चुदी चुदाई नम्रता की चूत

अक्षय 2014-06-21 Comments

मेरा नाम अक्षय है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं ग्रेटर नोएडा में शारदा यूनिवर्सिटी से इंजिनीयरिंग कर रहा हूँ, मेरी उम्र 21 साल है, लगभग 2 साल से मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने अन्तर्वासना पर कई कहानियाँ पढ़ी हैं।
कहानियाँ पढ़ कर मेरे लण्ड में भी आग मचती थी कि मैं भी किसी सेक्सी लड़की की चूत मारूँ, पर मैं अपने 8 इंच के लण्ड को हाथों से रगड़ कर मुठ्ठ मार कर ही रह जाता था। मैं ऊपर वाले से रोज़ यही कहता था कि हे ऊपर वाले मुझे जल्दी से चूत दिला दो।

एक दिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली, हमारे कॉलेज की एक बहुत ही सेक्सी लड़की जिसका नाम नम्रता शर्मा है, से मेरी दोस्ती हुई। नम्रता गोरे रंग की बहुत सुन्दर और सेक्सी लड़की है। वो बिहार में पटना की रहने वाली है। मुझे आज भी याद है, चौथे सेमेस्टर के पेपर ख़त्म हुए थे, जब मैं नम्रता से पहली बार मिला था। जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मैं देखता ही रह गया। हय… क्या फिगर था उस लड़की का..!

उसके चूचे देखते ही लण्ड खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि अपने दिल की बात अभी बता दूँ, लेकिन मैंने सोचा कि जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। कुछ ही दिन बाद मेरा जन्म-दिन था, मैंने उसे और अपने कुछ दोस्तों को पार्टी के लिए इन्वाइट किया।

वो 25 जनवरी का दिन था। वो जब आई, तो मेरे और मेरे दोस्तों के तो होश ही उड़ गए।
क्या बला की खूबसूरत लग रही थी… ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग से कोई काम की देवी उतर आई हो।

आते ही उसने मुझे ‘विश’ किया। फिर हम सबने साथ में लंच किया। उसके बाद मैंने उसे ड्रिंक के लिए ऑफर किया, तो उसने वोडका के लिए बोला।
हम सबने ड्रिंक की, ड्रिंक करने के बाद मैंने उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा देखा।

वो लगातार मेरी तरफ देख रही थी और मैं उसकी तरफ।
हमने बहुत देर तक मस्ती की, फिर मैं अपने रूम पर चला गया।

बाद में उसका एसएमएस आया- कल क्या कर रहे हो?
तो मैंने रिप्लाई दिया- कुछ नहीं… कल तो मैं फ्री हूँ…!
तो उसने कहा- मैं भी फ्री हूँ…!
तो मैंने कहा- कल साथ में टाइम बिताते हैं..!
उसने भी ‘हाँ’ बोल दिया।

मैं अगले दिन अपनी बाईक से उसे ले कर अंसल प्लाज़ा घूमने के लिए चला गया। हमने साथ में लंच किया।
अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मुझे तुम्हारे साथ घूमना बहुत अच्छा लगता है।

मैं समझ चुका था कि लड़की तैयार है और चाहती है कि मैं उसे प्रपोज़ करूँ लेकिन मैं भी एक नम्बर का कमीना था, मैंने भी सोच लिया कि प्रपोज़ नहीं करूँगा।

शाम के 6 बजे मैं उसे हॉस्टल छोड़ आया और रात को फिर उससे चैट करने लगा।
उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने मना कर दिया, फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
तो उसने कहा- अभी तक तो नहीं है, लेकिन मैं तुम्हें बहुत पसन्द करने लगी हूँ।
तो मैंने कहा- पसन्द तो मैं भी तुम्हें करने लगा हूँ।
फिर उसका रिप्लाई आया- आई लव यू !

मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया, तो वो परेशान हो गई और बोली- डोंट यू लव मी?
तो मैंने कहा- मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।
तो वो बहुत खुश हुई और फिर बातें करते-करते हम सो गए।

अगले दिन मैं कॉलेज में उससे मिला।
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। बस अब कैसे भी करके मुझे उसे चोदना था। मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया। मैंने नम्रता से बीयर के लिए कहा, तो वो मना करने लगी।

तो मैंने उससे कहा- मेरी जान आज पार्टी करने का मूड है।
वो बोली- क्यूँ?
तो मैंने कहा- तुम मेरी लाइफ बन गई हो इसलिए…!
तो वो मान गई। मैंने 3 बीयर लीं और उसे रूम पर लेकर चला आया।

दोस्तो, यह मेरा पहली बार था जब मैं किसी लड़की के साथ रूम पर अकेला था। मैंने लॅपटॉप पर रोमांटिक गाने चला दिए और बीयर खोल दी। वो बिल्कुल मुझसे चिपक कर बैठी थी। उसके स्पर्श से मेरे लण्ड में हलचल होने लगी।

मैं जानता था कि अब नम्रता की सुन्दर सी चूत मेरे दहकते लण्ड से अब ज़्यादा देर नहीं बच पाएगी इसलिए मैंने जल्दी करना ठीक नहीं समझा।
मैंने दो बीयर पी और उसने एक, उसे नशा सा होने लगा था। मैं उठा और नम्रता की गोदी में सिर रख कर इमोशनल ड्रामा करने लगा और रोने की एक्टिंग करने लगा।

नम्रता ने मुझे उठाया और मेरे आँसू पोंछते हुए मेरे गाल पर चुम्बन किया।
बस मुझे और क्या चाहिए था। अँधा क्या माँगे दो आँखें.. और नम्रता ने वो मुझे वो दे दी थी।

मैंने भी उसे गाल पर चुम्बन करना शुरू कर दिया और करते-करते अपने होंठ उसके सुर्ख होंठों पर रख दिए।
क्या बताऊँ दोस्तो… इतने मुलायम होंठों को अपने होंठों से चूसने का मज़ा ही कुछ और था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे मुँह में गरम-गरम मक्खन आ गया हो।

मैं कभी उसके निचले होंठ को चूसता, तो कभी मेरे निचले होंठ को वो चूसती।
इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया।

मेरा लण्ड भी अब फुल-फॉर्म में आ चुका था, वो तो पैंट फाड़ने को तैयार था।
चुम्बन करते-करते मैं उसे अपने बेड पर ले गया, चुम्बन करते करते ही उसे लिटा दिया और मस्ती से उसके होंठों को चूसता रहा।
मेरा मन उसके होंठ छोड़ने का ही नहीं कर रहा था।

चुम्बन करते-करते मैंने अपना एक हाथ उसके चूचे पर रख दिया। मस्ती में उसके चूचे इतने टाइट हो गए थे, जैसे मेरे हाथ में कोई रबर की गेंद आ गई हो।

मेरे हाथ लगाते ही नम्रता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोकने लगी, लेकिन फिर भी मैंने उसे चुम्बन करना नहीं छोड़ा और उसकी जीभ को मुँह में डाल कर चूसने लगा।

एक तो बीयर का नशा और ऊपर से मेरी इस हरकत से वो गर्म होने लगी, वो मेरे होंठों पर बड़े ही सेक्सी अंदाज में दाँत गड़ाने लगी। मुझे और भी मज़ा आने लगा।
मैंने धीरे से अपना हाथ उसके टॉप के अन्दर घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा।
नम्रता ने अपना शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और वो मादक सिसकारियाँ भरने लगी।

मैंने देर ना करते हुए उसका टॉप और ब्रा को उतार दिया। उसके चूचे फूल कर एकदम सख्त हो गए थे।

मुझे उसके चूचे चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था, उसके चूचे चूसते समय ऐसा लग रहा था, जैसे मुझे कोई खजाना हाथ आ गया हो और सच कहूँ दोस्तो, उसके चूचे थे भी शाही खजाने की तरह, जिसे मैं दोनों हाथों से लूट रहा था।

मैं जितना भी लूट रहा था, उतनी ज़्यादा खुशी और मदहोशी छा रही थी। नम्रता तो पूरी तरह से पागल हो चुकी थी, उसने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसने जींस का हुक खोल दिया।

