रॉंग नम्बर वाली लौंडिया को जमकर चोदा- 5

(Village Girl Sex Story)

This story is part of a series:

विलेज गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि उस देसी लड़की ने सुबह अँधेरे में अपने घर बुलाया तो मैंने जाकर उसको नंगी करके कैसे उसके जिस्म का मजा लेकर उसे चोदा.

दोस्तो नमस्कार. आपने मेरी इस विलेज गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ा था कि उस रॉंग नम्बर वाली लौंडिया गुड़िया ने मुझे अलसुबह अपने पास बुला लिया था और मैं उसके साथ एक कमरे में आ गया था. उसके साथ चूची चुसाई के बाद वो गर्म होकर मेरा लंड अपनी चुत में लेने के लिए मचलने लगी थी.

अब आगे की विलेज गर्ल सेक्स स्टोरी:

वो मेरा लंड पकड़ कर खुद ही अपनी चुत में डालने लगी.

उसके मुँह से आवाज़ तो नहीं आ रही थी मगर मुँह ऐसे बना रही थी जैसे ‘आह … ईह उई …’ कर रही हो.

अब तक मुझे उस पर तरस आने लगा था. मुझे लगा इसे और तड़पाना पाप होगा.

उसका हाथ हटाकर मैंने लंड को उसकी चुत के छेद पर सैट किया और होंठ उसके होंठों पर रख दिए. फिर उसकी रसीली चुत की फांकों में लंड का सुपारा लगा कर एक हल्का सा झटका दे दिया. मेरा सुपारा अन्दर घुस गया.

लंड का सुपारा अन्दर गया तो उसने मुँह ऐसे खोल दिया … जैसे आह … कर रही हो. पर उसकी आवाज़ नहीं निकली थी. मैंने लंड को वापस बाहर निकाला और फिर से छेद पर सैट कर दिया. दरअसल वो खुद ही लंड पर मानो बैठी जा रही थी. मैंने एक झटका मारकर अपना आधा लंड उसकी चुत में उतार दिया.

वो जैसे तड़प उठी और मेरे गले में हाथ डाल कर मुझसे लिपट गयी. मैं उसकी तेज़ और गर्म सांसों को अपनी गर्दन और कंधे पर महसूस कर पा रहा था.

मैं इसी पोजीशन में करीब 15-20 सेकेंड रुका … फिर आधे लंड को ही धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. वो चुपचाप मुझसे उसी तरह लिपटी रही. मैं करीब एक मिनट उसी तरह आधे लंड से ही उसे चोदता रहा.

फिर मैंने आराम आराम से लंड बाहर लिया. बस लंड का टोपा अन्दर ही रहने दिया. उसकी गांड पर हाथ फेरा और उसके चूतड़ों को पकड़ कर एक बड़े ज़ोर के धक्के के साथ पूरे लंड को उसकी चुत की गहराई में उतार दिया.

अब उसने ‘उफ्फ़ … हिस्स … ल्ला … मर गई …’ की आवाज़ के साथ सर को दीवार पर ज़ोर से पटक दिया और जैसे अकड़ सी गयी.

उसकी इस हरकत पर मुझे लगा कि ये सील पैक माल थी क्या? मैंने पक्का करने के लिए लंड बाहर निकाला और देखने पर ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा, जिससे लगे कि ये सील पैक थी. मैंने तुरंत ही लंड को फिर से गहराई तक पेल दिया और रुक कर उसको देखने लगा.

उसकी आंखें बंद थीं … सर दीवार पर टिका हुआ था … गर्दन खिंची हुई थी. उसकी चुचियां चुसाई की वजह से लाल हो चुकी थीं. वो एकदम शांत खड़ी हुई थी … उसकी बस तेज तेज सांस चल रही थी.

मैंने लंड ज़रा भी हिलाया तक नहीं, ऐसे ही अन्दर रहने दिया और चूची को चूसने लगा.

मैंने उसकी चूची चूसना शुरू ही किया था कि जैसे उसमें जान आ गई. वो कमर हिलाकर लंड अन्दर बाहर करने की कोशिश करने लगी. उसने मेरा सर पकड़ लिया और अकड़ कर अपनी चूची को और उठा दिया … मानो इशारा कर रही हो कि चोदो भी … और चूची भी चूसते रहो.

मैंने भी वही किया. मुँह में भर भर के चूची चूसने लगा और धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर भी करने लगा.

इस तरह बारी बारी से उसकी दोनों चुचियों को चूसते हुए और कुछ देर तक उसे चोदने के बाद मैं सीधा हो गया.

