एक ही परिवार ने बनाया साँड- 5

(Xxx Aunty Chudai Story)

राजेश 784 2020-09-24 Comments

This story is part of a series:

Xxx आंटी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि आंटी अपनी नंगी चूत खोले मेरे सामने बिस्तर पर पड़ी थी. मैंने भाभी की मम्मी की चूत की प्यास कैसे बुझायी?

आँटी असल में सरोज भाभी की बड़ी बहन ही लग रही थी. 60 की उम्र में आँटी के शरीर पर कोई झुर्री नहीं थी. उन्होंने साड़ी के नीचे पैरों में बहुत सुन्दर काले सैंडल पहन रखे थे, जो उनकी गोरी और गुदाज़ टांगों में बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रहे थे.
मैंने नीचे झुक कर आंटी की चूत को चौड़ा किया. आंटी की चूत अंदर से एकदम लाल और बिल्कुल जवान लड़की की तरह थी. उनका छेद पानी छोड़ने से चिपचिपा हो चुका था.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस उम्र की औरत की चूत, पट और जाँघें इतने सेक्सी होंगे?

अब आगे की Xxx आंटी चुदाई स्टोरी:

नीचे बैठकर मैंने आंटी की चूत से अपनी जीभ लगाई. आंटी एकदम से तड़प गई और जैसे ही मैंने अपनी जीभ से आंटी के क्लीटोरियस को छुआ, आंटी की तेज सिसकारी निकल गई.
उन्होंने अपने दोनों पटों को भींचकर मेरे मुंह और सिर को टांगों में बीच में दबा लिया.

दोस्तो! मैं समझता था कि सेक्स करने की उम्र केवल जवानी की ही होती है लेकिन आँटी की इच्छा, जाँघों और चूत को देखकर लगा कि ये तो जवान औरतों को भी मात दे रही है.

आंटी बोली- अरे राज, तुमने तो कमाल ही कर दिया. मैंने तो सोचा ही नहीं था कि इस उम्र में मुझे तुम जैसा कोई मिल जाएगा?
मैंने कहा- आंटी आप तो बहुत जवान और हॉट हो, बिल्कुल 25 साल की लड़की की तरह से हो.

आंटी अपनी तारीफ सुनकर मस्त हो गई और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.
मैंने भी बेड के किनारे पर खड़े होकर आंटी की टांगों को ऊपर उठाया और खड़े खड़े आंटी के घुटनों को थोड़ा मोड़ा और लंड का सुपारा चूत के ऊपर रख दिया.

आंटी ने आंखें बंद कर ली. लंड और चूत अपने अपने पानी से बिल्कुल चिकने हो चुके थे.
मैंने छेद के ऊपर अंगूठे से सुपारे को दबाया, सुपारा चूत की दीवारों को फैलाते हुए अंदर जाने लगा.
आंटी कसमसाने लगी.

मैंने थोड़ा जोर लगाकर आधा लंड आँटी की चूत के अंदर कर दिया और अपने दोनों हाथों से ब्लाउज के बटन खोलकर चूचियों को बाहर निकाल कर मसलने लगा. मैंने एक बार झुक कर आंटी के मम्मों को मुंह में लेकर दो- तीन बार चूसा. आंटी बुरी तरह से मेरी कमर को अपनी तरफ खींचने लगी थी.

मेरा भी सब्र का बांध टूट रहा था. मैंने एक झटका लगाकर आंटी की चूत में पूरा लंड बैठा दिया.
आंटी के मुंह से आई … आ … आ … निकलने लगा.

मैं आँटी की चूत की ठुकाई करने लगा. उनके बड़े- बड़े गोरे- गोरे चूतड़ों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा. साथ में आंटी की उठी हुए टांगों को सहलाता रहा और लौड़े को चूत के अंदर चलाता रहा.

मेरे 15- 20 शॉट के बाद ही आंटी की चूत ने पानी छोड़ दिया और आंटी आई … आई … ईईई … इईईई … की आवाज निकालते हुए झड़ गई.
मैं फिर भी लगा रहा. आंटी मुझे बस … बस … करती रही. लेकिन आंटी की चूत की अंदर की गर्मी मेरे जोश को बढ़ा रही थी और मैंने लगातार अपने धक्के जारी रखे.

आंटी कहने लगी- राज, बस अब तुम मुझे छोड़ दो. तुम अपने इम्तिहान में पूरी तरह से पास हो गए हो. लेकिन मैंने अपना काम जारी रखा और कुछ धक्कों के बाद आंटी की चूत अपने वीर्य की गर्म पिचकारियों से भर दी.

अब तक आंटी पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी. मैंने उनके ऊपर झुककर उनके होंठों को किस किया और धीरे से अपना हथियार बाहर निकाला.

मेरा लंड चूत में से बाहर निकलते ही आंटी की गांड मेरे वीर्य से तर हो गई और मेरे बेड की चादर पर टपकने लगी.
आंटी ने अपने हाथ को नीचे करके देखा तो उनका पूरा हाथ वीर्य से भर गया. वे कहने लगी- कितना डिस्चार्ज करते हो तुम? तुम तो सांड क्या घोड़े जैसे हो.

