किस्सा ए दफ्तरी चुदाई- 6

(Job Sex Kahani)

राजेश 784 2021-08-04 Comments

जॉब सेक्स कहानी मेरे ऑफिस की पियोन की जवान बेटी की नौकरी के इंटरव्यू की है. माँ अपनी को बेटी मेरे कमरे में छोड़ कर चली गयी. मैंने कैसे उसकी सील तोड़ी?

कहानी के पिछले भाग
ऑफिस में जूनियर लड़की के नखरे ढीले किये
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने ऑफिस की कश्मीरी लड़की को उसके घर में चोदा.

अब आगे जॉब सेक्स कहानी:

संडे के दिन मेरी आशा के मुताबिक दोनों मां बेटी वक्त से 15 मिनट पहले ही मेरे गेस्ट हाउस के कमरे में पहुंच गई.

फ़लक ने जबरदस्त सेक्सी स्कर्ट और सेक्सी टॉप पहना था.
स्कर्ट में से फ़लक के सुडौल चौड़े घुटने और सुंदर टांगें दिखाई दे रही थीं जिन्हें देखते ही मेरा लंड एकदम खड़ा हो कर फुंकार मारने लगा.

मैं पहले दिन शाम को सारा स्टाफ जाने के बाद ऑफिस की अलमारी से 3 छोटे-बड़े साइज की यूनिफॉर्म ऑफिस की अलमारी से निकालकर अपने रूम में ले आया था.
एक साइज मैंने जानबूझकर फ़लक के साइज से काफी छोटा रखा था.

मैंने यामिना से कहा- यामिना तुम जाओ, मैंने फ़लक को कुछ बातें समझानी हैं और इसे यूनिफॉर्म पहन कर मुझे दिखाना है. अगर इस प्रैक्टिकल मैं यह पास हो गई तो आप इसकी नौकरी पक्की समझो और यदि इसने आनाकानी की तो फिर मैं मजबूर हूँगा.

यामिना फ़लक से बोली- फ़लक, जैसा साहब कहें वैसा ही करना है और अच्छे से इंटरव्यू देना है.
फ़लक यामिना को देख कर मुस्कुराई और सहमति में सिर हिला दिया.
यामिना चली गई.

मैंने अंदर से कुंडी बंद की और दो चार बातें पूछ कर कहा- तो प्रैक्टिकल इंटरव्यू शुरू करें?
फ़लक ने सहमति में अपनी गर्दन से इशारा कर दिया.

मैं सोफे से उठा और अलमारी से एक छोटे साइज की सफेद शर्ट और लाल पैंट फ़लक को दी और कहा- चलो यह पहन कर दिखाओ, देखें तुम कंपनी की यूनिफॉर्म में कैसी दिखाई देती हो?
फ़लक ने मुझसे दोनों कपड़े लिए और मुस्कुराते हुए बाथरूम की ओर चल दी.

जैसे ही फ़लक बाथरूम का दरवाजा बंद करने लगी मैंने उससे कहा- फ़लक तुमने इन दोनों कपड़ों के नीचे कुछ नहीं पहनना है.
उसने एक बार मेरी तरफ देखा और मुस्कराकर दरवाजा बंद कर लिया.

फ़लक को अंदाजा हो चुका था कि आगे क्या होने वाला है.

लगभग दो-तीन मिनट के बाद फ़लक ने धीरे से बाथरूम का थोड़ा सा दरवाजा खोला और मुझसे बोली- सर, ये कपड़े तो बहुत छोटे हैं, मुझे फंस नहीं रहे हैं.
मैंने कहा- जैसे भी हैं वही पहनकर तुम बाहर आओ.
फ़लक- सर, मैं इनको पहनकर बाहर नहीं आ सकती.

मैंने कहा- फ़लक, जो मैं कह रहा हूँ वही करो, जैसे भी हैं तुम बाहर आ जाओ, मैंने देखना है कि यह कितने छोटे हैं और तुम्हें कौन सा साइज चाहिए?

