एक दिल चार राहें- 17

(Ladki Ki Chudai Ki Sachi Kahaniya)

प्रेम गुरु 2020-07-29 Comments

This story is part of a series:

लड़की की चुदाई की सची कहानिया में पढ़ें कि कैसे मैंने बिना कंडोम के अपनी नवयुवा कामवाली लड़की की चूत की चुदाई की बाथरूम में शावर के नीचे!

“तुम्हें बस 1- 2 दिनों में तुम्हें पीरियड्स आने ही वाले हैं. और तुम्हें एक बात बताता हूँ छिपकली गिरने के 7 दिन पहले और 7 दिन बाद तक इसमें सीधे करने से भी बच्चा नहीं ठहरता।”
“सच्ची?”
“अरे हाँ … मेरी जान … मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूँ.”

सानिया कुछ सोचे जा रही थी। अब पता नहीं वह प्रीति से कुछ पूछने वाली है या नहीं पर इतना तो पक्का है कि उसके चहरे पर खिली मुस्कान यह बता रही है अब तो वह भी बिना निरोध के करने का स्वाद और मज़ा लेना चाहती है।
“वो कोई गड़बड़ तो नहीं होगी ना?”

अब आगे की लड़की की चुदाई की सची कहानिया:

“अरे मेरी जान, मेरा विश्वास रख … और हाँ एक काम और करेंगे.”
“क्या?”
“अगर तुम्हें ज्यादा डर लगे तो कोई बात नहीं मैं बाज़ार से दवाई की गोली ले आऊंगा। उसे लेने के बाद तो कोई डर ही नहीं रहेगा … ठीक है ना?”
“हओ …” उसके मुंह से जैसे ही यह निकला मैंने फिर से उसे बांहों में भर कर चूम लिया।

जैसे ही मेरे हाथ उसके नितम्बों की खाई में पहुंचे उसने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर उठा ली। अब तो मेरे हाथ की अंगुलियाँ उसके चीरे के दोनों ओर मोटे-मोटे पपोटों से जा टकराई। जैसे ही मैंने अपनी अंगुली उस छेद के अन्दर घुसाने की कोशिश की सानिया ने घूमकर अपने नितम्ब मेरी ओर कर दिए।

अब मैंने उसकी गर्दन को थोड़ा नीचे करते हुए फिर से झुकाने का इशारा किया तो तो हमारी सानूजान ने नल को पकड़कर अपना सिर थोड़ा सा झुका लिया और अपने नितम्ब ऊपर उठा दिए।

मैं तो कब से इन पलों का इंतज़ार कर रहा था। मैंने उसके नितम्बों को चौड़ा किया और फिर चीरे पर अपना लंड घिसने लगा। सानिया मीठी सीत्कारें भरने लगी।

अब मैंने अपने लंड को चूत के मुहाने पर रखा और फिर सानिया की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। और फिर एक धक्के के साथ मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घोंप दिया।
सानिया की घुटी-घुटी सी चींख पूरे बाथरूम में गूँज उठी- आआ आईईइ … धीरे … दर्द होता है!

मेरा धक्का इतना जबरदस्त था कि साथ सानिया गिरते-गिरते बची। यह तो शुक्र था मैंने कस कर उसकी कमर पकड़ रखी थी वरना उसका सिर दीवार से जा टकराता।
मुझे अब ख्याल आया इस बेचारी के साथ इस प्रकार का तेज धक्का नहीं लगाना चाहिए था। हाँ एक बार अगर उस लैला के साथ बाथरूम में करने का मौक़ा मिल जाए तो कसम से वह तो 2-4 दिन ठीक से चल भी नहीं पायेगी।

मैंने शॉवर को फिर से खोल दिया और ठंडी फुहारें हम दोनों पर पड़ने लगी। अब मैंने सानिया की कमर और पीठ पर हाथ फिराने चालू कर दिए। और बीच बीच में उसकी पीठ पर चुम्बन भी लेने लगा।

मैंने अब धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए। सानिया ने अपनी जांघें थोड़े सी और चौड़ी कर दी थी। अब तो मेरा लंड घोड़े की तरह सरपट दौड़ने लगा था।

मैंने अपना एक हाथ नीचे करके उसकी चूत के दाने को चिमटी में पकड़कर मसलना चालू कर दिया तो सानिया अपने नितम्ब और जोर से हिलाने लगी और साथ में मीठी सीत्कारें लेने लगी।
मेरे धक्कों के साथ उसकी चूत का मधुर संगीत उसकी पीठ पर फिसलते पानी की फिच्च-फिच्च की आवाज के साथ ताल मिलाने लगा।

अब मेरी निगाह उसके नितम्बों की खाई में चली गई। गांड का छेद तो और भी ज्यादा सिकुड़ सा गया था। वह छेद भी अब तो खुलने और बंद सा होने लगा था।

