मेरी चूत का टैटू-2

(Meri Chut Ka Tatoo- Part 2)

मेरी कहानी के पहले भाग
मेरी चूत का टैटू-1
में आपने पढ़ा कि मुझे अपने ससुराल के गाँव जाने का मौका मिला। वहां रहने वाली मेरी भतीजी के चूतड़ों पर टैटू देख मेरी गांड जल गई. कि मैं शहर की हूँ और मेरे बदन पर एक भी टैटू नहीं.. और ये गाँव में रह कर गांड पे टैटू बनवाये फिर रही है. मैंने सोच लिया कि मैं भी टैटू बनवाऊँगी.
मैंने अपनी चूत पे टैटू बनवाने का फैसला किया और पहुँच गई स्टूडियो में… पहली सिटिंग में एक लड़की से आधा टैटू बनवाया और बाक़ी अगले दिन होना था. लेकिन अगले दिन वो लड़की नहीं मिली.

उस लड़की ने फोन पे किसी गगनप्रीत को बुलाया। एक लड़का आया, उम्र लगभर 25-26 साल, लंबा 6 फीट, और बहुत ही शानदार मसकुलर बॉडी, जिम जा कर पूरी तरह तराशा हुआ बदन, काली आधी बाजू की टी शर्ट और काली ही जीन्स पहने हुआ था। रंग थोड़ा सा सांवला था, मगर नैन नक्श बहुत ही तीखे।
एक बार ही उसको देख कर मेरे दिल में जैसे कोई काँटा चुभा हो कि ‘हाय, क्या शानदार नौजवान है। इसको तो किसी फिल्म में शानदार विलेन होना चाहिए।’

उसकी अपनी बाजू, गले और हाथ पर भी कई सारे टैटू बने हुये थे। एक बार तो उसको देख कर मेरा भी दिल धड़क गया।
वो मुझे अपने साथ अपने स्टूडियो में ले गया।
मैंने उस से पूछा- क्या नाम है तुम्हारा?
वो बोला- जी गगन प्रीत सिंह है।

मैंने कहा- कितने साल हो गए, टैटू बनाते हुये?
वो बोला- जी 5 साल से बना रहा हूँ।
मैंने कहा- देखो गगन, मुझे पूरी प्राइवेसी चाहिए।
वो बोला- आप चिंता न करें मैडम, यहाँ आप पूरी तरह से निश्चिंत हो कर काम करवा सकती हैं।

मैं अपने आप काउच पर लेट गई। वो भी अपना सारा समान लेकर मेरे पास आ बैठा।
मेरी तरफ देख कर बोला- हां जी मैडम!
मैंने कहा- देखो गगन, मैं परसों भी आई थी, और मैंने टैटू बनवाना शुरू भी कर दिया था, मगर मेरी स्किन बड़ी सेंसिटिव है, इसलिए मुझे उस दिन भी थोड़ी सूजन आ गई थी।
वो बोला- ओ के… पर आपने टैटू बनवाया कहाँ पे था?

मुझे पहले तो बड़ी शर्म सी आई, फिर मैंने उसे कहा- मैं तुम पर पूरा भरोसा कर सकती हूँ?
वो बोला- बिल्कुल मैडम, ये मेरा काम है और काम में मैं कोई भी बेईमानी नहीं करता।

तो मैंने अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहा- वहाँ, वहाँ पर टैटू बनवाना है।
उसने कहा- मैं देख सकता हूँ?
मैंने कहा- हाँ, देख लो, पर प्लीज…
वो मेरी बात समझ गया- आप निश्चिंत रहें मैडम!