फ़लक बोली- सर, इन कपड़ों के बटन ही बंद नहीं हो रहे हैं.
मैंने कहा- फ़लक, कोई बात नहीं, जितने बंद होते हैं उतना बंद करके तुम बाहर आ जाओ.

फ़लक थोड़ी देर में बाहर आ गई.
कमरे में गजब का नजारा देखने का था.

फ़लक की चूचियाँ शर्ट से लगभग बाहर थीं क्योंकि शर्ट के ऊपर के तीन बटन खुले थे जो बंद ही नहीं हो रहे थे.
पटों और जांघों में पैंट इस कदर फँसी थी कि फ़लक की चूत की दोनों मोटी फाँकों को छिपाने की बजाए दिखा ज्यादा रही थी.

पैंट की बीच की सिलाई चूत की दरार में बुरी तरह से फँसी हुई थी.
और फ़लक अपने हाथों से अपनी चूत और चूचियों को छिपाने की कोशिश कर रही थी.

मैं मस्त होकर फ़लक के सेक्सी जिस्म को देखने लगा.
फ़लक शरमा रही थी. वह बोली- सर, देख लिया, अब बदल लूँ?
मैं- इंटरव्यू में फेल होना चाहती हो क्या?
फ़लक ने नीचे का हाथ हटाकर अपना मुँह छिपा लिया.

मुझसे रुका नहीं गया और बोला-फ़लक, तुम बहुत सेक्सी और बहुत हॉट हो.
फ़लक कुछ नहीं बोली.

मैं- फ़लक, कुछ दिखाओ न?
फ़लक- कितना तो दिख रहा है, मुझे शर्म आ रही है.

मैंने फ़लक को बांहों में भर लिया, फ़लक मेरे आगोश में समा गई और मुझसे चिपक गई.

फ़लक की हाइट छोटी होने से फ़लक मेरे दाहिने बाजू के आगोश में लगभग इकट्ठी हुई, झुककर खड़ी थी.

मेरा लौड़ा मेरे लोअर में बहुत देर से तना था.
मैंने फ़लक को थोड़ा अपनी छाती से चिपकाते हुए उसे अपनी ओर खींचा.
ऐसा करते ही मेरा लौड़ा उसकी धुन्नी के निचले हिस्से में चुभने लगा.

फ़लक अबतक मेरा मक़सद समझ चुकी थी और विरोध की बजाए सकुचाते हुए थोड़ा मज़ा लेने लगी थी.

फ़लक ने मुस्कराते हुए पूछा- सर, ये इंटरव्यू ही चल रहा है न?
मैं- हाँ, प्रैक्टिकल चल रहा है.
फ़लक- पास हो जाऊँगी न?

मैं- यदि ऐसे ही साथ देती रही तो बहुत अच्छे नम्बरों से पास करुँगा.
यह कह कर मैंने फ़लक को पीठ की ओर घुमा कर लौड़े को उसके चूतड़ों पर लगाया और उसके दोनों मम्मों को मसलने लगा.

फ़लक पूरी तरह चुदास से भर चुकी थी.
मैंने फ़लक को दीवार में लगे शीशे के सामने खड़ा किया और उसके पीछे जाकर उसके दोनों मम्मों को अपने हाथों से पकड़ लिया.

तब मैंने फ़लक के शर्ट के सारे बटन खोल दिये.
फ़लक की सुड़ौल चूचियाँ, गदराया पेट और सुन्दर सेक्सी धुन्नी सामने लगे शीशे में ग़ज़ब ढा रही थीं.

मैंने पैंट के ऊपर से फ़लक की चूत को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया.
फ़लक ने एकदम मेरी मुट्ठी को अपने हाथ से दबाया और जोर से आ … आ … आ … आ… करने लगी.

वो बोली- सर, प्लीज ना करो, कुछ हो रहा है.
मैं- क्या हो रहा है, कैसा लग रहा है?
फ़लक- सर, अच्छा लग रहा है.