अब मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया और चुदाई की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी. वो भी मेरे गले में हाथ डाल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी. उसके होंठों पर मुस्कान, चेहरे पर मीठे दर्द की झलक थी. उसकी आंखों में खुशी झलक रही थी.

हमारी नज़र एक दूसरे के चेहरे पर थी. लंड चुत में तहलका मचाए हुए था. चुत भी लंड के स्वागत में चुत रस बरसा रही थी.

अब बस कसर रह गयी थी घमासान चुदाई की … तो मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. बीच बीच में मैं लंड को पूरी तरह चुत में जड़ तक डाल कर रुक जाता और फिर उसी स्पीड से चोदने लगता. वो भी पूरी मस्ती में चुत चुदवा रही थी.

कुछ देर की घमासान चुदाई के बाद वो अकड़ने लगी और लंड को उसकी चुत में गर्माहट महसूस होने लगी. मैंने भी कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा दी. कुछ ही झटकों में मेरा भी लावा फूटने ही वाला था.

अब कमरे में फॅक फॅक की आवाज़ गूँज रही थी.

उसे चोदते हुए ही मैंने कहा- रस बाहर निकालूं या अन्दर लोगी?
वो कराहते हुए दांत पीस कर आंख बंद करके बोली- तुम्हारी मर्ज़ी.

मैंने मूसलाधार चार छह धक्के और लगाए … फिर लंड बाहर निकाल लिया. लंड बाहर आते ही बरस पड़ा और लंड के फुहारे उसके पेट पर, चुत पर और उसकी जांघों पर गिरने लगे. वो मुझसे लिपट गयी … मैं भी उससे चिपक गया. उसकी सांसें तेज़ थीं … मेरी भी दोहरी सांस चल रही थी. आख़िर ऐसी चुदाई के बाद तेज़ सांसों का चलना लाज़िमी था.

कुछ देर इसी तरह हम एक दूसरे से लिपटे रहे. थोड़ा स्थिर होने के बाद मेरी नज़र खिड़की पर गयी. बाहर उजाला दिख रहा था. मैंने उसे खुद से अलग किया और उसके सर पर प्यार से किस किया.

वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- तुमने बाहर क्यों निकाल दिया?
मैं- तुम्हारी सेफ्टी के लिए.
वो- अन्दर ही निकालते तो अच्छा होता … मैं तुम्हें अपने अन्दर महसूस करना चाहती थी.

मैं- मैंने पूछा तो था, तुमने मुझ पर छोड़ दिया था तो …
वो- जब तुमने पूछा था, तब मुझमें कुछ सोचने समझने की शक्ति नहीं थी. खैर कोई बात नहीं.
मैंने पूछा- तुम खुश हो?
उसने नजरें झुकाईं और हां में सर हिला दिया.

मैंने कहा- चलो ठीक है, मुझे लगता है अब मुझे जाना चाहिए … क्योंकि बाहर काफ़ी उजाला हो गया है.
उसने कहा- हां ठीक है.

मैंने अपनी अंडरवियर उठाई.

उसने कहा- रूको …

वो विलेज गर्ल झट से अपना दुपट्टा उठा कर मेरे लंड को पौंछने लगी. लंड को अच्छे से साफ किया और बोली- अब पहन लो.

मैंने कपड़े पहन लिए और जाने को कहा … तो उसने मुझे हग करना चाहा, पर मैंने उसे रोक कर कहा- मेरे लंड का पानी अभी तुम्हारे ऊपर है … अब चिपकोगी तो मेरे कपड़े भी खराब कर दोगी.

वो हंस पड़ी. मैंने उसे थोड़ा झुकाया और खुद भी थोड़ा झुक कर एक किस किया और बाहर निकल गया.

वहां से निकल कर सीधा में मुनीर के घर गया, तो वहां फिर से सब सवाल पर सवाल पूछने लगे.

‘इतनी सुबह कहां निकल गए … वगैरह वगैरह.’

उन सबको मैंने फिर से बात बना कर मामला सुलझा लिया. फिर नाश्ता किया. कुछ देर इधर उधर वहां आस पास के और भी लोग थे, जिनसे जान पहचान थी. उन लोगों से मिल कर मैं मुनीर के घर आ गया. अब अपने घर जाने की इज़ाज़त मांगी. उन लोगों ने रोकने की बहुत कोशिश की, पर मैंने मना कर दिया और वहां से निकल गया.

उनके घर से निकल कर थोड़ी दूर जाकर मैंने बाइक रोकी और गुड़िया को फोन करने लगा कि उसको बता दूं कि अब जा रहा हूँ.

उसने फोन नहीं उठाया.

मैंने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की और वहां से निकल गया.

आधे रास्ते का सफ़र किया था कि उसका फोन आ गया.