और उसने मेरी साड़ी ऊपर उठानी शुरू की। सच में मर्द के हाथ का लगना ही बदन में बिजली दौड़ा देता है, और जबकि उसने सिर्फ मेरी साड़ी को ही छुआ था। मेरी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसने मेरे पेट पर रख दिया।
नीचे मैंने पेंटी पहनी थी।
वो बोला- ये मैडम?
मैंने कहा- उतार दो!
कुछ कुछ तो मैं भी हरामी हो रही थी।

उसने मेरी पेंटी के दोनों तरफ अपने अंगूठे फंसाए और खींच कर मेरी पेंटी मेरे घुटनो से भी नीचे उतार दी। मेरे रीढ़ की हड्डी में सौ बार सिहरन जागी हो जैसे। एकदम से जैसे मुझे पसीने आ गए हों।
उसने मेरी चूत को देखा और फिर बोला- डोंट वरी मैडम, आज आपको न दर्द होगा, न ही स्वेल्लिंग आएगी। आप बस अपनी टाँगें चौड़ी कर लीजिये, और हो सके तो ये साड़ी और पेटीकोट भी उतार दीजिये।
उसके व्यावसायिक व्यवहार ने जैसे मुझे बहुत प्रभावित किया हो, मैं उठी और अपनी साड़ी खोली, पेटीकोट खोला और उतार दिया और सिर्फ ब्लाउज़ पहने उसके सामने काउच पर अपनी टाँगें खोल कर लेट गई।

उसने पहले अपने हाथों में दस्ताने पहने, फिर एक स्प्रे किया, उसके बाद एक तेल से मालिश की।
मगर एक बात थी, बेशक वो मेरी चूत को छू रहा था, मगर मुझे चूत को छूने से कोई फीलिंग नहीं आ रही थी, हाँ उसको देख कर मुझे बहुत फीलिंग आ रही थी।

उसकी एक बाजू बिल्कुल मेरे पास थी, जिस पर गहरा सा टैटू बना था।

उसने दोबारा से स्टेंसिल रख कर डिजाइन उकेरा और फिर मशीन लेकर लगा टैटू बनाने। मगर आज सच में मुझे न तो कोई दर्द हुआ, और ना ही मेरे स्वेल्लिंग आई।
हाँ पर इतना ज़रूर था कि मुझे इस काम में बहुत मजा आ रहा था, इतना मजा के मेरी चूत गीली हो गई, और जब मेरी चूत गीली होती है, तो बहुत पानी छोड़ती है। शायद इसी लिए उसने मशीन रोक कर मुझे एक नेपकिन दिया और बोला- मैडम, आप साफ कर लीजिये।

मैंने उठ कर देखा तो मेरी चूत से पानी बाहर टपक रहा था और नीचे काउच पर भी लग रहा था।
मुझे बड़ी शर्म आई, मैंने कहा- आई एम सॉरी!
और मैंने नेपकिन से अपनी चूत का पानी साफ किया।

वो बोला- कोई बात नहीं मैडम, ऐसा अक्सर हो जाता है।
मैंने अपनी चूत साफ करके उसे फिर से काम शुरू करने को कहा। मगर मैं तो उसके स्पर्श से गरम होती जा रही थी। दो मिनट बाद ही उसने मुझे फिर से नेपकिन पकड़ा दिया मगर बोला कुछ नहीं।
मैंने कहा- तुम ही साफ कर दो।

पहले तो उसने मेरी तरफ देखा, इस बार उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। उसने नेपकिन लिया और मेरी चूत दोनों होंठ खोल कर अंदर तक साफ कर दिया। मगर साफ करते ही फिर पानी आ गया।
वो बोला- मैडम, ये तो बहुत पानी आ रहा है.
और उसने एक नेपकिन की तह लगा कर मेरी चूत के दोनों होंठों के बीच में फंसा दिया।

मगर मेरे दिल की हालत तो और खराब होती जा रही थी। मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, एक नौजवान लड़के के सामने नंगी हो कर बैठना ही मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था।
मेरा बार बार दिल कर रहा था कि मैं उस से पूछूँ, क्या वो मुझे चोदेगा। मेरा दिल बार बार मुझे मजबूर कर रहा था उस से यही सवाल पूछने को।

फिर कुछ अचानक हुआ, मैंने उस लड़के की बाजू को छुआ। उसने मेरी तरफ देखा, मेरी आँखों में वासना ही वासना भरी थी। मैंने अपनी दोनों बाहें उस की तरफ उठा दी।
वो बोला- सॉरी मैडम, इट्स माई जॉब, मैं ये नहीं कर सकता।
मैंने पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को छू कर देखा, वो एकदम से पीछे हटा, मगर उसका अपना लंड भी अकड़ चुका था।