मैं- फ़लक, क्या तुमने पहले कभी ऐसा किया है.
फ़लक- नहीं सर!
मैं- कोई ब्लू फिल्म देखी है?
फ़लक चुप रही.

मैं- फ़लक शर्म मत करो, बताओ?
फ़लक ने हाँ में अपना सिर हिलाया.

मैं- किसके साथ देखी थी?
फ़लक- एक सहेली के साथ.

मैं- फ़िल्म देखकर कुछ हुआ?
फ़लक मुस्कराते और शरमाते हुए बोली- जी!
मैं- क्या हुआ था?
फ़लक- जो अब हो रहा है.

मैं- फिर तुमने क्या किया?
फ़लक चुप रही.
मैंने फिर पूछा तो फ़लक बोली- मुझे शर्म आ रही है बताते हुए.

मैं- यार, मैंने कहा न शर्म मत करो.
फ़लक- रात को सोते हुए उंगली से किया था.

मैं- कितनी उंगली अंदर ली थी.
फ़लक- धीरे धीरे पूरी …
मैं- उंगली से कितनी बार किया?
फ़लक- मुझे नहीं पता.
मैं- बताओ न?
फ़लक अपने मुँह को हाथों से छिपाते हुए बोली- हर रोज.

मैं- मजा आता है?
फ़लक- बहुत मजा आता है.

मैं- कभी लौड़े से करवाने को दिल करता है?
फ़लक शरमाते हुए- मुझे नहीं पता.

मैं- कभी लौड़ा देखा है?
फ़लक- फ़िल्म में देखा है.
मैं- असल में देखना है?

फ़लक मेरे लोअर में खड़े लण्ड की ओर देखते हुए धीरे से बोली- मुझे नहीं पता.

अब तक मैं समझ चुका था कि फ़लक को सेक्स का बुखार चढ़ने लगा है और वह लण्ड लेने को तैयार है.

मैंने अपने लोअर का इलास्टिक नीचे किया और तमतमाया हुआ 8 इंची लौड़ा फ़लक के सामने लहरा दिया.

फ़लक ने सामने के शीशे में मेरे खड़े लौड़े को देखा और देखते ही तुरन्त मेरी तरफ घूम कर उसे असली में देखने लगी और बोली- ये तो बिल्कुल फ़िल्म जैसा ही है.

मैंने फ़लक का नर्म हाथ पकड़ा और उसकी मुट्ठी को लौड़े पर रख दिया.
फ़लक ने लौड़ा पकड़ते ही एकदम अपनी मुट्ठी भींच ली और धीरे धीरे मुट्ठी को आगे पीछे करना शुरू किया.

वो बोली- सर, ये सब आप मम्मी को तो नहीं बताओगे न?
मैं- नहीं, ये हम दोनों के बीच रहेगा.

मैं फ़लक को गोद में ले कर बेड पर बैठ गया.
मैंने फ़लक के मम्मे के निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और बहुत देर तक दोनों मम्मों को चूसता रहा.

मैं- तुम्हारा साइज क्या है?
फ़लक- 34-32-34

मैं- और गहराई?
फ़लक- किस चीज की गहराई ?
मैं- चूत की!
फ़लक- मुझे क्या पता?
मैं- आज नापकर बताऊँगा.
फ़लक- किस चीज से?
मैंने अपना लौड़ा फ़लक को दिखाते हुए कहा- इससे!

फ़लक- सर, यह तो बहुत बड़ा है.
मैं- एक बार ये इसके अन्दर तक की गहराई नाप आया तो जिंदगी भर तुम यही माँगती रहोगी.
मैंने फ़लक को अपनी गोद में लिटा लिया और उसकी पैंट में उभरी चूत की फाँकों को सहलाना शुरू किया.

फ़लक ने आनन्द से अपनी आँखें बंद कर ली. मैं पैंट के ऊपर से चूत की दरार में उंगली चलाता रहा.
मेरे तीन चार बार रगड़ने से फ़लक की चूत से कामरस की बूंदें छलकने लगी और दरार में गीलापन उभरने लगा.