कल का पूरा दिन सानिया को ही समर्पित होने वाला है। और जिस प्रकार उसने समर्पण किया है मुझे नहीं लगता वह गांड देने के लिए ज्यादा ना नुकुर या नखरे करेगी। मेरा ख्याल है कल सबसे पहले तो उसकी चूत की सफाई की जाए और फिर उसको पूरा मुंह में भरकर तसल्ली से इतना चूसा जाए उसकी चूत अपना सारा शहद निचोड़ कर मुझे समर्पित कर दे।

और उसके बाद तो हमारी सानू जान मेरे लंड की मलाई भी घोंटना जरूर पसंद करेगी और मेरे एक इशारे पर अपनी गांड का कौमार्य भी हंसी ख़ुशी मुझे सौम्पने को तैयार हो जायेगी।

मेरे इन ख्यालों से मेरा लंड तो ठुमके ही लगाने लगा था। अब तो सानिया की चूत भी संकोचन करने लगी थी और उसकी चूत से चिपचिपा सा गुनगुना शहद मेरे लंड के चारों ओर महसूस होने लगा था। मुझे लगता है सानिया एक बार झड़ गई है।

मेरा मन तो कर रहा था यह चुदाई जिन्दगी भर ऐसे ही चलती रहे। मेरा मन तो अभी पानी निकालने का बिल्कुल नहीं था पर कम्बख्त यह नौकरी पीछा कब छोड़ेगी पता नहीं।

सानिया मस्ती में आह.. ऊंह किए जा रही थी और लगता है उसे इस आसन में और भी ज्यादा मजा आ रहा है। इस नैसर्गिक काम कला का आनंद तो बहुत भाग्यशाली को ही मिल पाता है और इसमें हम दोनों ही शामिल थे।

अब मुझे लगने लगा था मेरा पानी किसी भी समय निकल सकता है। मैं चाहता था सानिया भी इस नैसर्गिक आनंद को मेरे साथ ही भोगे और उसका भी स्खलन मेरे साथ ही हो ताकि भविष्य में जब भी वह अपने प्रियतम या पति के साथ इस क्रिया को दोहराए उसे ये पल शिद्दत से याद आयें।

“सानू मेरी जान मज़ा आ रहा है ना?”
“हओ … आह … कुछ मत पूछो … बस किए जाओ … आह …”

मुझे लगा सानिया स्खलन के करीब है। अब मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ी और फिर दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए।

तभी सानिया ने एक जोर की किलकारी मारी और मुझे भी लगा मेरी आँखों में तारे से जगमगाने लगे हैं.
और फिर उसके साथ की अनगिनत पिचकारियाँ मेरे लंड ने छोड़नी शुरू कर दी।

सानिया की चूत ने कई बार संकोचन किया। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत किसी रेगिस्तान की धरती की तरह इस बारिश का सदियों से इंतज़ार कर रही थी।

मैंने अपने वीर्य से उसे पूरा सींच दिया। सानिया मीठी सित्कारे करती अपने नितम्बों और चूत को भींचती हुयी मेरे सारे वीर्य को अन्दर समेटने लगी।

थोड़ी देर हम इसी प्रकार बने रहे और फिर मेरा लंड फिसल कर जैसे ही बाहर आने लगा सानिया सीधे हो गई और मेरे सीने से चिपक गई।
“थैंक यू मेरी जान … मेरी प्रियतमा …”
“आपका भी थैंक यू.” सानिया ने शरमाकर अपनी आँखें बंद कर ली।

प्रिय पाठको और पाठिकाओ। अब एक चुम्बन तो उसकी आँखों और होंठों पर बनता ही था। मैंने उसकी भीगी पलकों और होंठों को फिर से चूम लिया।

हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को पौंछा और फिर कपड़े पहन कर बाहर आ गए।

आज हमने एक ही गिलास में चाय पी और फिर सानिया ने पक्का वादा किया कि कल भी वह सुबह जल्दी आ जायेगी और दोपहर तक यहीं रहेगी और … कल वह बिल्कुल भी नहीं शर्माएगी। वैसे एक बात कहूं ये कमसिन लड़कियां जब शर्माती हैं तो खुदा कसम दिल पर छुर्रियाँ ही चलने लगती हैं। काश कभी सुहाना के शर्माने का अंदाज़ भी नजदीक से देखने का मौक़ा मिल जाए।

घर जाते समय मैंने सानिया को आज 500 रुपए और दे दिए थे।

दफ्तर पहुंचते-पहुंचते लगभग 11 बज गए थे।

अरे हाँ … मैं बातों-बातों में सुहाना नाम की फुलझड़ी के बारे में तो बताना ही भूल गया।

उस दिन मैंने लैला के घर पर सुहाना के एक बड़े से पोस्टर (फोटो) के बारे में आपको बताया था ना?
मिनी स्कर्ट पहने हाथों में टेनिस का रैकेट पकड़े जिस अंदाज़ में उसने यह फोटो खिंचवाई है लगता है बस क़यामत अभी आने ही वाली है।
उसकी मोटी-मोटी हिरणी जैसी काली आँखें तो ऐसे लग रही थी जैसे कोई काली घटा अभी झूम कर बरस उठेगी।

