी कुछ तो सीखा ही होगा.
मैं एकदम से खुश होते हुए बोली- क्या अभी एक बार और चुदवाने को मिलेगा.

चाचा जी मेरी चुटकी लेते हुए बोले- नहीं अगर तुम नहीं चाहती, तो कोई बात नहीं.
मैंने तुरंत उन्हें रोकते हुए कहा- नहीं नहीं चाचा जी, मैं बिल्कुल चाहती हूँ.

हम तीनों हंसने लगे. ऐसे ही बातचीत करते हुए हमें 2-3 घंटे हो गए और शाम सी होने लगी.

मेरी मम्मी का फोन आया, तो मैंने बता दिया कि अब पार्टी शुरू होने वाली है और थोड़ी सी बात करके फोन काट दिया.

उनको तो इस बात की भनक भी नहीं थी कि उनकी बेटी कौन सी पार्टी कर रही है.

साथियो, लड़की की पहली चुदाई कहानी आपको कैसी लग रही है, प्लीज़ मेल करके जरूर बताएं.

[email protected]

लड़की की पहली चुदाई कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top