मेरी मस्त पड़ोसन की चाय और गर्म चूत-3

(Meri Mast Padosan Ki Chay Aur Garam Chut Part-3)

अब तक इस सेक्स कहानी के दूसरे भाग
मेरी मस्त पड़ोसन की चाय और गर्म चूत-2
में आपने पढ़ा था कि

कुछ 20-22 जोरदार शॉट के बाद मैंने भी फचक फचाक से अपना गर्म गर्म वीर्य उसकी चूत में गिरा दिया. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कुछ देर यूं ही पड़े रहे. फिर थोड़ी देर बाद कौशल्या उठी और बाथरूम की ओर जाने लगी. मैंने पीछे झट से उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी गोद में बिठा लिया और पीछे से चुचिया दबा दबा कर हम बातें करने लगे.

“अरे कहां चल दी मेरी रोसोगुला … इतनी जल्दी थक गयी क्या?”
“नहीं मेरे राजा … आज शादी के 25 साल बाद में पहली बार झड़ी हूँ ना इसलिए.”
“क्या बात कर रही हो? तुम इससे पहले कभी नहीं झड़ी थी, तब तो और मजे की बात है … आज मैं तेरी सारी भूख मिटा दूँगा मेरी जान.”
“एक औरत की वासना की भूख मिटा दे, ऐसा कोई मर्द नहीं है दुनिया में मेरे राजा.”
“अच्छा मेरी जान … वो तो है, पर तुझे सन्तुष्ट जरूर कर दूँगा रानी.”

थोड़ी देर आराम से लेटने के बाद मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया, उसे गोद में उठा कर खड़ा हो गया. मेरा लंड अब तक दुबारा खड़ा हो गया. मैंने अपने लंड को धीरे से उसकी चूत पे टिकाया और उसे हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर घुस गया और वो भी मेरे गोद के मजे ले रही थी. कौशल्या की चुचियां मेरी चौड़ी छाती से थप थप टकरा रही थीं. उसे बहुत आनन्द आ रहा था.

“और कौशल्या कैसा लग रहा है मेरी गोद में … कहो तो ठुकाई थोड़ी तेज करूँ?”
“ऐसे चुदने में तो और भी मजा आ रहा है मास्टर … आपका लंड अब पूरा अन्दर तक महसूस हो रहा है … ओरे बाबा आह्हा अहा उम्म अह …”
“अच्छा तो और मजे लो मेरी कोलकाता की रोसगुल्ला …”

मैंने चुदाई तेज कर दी, वो थोड़ा दर्द से आवाज निकालती- आअह्ह अहह …
उसकी चुचियों का मेरी छाती से टकराना … थप थप थप … मेरे लंड का उसकी चूत में पिलना …
सच में क्या रंगीन माहौल था.

फिर मैं कौशल्या को गोद में ही लेकर पलंग पर बैठ गया और उसकी चुदाई जारी रखी. हम दोनों पसीना पसीना भीग कर लथपथ हो गए थे. करीब 15 मिनट मैंने ऐसे ही चुदाई की उसकी. फिर मैं सीधे लेट गया और वो मेरे ऊपर कूद कूद कर चुदवा रही थी. उसने रफ़्तार बढ़ा दी, वो तेजी से मेरे पेट के ऊपर कूदने लगी.

‘आह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्मह …’ करते हुए कौशल्या झड़ गयी और मेरी छाती पे जोर से हाथ मार कर मुझे पकड़ कर ठंडी हो गयी. पर मैंने नीचे से लंड उठा कर उसकी चुदाई जारी रखी.
मैंने उसे फिर से गोद में उठा लिया और बैठे बैठे उसकी चुदाई करने लगा. कौशल्या कुछ सुस्त पड़ने लगी, तो मैंने चुदाई में और तेजी कर दी.