मैंने उसको बताया कि मैं जा रहा हूँ.
तो उसने कहा- एक दो दिन और रुक जाते … अभी जी भरा नहीं था.
मैंने कहा- जी तो मेरा भी नहीं भरा और भरेगा भी नहीं … क्योंकि ये चीज़ ही ऐसी है कि लंड एक समय पर खड़ा होना बंद कर दे, फिर भी मन तो करेगा ही.

वो हंसते हुए बोली- हां … मगर अभी तो रुक जाते.
मैंने कहा- कोई बात नहीं फिर आ जाएंगे … उसमें क्या है.

वो- अच्छा तुम दो दिन बाद आ सकते हो?
मैं- नहीं यार दो दिन मैं फिर से आऊंगा तो लोग शक करेंगे.
वो- सोच लो पूरी रात का मौका है और इस बार मज़े करने का पूरा इंतज़ाम भी रहेगा.

मैं- कैसा इंतज़ाम?
वो- वो जब आओगे तो पता चल जाएगा.
मैं- ठीक है अभी मैं रास्ते में खड़ा होकर बात कर रहा हूँ … तो अभी फोन रख दो. मैं घर पहुंच कर बात करता हूँ.

इसके बाद हमने फोन रख दिया और मैं अपने घर को निकल पड़ा.

मैं घर पहुंचा, तो मेरे लिए सरप्राइज़ था. मेरा जिगरी और सबसे अज़ीज़ दोस्त कुच्ची दिल्ली से आ गया था.

उससे मिल कर मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं था- अबे यार तू कब आया और बताया क्यों नहीं कमीने.
मैं कुच्ची से गले मिलते हुए बोला.
कुच्ची- अबे कमीने अगर बता दिया होता कि मैं आ रहा हूँ … तो तेरी खुशी कहां देखने को मिलती.

कुच्ची ने इतना बोलकर मेरे कंधे पर हाथ रखा और कान में आहिस्ते से बोला- तो वो फोन वाली लड़की को चोदा कि नहीं … क्या नाम था उसका?
मैं- गुड़िया!

हम दोनों ने साथ में ही नाम लिया.

कुच्ची- हां हां … वही क्या हुआ मिला उससे?
मैं- हां उसी से मिलकर तो आ रहा हूँ. आज सुबह ही चोदम पट्टी हुआ है.

मेरी बात सुन कर वो खुशी से ऐसे उछल पड़ा … जैसे कि उसी ने गुड़िया को चोद लिया हो.

कुच्ची- तो जल्दी बता क्या क्या कैसे कैसे किया … कितनी बार चोदा … सब जल्दी बता … मैं इसी लिए तो भाग आया मुझे पता था. तूने गांव पहुंचते ही चोदम पट्टी चालू कर दिया होगा.
मैं- हां तो तुझे बताया तो था सारी बात.
कुच्ची- अब ये बता क्या किया.
मैं- हां चल घर पर चलते हैं … फिर आराम से बात करेंगे.
कुच्ची- तू चल … मैं आ रहा हूँ.

मैं वहां से चल घर पहुंच कर कपड़े उतारे और नहाने जाने को हुआ कि तब तक कुच्ची आ गया.

कुच्ची- अरे लंड पर बुर का पानी लग गया … जो साले नहाने जा रहा है?
मैं- अब लड़की को चोदूंगा तो बुर का पानी तो लगना ही है. तू बैठ, मैं नहा कर आता हूँ.

मैं नहाने चला गया. नहा कर आया तो मैंने और कुच्ची ने घंटों बैठ कर काफ़ी बातें की. मैंने उसको गुड़िया की चुदाई की पूरी दास्तान बताई.

फिर हम घर से निकल कर चौराहे पर आ गए. चाय समोसे खाए पिए … दोनों दोस्त मस्त मगन हुए घूमते टहलते हुए रास्ते में जा रही हर लड़की को आंखों से चोदते उनकी गांड और चूचियों के बारे में बात करते रहे और खूब मज़े किए. फिर शाम हो गयी, तो हम घर आ गए.

घर आ कर जैसे ही कुच्ची ने कहा कि इतनी देर से हम साथ में हैं, उसका फोन नहीं आया.

मैं अब तक कुच्ची का साथ पाकर गुड़िया को भूल ही गया था. मैंने भी उसकी बात पर बोला- हां यार उसने …

इसके आगे में कुछ बोलता तभी फोन रिंग होने लगा. फोन निकाला तो उसी का था.

मैंने कुच्ची को बताया, तो वो बोला- अबे कितना चोद दिया था कि उसकी बुर में अब जाकर खुजली हुई है.

मैंने कुच्ची को चुप रहने बोला और फोन उठाया.

