मौसी बनी छह दिन की बीवी-5

(Mausi Bani chheh din ki biwi- Part 5)

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अब तक मेरी मौसी के साथ सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि आज मौसी की चुदाई का आखिरी दिन था, मौसी बहुत सज संवर कर तैयार हुई थी. मैंने अपनी मौसी को मादरजात नंगी कर लिया था.
अब आगे:

मैंने मौसी से 69 की अवस्था में आने को कहा। उन्होंने तुरंत अपनी जगह बदल ली, मेरी फ्रेंची को अपने हाथ से उतार दिया। अब उनका मुंह मेरे लंड के पास था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी और धीमे से घुमाना चालू कर दिया। मौसी ने मेरे सुपारे को मुंह में भर लिया और आराम से चूसने लगी।

उधर मैं अपनी जीभ से उनकी चूत की मलाई निकालने में लगा हुआ था। वो कभी मेरे टट्टे चूसती तो कभी दाँतों से हल्के से दबा देती तो मैं दर्द से विचलित हो उठता। मैं उनकी चूत में उंगली कर के चूत को गीला कर रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे के अंगों के साथ खेलने के बाद हम एक दूसरे के मुंह में झड़ गये।

फिर मैंने उनको पेट के बल लिटा दिया, उनकी पीठ पर जगह जगह चुम्बन करने लगा। थोड़ी देर बाद मेरे लंड में भी हरकत होने लगी थी तो मैंने उनको घोड़ी बनने को बोला। घोड़ी बनाने के बाद मैंने मौसी की चूत में पीछे से लंड अंदर कर दिया। उनकी चूत किसी भट्टी की तरह तप रही थी।

मैंने उनकी कमर को हाथों से पकड़ लिया और चूत में लंड आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर में मैंने अपने रफ़्तार बढ़ा दी, हर धक्का पहले से तेज़ होता जा रहा था और वो धक्कों के जवाब में बस आह्ह…आह्ह… कर रही थी।
फिर मौसी बोली- ऐसे ही और तेज़ से चोदो, मसल दो मेरी चूत हरामजादी को! तेरे ही लंड से चुदवा कर सुकून मिलता है इसे… मैं आने वाली हूँ!

कुछ 15-20 धक्कों के बाद वो झड़ने लगी। उनकी चूत से निकलते कामरस को मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था लेकिन मैं बिना लंड निकाले उनकी चूत की चुदाई करता रहा और कुछ देर मेरा लंड भी अकड़ने लगा था। फिर 10-12 करारे धक्के लगाने के बाद मैं मौसी की चूत में झड़ने लगा। मेरे लंड से वीर्य की 6-7 पिचकारी निकली। मेरे वीर्य से उनकी चूत लबालब भर गयी थी।

जैसे ही मेरा लंड सिकुड़ कर उनकी चूत से बाहर आया तो हम दोनों का मिश्रित काम रस उनकी चूत से होता हुआ चादर पर टपकने लगा। मौसी बेड पर पेट के बल लेट गई मैं भी उनके बगल में लेट गया।
आज उनके चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे।

मैंने उनके माथे को प्यार से चूम कर उनसे एक बार और करने को पूछा तो उन्होंने अपनी मूक सहमति दे दी।

मैं उनके मम्मे को मुंह में भर कर चूसने लगा। मम्मे का पिंक निप्पल मेरे चूसने से लाल पड़ गया।

फिर मैं उठा और उनकी टाँगों को फैला कर उनकी चूत को पास में पड़े कपड़े से अच्छे पौंछ कर अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी और धीरे धीरे चूत को चाटने लगा। मैं उनकी चूत में अंदर तक जीभ डाल कर उनके उत्तेजक बिंदु के साथ खेलने लगा। मौसी की चूत का दाना अब फड़फड़ा रहा था जिसे मैं कभी मुंह में भर कर खींच लेता तो वो चहक उठती।

फिर मैं बेड पर लेट गया। शायद उनको पता था मुझे क्या चाहिये उन्होंने आगे बढ़ कर गप्प से मेरा लंड मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी। धीरे धीरे हम दोनों गर्म होने लगे थे।
मैंने उनको अपने ऊपर आने को बोला.

