पुराने यार के लंड ने मजा दिया-2

(Purane Yar Ke Lund Ne Maja Diya- Part 2)

नमस्कार दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
पुराने यार के लंड ने मजा दिया-1
में आप लोगों ने पढ़ा कि कैसे मेरा पुराना यार एक डॉक्टर निकला था और मैंने उसके लंड का मलाई निकाली थी.

अब आगे:

अगले दिन संडे था. उससे मिलने का टाइम भी फिक्स हो गया था. दोपहर 12 बजे के बाद प्रोग्राम था. उसने कहा भी था कि ऊपर सज-धज कर आना या न आना, उससे मुझे मतलब नहीं है, लेकिन नीचे पूरी तैयारी होनी चाहिए.

इसलिए रविवार के दिन मैं उससे मिलने जाने के लिए अच्छे से तैयार हुई. चुत के बाल बिल्कुल साफ कर लिए. लेकिन मुझे मालूम है कि वो मेरी गांड की छेद का दीवाना है. मुझे बखूबी याद है कि जब भी वो मुझे पेलता था, तो ज्यादा बार मेरी गांड ही मारता था.

जब उसने मेरी चुदाई अपने 3 दोस्तों के साथ की थी, तब भी उसने सिर्फ मेरी गांड ही मारी थी. वो ग्रुप सेक्स की कहानी किसी और दिन बताऊँगी क्योंकि उसे लिखने में मेरी चूत की हालत पूरी ख़राब हो जाती है.

मैंने उस दिन साड़ी नहीं पहनी क्योंकि मैं डर रही थी कि अगर वहां कुछ गड़बड़ हुई, तो साड़ी पहनने में ज्यादा टाइम लगेगा. इसलिए मैंने कुर्ती और लेगिन्स पहन ली. न ही ब्रा पहनी और न ही पैंटी … क्योंकि वहां पर उतारनी ही पड़ती. लेगिन्स का तो आप जानते ही हैं, कितनी कसी हुई होती है. इसके बाहर से बिना पैंटी के मेरी चुत का पूरा आकार साफ़ दिख रहा था.

खैर … चुत को ढकने में कुर्ती काम कर रही थी, नहीं तो बाहर रास्ते में ही चोदू लोग मुझे अपने लंड की गर्मी निकालने के लिए उठा ले जाते.

अभी बारह बजने में 5 मिनट बाकी थे. सो मैं बेटी को गोद में लेकर चल दी. साथ में दूध की बोतल भी ले ली … क्योंकि वहां जो मेरी चूचियों में दूध है, वो डॉक्टर छोड़ता नहीं.

मैंने डॉक्टर को फ़ोन किया. उसने कॉल उठाया और बोला- अभी रास्ता सुनसान है … कोई नहीं है … आ जा.
मैं तुरंत बोली- तेरा क्लिनिक तो बंद है.
डॉक्टर ने बोला- तुम मेरे क्लिनिक के बगल से जो गली है … उसमें जाओ. आगे जाकर बाएं हो जाना, मैं दरवाजे में मिलूंगा. मैंने पीछे का दरवाजा खोला हुआ है.

मैं गई और डॉक्टर के क्लिनिक के अन्दर चली गयी. उफ्फ्फ … मेरी तो आंखें फटी रह गयी. मेरा डॉक्टर यार बिल्कुल नंगा खड़ा था.

वो लंड हिलाता हुआ बोला- चल जल्दी से दरवाजा बंद कर दे … और फटाफट नंगी हो जा … बहुत दिन हो गए तुझे नंगी देखे. कल जब से तुम्हें देखा … तब से दिल दिमाग और लंड … तुम्हारी गांड के छेद पर अटका है.

उसने मेरी बेटी को गोद से ले लिया. मैंने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया.

मैं बोली- बेटी तो अभी जग रही है … फिर कैसे?
उसने बोला- इसकी भूख मिटी हुई है?
मैं बोली- हां.

तब उसने अपने टेबल पर रखी पुड़िया में उंगली लगाई और हल्का से मेरी बेटी की मुँह में लगा दी.

मेरी बेटी थोड़ी देर में एकदम से सो गई. मैं डरी कि ये इसने क्या किया.

उसने बोला- कुछ नहीं होगा, थोड़ी देर के लिए सुला दिया है. तुम चिंता मत करो … मैं हूँ न.
मैं चिंतित सी दिखने लगी.

मेरे चेहरे पर चिंता देख कर वो मेरे पास आया और बोला- तुम चिंता मत करो, मैं डॉक्टर हूँ … थोड़ी देर में नींद से उठ जाएगी.