उन्होंने अपनी साड़ी और पेटीकोट को अपनी कमर तक उठाया और चौड़ी टांगें करके फर्श पर खड़ी हो गई.
बाकी का बचा हुआ वीर्य आंटी के पटों पर बहते हुए फर्श के ऊपर टपकने लगा जिससे आँटी के सुंदर सेंडिल लिबड़ गए.

आंटी ने मुझसे कोई कपड़ा मांगा तो मैंने पैंट में से अपना हैंकी निकाल कर दे दिया. आंटी ने हैंकी से अपनी चूत और जांघें साफ की और उस हैंकी को अपने पास ही रख लिया.

वे पूरी तरह से संतुष्ट थी, बोली- राज! तुम्हारे अंकल को गुजरे 5 वर्ष हो गए हैं और मुझे नहीं पता मुझे चुदवाये कितने साल हो गए, तुमने तो आज दुबारा से मेरी जिंदगी में बहार ला दी, सच में आज वर्षों बाद जीवन में दोबारा इस चीज का आनन्द आया है.

मैंने दरवाजे की कुंडी खोल दी.
आंटी ने मुझसे पूछा- अच्छा यह बताओ, ये जो नीचे मेरी गाय घूम रही हैं इनमें से तुम्हें कौन सी पसंद है?
मैं आंटी की आंखों की तरफ देखने लगा.
आंटी बोली- बताओ बताओ?
मैंने कहा- गीतिका.

आंटी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली- अच्छा तो जनाब को गर्म गोश्त खाने का शौक है?
उनकी इस बात पर मैं भी मुस्कुरा दिया. आँटी कहने लगी- राज तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है.

आँटी कहने लगी- दरअसल गीतिका का हस्बैंड पिछले एक महीने से दुबई गया हुआ है और वह एक साल बाद आएगा. ऑफिस की तरफ से उसको वहाँ पर कोई काम मिला है करने के लिए.
उन्होंने आगे बताया- गीतिका अपनी पूरी जवानी में है और पिछले कुछ दिनों से मैं इसकी हरकतों को देखकर बेचैन हो गई थी.
मैंने आंटी से पूछा- कैसी हरकतें?

आंटी ने बताया- एक रोज, रात को करीब 11:00 बजे के आसपास इसके कमरे से कुछ अजीब अजीब सी आवाजें आ रही थीं. दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था, मैंने देखा गीतिका ने अपनी नाइटी को ऊपर किया हुआ था और अपनी उंगली से कभी अपने क्लीटोरियस को मसल रही थी तो कभी चूत के अंदर उंगली डाल रही थी, और आ … आ … करते हुए बेड पर इधर उधर सिर मार रही थी. मैं यह देखकर हैरान हो गई कि इस लड़की का एक साल में तो बुरा हाल हो जाएगा और यह भी हो सकता है कि यह किसी भी ऐरे गैरे से चुदवा ले? मुझे मालूम हो गया था कि तुम यहां सरोज के घर रहने लग गए हो और तुम्हारे बारे में सरोज ने रिपोर्ट भी बहुत अच्छी दी थी तो मैंने सोचा तुम्हारे से ही मिल लिया जाए. और मुझे यह भी अंदाजा था कि सरोज ने तुम्हें पटा लिया होगा?

चूंकि मुझे पता नहीं था कि सरोज और आंटी आपस में कितनी खुली हुई थी इसलिए मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा और आंटी के पूछने पर भी मैंने सरोज के साथ या किसी के भी साथ अपने संबंधों को स्वीकार नहीं किया.

बाद में आंटी कहने लगी- तुम्हारी यह बात भी मुझे अच्छी लगी कि तुम अपने अंदर की बातें किसी को नहीं बता रहे हो. अब बताओ खुलकर क्या चाहते हो?
मैंने आंटी की तरफ देखा और कहा- मैंने बता तो दिया था.
आंटी फिर मुस्कुराई और बोली- ठीक है मैं यह अरेंजमेंट कर दूंगी, लेकिन यह सब बातें तुम अपने तक ही रखोगे.

हम ये बातें कर ही रहे थे कि अचानक किसी के आने की आवाज सुनाई दी तो हम थोड़ा हट कर बैठ गए.

तभी कमरे के अंदर गीतिका आ गई. मैं खड़ा हो गया.
गीतिका बोली- अरे राज, बैठो ना तुम खड़े क्यों हो गए?
फिर गीतिका ने अपने हाथ को पीछे ले जाकर कमर को पकड़ा और चेहरे पर दर्द की शिकन लाते हुए अपनी मम्मी से बोली- मम्मी, आपको कितनी देर हो गई, मैं नीचे आपका इंतजार कर रही थी.