मैंने फ़लक की पैंट को थोड़ा नीचे खिसकाना शुरू किया.
फ़लक ने हल्का विरोध किया लेकिन मैंने पैंट को चूत के ऊपरी मोटे उभरे हिस्से तक नीचे खिसका दिया.

चूत एकदम क्लीन शेव्ड थी.

जैसे ही मैंने चूत के नंगे हिस्से पर हाथ फिराया, फ़लक की सिसकारी निकल गई.

पैंट को मैंनेथोड़ा और नीचे खींचा तो पैंट नीचे से फ़लक के चूतड़ों में फंसी होने के कारण अड़ गई.

मैंने दोबारा कोशिश की तो फ़लक ने थोड़ा चूतड़ों को ऊपर उठा लिया और पैंट बाहर निकल गई.

मैंने हाथ फँसा कर पैंट को टाँगों से बाहर कर दिया.

हाथी के सूंड जैसी सुन्दर टाँगों और जाँघों के बीच मोटी फाँकों वाली सुन्दर गुलाबी चूत जिसकी दरार चिकनापन लिए थी, बाहर दिखाई देने लगी.
छेद इतना तंग और छोटा था कि टाँगें फैलाने के बाद भी रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था.

मैंने नीचे झुककर चूत पर अपने होंठ रखे और जोर से किस कर लिया.
फ़लक तड़प गई और आ … आ … आ … आ … करने लगी.

अब फ़लक के शरीर पर केवल आधी बाजू की आगे से खुली शर्ट रह गई थी, बाकी सब नँगा हो चुका था.

मैंने फ़लक को गोद में ही पलटा और उसके सुड़ौल गोरे चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा.
मेरा 8 इंची लौड़ा फ़लक के पेट में गड़ा था.

मैं फ़लक की गांड और चूतड़ों से हाथ फिराते हुए उसकी चूत में पीछे से उंगली डालने लगा.

फ़लक पर पूरी मस्त छा चुकी थी. मेरी पूरी उंगली फ़लक की चिकनी चूत में जा रही थी.
मैंने फ़लक को गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया.

अब मैंने भी अपना लोअर और टीशर्ट निकली और नँगा हो गया.
फ़लक मेरे तने हुए लौड़े को निहार रही थी.

मैं फ़लक के ऊपर झुका और उसके नरम गुलाबी होठों को अपने होठों से चूसने लगा.
फ़लक मेरा पूरा साथ दे रही थी और खुद ही मुझसे लिपट गई.

मैंने फ़लक के पूरे नंगे शरीर को अपने होठों से चूमना चूसना शुरू किया. उसकी साफ़, गोरी, सेक्सी गुदाज़ बगलों को चूसा तो फ़लक तड़प गई.

मैं फ़लक की गर्दन, चूचियों, नर्म पेट और सेक्सी धुन्नी से होता हुआ जाँघों, चूत और क्लिटोरियस पर पहुँच गया.

जैसे ही मैंने अपने होंठ और जीभ फ़लक के क्लिटोरियस पर लगाये उसने आ … आ … आ … आ … करते हुए मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच जोर से भींच लिया.

मैंने चूत पर से अपना मुँह हटाया और फ़लक की टाँगों के बीच आ गया.
फ़लक की सुडौल गोरी जांघें के बीच चूत पर दो इंच की दरार दिखाई दे रही थी जिसके बाहर दो मोटे गुदाज़ भगोष्ठ खड़े थे.

मैंने टाँगों को थोड़ा चौड़ा किया तो चूत का सुंदर गुलाबी रंगत लिए छेद दिखाई दिया.

छेद कामरस से सरोबार था. मैंने फ़लक के पटों को थोड़ा चौड़ा किया और घुटनों को थोड़ा मोड़कर लण्ड को चूत के छेद और क्लिटोरियस पर ऊपर नीचे रगड़ना शुरू किया.
फ़लक सिसकारियां लेती रही.

