बचपन की गर्लफ़्रेंड दिव्या की पहली चुदाई

(Bachpan Ki Girl Friend Ki Pahli Chudai)

रॉकी 2016-06-20 Comments

मेरा नाम रॉकी है, मेरी क्लास में एक लड़की दिव्या है.. हम दोनों बचपन से ही साथ साथ रहे हैं क्योंकि हमारा घर भी एक-दूसरे से सटा हुआ है इसलिए हम दोनों जब चाहें.. एक-दूसरे से मिल लेते हैं।
हम दोनों एक-दूसरे से कोई बात नहीं छिपाते हैं।
मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.. पर उससे पूछने के हिम्मत नहीं होती।

एक दिन उसके और मेरे मम्मी पापा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा.. इसलिए हम दोनों अपने अपने घर पर अकेले थे।

तभी दिव्या मेरे घर पर आ गई.. मैंने उससे पूछा- कुछ लोगी?
उसने मना कर दिया.. मैंने टीवी चला दिया.. टीवी पर ‘मर्डर’ फिल्म चल रही थी।

हम दोनों सोफे पर बैठे देखते रहे.. अचानक मेरा हाथ उसकी जांघ पर छू गया.. जिससे मुझमें करंट सा दौड़ गया। उसने भी कुछ नहीं कहा.. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपनी तरफ खींच लिया। उसने अब भी कोई विरोध नहीं किया तो मैं समझ गया कि ये भी मूड में है।

फिर मैंने उसके मम्मों पर हाथ लगाया.. तो अब भी उसने कुछ नहीं कहा।
मैं अब पक्का हो गया कि यह भी मुझसे चुदना चाहती है।

मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत सख्त थीं, ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई बॉल दबा रहा होऊँ।

मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में घुसेड़ दिया और पैन्टी के अन्दर से उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी.. जिससे पता चल रहा था कि उसके अभी बाल नहीं आए थे।

फिर मैंने उसका कमीज उतार दिया.. उसने एक काली रंग की ब्रा पहन रखी थी.. जिसमें उसकी चूचियाँ कसी हुई थीं। उसकी छाती का साइज़ लगभग 30 इंच था.. उसका फिगर बहुत जम रहा था।

फिर मैंने अपनी शर्ट उतार दी और उसे चूमने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी सलवार उतार दी.. उसकी जांघें दूध सी गोरी थीं।
मैंने अपना पैंट उतार दिया और उसको उठा कर बिस्तर पर ले गया और उसको चूमना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी उतार दी.. तो वो शर्माने लगी, मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया, अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।

मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया।
उसने लौड़ा हिलाया.. तो एकदम से वो खड़ा हो गया.. मेरा लण्ड ख़ासा मोटा और लम्बा हो गया था।

दिव्या कहने लगी- मैं इतना मोटा और लंबा लण्ड नहीं ले पाऊँगी।
मैंने कहा- ये तो कुछ नहीं है लड़कियां तो इससे भी लंबा और मोटा अपनी चूत में लेना पसंद करती हैं।

वो हैरान सी मेरे लौड़े को सहलाती रही।

मैंने दिव्या से पूछा- क्या तुमने पहले अपनी चूत चुदवाई है?
उसने मना कर दिया।

फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ा.. वो जोर-जोर से ‘आहें’ लेने लगी।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के छेद पर रख कर एक धक्का लगाया.. तो उसकी चीख निकल पड़ी और वो रोने लगी।

वो कहने लगी- मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. इस बाहर निकालो।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा दर्द होगा.. फिर मज़ा आने लगेगा।

मैंने थोड़ा और जोर से झटका मारा.. और इस बार मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
वो और जोर से चीखने लगी और जोर- जोर से रोने लगी।
उसकी चूत में से खून भी निकल रहा था.. क्योंकि मैंने उसकी चूत की सील फाड़ दी थी।

अब मैं कुछ देर के लिए रुक गया.. जिससे उसको आराम मिल सके। मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं.. तो उसको आराम मिला और फिर एक और ज़ोर का झटका मारा.. और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया।
वो फिर चीख पड़ी।

फिर मैंने और जोर से झटके लगाए.. वो बुरी तरह से तड़फने लगी और आवाजें निकाल रही थी- आहह.. ओउ.. ह्म्म्म्म .. मर गई माँ एयेए… ऊओ..शी.. आई… रॉकी मुझे दर्द हो रहा है..

मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसको चोदता रहा।
फिर वो धीरे-धीरे शान्त होने लगी।

मैंने अपने धक्के जोर-जोर से चालू कर दिए.. अब वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी.. उसकी चूत में से अब खून भी नहीं निकल रहा था।

मेरा लण्ड खाकर उसकी चूत भी खुल चुकी थी जिससे उसको भी मज़ा आने लगा।

फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल लिया और फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी चूत को पीछे से चोदना शुरू किया तो उसके मुँह से कामुक आवाजें निकल रही थीं- आई.. ऊओ.. एयाया.. मर गई.. दर्द हो रहा है!

मैंने उसकी एक नहीं सुनी और एक जोर का झटका लगा कर पूरा लण्ड चूत में घुसा दिया। वो चीख पड़ी और गाली देते हुए बोली- भोसड़ी के फ्री की मिल रही है तो क्या फाड़ ही डालेगा.. मादरचोद.. आराम-आराम से चोद।

मैंने अपने झटके जोर-जोर से लगाने शुरू कर दिए और कुछ मिनट तक चूत मारता रहा। फिर मैं झड़ने वाला ही था कि मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसके मुँह के पास लाया जो उसकी चूचियों पर टपक गया और उसकी चूचियाँ माल से सराबोर हो गईं।

हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.. वो इतने दर्द में थी कि उठ ही नहीं पा रही थी.. क्योंकि मैंने उसकी चूत को चोद-चोद कर सुजा दिया था।

लगभग आधे घन्टे बाद हम दोनों नहा कर कपड़े पहन कर तैयार हो गए।
मैंने दिव्या से पूछा- क्या तुम्हें चुदाई में मज़ा आया?
तो उसने कहा- मज़ा तो आया.. पर दर्द भी बहुत हुआ।
मैंने कहा- पहली चुदाई थी ना.. इसलिए ज्यादा दर्द हुआ है.. अगली बार चुदोगी तो दर्द नहीं.. मज़ा आएगा।

उसने कहा- आज तुमने मुझे एक कली से फूल बना दिया है.. पर तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है.. इसने मुझे नानी याद दिला दी।
मैंने कहा- अब फिर जब भी चुदने का मन करे.. तो बता देना.. हचक कर पेलूँगा।

आप मुझे मेल कर सकते हो।
[email protected]

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