“कौशल्या कौशल्या आई लव यू मेरी रानी, तुम कमाल की हो … काश मेरे जीवन में तुम पहले आती, तुम्हें जिंदगी की हर ख़ुशी देता … ओह आह्ह मेरी जानू उम्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह …”
“आई लव यू टू मेरे स्वामी … मेरे राजा आह्ह ह्ह्ह मास्टर ओ मास्टर आमार दुस्टो रोजा एक्टू धीरे धीरे ओरे बाबा मोरे जेबो आह्ह उम्ह्ह …”
“की होलो कौशल्या आमार मिष्टी दोही, भालो लगछे हम्म …”

मैंने चुदाई जारी रखी. दस मिनट और गुजर गए. कौशल्या फिर से चार्ज हो गयी और जमके मेरा साथ देने लगी.
“मास्टर मेरा राजा … अब तुम रोज मेरी ऐसी चुदाई करोगे ना हम्म.”
“क्यों नहीं मेरी रोसोगुल्ला … तुम हो ही इतनी रसीली … बस अपने मरियल पति को घर से दूर रखना बाकी सारी कमी मैं पूरी कर दूँगा.”

ये कहते कहते मैं जोर जोर से शॉट लगाने में लग गया. मैंने उसे नीचे किया, उसकी दोनों टांगों को फैलाया और अपने लंड से जोर जोर से उसकी चूत पर चाबुक चलाने लगा.

थाप थाप थाप …

फिर लंड टिका कर चूत में पेल दिया और 10 मिनट निकल गए. कौशल्या फिर झड़ने को आ गयी थी. मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी. एक जोरदार शॉट के साथ दोनों झड़ गए. मैं कौशल्या के ऊपर ही लेट गया. दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल एक दूसरे को देख कर किस करने लगे.

अब शाम के 8 बज चुके थे. हम दोनों लगातार लम्बी चुदाई से काफी थक गए थे.

“क्या हुआ मेरे सील तोड़ राजा … थक गए क्या … अभी तो रात बाकी है न … हेहेहै …”
“अरे मेरी मिष्टी डोई … मैंने आज तक तेरी जैसी गुद गुद औरत नहीं देखी … तुझे चोद कर परम आनन्द आ गया. मैं रात को 11 बजे आता हूँ … जब मेरे बहू बेटे सो जाएंगे. तो तू दरवाजा खुला रखना मेरी जान, आज कुछ सरप्राइज भी है तुम्हारे लिए.”
“ठीक है जी … मैं इन्तजार करूँगी.”

फिर मैं अपने घर चला गया, थोड़ी देर टीवी देख कर समय निकाला, लेकिन अब तो जैसे एक मिनट भी 1 घंटे के बराबर लग रहा था. मन बहुत बेचैन हो रहा था, इस बीच मेरी बहू ने पूछा- क्या हुआ पापा जी तबियत ठीक है ना … आपको इतना पसीना क्यों आ रहा है?
“नहीं नहीं बेटा, बस आज इवनिंग वाक कर के थोड़ा थक गया हूँ, उम्र होती जा रही है ना.”
“ठीक है पापा जी, आप खाना खाकर आराम करिए.”

फिर मैंने खाना खाया और अपने बेटे के कमरे से वियाग्रा की कुछ गोलियां निकाल कर अपने पास रख लीं. सोने के बहाने से मैं गौशाला में चला गया.

अब करीब रात 10:30 बज रहे थे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा लीं और कौशल्या के घर चला गया. घर का दरवाजा खुला ही था, मैंने देखा कौशल्या ने लाल रंग टाइट नाइटी पहनी हुई थी.
मुझे देख कर उसने एक गाना गाया- आईए मेहरबां, बैठिए जानेजां … शौक से लीजिये जी इश्क के इम्तिहान!

हम दोनों बांहों में बांहें डाल कर थोड़ा रोमांटिक डांस करने लगे, होंठों से होंठ, एक हाथ कमर को छूते हुए उसके चूतड़ को मसल रहा था. कौशल्या मेरी चौड़ी छाती में अपने निप्पल रगड़ रही थी. हम दोनों काफी गर्म और रोमांटिक हो गए थे.