जब भी लण्ड का सुपारा नीचे से ऊपर जाता तो कुछ क्षण के लिए छेद पर अटक जाता और छेद की चौड़ाई को हर बार बढ़ाने लगा.
हर बार फ़लक सोचती कि मैं अबकी बार लण्ड अंदर डालूँगा इसलिए लेने के लिए फ़लक अपनी चूत को थोड़ा ऊपर उठा देती थी.

मैंने थोड़ा उचक कर लण्ड को छेद पर टिकाया तो फ़लक बोली- सर, धीरे धीरे अंदर डालना, मैंने ये कभी नहीं किया है.

मैं- तुम चिन्ता मत करो मैं बिल्कुल प्यार से डालूँगा, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, बस थोड़ा दर्द होगा उसे सह लेना.

मैंने ड्रेसिंग टेबल से लिक्विड वैसलीन की ट्यूब उठाई और ढेर सारी अपने लौड़े के सुपारे पर चुपड़ ली.
थोड़ी वैसलीन फ़लक की चूत के छेद के अंदर बाहर लगा दी.

मैंने लण्ड पर जोर लगाया … लण्ड चूत की दीवारों को फैलाते हुए अन्दर जाने लगा.

सुपारा अंदर जाते ही फ़लक कसमसाने लगी.
मैं लण्ड को अंदर डालता रहा.

एक जगह जाकर लण्ड को कुछ रुकावट महसूस हुई, फ़लक को भी कुछ तकलीफ़ महसूस हुई लेकिन उसी क्षण मैंने एक झटके में लण्ड को पूरा अंदर ठोक दिया.

फ़लक के माथे पर हल्की शिकन आई … उसने एक लम्बी आह के साथ सांस ली और सब नार्मल हो गया.

मैंने फ़लक की चूत में पूरा लण्ड जड़ तक ठोक कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये.
मेरा 8 इंच लंबा मोटा लौड़ा फ़लक आसानी से चूत में लील गई.

मुझे लगा फ़लक की चूत कोरी नहीं थी, वह पहले ही सील तुड़वा चुकी थी, चूत से खून भी नहीं निकला, बस एक दो लाल स्पॉट लण्ड पर लगे थे.

मैंने फ़लक की धीरे धीरे चुदाई शुरू की. चूत में लण्ड पूरा टाइट आ जा रहा था. फ़लक चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी.
चुदते हुए फ़लक अपनी चूचियों को भींच रही थी.

मैं फ़लक की चूचियों को काटने और चूसने लगा, नीचे से चूत में लण्ड सरासर अंदर बाहर हो रहा था.
फ़लक जिस तरह से मज़ा ले रही थी उससे लग रहा था कि उसे लौड़े की बहुत तलब थी.

मैंने फ़लक के घुटनों को थोड़ा मोड़ा और फ़लक के चूतड़ों को ऊपर उठा कर उसकी चूत की चुदाई करने लगा.

फ़लक में बहुत जान थी जिससे वह इतना बड़ा लौड़ा बड़े चाव से ले रही थी.

मैंने चोदते चोदते फ़लक से पूछा- फ़लक, सच बताना, क्या तुम पहले किसी से चुदी हो?
फ़लक- नहीं, सर मेरा यह पहली बार है, सच कह रही हूँ.

मैं- कैसा लग रहा है?
फ़लक- जैसा सोचा था उससे भी बढ़िया.

मैं- कैसा सोचा था?
फ़लक- सर, हर वक्त बस सेक्स ही मेरे दिमाग में चढ़ा रहता था.

मैं- कैसे?
फ़लक- बस हर वक्त सोचती रहती थी कि मेरी चूत में लण्ड कब जाएगा, कब कोई मेरे मम्मों को चूसेगा, कब मेरी प्यास बुझेगी.