मैंने कहा- हैलो.
वो- हां बोलो जानू.
मैं- जानू की बच्ची अभी फोन कर रही हो … कब से इंतज़ार कर रहा था.
वो- ऊन्ह सॉरी जानू … घर में थोड़ा काम में बिज़ी थी ना … तो इसी लिए फोन नहीं किया.
मैं- चलो ठीक है … और बताओ!

वो- और सब ठीक है … तुम बताओ कल नहीं परसों आ रहे हो कि नहीं!
मैं- परसों ही क्यों?
वो- क्योंकि परसों मेरे अब्बू मेरी दादी को लेकर मेरी फूफी के घर जा रहे हैं … और वो दूसरे दिन वापस आएंगे, घर में बस मैं मेरी मम्मी और मेरी बहन ही होंगे.
मैं- तो!
वो- तो क्या … मेरी बहन मम्मी को संभाल लेगी और मैं तुम्हें.

ये सारी बात कुच्ची भी मोबाइल पर कान लगा कर सुन रहा था.

कुच्ची ने मुझसे इशारे से कहा- हां बोल दे.

तो मैंने उसे हां कह दी. वो एकदम खुश होकर बोली- आई लव यू जानू … मैं जानती थी, तुम मना नहीं करोगे.
मैं- कैसे मना कर देता … आख़िर सारी रात तुम्हें चोदने को मिलेगा.

इतना सुन कर कुच्ची हंसने लगा. मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया.

गुड़िया भी पूछ बैठी कि तुम्हारे पास कोई है क्या?

मैं- हां मेरे कुछ दोस्त हैं, जो थोड़ी दूर पर बैठे आपस में बात कर रहे हैं.
वो- ओके … मुझे लगा तुम्हारे पास ही है.
मैं- नहीं वो मुझसे दूर हैं, हमारी बात उनको सुनाई नहीं देगी.

मैं उससे बात कर रहा था मगर कुच्ची मुझे बार बार डर्टी बातें करने को इशारे कर रहा था … तो मैंने भी शुरू कर दी.

मैंने कहा- वो सब छोड़ो, ये बताओ इस बार कैसे चुदवाओगी?
वो- जैसा तुम चाहो.
मैं- वो तो हम जैसे चाहेंगे, चोदेंगे ही … मगर अगर तुम मुझे ये बता दो कि तुम्हें क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं, तो हम दोनों और ज्यादा मज़ा कर पाएंगे.
वो- तुम जो भी करते हो, मुझे सब अच्छा लगता है.

मैं इसके आगे इस बात को बढ़ाना नहीं चाहता था … लेकिन कुच्च्ची मुझे उकसा रहा था … तो मैंने बात आगे बढ़ाई.

मैंने कहा- अच्छा तुम्हें सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगा?
वो- जब तुम मेरी चूची को चूसते हो, तो मुझको बहुत अच्छा लगता है.
मैं- अच्छा!
वो- हां.

मैं- जब मैं तुम्हारी चुचियों को चूस रहा होता हूँ … तो तुम्हारा क्या करने का मन करता है?
वो- मेरा मन तो करता है तुम मेरी चूचियों को बस ऐसे ही चूसते रहो और जब तुम मेरे निप्पल को जैसे बच्चे दूध पीते हैं, वैसे चूसते हो … तो मेरी आंखें बंद होने लगती हैं. सच में बहुत अच्छा लगता है. अभी तुमसे बात कर रही हूँ, तो भी मेरी बुर गीली हो रही है. यदि तुम अभी पास होते, तो हालत खराब हो जाती.
मैं- क्या हालत होती है?
वो- बस दिल करता है कि तुम अपना लंड डाल दो मेरी बुर में.

अब तो विलेज गर्ल की कामुक बातें सुनकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था … तो मैंने कहा- मेरा लंड भी खड़ा हो गया है … तुम्हारी बुर में घुसने के लिए.
वो- तो आ जाओ … घुसा दो.
मैं- आऊंगा … तो बहुत चोदूंगा तुम्हें.
मैं भी खूब चुदवाऊंगी. अच्छा सुनो न जानू … मैं थोड़ी देर बाद में बात करती हूँ … अम्मी बुला रही हैं.
मैं- सुनो तो एक मिनट!
वो- बाद में बात करती हूँ बाइ.

अगली बार उस रॉंग नम्बर वाली विलेज गर्ल सेक्स स्टोरी में आपको फिर से उसकी चुदाई की दुनिया में ले चलूंगा. तब तक के लिए आदाब. आप मुझे मेल करना न भूलें.

[email protected]

विलेज गर्ल सेक्स स्टोरी जारी है.

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