मौसी उठी और अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के बगल में रख दी। उन्होंने अपने एक हाथ से लंड को चूत के छेद पर सेट किया और धीरे से नीचे बैठ गई। मेरा पूरा लंड अब उनकी चूत के अंदर था। मौसी अपने भानजे के लंड पर कूदने लगी थी, मैं भी नीचे अपनी कमर को उचका कर उनका सहयोग देने लगा था।
मैं अपने हाथ की बड़ी उंगली को मौसी की गांड के अंदर डाल कर लंड की गति से आगे पीछे करने लगा था। वो अब दोहरे मजे के साथ आनंद के सागर में गोते लगाने लगी, उनके चेहरे पर बिखरे हुए बाल और हवा में झूलते हुए मम्मों को देख कर खुद को रोक न पाया और उनके एक मम्मे को मुंह में भर कर चूसने लगा।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही आपस में उलझे रहे।

मौसी अब थक गयी थी, उन्होंने मेरे सीने पर सर रख दिया और बोली- बेटू अब मैं थक गयी हूँ।
तो मैंने उनको बेड पर सीधा लेटा दिया, मैं उनकी चूत में एक बार मे पूरा लंड डाल देता और बाहर निकाल के फिर से जोर के धक्के से अंदर ठोक देता। मेरे बार बार ऐसा करने से उनकी चूत अंदर से चिपचिपा तरल छोड़ रही थी, वो एक बार फिर पूर्ण रूप से झड़ने को तैयार थी।

मैंने मौसी के दोनों कन्धों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में लंड डाल कर चुदाई करने लगा। कभी मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा देता तो कभी उनको प्यार से हल्के हल्के धक्कों से उनकी चुदाई करने लगता।
उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया और कामुकता भरे स्वर में मुझसे बोली- और जोर से चोद मुझे… मैं आने वाली हूँ…

मौसी मेरी पीठ पर अपने हाथ घुमाने लगी, मैं उनकी चूत में तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा। कुछ देर वो आह्ह…आह्ह…ह्ह्ह कहते हुए जोर से झड़ने लगी। अधिक उत्तेजना के कारण मौसी मेरे सीने पर होंठों से चूमने लगी और मेरी पीठ पर अपने नाखून से जगह जगह निशान बना दिये।
झड़ने के बाद वो बेसुध हो गयी थी।

मैं एक बार पहले झड़ चुका था इसलिये अब मुझे समय लगने वाला था। मैंने मौसी की टाँगें फैला ली। उनकी चूत गीली होने की वजह से चोदते समय उससे फच… फच… की आवाज आ रही थी। मैं भी अब जल्दी से झड़ जाना चाहता था क्योंकि मुझे भी अब थकान होने लगी थी।
मैंने उनकी एक टांग को अपने कंधे पर रख ली और चोदने लगा।

8-10 मिनट की तूफानी चुदाई से मैं झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड उनकी चूत से सटा कर झड़ना चालू कर दिया। उनकी चूत ने फिर से चूतरस छोड़ना शुरू कर दिया था। मेरे लंड से निकलने वाली वीर्य की हर फुहार उनकी चूत की दीवार को भिगोने लगी। मैंने लंड को उनकी चूत में वैसे ही पड़ा रहने दिया।

कमरे में पंखा फुल स्पीड से चल रहा था लेकिन फिर भी हम दोनों पसीने से तर-बतर हो गये थे।
मैंने थक कर अपना सिर मौसी के सीने पर रख कर दिया। हम दोनों में बोलने की भी ताकत नहीं थी। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनके सीने से आती हुई धक्क… धक… की आवाज को मैं साफ़ सुन रहा था।

फिर पता नहीं कब हम सो गये।
मौसी की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अगली सुबह मैं रोज की तुलना में जल्दी उठ गया क्योंकि आज शनिवार था और यही वो दिन था जब मम्मी पापा और मौसा जी कभी भी आने वाले थे। मैंने घर में एक चक्कर घूम कर देखा, हर्ष रोज की तरह स्कूल चला गया था और मौसी घर के काम में व्यस्त थी।