मैं- अब कैसा लग रहा है?
फ़लक- सच बोलूँ तो जब आप मुझसे थ्यूरी का पेपर ले रहे थे तो मैंने आपको एक खड़ूस आदमी समझा था, लेकिन जब आपने अपने कमरे में प्रैक्टिकल लेने की बात की और हाथ मिलाते समय जब मेरी हथेली में अपनी उंगली से खारिश की तो मैं समझ गई थी.

मैं- क्या समझी थी?
फ़लक- यही कि … ये सब करने के लिए बुला रहे हो, और उस रात यह सब सोच सोचकर मैंने फिर उंगली से मज़ा लिया.

मैं- लेकिन जब तुम्हारी चूत में इतना बड़ा और मोटा लण्ड गया तो खून तो आया नहीं?

फ़लक- वो एक दिन मेरे दिमाग में सेक्स की गर्मी बहुत चढ़ गई थी तो मैंने जोश में आकर एक लम्बा खीरा अंदर तक घुसेड़ लिया था जिससे खून निकल गया था.

यह सब सुन कर मेरे अन्दर नया जोश भर गया और मैंने दुगने जोश से फ़लक की चुदाई और शरीर की धुनाई शुरू कर दी.

फ़लक एक जानदार लड़की थी अतः पूरे जोश से सब सह गई और साथ देती रही.
चुदते हुए फ़लक के मुँह से आ … आ … आ … आ … ई … ई … ई … ई ऊह … ऊऊऊ … ओ आह … आह… की आवाजें आती रही.

फ़लक किसी अनुभवी लड़की की तरह चुद रही थी.

कुछ ही देर में हम दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुंच गए.
जैसे ही मेरे लौड़े से निकली वीर्य की पहली गर्म पिचकारी फ़लक की चूत में लगी फ़लक को इतना मज़ा आया कि वह जोर से चिल्ला कर मुझसे लिपट गई और उसने मेरी कमर में अपनी दोनों टाँगों को लपेट लिया.

वीर्य की अंतिम बून्द तक मैं फ़लक की चूत को चोदता रहा और अन्त में पूर्ण संतुष्टि के बाद फ़लक ने अपनी टाँगों की कैची को खोला और लंबी सांस ली.

मैं लण्ड अंदर डाले फ़लक के ऊपर लेटा रहा और जगह जगह से फ़लक को चूमता रहा.

कुछ देर बाद फ़लक बोली- सर, प्रैक्टिकल में पास हूँ या फेल?
मैं- तुम जॉब सेक्स प्रैक्टिकल में हाई क्लास दर्जे में पास हुई हो.

फ़लक ने ऊपर उठकर मुझे किस कर लिया और बाथरूम जाने के लिए जैसे ही बैठी वीर्य उसकी चूत से बहकर नीचे चादर पर इकट्ठा हो गया.

वापिस आकर फ़लक दुबारा से बिस्तर पर लेट गई.

मैंने फिर से उसकी चूचियों पर हाथ फिराना शुरू किया तो फ़लक भी मेरे लौड़े को हाथ में पकड़कर सहलाने लगी.
लण्ड पर पूरा ताव आते ही मैंने उठकर लण्ड को फ़लक के होठों से लगा दिया.

फ़लक ब्लू फिल्में देख देख कर पूरी ट्रेंड हो चुकी थी अतः उसने झट से लण्ड का सुपारा मुँह में भर लिया और चूसने लगी.

अबकी बार मैंने फ़लक को बेड पर घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी सुन्दर चूत की फाँकों को अलग करते हुए पूरा लण्ड चूत में बैठा दिया.

मैं हैरान था कि लड़की कह रही थी कि वह पहली बार चुद रही है और 8 इंची लौड़ा गप्प से अन्दर ले जाती है.
खैर मुझे आम खाने से मतलब था इसलिए मन लगाकर चुदाई करता रहा.

जैसे ही मैं लण्ड से अंदर शॉट मारता … फ़लक आह … आह … ऊई ऊई … आह … करो … करो बोलती रही.
मैं अपने हाथ फ़लक की चूचियों के नीचे ले गया और चूचे पकड़कर जमकर चुदाई की.

