चुदने को बेताब मेरी प्यासी जवानी-1

(Chudne Ko Betab Meri Pyasi Jawani- Part 1)

दोस्तो, मेरा नाम ऋतु है, ऋतु वर्मा, सरनेम पर मत जाइए, मैं एक बंगाली लड़की हूँ। उम्र है 24 साल, लेकिन ब्रा मैं 38 साइज़ का पहनती हूँ। देखा 38 साइज़ सुनते ही मुंह में पानी आ गया न आपके। आप मर्दों की यही एक बुरी आदत है, हर लड़की, हर औरत को बस एक ही नजर से देखते हो। चलो कोई बात नहीं, मुझे भी तो अच्छा लगता है, जब आते जाते मुझे लोग घूर घूर कर देखते हैं, खास तौर पर मेरे मम्मों को।

फिलहाल मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है। पहले एक था, मगर मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया। आज मैं आपको उसी की बात बताने जा रही हूँ। वैसे तो मेरे और मेरे फॅमिली के और भी बहुत से राज़ हैं, अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आई और आपने मुझे और भी बहुत कुछ बताने के लिए प्रेरित किया तो और भी लिखूँगी।

स्कूल खत्म करने के बाद मैंने बिज़नेस मैनेजमेंट में जाने का सोचा. इसके लिए मैंने एम बी ए को अपना लक्ष्य बना कर आगे की तैयारी शुरू की। फिलहाल मैं एम बी ए ही कर रही हूँ। जब मैंने एम बी ए के पहले ही साल में दाखिला लिया, तो मुझ पर मेरी ही क्लास का एक लड़का खूब सेंटी हो गया, हर वक्त देखता, आगे पीछे, आस पास ही घूमता, कभी कभी बात भी करता।

लड़का भी देखने में अच्छा था। मुझ पर भी नई नई जवानी चढ़ी थी तो उसकी हरकतें देख कर मेरा भी दिल धड़कता। धीरे धीरे आखिर वो मेरे दिल में बसता गया और एक दिन उसने मुझे प्रोपोज किया।
मैं तो पहले से ही मरी जा रही थी तो जैसे ही उसने प्रोपोज किया, मैंने भी कबूल कर लिया।
जिस पल मैंने उसे येस कहा, उसी एक पल में मैं उसकी गर्लफ्रेंड और वो मेरा बॉयफ्रेंड बन गया।

बाद में मुझे पता चला कि मुझे पटाने के बाद उसने अपने दोस्तों को पार्टी भी दी थी, जैसे मुझे पटा कर उसने एम बी ए में फ़र्स्ट क्लास हासिल कर ली हो।

चलो यारी हो गई तो फिर अक्सर हम कॉलेज की कंटीन में और यहाँ वहाँ मिलते। दिन रात मोबाइल पर एक दूसरे से बातें करते। बहुत दिन तो एक दूसरे को जानने में लग गए। बहुत कुछ सुनने को सीखने को भी मिला।
कोई सहेली कहती- कुछ किया या नहीं?
कोई कहती- पागल किस चक्कर में पड़ गई अपनी स्टडी पर ध्यान दे।
कोई कहती- ये लड़का बस तुझे इस्तेमाल करके छोड़ देगा!
और ना जाने क्या क्या।

मगर सच कहूँ, तो मैं कंफ्यूज थी। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि किसकी बात मानूँ, किसकी बात न मानूँ।
बस इसी तरह चलता रहा, पहले तो हम सिर्फ हाथ मिलाते थे या हल्का सा गले मिलते थे। पर एक दिन उसने मुझे किस करने को कहा। दिल तो मेरा भी चाह रहा था कि 10 दिन हो गए, आई लव यू कहे, साले ने आज तक किस भी नहीं किया।

मगर जब उसने मुझे किस के लिये कहा तो मैंने सिर्फ ‘ओ के’ कहा। मगर अब कॉलेज में तो सबके सामने किस कर नहीं सकते थे तो वो अपने एक दोस्त की गाड़ी मांग कर लाया। मुझे गाड़ी में लेकर वो कॉलेज के पीछे की तरफ ले गया क्योंकि वहाँ लोगों की आवाजाही बहुत कम है। वहाँ कार रोक कर उसने, आस पास देख कर फिर मुझे कहा- ऋतु आई वांट टू किस यू!
मैंने सिर्फ मुस्कुरा कर उसको देखा।