ये कहते हुए उसने मेरी चूचियों को सहलाना शुरू किया और मेरे होंठों पर होंठों को रख किस करने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी. वो तो मेरे लिए पहले से ही नंगा था. मैं उसके लंड को पकड़ सहलाने लगी. वो मेरे होंठों को पूरा दबा कर चूसे जा रहा था. मैं उसके लंड को हाथ से रगड़े जा रही थी. पता नहीं अचानक से उसने मेरी कुर्ती फाड़ दी.

मैंने एकदम से भौंचक्की रह गई कि ये इसने क्या कर दिया. मैंने उसे धक्का देते हुए खुद से अलग किया और बोली- ये कर दिया … अब मैं घर कैसे जाउंगी?
वो बोला- चिंता मत करो तुम्हारे लिए मैं नई साड़ी लाया हूँ … साथ में ब्रा पैंटी भी … लेकिन अभी नहीं पहनना क्योंकि चुदाई के समय कपड़ों का क्या काम … अरे मेरी रंडी, अब थोड़ा पहले की तरह खुल जा न …

ये बोल कर हाथ में लंड पकड़ वह चेयर पर बैठ गया. मैं भी चुदास से जग उठी. मैंने खुद अपनी बाकी बची कुर्ती खुद फाड़ दी और ऊपर से नंगी हो गयी.

मैं पीछे से घूम कर झुक गयी. सोचिये अगर कोई 36 की गांड वाली औरत सिर्फ लेगिन्स में झुक जाए, तो क्या होगा. उसे मैं किसी रंडी की तरह अपनी चूत और गांड की साइज पूरी तरह से दिखाने लगी.

फिर मैंने जैसे ही लेगिन्स उतारने लगी, वैसे ही वो पीछे आया और मेरी लेगिन्स भी फाड़ दी. उसने मुझे पकड़ कर घुटनों पर बैठा दिया.

फिर क्या था, मैं उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वाह क्या मस्त लंड था … साला पूरा 8 इंच लंबा और मेरी कलाई जितना मोटा. मैं उसे बड़े प्यार से चूसने लगी. बीच बीच में वो कभी मेरे मुँह को चोदने लगता … और कभी मैं खुद उसके लंड को अपना सर आगे पीछे करके अपना मुँह चुदवाने लगती.

कोई 12-15 मिनट की लंड चुसाई के बाद उसने सारा लंड माल मेरे मुँह में छोड़ दिया. मैं उसकी सारी गाढ़ी रबड़ी पी गयी. कल की तरह फिर उसने मुझे गोद में उठा कर अपनी टेबल पर लिटा दिया.

अब वो मेरी चुत और गांड को बड़ी बेरहमी से चाटने चूसने लगा- बिंदु, आज तेरी गांड मेरे लंड पर राज करेगी.

वो गांड चाटते हुए न जाने कुछ कुछ बड़बड़ाने भी लगा था. मैं सश्ह हह की सीत्कार लेने लगी.

दस मिनट की चुसाई के बाद मैंने भी पानी छोड़ दिया. जैसे ही मैंने पानी छोड़ना शुरू किया, उसने अपना लंड चूत पर रख दिया और मेरे चूत रस से अपने लंड को गीला करने लगा.

जब मैं पूरी तरह झड़ गयी, तब उसने खूब सारा थूक मेरी गांड की छेद पर लगा दिया.

मैं समझ गई कि मुझे क्या करना है. मैंने अपनी दोनों टांगें जोड़ कर हवा में उठा दीं और अपने दोनों हाथों से गांड के छेद को फैला कर कहा- आ जा डॉक्टर … तुम्हारी रंडी का छेद बिल्कुल तैयार है.

उसने मुस्कुरा कर अपने लंड का टोपा मेरी गांड की छेद में फंसाया और बोला- तुझे जितना चीखना चिल्लाना है, चीख लेना … इधर तेरी कोई नहीं सुनने वाला है.

ये बोलते ही उसने एक झटका दे दिया और अपना पूरा का पूरा मोटा लंड मेरी गांड में उतार दिया.

एकदम से मूसल जैसा लंड घुसा, तो मेरी आँखें फट गईं. मैं जोर से चिल्लाई- हाई मैया रे … मार डाला तूने तो …
वो बिना मेरी परवाह किए मुझे चोदने लगा. वो मुझे पेलते हुए बोलने लगा- डार्लिंग आज मैं कोई रहम नहीं करूँगा..!

डॉक्टर पूरी ताकत से मुझे चोदने लगा. एक दो बार लंड अन्दर बाहर हुआ, तो गांड ने भी लंड को झेल लिया. अब मैं भी पूरी मस्ती से सीत्कार भर रही थी.

मैं ‘उंह आह … आह..’ कर रही थी. उसके टट्टे मेरी गांड से टकरा कर थुप थुप की आवाज कर रहे थे. मेरी चूचियां ऐसे हिल रही थीं … मानो जैसे कोई भूकंप आ गया हो.