फ़लक मस्ती से अपनी गांड को मेरे लौड़े पर पटकने लगी.

आखिरकार मेरे लण्ड ने एक बार फिर चूत के अंदर गर्म पिचकारियाँ मारनी शुरू की और मैं पूरे जोर से लड़की को चोदते हुए एक बार फिर झड़ गया.
दोपहर के दो बज गए थे. मैंने खाने का कुछ ऑर्डर किया और खाना खाकर हम आपस में लिपट कर नंगे ही लेट गए.

लगभग तीन बजे यामिना का फोन आया.
उस समय फ़लक ने मेरा लौड़ा पकड़ा हुआ था.

यामिना- सर, फ़लक है या चली गई.
मैं- यामिना फ़लक यहीं है, बस मैं उसे कुछ समझा रहा था. तुम चिंता मत करो, मैं उसे कंपनी की यूनिफॉर्म पहना कर और अपॉइंटमेंट लेटर देकर ही भेजूँगा.

यामिना- थैंक यू सर, इसने आपको परेशान तो नहीं किया.
मैं- अरे, नहीं यामिना, फ़लक बहुत ही समझदार लड़की है, मैं उसे कार से छोड़ जाऊँगा.
यामिना- ठीक है, सर.

मैंने अलमारी से फ़लक के साइज की यूनिफॉर्म निकाली और उसे अपनी गोद में बैठा कर पहनाने लगा.
फ़लक- सर, पहले ब्रा और पैंटी तो पहन लूँ.

मैं- फ़लक, मुझे ब्रा और पैंटी से नफ़रत है, ये दोनों चीजें लड़की के हुस्न को छिपा लेती हैं.
फ़लक मुस्कराने लगी.

दोनों कपड़े पहनने के बाद फ़लक शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने आपको निहारने लगी.

मैं उसके पीछे खड़ा हो गया.
फ़लक- सर, कैसी लग रही हूँ?
मैं- बहुत सुन्दर.

मैंने फ़लक को पहले से तैयार किया हुआ अपॉइंटमेंट लैटर दिया और उसे एक लम्बा सा किस किया.
लैटर लेकर फ़लक बहुत खुश नजर आ रही थी.

फ़लक- सर, अब मैं जाऊँ?
मैं- भेजने को दिल तो नहीं कर रहा है, लेकिन जब भी मैं कहूँ, तभी आ जाना.
फ़लक- जी, आ जाऊंगी.

उसने अपने पहले के कपड़े एक पॉलिथीन के बैग में ले लिए.

मैं फ़लक को छोड़ने के लिये उसके साथ चल दिया.

लिफ्ट के पास पहुंचते ही उसे कुछ याद आया और बोली- सर, एक बार रूम में वापिस चलना है, कुछ रह गया.

हम वापिस आ गए.

अंदर आते ही फ़लक वाशरूम में घुस गई. वाशरूम का दरवाजा थोड़ा खुला था, मैंने देखा दरवाजे के पीछे से फ़लक अपनी ब्रा और पैंटी उतार रही थी.
फ़लक ने ब्रा पैंटी पहनने के लिए अपनी पैंट और शर्ट उतार दी.

मुझे फ़लक की नंगी, गोरी, भारी गांड, गदराई कमर, सुड़ौल टाँगें और उसके घुटनों के पीछे का चौड़ा सेक्सी भाग फिर दिखाई दिया और मेरा मन ललचाने लगा, मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया.

मैं अंदर गया, पैंट की चैन नीचे करके फ़लक की गांड में पीछे से लण्ड लगा दिया और अपने हाथों को उसकी बाजुओं के नीचे से ले जाते हुए उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया. फ़लक के दोनों हाथों में ब्रा और पैंटी लटक रही थी.

फ़लक- और करना है?

मैं- यदि तुम्हारा भी दिल कर रहा हो तो जाने से पहले एक ट्रिप और लगा लेते हैं, फिर तुमने मेरा थैंक्स भी तो करना है.