बाहर गर्मी की दोपहर, उस गली में कोई नहीं था, सिर्फ हमारी कार ही खड़ी थी। कार में ए सी चल रहा था तो कोई गर्मी भी महसूस नहीं हो रही थी।
वो बोला- इधर आओ ऋतु, मेरी गोद में आओ।
मैंने पहले थोड़ा नखरा सा किया क्योंकि मेरा ये जीवन का पहला किस था तो मुझे बड़ा रोमांच भी हो रहा था, थोड़ा डर भी लग रहा था। मैंने आज तक किसी का जूठा नहीं खाया था, तो ये तो सीधा होंठों से होंठ जोड़ कर चूमना था तो मुझे ये भी थोड़ा अजीब लग रहा था। मगर मन में धधक रही काम ज्वाला ने मेरी सारी शर्म, हया, डर, वहम जला डाले।

मैं थोड़ा सा घूमी और उसकी तरफ पीठ कर ली और उसने मुझे अपनी गोद में लेटा लिया। मेरे बाल सेट करके उसने अच्छे से मुझे अपनी बाजू के सिरहाने पर मेरा सर रख कर लेटा लिया। उसकी एक बाजू मेरे सर के नीचे थी, तो दूसरी बाजू मेरे पेट पर उसने रख रखी थी।

हम दोनों में एक अजब सी सनसनी दौड़ रही थी। उसने मेरे गाल पर से मेरे एक दो बाल हटाये, एक दूसरे की आँखों में देखते हुये, बिना कुछ भी बोले वो नीचे को झुका और फिर उसके होंठ मेरे होंठों से छूये। पहले हल्के से, मगर फिर उसने अपने दोनों होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये, और अपने होंठों में मेरा ऊपर वाले होंठ को पकड़ लिया।
क्या मज़ा आया यार … क्या सर्र सर्र करते हुये एक झनझनाहट मेरे होंठों से होकर मेरे स्तनों के निप्पल से होकर, मेरी नाभि के नीचे से होकर मेरी फुद्दी के दाने तक जा पहुंची।

मुझे पहली बार पता चला के चुम्बन इतना जादुई होता है। या शायद मेरा ये पहला चुम्बन था इसलिए मुझे कुछ ज़्यादा ही रोमांच महसूस हुआ।
मगर जो भी था, बहुत ही मज़ेदार था।

उस एक चुम्बन के बाद उसने मुझसे पूछा- कैसा लगा ऋतु?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा।
उसने पूछा- और एक हो जाए, और लंबा और पैशनेट?
मैंने अपना सर हिला कर उसको मंजूरी दे दी।

इस बार उसने मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों में लिया और ऐसा चूस दिया जैसे कोई रसीला आम चूसता है.
बाद में पता चला कि मम्मों के निप्पल भी ऐसे ही चूसे जाते हैं, और लंड भी इसी तरह से चूसा जाता है।

मगर ये नीचे वाला होंठ चूसना भी कम घातक नहीं था, इसने तो मेरी जान निकाल दी। होंठ चूसते हुये उसने अपनी जीभ की नोक से मेरे होंठ को सहलाया और चाटा। उसकी जीभ में तो जैसे जादू था।
मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन के पीछे रखा और उसका मुंह अपने मुंह से चिपका लिया कि ‘चूस यार, और ज़ोर से चूस!’