मैंने अपने कपड़े उठाये और नहाने के लिये बाथरूम में घुस गया। थोड़ी देर बाद जब मैं नहा कर निकला तो मौसी किसी से फोन पर बात कर रही थी.
शायद दूसरी तरफ मौसा जी थे।
उन्होंने बताया कि वो दोपहर 2 बजे तक घर आ जायेंगे।
मैंने कपड़े पहने और बेड पर लेट कर टीवी देखने लगा।

मौसी आकर मेरे बगल में लेट गयी और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- क्या हुआ? आज सुबह से मेरे पास नहीं आये? गुस्सा हो क्या हम से?
मैं कुछ नहीं बोला, बस टीवी देखता रहा तो उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने उनसे कहा- अभी आप कुछ देर में घर चली जाओगी, फिर मेरा क्या होगा?
मौसी- तो तुमको क्या लगता है मैं तेरे बिना चैन से रह सकती हूँ। तुमने मेरे अंदर ऐसी कामवासना की आग लगा दी है कि अब तुमसे बिना चुदे एक दिन भी रह पाना मुश्किल है।
मैं बस उनको ध्यान से सुनता रहा।

फिर मौसी ने कहा- मेरा एक काम करेगा?
मैंने कहा- हां बोलो क्या कर सकता हूँ आपके लिये?
उन्होंने कहा- क्या मेरे नीचे के बाल एक बार फिर से बना देगा तू?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।

मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनको आँगन में खड़ा किया, अपने कमरे से सेविंग किट ले आया। मैंने मौसी को आँगन में लेटने को बोला तो वो आँगन में लेट गयी। हमारी छत बाकी घरों से ऊँची है तो किसी के आने का डर नहीं था।

मैंने उनकी मैक्सी को उतार दिया, उन्होंने केवल पैंटी पहनी हुई थी, मैंने उनकी पैंटी को उतारा तो देखा कि मौसी की चूत पर छोटे छोटे बाल फिर से निकल आये थे। मैंने उनकी चूत पे शेविंग क्रीम लगा दी और रेजर से हल्के हाथों से नन्ही उगी हुई झांटों को साफ़ करने लगा। बीच बीच में उनकी चूत को हल्के से सहला देता या उसके दाने को उंगलियों से छू लेता।

मौसी की चूचियाँ अब कड़क होने लगी थी। वो अपने होंठों को दाँतों से मसलने लगी। मैंने उनकी चूत को साफ़ कपड़े से पौंछा और उनकी चूत पर हाथ फिरा कर देखा। उनकी चूत उनके गालों की तरह चिकनी व सॉफ्ट हो गयी थी।

अब उनके ऊपर कामवासना हावी हो गयी थी, उन्होंने मुझे खड़ा किया, मेरे बरमूडा को नीचे करके मेरे लंड को चूसने लगी।
थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा था, मैंने उनको सीढ़ियों पर हाथ रख कर झुकने को बोला। जिससे उनकी चूत पीछे की तरफ निकल आयी थी। मैंने अपनी जीभ उनकी फड़कती हुई चूत पर रख दी और उसे चाटने लगा।
बुर चाटते समय मैंने अपनी दो उँगलियाँ अंदर डाल दी और तेजी से उंगली से उनकी चूत चोदने लगा।

मौसी अब अम्म… याह्ह… आय्य्य… उफ्फ्फ्फ़… करके सिसकारी लेने लगी। थोड़ी देर उनके बदन में कम्पन होने लगा और वो झड़ने लगी।
मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया, उनकी बुर से लगातार बहते हुए कामरस को जीभ से चाटने लगा जिसका स्वाद कुछ सफ़ेद नमकीन पानी जैसा था। मेरा अभी बाकी था तो मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और उनकी कमर को पकड़ के चुदाई करने लगा। उनकी चूत पीछे से किसी गुझिया जैसी लग रही थी जिसमें लंड डालने पर फैल जाती व बाहर निकलने पर सिकुड़ जाती।
थोड़ी देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया।

मैंने मौसी की गांड को हाथों से फैला कर उनके छेद को अपनी जीभ के नुकीले भाग से सहलाने लगा। मौसी मेरी ओर मुंह कर के बोली- छी… वहां मत चाट… वो गन्दी जगह है!
लेकिन मैं फिर भी लगा रहा।
उनके सांस लेने से उनकी गांड का छेद सिकुड़ और फैल रहा था।