फिर मैंने कौशल्या को गोद में उठाया और बेड पे ले आया. कौशल्या ने बेड से सटे टेबल पर दूध के दो ग्लास रखे थे. कौशल्या मेरी गोद पर बैठी थी, उसने मुझे दूध पिलाया और पूछा- क्या हुआ मास्टर जी मेरे लिए कुछ लाने वाले थे आप?
“अरे हां मेरी रोसोगुल्ला …”
मैंने वियाग्रा की एक गोली कौशल्या के ग्लास में डाल दीं.

“अरे वाह मास्टर जी, मैं हमेशा से सेक्स की गोली खा कर चुदना चाहती थी, पर मेरे पति बहुत बोरिंग किस्म के इंसान हैं.”
कौशल्या ने दूध पी लिया. मैं उसे गोद में बिठा कर उसकी दोनों चुचियों को नाइटी के ऊपर से मसल मसल कर दबा रहा था. कुछ ही देर में दोनों बहुत गर्म हो गए. मैंने कौशल्या की चूत में उंगली करने लगा.
कौशल्या सिसकारियां लेने लगी ‘ह्म्म्म आह्ह … ईस्स!’

मैं और तेजी से उंगली अन्दर बाहर करने लगा. कौशल्या छटपटाने लगी. किसी और की पत्नी को अपनी बांहों में इतनी उत्तेजना में देख कर मजा आ रहा था. वियाग्रा का असर होने लगा था. मैं भी पूरे जोश में जकड़ कर उसे मसल रहा था. चूम चूम कर उसके होंठों को लाल कर दिया. उसकी नाइटी का हुक खोला, चुचियों को दोनों हाथों से दबा दबा कर चूसने लगा.

कौशल्या और गर्म हो गयी- आह्ह आअह्ह हम्म …
फिर उसने मेरी धोती खोली और मेरे लंड को बड़े प्यार से चूसने लगी. चूस चूस कर मेरे लंड को और मोटा और सख्त कर दिया.

अब मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ, मैंने कौशल्या को गोद में उठाया और बेड पे अपने नीचे किया. उसकी टांगों को फैलाया और अपने लंड को हिला कर हल्का सा प्रीकम उसकी चूत पे लगा दिया. अब लंड से उस रस को उसके फ़ूली हुई चिकनी चूत पर रगड़ने लगा.
कौशल्या उत्तेजना में इधर उधर होने लगी. मैंने दोनों हाथ उसकी चुचियों पर रख दिए. लंड को उसके चूत पे टिकाया और जोर से अन्दर ठेल दिया. पच से लंड अन्दर पिल गया.

कौशल्या दर्द से चीख उठी- आह्ह्ह!
उसने मुझे जोर से पकड़ लिया- थोड़ा धीरे डालिये ना मेरे सोना … अब कौन सा में कहीं जाने वाली हूँ.
“क्या करूँ कौशल्या मेरी रानी … तू है ही इतनी रसीली कि सब्र नहीं होता.”

यह कह कर मैंने लंड निकाला और फिर जोर का एक शॉट लगा दिया. कौशल्या की और जोर से चीख निकल गयी- आआह … अह्हह्हह्ह … दर्द हो रहा है थोड़ा आराम से जी!
“क्या हुआ मेरी रोसोगुल्ला … थोड़ा बर्दाश्त कर लो … आज तो मैं यूं ही चुदाई करूँगा.”
मैंने उसी रेंज में चुदाई चालू रखी. कौशल्या पे मैंने बहुत जोर से पकड़ बनाई थी ताकि वो दर्द बर्दाश्त कर ले.

वो समझ गयी कि मैं नहीं रुकूंगा. वो दर्द से “आह्ह अहह धीरे धीरे हम्म …” करती रही. मैं घप्प घप्प उसकी चुदाई करता रहा. उसकी चुचियों को दबा दबा कर दूध पी रहा था.

करीब 20 मिनट मैंने उसकी चुदाई की. हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे की बांहों में पड़े थे. अब कौशल्या का दर्द मजे में बदलने लगा था. वो कहे जा रही थी- बहुत मजा आ रहा है मास्टर जी … आप तो कमाल हो … इहम्म आह्ह … आज से मैं आपकी हुई … काश ये सुख मुझे पहले मिलता, आज मुझे किसी असली मर्द से चुदाई का अहसास हुआ है.