मैं नम्रता के कड़े हो चुके चूचुकों की बुरी तरह से काट रहा था और जितना उन्हें काटता, उतना ही वो और उत्तेज़ित हो जाती।

वो इतनी उत्तेज़ित हो गई थी कि मुझे नीचे कर के खुद मेरे ऊपर आ गई और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगी। मुझे तो जैसे जन्नत सी मिल गई थी।

नशा और बढ़ने लगा था, बीयर का भी और चूत मारने का भी। नम्रता का भी यही हाल था, उसने जल्दी से मेरी शर्ट निकाल दी।
वो अपने नाखूनों को मेरी छाती पर गड़ाने लगी और फिर उसने मेरी जींस भी उतार दी।

मेरा लण्ड अन्दर तबाही मचा रहा था। मेरे लण्ड को अंडरवियर के अन्दर फड़फड़ाता देख कि नम्रता की आँखों में चमक आ गई और वो लण्ड को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगी।

वो उन्मादित नजरों से मस्त होकर बोली- अक्षय, तुमसे ज़्यादा कातिल तो तुम्हारा लण्ड है, कितना बड़ा और मोटा है… हाय राम… मैं तो मर ही जाऊँगी।
उसकी इस अदा ने मेरे लण्ड पर कहर ढा दिया, मैंने कहा- मेरी जान, एकदम प्योर माल है, इसे तुम्हारी चूत का कत्ल करने के लिए ही सबसे बचा कर रखा था। मेरी जान आज यह तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना देगा।

नशे में पता नहीं मैं क्या-क्या बक रहा था, मेरे इतना कहते ही नम्रता मेरे लण्ड को बाहर निकाल कर ऊपर-नीचे करने लगी।
पहली बार किसी लड़की ने मेरे लण्ड को छुआ था।
मेरा लण्ड तो मस्ती में डूबने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लण्ड फट जाएगा।

मैंने भी देर ना करते हुए नम्रता की जींस और पैंटी उतार फेंकी। अब नम्रता ओर मैं बिल्कुल नंगे थे।
खुले बिखरे बाल और उसके उन्नत कड़क चूचे, उसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा रहे थे। मैं नम्रता को फिर से चुम्बन करने लगा और वो नीचे से मेरे लण्ड को सहला रही थी।

मुझसे अब रुका ना गया और मैं उसकी चूत पर अपने लण्ड को ऊपर से ही रगड़ने लगा। नम्रता मेरी इस हरकत से पागल सी हो गई और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी और मेरी कमर पर नाख़ून गड़ाने लगी। मेरे लण्ड के पानी और उसके चूत के पानी का मिलन बड़ा ही मधुर था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

नम्रता से रहा ना गया, तो उसने नीचे से एक उछाल लगाई और मेरा लवड़ा थोड़ा सा अन्दर घुस गया। नम्रता को हल्का सा दर्द हुआ।
मैंने नम्रता से पूछा- तुमने पहले भी किया है?
तो उसने कहा- बस एक बार किया है…!
वो मुझे इस बेवफाई के लिए ‘सॉरी कहने लगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं जान.. ऐसा अक्सर हो जाता है।

मैं अपने मज़े को खराब नहीं करना चाहता था, मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लण्ड सीधा नम्रता की बच्चेदानी से जा टकराया।
इस जोरदार हमले की वजह से नम्रता की चीख निकल गई- मार डालोगे क्या.. आराम से डालो न…
मैं नम्रता को चुम्बन करने लगा, उसका दर्द अब मज़े में बदलने लगा, वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी भरने लगी।

मैं उसे बुरी तरह चोद रहा था, उसके दोनों पैर मेरे कंधों पर थे और मेरा लण्ड उसकी चूत में शंटिंग कर रहा था। मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था।
पूरा कमरा हमारी सिसकारियों से गूँज रहा था, “आहह.. सिईई.. उऊईई मा…!”