मैंने अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाल दिया और उनके कंधों को पकड़ कर मौसी की गांड मारने लगा। उनके दोनों चूतड़ों पर जोर जोर चपत मार मार कर मैंने लाल कर दिया था लेकिन मौसी को शायद इसमें भी मज़ा आ रहा था।
जब भी मेरी कमर उनके चूतड़ से टकराती तो ठप्प की आवाज होती। पूरे आंगन में ठप्प ठप्प का शोर मचा हुआ था।

मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाल कर वापस से उनकी फुद्दी में पेल दिया और उनकी चुटिया को पकड़ लिया, मौसी की फुदी को लंड से मसलने लगा। मेरा गीला लंड उनकी चुत में सरपट भागे जा रहा था।
मौसी फिर से मस्ती में गनगना गई- क्या मस्त चुदाई करता है तू… ऐसे ही चोदता रह अपनी जान को सारी उम्र… तेरी चुदाई की तो कायल हो गई मैं… अपनी रखैल बना ले मुझे!
और पता नहीं क्या क्या बडबड़ाती रही।

कुछ धक्के के बाद वो बोली- रुकना मत, मैं आने वाली हूँ… मैं आई… मैं आई…
कहते हुए वो झड़ने लगी।
उनकी चूत निकलते पानी की गर्मी से मैं खुद पर काबू न रख सका और उनके साथ उनकी चूत में झड़ने लगा। सारा माल मैंने उनके अंदर भर दिया।

हम दोनों नीचे बैठ गये उनकी चूत से अभी भी सफ़ेद तरल बह रहा था।

घड़ी की तरफ देखा तो एक बज गया था। मौसी उठी जल्दी जल्दी खाना बना कर अपना सामान पैक करने लगी। उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया मुझे 8000 रुपये दिये।
मैंने पूछा- कुछ चाहिये क्या आपको?
तो उन्होंने कहा- ये तेरा इनाम है बुद्धू मुझे खुश करने के लिये!

मैंने मना कर दिया तो उन्होंने कहा- रख ले… जो तेरी मर्जी हो वो ले लेना! अगर कम पड़े तो और मांग लेना।

फिर डोर बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला मम्मी पापा और मौसा जी वापस आ गये थे। मौसा जी मौसी के पास गये और धीरे से बोले- आज बहुत सुंदर लग रही हो! क्या बात है?
मौसी बोली- इतने दिन बाद देख रहे हो तो आपको ऐसा लग रहा है।

मैं यह सुन कर हल्के से हंस दिया। मैंने मन में सोचा कि यह सब मेरी मेहनत का नतीजा है। मौसी की तरफ देख कर मैंने आँख मार दी वो शर्मा गयी। पिछले कुछ दिनों से वो मेरे साथ मेरी बीवी बन कर रही। इस बात की ख़ुशी हम दोनों को थी।

थोड़ी देर बाद मौसा ने खाना खाया और मौसी को ले कर घर से चल दिये, रास्ते में हर्ष को भी स्कूल से ले लिया।

उस दिन के बाद जब भी मौसी घर आती तो मैं मौका देख कर उनके होंठ चूम लेता, मम्मे मसल देता या कभी साड़ी के ऊपर से गांड सहला देता। लेकिन हमको सुकून भरी चुदाई करने का मौका नहीं मिल रहा था।

एक बार मौसी के घर में उनकी चुदाई कर रहा था तो उनके घर आयी हुई उनकी जेठानी ने हमको देख लिया। फिर हमने उन्हें भी अपने खेल में शामिल कर लिया।

वो कहानी बाद में लिखूंगा अगर आपकी इजाज़त हुई तो।

पहली कहानी है यह मेरी… इसलिये कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिये माफ़ी चाहता हूँ।

आप सभी लोगे के सन्देश का इन्तजार रहेगा. तो चूत और लंड के प्रेमी व प्रेमिका सन्देश भेज कर मेरा उत्साह बढ़ायें
ताकि कहानी के दूसरा भाग आपके सामने प्रस्तुत करूँ!

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