मैंने कहा- तुम नहीं कर सकते, ये तो कर सकता है।
वो क्न्फ्यूज सा हुआ खड़ा था, मैं उठी और उठ कर उसके बदन से चिपक गई।
पत्थर जैसा सख्त बदन।

उसने मेरे कंधे पकड़े और बोला- मैडम प्लीज़!
मैंने कहा- यही बात तो मैं कह रही हूँ… प्लीज़।
वो इधर उधर देखने लगा।

मैंने कहा- देखो, ज़िंदगी में एक बात याद रखना, कभी भी किसी कामुक औरत को प्यासी मत छोड़ना।

वो जैसे मजबूर सा हो गया था। मैं नीचे बैठ गई और उसकी बेल्ट और पेंट खोल दी। वो हिला तक नहीं।
पेंट नीचे खिसका कर मैंने उसकी चड्डी उतार दी, अंदर से काले रंग का 7-8 इंच का पूरा अकड़ा हुआ लंड बाहर को झूल कर आया।
बाहर निकलते ही मैंने उसे पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया।

मर्द का कड़क लंड, दुनिया का सबसे खूबसूरत नज़ारा है। दो मिनट चूसने के बाद मैं उठी और उसी काउच पर एक घुटना रख कर घोड़ी सी बन कर खड़ी हो गई। मेरी गोरी गोल गांड अब गगन प्रीत की तरफ थी और उसके लंड का इंतज़ार कर रही थी।
मैंने पीछे नहीं देखा, पर तभी मुझे मेरी कमर पर दोनों तरफ दो सख्त मर्दाना हाथों की पकड़ महसूस हुई। उसके बाद एक लंड का टोपा मेरी चूत के मुँह से टकराया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
और फिर वो टोपा मेरी चूत के होंठ खोल कर अपने ज़ोर से अंदर घुस गया, मोटा मजबूत लंड… धकेलते धकेलते उसने अपना सारा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। भर गई मेरी चूत।
पूरी तरह से टाइट लंड, मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।

मैंने कहा- गगन प्रीत, तुम चाहो तो मेरा ब्लाउज़ और ब्रा भी खोल सकते हो!
वो बोला- बाद में मैडम।

पहले वो धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था, मगर जब उसका सारा लंड मेरी चूत के पानी से भीग गया और पिच पिच आवाज़ आने लगी, तो उसने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी, इतनी बढ़ा दी कि जब उसकी कमर आ कर पीछे मेरी गांड से टकराती तो बड़े ज़ोर की ‘ठप्प… ठप्प…’ की आवाज़ आ रही थी, साथ में मेरी ‘हाय… उफ़्फ़…’ अलग से थी।

5 मिनट की लाजवाब चुदाई ने मेरा काम कर दिया, मेरी चूत ने पानी की धार मारी और मैं स्खलित हो कर ढीली हो गई, मगर वो अभी भी कायम था। मेरे ढीली पड़ते ही उसने मुझे सीधा करके लेटा दिया और जहां काउच पर मेरा टैटू बनना था, वहाँ अब मेरी चूत में काला लंड घुस रहा था। अब हम एक दूसरे के बिल्कुल सामने थे।

उसने मेरे ब्लाउज़ अपने हाथ से खोला और और मेरा ब्रा भी और दोनों उतार कर एक तरफ रख दिये। मैंने उससे कहा- इनमें दूध भी आता है, चाहो तो पी सकते हो।
वो बोला- नहीं मैम, मुझे तो बस मोटे मोटे मम्मों से खेलने में ही मजा आता है।
मैंने कहा- तो खेलो न फिर।

उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर दबाये तो मैंने भी उसका चेहरा अपनी तरफ खींच कर उसके मुँह में सीधी अपनी जीभ ही डाल दी, वो मेरी जीभ चूसने लगा और फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली।
दोनों अपनी अपनी जीभ से एक दूसरे के होंठ जीभ, मुँह सब चाट रहे थे। नीचे से घपाघप्प चुदाई चल रही थी।