फ़लक- अभी थैंक्स बाकी है क्या?
मैं- अरे, अभी तो प्रैक्टिकल इंटरव्यू चल रहा था.

फ़लक मुस्कराते हुए बोली- सर, आज तो बुरी तरह से दुख रही है, लगता है चूत सूज गई है, कल कर लेना?
हम वाशरूम के शीशे के सामने खड़े थे.

मैं फ़लक की चूचियों को मसलते हुए चूत पर हाथ फिराने लगा.
फ़लक- सर, ना करो प्लीज, मेरा फिर दिल करने लगा है.

मैंने फ़लक को वाशटब के किनारे पर बैठाया और उसके मुँह में लौड़ा डाल दिया.
फ़लक लण्ड चूसने लगी.

कुछ ही चुसकों के बाद मैंने फ़लक को गोद में उठाया और बाहर ला कर बेड पर लिटा दिया.
मैंने अपने सारे कपड़े निकाले और उसकी चूत पर चढ़ गया.

फ़लक के घुटनों को मोड़कर उसकी पकौड़ा सी सूजी हुई चूत पर फिर लण्ड का मोटा सुपारा रखा और ढ़ेर सारा थूक लगा कर लण्ड चूत के छेद में घुसेड़ दिया.
उसकी एकदम आह.. निकल गई.

चुदाई शुरू हो गई. लण्ड और चूत दोनों बार बार की चुदाई से दर्द करने लगे थे लेकिन दिल नहीं मान रहा था.

मैं दिल लगाकर चुदाई करने लगा.
फ़लक फिर आहाह … आहाह … ईईई … आआ.. की आवाजें निकालने लगी.

चुदाई लम्बी चलने लगी.

बेड पर रगड़ा खाने से मेरे घुटने दर्द करने लगे थे लेकिन लण्ड से पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था.
फ़लक झड़ चुकी थी लेकिन मैं लगा हुआ था.

बहुत देर लगते देख, मैंने फ़लक की चूत से लौड़ा निकाला.
पहली बार देखने पर जिस चूत का छेद बिल्कुल चिपका हुआ बंद दिखाई दे रहा था उस छेद का अब पूरा मुँह खुल चुका था.

मैंने अपना लौड़ा फ़लक के मुँह में दे दिया.
फ़लक लौड़ा चूसने लगी जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया.

मैंने फ़लक के सिर को पीछे से पकड़ा और उसके मुँह को चोदने लगा.
तब मैंने फ़लक से कहा- वीर्य को मुँह से बाहर नहीं निकालना है, अंदर ही पी जाना है.

कुछ ही देर में मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी निकली और गर्म वीर्य फ़लक के मुँह में भरने लगा.
फ़लक गूँ …गूँ … करती रही और मैं चोदता रहा.

कुछ वीर्य उसके होठों के किनारों से निकलने लगा, बाकी फ़लक सारा अंदर ही पी गई.
फ़लक ने पूरा लण्ड चाट चाट कर साफ कर दिया फिर अपनी जीभ और उंगली से होंठों से बाहर निकला वीर्य अन्दर किया.

फ़लक के साथ मैंने चुदाई का तीसरा सेशन पूरा किया और इस पूरे मज़े के लिए मैंने फ़लक को गले से लगा लिया.

मैं अपने कमरे में गर्भ निरोधक गोलियां रखता हूँ.
एक गोली खिला कर मैं फ़लक को उसके घर के बाहर छोड़ आया.

तीनों स्टाफ़ की लेडीज़ की दफ्तरी चुदाई का कार्यक्रम बहुत दिनों तक चलता रहा, मैंने उन तीनों के साथ सम्बन्धों को पूरी तरह से गोपनीय बनाये रखा.

अब मैं इस किस्से को यहीं विराम देता हूँ और आप सभी से विदा लेता हूँ.
जॉब सेक्स कहानी का मज़ा लेने के लिए धन्यवाद.

आपका राजेश्वर राज
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

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