उसकी इस तरह की आवाजें मुझे और भी पागल बना रही थीं। मैं उसे चुम्बन करने लगा नम्रता ऐसे चिल्ला रही थी, जैसे कितने दिनों बाद उसने लण्ड खाया हो।

उसने अचानक मेरे कान की लौ को काटना शुरू किया। मुझे और भी उत्तेजना आने लगी। उसकी हरकतों से लग रहा था कि वो पूरी चुदक्कड़ है। अति उत्तेजना में आ कर मैंने भी ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।

नम्रता को मज़ा भी आ रहा था और मीठा-मीठा दर्द भी हो रहा था, उसकी आँखें मस्ती में बन्द हुए जा रही थीं।

उसने मेरी कमर को नोचना शुरू कर दिया, पूरी कमर में उसने नाख़ून गड़ा दिए। उस वक़्त तो मैं नशे में चूर हो कर बस उसे चोद रहा था, लेकिन उसका इस तरह से नाख़ून गढ़ाना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे सारे शरीर में झुरझुरी सी चल रही थी।
मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और भी तेज़ कर दी।

नम्रता मस्ती में आकर मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दाँतों से चबाने लगी और बीच-बीच में ज़ोर से काट भी लेती थी। उसकी इस हरकत से मेरा ज़ोश और भी बढ़ जाता और मुझे भी मीठा-मीठा दर्द महसूस होता।

कुछ देर बाद नम्रता मेरे ऊपर आ गई और मुझे चोदने लगी। उसके चूचे ऊपर-नीचे को लहरा रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि कहीं ये निकल कर न भाग जाएं। इस मदहोश चुदाई की हालत में उसका चेहरा बहुत ही कामुक लग रहा था। नम्रता के धक्के तेज़ होने लगे। उसकी चूत से पानी बहुत तेज़ बह रहा था, शायद वो झड़ने वाली थी। वो ज़ोर-ज़ोर से दाँत भींच रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी।

अचानक उसने धक्के और भी तेज़ कर दिए और वो शांत होने लगी। उसके चेहरे से साफ लग रहा था कि वो झड़ चुकी है। वो एकदम से निढाल हो चुकी थी। वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गई, लेकिन मेरा तो अभी बाकी था।

मैंने उसे नीचे लिटाया और चोदना शुरू कर दिया। उसे दर्द होने लगा, वो दर्द से कराहने लगी लेकिन थोड़ी देर में वो फिर से गर्म हो गई और मजे से चुदवाने लगी।
वो कहने लगी- ज़ोर से करो यार.. बहुत मज़ा आ रहा है… मुझे ज़ोर से चोदो..!

थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरा लण्ड अकड़ रहा है, उसकी नसें और भी ज़्यादा टाइट हो गई हैं, मुझे लगा मैं फट ही जाउँगा। मेरी स्पीड बढ़ने लगी, मेरी आँखें मस्ती में बन्द हो रही थीं।
नम्रता भी चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी।

मैं झड़ने वाला था, मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और मैंने कहा- नम्रता मेरी जान, मैं छूटने वाला हूँ..!
तो वो बोली- मैं भी छूटने वाली हूँ..!
फिर कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी और मेरा वीर्य नम्रता की चूत को भरने लगा। नम्रता का पानी भी छूट गया और हम दोनों निढाल से पड़ गए।

शाम के 6 बज चुके थे। नम्रता ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उठ कर शीशा देखा तो डर गया। मेरे होंठ बुरी तरह से सूजे हुए थे, कमर बुरी तरह से छिल गई थी।

हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे, मैं उसे फिर से चुम्बन करने लगा।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैंने उसे उस रात दो बार और चोदा और एक राउंड सुबह लगाया और उसे हॉस्टल छोड़ आया।
फिर यह सिलसिला चलता ही रहा।

अब मेरा उससे ब्रेकअप हो गया है और मैंने उसके बाद दो लड़कियों को और चोदा, लेकिन कसम से नम्रता जितना मज़ा किसी ने नहीं दिया।
उम्मीद करता हूँ आप लोगों को मेरी कहानी पसन्द आई होगी। आप मुझे मेल ज़रूर करें।
आपका अक्षय
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