फिर उसने अपनी जीभ मेरे दोनों होंठों के बीच में घुमाई और मेरे दोनों होंठों ने उसे रास्ता दिया, और उसकी जीभ मेरे मुंह के अंदर चली गई, मैंने भी अपनी जीभ आगे की, उसकी जीभ से मेरी जीभ टकराई, और दोनों जीभें एक दूसरे को प्यार करने लगी।

तब मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी फुद्दी से पानी की एक बूंद रिस गई हो। उसके चुम्बन में मैं ऐसी बेसुध हुई कि कब उसका हाथ मेरे सीने पर आ गया, मुझे पता ही नहीं चला। मेरे मम्मों को उसने अपने हाथ में पकड़ कर बड़े अच्छे से मगर आराम से दबाया. पहले हल्का और फिर थोड़ा मजबूती से।

मैंने उसे नहीं रोका क्योंकि उसके दबाने से मुझे अच्छा लग रहा था। मेरे 38 साइज़ के मम्मों को उसने पूरा ऊपर से नीचे और अगल बगल से हर तरफ से पकड़ कर सहलाया, दोनों मम्मों को अच्छे से दबा दबा कर उसने मज़े लिए.

मैंने भी उसे खुली छूट दी, एक बार भी उसे नहीं रोका क्योंकि मैं तो उसके चुम्बन में ऐसी मस्त हुई कि अब मैं खुद अपनी जीभ उसके मुंह में डाल डाल उसके होंठ चूस रही थी।

फिर हम थोड़ा सा रुके, वो बोला- गर्म हो गई हो?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता, ये सब तो मैं पहली बार महसूस कर रही हूँ।

वो अब बिना मेरे होंठ चूमे भी मेरे मम्मे दबा रहा था, मैंने फिर से उसका सर नीचे को झुकाया, मगर इस बार उसने मेरे होंठ नहीं चूमे, बल्कि मेरी गर्दन, मेरे कान के पास, मेरी ठुड्डी, और आस पास चूमा। इससे मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी, मैं हंस पड़ी, उसे रोका भी- नहीं यार ऐसा मत करो, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है।
मगर वो नहीं माना उसी तरह गुदगुदी करके मुझे तड़पाता रहा।

पास असल में वो मेरे गुदगुदी नहीं कर रहा था. वो मुझे और गर्म कर रहा था ताकि मैं उसकी किसी भी बात के लिए उसे रोक ही न सकूँ। और इसी तरह मुझे गुदगुदाते हुये, तड़पाते हुये उसने अपना हाथ मेरे मम्मे से उठा कर सीधा मेरे दोनों जांघों के बीच में फंसा दिया.

मगर मैं तो उसके चूमने चाटने से बेसुध सी हो रही थी तो जब उसने अपने हाथ की उँगलियों से मेरी लेगिंग के ऊपर से ही मेरी फुद्दी को सहलाया, तो मुझे एकदम से झटका सा लगा।
‘अरे …’ मेरे मुंह से निकला- यार, ये क्या कर रहे हो?
वो बोला- आज मुझे मत रोको, मैं तुम्हें करीब से देखना चाहता हूँ, प्यार करना चाहता हूँ, बहुत सारा प्यार।
मैंने कहा- प्यार तो ठीक है, मगर ये जो तुमने वहाँ अपना हाथ डाला है, ये गलत है, निकालो इसे।

मगर मेरे कहने के बावजूद उसने अपनी उंगली से मेरी फुद्दी का दाना मसला। बेशक मुझे मज़ा आया, खुद तो मैं जब हाथ से करती हूँ, तो अपनी फुद्दी का दाना खूब मसलती हूँ, मगर किसी और के हाथ से और वो भी एक मर्द के हाथ का स्पर्श, मेरी फुद्दी पर मुझे पागल कर रहा था। दिल तो नहीं चाहता था कि उसे रोकूँ, मगर अभी नहीं, इतनी जल्दी ये सब नहीं। मुझे डर था कि अगर आज ही इसने मुझे चोद दिया, तो कहीं मैंने जो अरमान अपने पहले के सेक्स के बारे में सोच रखे हैं, वो सभी मिट्टी में मिल जाएंगे।

उसने मुझे कहा- ऋतु एक बार अपनी टांगें खोलो, मुझे एक बार इसे सहला के देखने दो, बस। फिर और कुछ नहीं करूंगा।
मैंने कहा- प्रोमिस?
वो बोला- गॉड प्रोमिस।