“मेरी रानी अब मैं रोज तुम्हें ऐसे ही चोदूँगा, मैं भी सालों बाद चुदाई के मजे ले रहा हूँ … वो भी तुम जैसी गुद गुद और रसीली औरत से … आज से तुम मेरी पत्नी हो.”
मैंने कौशल्या को उठा कर अपने ऊपर बैठा दिया और बहुत प्यार से चुदाई के मजे लेने लगे. वो मेरी तोंद पर बैठ कर मेरे लंड पे कूद रही थी. उसकी बड़ी बड़ी चुचियां ‘थप थप …’ उछल उछल कर टकरा रही थीं. मधुर चुदाई का समा बन गया था … मजा आ गया.

मैं कौशल्या को वैसे ही गोद में उठा कर खड़ा हो गया और उसे ऊपर नीचे करने लगा. उसकी चुचियां मेरी छाती के बालों से रगड़ खा कर और टाइट हो गईं. मैं भी मसल मसल कर दूध पी रहा था. मैंने थोड़ी तेजी बढ़ा दी. कौशल्या भी पूरे जोश में मेरा साथ देने लगी.

थप थप थप …

कौशल्या झड़ने को आ गयी. मैं और तेजी से लंड अन्दर बाहर करने लगा. एक जोर की चीख के साथ कौशल्या झड़ गई. ‘आह्ह …’ उसके पूरे चूत रस ने मेरे लंड को और चिपचिपा कर दिया था.

अब तो मेरा लंड और अन्दर तक आसानी से घुस रहा था. मैंने उसे फिर से बेड पे लिटाया और उसकी कमर ऊपर उठा दी. फिर लंड उसकी चूत में पेल दिया और चुदाई चालू कर दी. कौशल्या अब पूरी थक चुकी थी, पर मैं पूरी बेदर्दी के साथ उसकी चुदाई कर रहा था. वो हल्की आवाज में आह आह आह कर रही थी. फिर मैंने कुछ जोरदार शॉट लगाये और कौशल्या की चूत में ही अपना गर्म गर्म पौरुष रस छोड़ दिया और उससे लिपट कर सो गया.

जब मेरी नींद खुली तो भोर के 3 बज चुके थे, कौशल्या मेरी तरफ पीठ करके लेटी थी, मैंने कमर से सटते हुए उसकी चुचियों को पकड़ा और उसके निप्पल मसलने लगा. वो भी जाग गयी और मजे लेने लगी.

फिर मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गांड पे टिका दिया, वो थोड़ी डर गयी.
“मास्टर जी प्लीज पीछे नहीं, मैंने कभी पीछे नहीं लिया … बहुत दर्द होगा.”
“अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान!”
मैंने थोड़ी जबरदस्ती की, थोड़ा सा थूक उसकी गांड पे लगाया और लंड को हल्के से उसकी गांड के छेद पे रख कर घुसा दिया. कौशल्या को भी कुछ ही देर की पीड़ा के बाद मीठे दर्द का मजा आ गया.

मैंने फिर उसे पेट के बल लिटा दिया. उसके ऊपर चढ़ कर जमके उसकी गांड मारी. फिर उसे घुमाया, उसकी चुत पे लंड टिकाया और चुदाई चालू कर दी. दोनों को खूब मजा आया. कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए और यूं ही लेट गए.

“तो कैसी रही ये रात मेरी रोसोगुल्ला, मजा आया ना?”
“बहुत मजा आया मेरे सोना, आज से जब मन करे आ जाना मेरे पास … अब तो मुझे बस आपकी होके रहना है.”
फिर मैंने कौशल्या को एक जबदस्त गुड बाय चुम्मा दिया और कपड़े पहन कर अपने घर चल गया.

अब तो मेरी हर रात जान बंगालिन रानी की चूत और गांड का बाजा बजाने में निकलने लगी.

तो कैसी लगी आप लोगों को मेरे मित्र की चुदाई की कहानी … मुझे मेल कीजिएगा.
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