आंटी बोली- क्यों क्या बात हुई?
गीतिका कहने लगी- मेरी कमर में झटका लगने से जोर का दर्द हो गया है, आप थोड़ी सी मालिश कर दो मेरी कमर की.
आंटी कहने लगी- अब मेरी कोई उम्र है मालिश करने की, मेरे हाथों में जोर नहीं है, तुम ऐसे करो जो भी करवाना है, राज से करवा लो.
और मुझसे कहने लगी- बेटा राज, कर दो यह जो भी करवाना चाहे?
मैंने कहा- ठीक है आंटी मैं कर दूंगा आप चिंता मत करो.

आंटी कमरे से बाहर चली गई.
अब मुझे गीतिका को हासिल करने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं लग रही थी क्योंकि उसकी मम्मी ने भी अपनी रजामंदी दे दी थी.

मैंने गीतिका से पूछा- बताइए आपको कहाँ दर्द है?
गीतिका ने मेरी ओर वासना भरी निगाहों से देखा और पूछने लगी- तुम किस किस चीज का इलाज कर सकते हो?

मैंने गीतिका की तनी हुई भारी चूचियों को देखते हुए कहा- मैं आपकी सेवा में हाजिर हूँ, आप को जो भी इलाज करवाना हो वही इलाज कर दूंगा.
मेरे यह कहते ही गीतिका ने अपने हाथ ऊपर उठाकर एक मादक अंगड़ाई ली. हाथ ऊपर करने से गीतिका की गोरी और चिकनी बगलें और टॉप उठने के कारण उसका सुंदर चिकना पेट दिखाई दिया.

गीतिका कहने लगी- मेरी कमर से शुरू हो जाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं बेड पर बैठ गया गीतिका को अपनी टांगों के बीच में पीठ घुमा कर खड़ा करके उसकी मादक पीठ पर हाथ फिराने लगा.

मेरे हाथ को अपने कमर पर महसूस करते ही गीतिका के बदन में एकदम झनझनाहट दौड़ गई और उसने आनंद से अपनी आंखें बंद कर ली और आह … आह … की आवाज निकाली.
मैं धीरे- धीरे गीतिका की कमर और पेट पर हाथ फिराने लगा.

मैंने बैठे बैठे गीतिका को थोड़ा सा पीछे किया और उसकी टांगों को अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लिया.
गीतिका पूरी चुदास से भर चुकी थी.

तभी नीचे से सरोज ने बिन्दू को बुलाने के लिए भेजा. जैसे ही वह मुझे खिड़की में से आती दिखाई दी, मैंने गीतिका को छोड़ दिया.
बिन्दू आकर बोली- मासी जी, आपको नीचे मम्मी बुला रही हैं.

गीतिका को मजा आना शुरू हुआ था. वह बड़ी सेक्सी आवाज में बोली- चलो राज, मैं पहले नीचे थोड़ा काम करवा दूँ, बाद में मालिश करवाऊंगी.
वो नीचे चली गई और मैं आराम से अपने बेड पर सो गया.

रात को लगभग 9:00 बजे खाने के टाइम मुझे बिन्दू बुलाने आई.
मैं नीचे चला गया.

सारे परिवार ने डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाया और कुछ देर बातें करते रहे. लड़कियां अपने- अपने कमरों में चली गयी थी.
रात के 10:00 बज गए थे.

सरोज की मम्मी ने पूछा- सरोज सोने का कैसे अरेंजमेंट किया है?
भाभी कहने लगी- मम्मी, मैं तो अपने बेडरूम में ही सोऊंगी.
सरोज की मम्मी कहने लगी- ठीक है, मैं बिन्दू के साथ सो जाऊंगी.

गीतिका कहने लगी- भई, मेरा कमरा तो ऊपर वाला ही था, जिसमें मुझे नींद आती थी लेकिन उसमें तो अब राज रहता है, अब मैं क्या करूं?

आंटी ने गीतिका से कहा- तो फिर क्या बात हो गई, तेरे को ऊपर वाले कमरे में नींद आती है तो तू ऊपर सो जा, कोई बात नहीं, राज अपना ही लड़का है, यह बहुत सीधा लड़का है और तुमसे छोटा भी है, यह भी वहीं सो जाएगा.

मैंने स्थिति को समझते हुए कहा- हाँ आंटी कोई बात नहीं, मैं अपना बिस्तर नीचे लगा लूँगा.
सरोज मुस्कुराने लगी और कहने लगी- हाँ हाँ, ठीक है, कोई बात नहीं एडजेस्ट कर लेना.
सरोज बोली- लेकिन मुझे अपने बेड पर भी किसी दूसरे के साथ नींद नहीं आती.

तीनों एक दूसरी की बात समझ चुकी थी.
गीतिका और मैं चुप रहे.
आंटी कहने लगी- राज, तुम चलो ऊपर, गीतिका थोड़ी देर में तुम्हारा दूध लेकर आ जाएगी.

मैं मन ही मन खुश होकर ऊपर आ गया और गीतिका की चूत सारी रात चोदने को मिलेगी, यह सोच सोच कर रोमांचित हो रहा था.

Xxx आंटी चुदाई स्टोरी जारी रहेगी.

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