वो लंड अन्दर बाहर करते हुए लगातार बोले जा रहा था- आह … ले साली और अन्दर ले …
मैं भी उसे ललकारने लगी- उन्हह … और जोर से चोद … आह … और जोर से … कुछ नहीं हो रहा तुम्हारे लंड से मुझे … साले गांडू … बस इतनी ही दम थी … चोद भोसड़ी के …

अपनी गांड उठा उठा कर मैं भी पूरी ताकत से चुदवा रही थी. ऐसे ही 15 मिनट की ताबड़तोड़ गांड चुदाई में मैं बेहद थक चुकी थी और आगे चुत में उंगली चलाने से भी 2 बार झड़ चुकी थी.

जब मैं तीसरी बार होने को आयी, तो मैं उससे बोली- बस करो अब … मैं फिर से झड़ रही हूँ.
उसने तुरंत अपना लंड निकाला और एक ही झटके में मेरी चूत में लंड उतार दिया … जिससे मेरा दर्द और बढ़ गया. कुछ धक्कों के बाद मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया.

फिर उसने अपना लंड मेरी चुत से निकाला, उसका लंड चुतरस से भीगा हुआ एकदम चिकना चमक रहा था.

वो मेरी चूचियों को चूसने लगा. डॉक्टर बोला- आह तेरी चूचियां तो दूध से भरी हैं … मजा आ गया.

वो जोश में मेरे दूध पीने लगा. मैं भी जोश में थी क्योंकि जब तक मैं चुदाई के समय चोदने वाला का वीर्य नहीं देख लेती, मेरी चुदास शांत नहीं होती.

मैं भी बोलने लगी- खा जाओ न इनको … तुम्हारे ही मम्मे हैं मेरे राजा.

कुछ देर चूचियों चूसने और दबाने के बाद उसने मुझे जमीन पर घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी गांड चोदने लगा. मैं भी अपनी गांड मटका मटका कर चुदवाने लगी. जब वो लंड अन्दर करता, तब मैं और गांड अपनी पीछे को कर देती. जब वो लंड बाहर करता, तो मैं अपनी गांड आगे कर देती.

इसी पोजीशन में चुदाई काफी देर तक चलती रही. कोई 20 मिनट की इस दमदार चुदाई में मैं 4 बार पानी छोड़ चुकी थी. इसके बाद उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ दिया. जब तक उसने अपना लंड खाली किया, तब तक उसने मेरी चूचियां इतनी जोर से दबा कर रखीं कि मेरी चूचियों से दूध की धार टपकने लगी.

फिर वो मेरे ऊपर से हट गया. वो लेट गया और दस मिनट हम दोनों जब अपनी सांसें नियंत्रित कर चुके. तो उसने मुझे अपने आगोश में भर लिया. हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

वो बोला- अब कब आओगी?
मैंने कहा- अब इतने मोटे लंड को छोड़ कर किसी और का लंड क्या काम करेगा. मुझे तो तुमसे मिलने आना ही पड़ेगा.
उसने कहा- अगले संडे को मैं तेरा इन्तजार करूंगा.
मैं हामी भर दी.

उसने कभी रात में मिलने का कहा, तो मैंने उससे पूछा- मुझे तो कोई दिक्कत नहीं होगी … पर क्या तुम अपनी बीवी से अलग होकर मेरे पास आ सकते हो.
वो बोला- वो मैं देख लूंगा … तुम अपने पति से क्या कहोगी?
मैंने कहा- वो महीने में सिर्फ दो तीन दिन के लिए ही घर आता है.
डॉक्टर खुश हो गया और उसने मेरी चूचियां दबा दीं.

फिर हम उठे और उसने मुझे एक थैली दी. इस बैग में वो मेरे लिए जो कपड़े लाया था, वो थे.

मैं बाथरूम में गयी … खुद को साफ किया. उसने बड़ी मस्त ब्रा लाकर दी थी. इस ब्रा में से मेरी चूचियों का आकार ब्लाउज के ऊपर से और भी उठा हुआ लग रहा था. पैंटी तो सिर्फ नाम की थी, उसमें से चुत की फांकें साफ साफ नुमायां हो रही थीं. मैं तैयार हो कर बाहर आ गयी. वो भी अपने पहन चुका था.

उसने मुझे गले से लगाया और बोला- आती जाती रहना.
मैं बोली- जरूर.

फिर मैं अपनी बेटी को लेकर घर आ गयी. मेरे घर पर कोई होता ही नहीं था, तो कौन पूछता कि तुम्हारे कपड़े कैसे बदल गए.

ये थी मेरी सच्ची पुराने यार डॉक्टर से चुदाई की कहानी. आपको पसंद आई हो, तो मेल जरूर कीजियेगा.
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