उसने जब मेरे निप्पल दबाये तो उनमें से दूध की धार बह निकली जो मेरे पेट से हो कर उसके लंड और मेरी चूत दोनों को धो रही थी।
मैंने अपनी दोनों बांहें उसके गले में डाल कर उसका चेहरा पूरे ज़ोर से अपने चेहरे से चिपका रखा था, मैं एक पल के लिए भी चुदते हुये उसके चुम्बन को रोकना नहीं चाहती थी।
मुझे यही पसंद है।
नीचे लंड और चूत की चुदाई और ऊपर ज़ुबान से मुँह की चुदाई।

मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अंदर जहां तक हो सके अंदर डाल कर घुमा दी- ज़ोर से यार, और ज़ोर से चोदो मुझे! मजा आ गया ज़िंदगी का। आज फाड़ दो मेरी चूत को अपने लंड से।

उसने मुझे बहुत कस कर अपने सीने से चिपका लिया, मजबूत बांहों में कसी, उसके सीने से इतनी ज़ोर से चिपक गई कि मेरे मम्मों से दूध अंदर ही अंदर टपक रहा था, मुँह से लार बह रही थी और नीचे चूत से पानी ही पानी गिर रहा था।

और फिर जैसे ही उसके लंड का ज्वालामुखी फटा वैसे ही मेरी चूत की नदी का भी बांध टूट गया, मैं तो जैसे मर ही गई, अपने अंदर तक मैं उसकी वीर्य की गर्म धार को महसूस कर रही और और वैसे ही मैं भी झड़ रही थी।
हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े और दोनों की जीभ एक दूसरी से बंधी। कितनी देर हम उसी हालत में एक दूसरे से चिपके अपने स्खलन का आनन्द लेते रहे। जैसे दोनों चाह रहे हों कि एक नहीं हमें ऐसे सौ, दो सौ, पाँच सौ, हज़ार स्खलन और चाहिएँ।

फिर उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई। हम एक दूसरे से अलग हुए, मगर उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था, उसने पूछा- कैसा रहा मैडम?
मैंने कहा- पूछो मत, बहुत ही मज़ेदार, दिल करता है, मैं रोज़ टैटू बनवाने यहाँ आऊँ, और रोज़ तुम मुझे ऐसे ही चोदो। लाजवाब, इतना मजा तो मेरे पति ने भी नहीं दिया आज तक।

वो बहुत खुश हुआ, हम दोनों उठे तो उसका लंड मेरी चूत से बाहर आया, और बहुत सारा उसक वीर्य और मेरी चूत का पानी अंदर रुका था, वो भी बाहर बह गया।
फिर उसने बाथरूम में जा कर अपने आप को साफ किया, मैं भी उसके साथ ही बाथरूम में घुस गई। सच नंगा बदन बहुत ही शानदार था उसका।

उसने मुझे देख कर पूछा- क्या देख रही हो, फिर से चुदना है?
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ!
वो बोला- क्यों दिल नहीं भरा?
मैंने उसे हंस कर इशारे से ना कर दिया।

वो बोला- नहीं आज बस इतना ही, आज आधा टैटू बना देता हूँ, बाकी कल आना, कल मिल कर बाकी का बना दूँगा।
मैंने कहा- और परसों?
वो बोला- परसों कहीं और बनवा लेना, इतना बड़ा जिस्म है, छोटे छोटे तो हजारों टैटू बन सकते हैं।

फिर अधूरा से टैटू बनवा कर मैं वापिस घर आ गई।

शाम को मेरे पति ने मेरी पेंटी उतार कर मेरी चूत का टैटू देखा तो मैंने कह दिया- अरे यार, वो लड़की बोली कि सेंसिटिव स्किन है, इस लिए रोज़ थोड़ा थोड़ा बनवा लो। आप न… मुझे कल फिर छोड़ आना।
पति बोले- ठीक है, आराम से बनवा लो!

मैं खुश हो गई कि ‘साले तेरे से तो कुछ बनता नहीं, अगर मुझे अपने सारे बदन को भी काला क्यों न करवाना पड़ जाए, पर टैटू तो मैं गगन प्रीत से ही बनवाऊँगी। अभी चूत पर, फिर गांड पर, फिर मम्मों पर, फिर… फिर… और यही सब सोचते मैं सो गई।
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