मैंने अपनी दोनों टांगें खोली तो नहीं मगर ढीली कर दी तो उसने अपना हाथ मेरी दोनों टाँगों के बीच में मेरी फुद्दी पर रखा और अपनी बड़ी उंगली से मेरी फुद्दी का दाना मेरी लेगिंग के ऊपर से ही सहलाने लगा। मुझे तो जैसे कोई नशा चढ़ने लगा हो, यार बेगाने हाथ से फुद्दी मसलवाने में इतना मज़ा आता है।

फुद्दी तो मेरी पहले से ही गीली हो रही थी तो उसके सहलाने से फुद्दी और भी भर भर के पानी छोड़ने लगी और अगले ही मिनट मेरी फुद्दी का पानी मेरी लेगिंग को भिगो कर बाहर आने लगा और उसकी उंगली पर लग गया।

जैसे ही उसकी उंगली गीली हुई, वो बोला- अरे वाह … तुम तो पानी छोड़ने लगी, मतलब तुम सेक्स के लिए तैयार हो।
मैंने एक ही झटके से उसका हाथ अपनी फुद्दी से हटा दिया- नहीं, मैं तैयार नहीं हूँ.
मैंने कहा और उसकी गोद से उठने की कोशिश की. मगर उसने मुझे फिर से पीछे धकेल दिया- अरे रुक यार … ओके नीचे कुछ नहीं करता, पर एक किस तो और दे दे।

मगर मैंने साफ मना कर दिया क्योंकि अगर अब तो मुझे किस करता और फिर से और आगे बढ़ता तो शायद मैं उसे रोक नहीं पाती।

मैं ज़बरदस्ती उठ गई मगर मेरे उठते उठते भी उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर दबा दिये, जैसे जाते चोर की लंगोटी ही सही। मैं अपनी सीट पर ठीक होकर बैठ गई। शीशा देखकर अपने कपड़े अपने बाल ठीक किए, उसके बाद मेरे कहने पर वो मुझे घर के पास छोड़ गया।

मगर उस रात मुझे नींद नहीं आई। सारी रात मैं करवटें बदलती रही, रह रह कर मुझे उसका चूमना, उसका छूना, उसका सहलाना याद आ रहा था। अब मेरा दिल कर रहा था कि अगर वो आए, तो मैं खुद उसे कहूँ- आजा यार, मेरे साथ सेक्स कर।
उस रात मैंने तीन बार हाथ से किया. एक लंबा बैंगन मैंने छुपा कर रखा था, उसे भी अपनी फुद्दी में लेकर बहुत चुदाई करी. मगर जो मज़ा उसके छूने में था, वो मुझे खुद हाथ से करने में नहीं आ रहा था।

अगले दिन मैं कॉलेज गई, उससे मिली भी … हम दोनों अब और भी करीब आ गए थे। कॉलेज में भी जब कहीं मौका मिलता हम एक दूसरे को किस करते, वो मेरे मम्मे बहुत दबाता। बल्कि एक बार तो मैंने उसके ज़ोर देने पर उसे अपने मम्मे बाहर निकाल कर भी दिखाये. उसने खूब दबाया और चूसा, चूस चूस कर साले ने मेरे निप्पल गुलाबी कर दिये।

उस दिन भी मैं बहुत तड़पी।

फिर वो बोला- यार अब सब्र नहीं होता, कोई प्रोग्राम बना, अब तो जो भी होना है, सब कर लेते हैं।
मैंने भी सोचा कि अब और इंतज़ार मुश्किल है तो मैंने उसको हामी भर दी।

फिर एक दिन वो बोला- मेरे एक दोस्त का घर खाली है, चलोगी?
मैंने बिना कुछ सोचे समझे हाँ कर दी।

अब तो सब सेट हो चुका था। मुझे भी पता था के आज से 4 दिन बाद मैं चुदने जा रही हूँ, अपनी ज़िंदगी का पहला सेक्स!
उसके बाद मैंने हाथ से करना भी बंद कर दिया, ताकि सेक्स वाले दिन मुझे पूरा मज़ा आए।
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कहानी जारी रहेगी.

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