हे लिंग देव! बस एक बार इस चंचल हिरणी को बांहों में भरकर चूमने का मौक़ा मिल जाए तो अपने सारे गुनाहों की तौबा आज ही कर लूँ।

ओशो रजनीश ने अपने एक व्याख्यान में में कहा है
यह ब्रह्माण्ड तो बस तथास्तु बोलना जानता है। आप जो भी सोचते हैं या कामना करते हैं यह सारी कायनात उसे पूरा करने के प्रयास में लग जाती है।

इतने में ही रिसेप्शन से फ़ोन आया कि सुहाना और उसके साथ कोई एक और स्टूडेंट आपसे मिलना चाहती है। अभी-अभी तो मैं उसे ही याद कर रहा था। मैंने उसे अन्दर भेज देने का बोल दिया।
आज वह 2-3 दिनों की छुट्टी के बाद आ गई थी और उसके साथ नई फुलझड़ी भी थी।

दोनों अभिवादन (गुड मोर्निंग) करते हुए सामने वाली कुर्सियों पर बैठ गई और अपने हाथों में पकड़ी फाइल्स और मोबाइल मेज पर रख दिया।

सुहाना ने उस नई फुलझड़ी का परिचय करवाते हुए बताया कि इसका नाम पीहू है और यह उसके साथ ही पढ़ती है।
वैसे दिखने में तो यह फुलझड़ी दुबली पतली सी लग रही थी पर उम्र के हिसाब से तो उसके बूब्स तो सुहाना से भी बड़े लग रहे थे। हे भगवान्! अगर एक रात को इन अमृत कलसों को भींचने, मसलने और चूसने का मौक़ा मिल जाए तो खुदा कसम मज़ा आ जाए।

सुहाना ने सिफारिश की कि इसे भी सेम प्रोजेक्ट पर काम करना है। अगर मैं परमिशन दे दूं तो यह भी साथ में ही अपना प्रोजेक्ट कर लेगी।

हे भगवान्! इस पीहू नामक पपीहरा (चकोरी) के घुंघराले बालों को देख कर तो लगता है इसकी चूत पर भी रेशमी बालों का झुरमुट होगा … और इसकी चूत तो पीहू-पीहू बोलने लगी होगी।

दोनों ने सफ़ेद रंग की शर्ट और काले रंग की पैंट पहन रखी थी। पतली सी कमर में कसे बेल्ट को देखकर तो लगता है इस बेरहम बेल्ट को ज़रा भी दया नहीं आ रही कितनी जोर से कसकर कमर को भींच रखा है।

अब मेरा ध्यान उसके गले में पहने स्कूल के फोटो आईडी कार्ड गया और अनायास ही मेरी नज़रें पीहू के बगलों पर चली गई। वह भाग कुछ भाग भी गीला सा नज़र आ रहा था। शायद उसकी बगलों से निकले पसीने से भीग सा गया था। एक मदहोश करने वाली गंध मेरे नथुनों में समा गई।
याल्ला … सानिया की तरह इसकी चूत से भी ऐसी ही महक आती होगी।

लौंडिया जिस प्रकार मुझे आशा भरी नज़रों से देख रही थी आप अच्छी तरह सोच सकते हैं अब उसे ना कहना मेरे लिए कितना मुश्किल था। मैंने सुहाना पर अहसान जताते हुए हामी भर दी।

अब तो वह नई चिड़िया भी चहचहाने लगी थी। केबिन से जाते समय जिस प्रकार उसने ‘थैंक यू सर’ कहने के बाद हाथ मिलाया था मैं बहुत देर तक अपने हाथ को सहलाता रहा था। साला यह मन तो हमेशा ही बेईमान ही बना रहेगा।

चलो अकबर इलाहाबादी का एक शेर मुलाहिजा फरमाएं :
इलाही कैसी-कैसी सूरतें तुमने बनाई हैं।
के हर सूरत कलेजे से लगा लेने के काबिल है।

कहते हैं दो नावों की सवारी बहुत खतरनाक होती है … पर मैं तो इस समय 3 नावों पर सवार हूँ … अब सोचने वाली बात यह है कि कालिया की तरह अब तेरा क्या होगा … प्रेमगुरु???

हे लिंग देव! अब तो बस तेरा ही आसरा है। तुमने मुझे अपनी रहमत से इतना नवाज़ा है कि मैं किस प्रकार तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ मेरी समझ और बूते के बाहर है। हे लिंगदेव! बस एक बार आख़िरी बार मेरे और सुहाना के लिए तथास्तु बोल दो प्लीज …

आपको जवान लड़की की चुदाई की सची कहानिया अच्छी लग रही हैं ना?
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लड़की की चुदाई की सची कहानिया जारी रहेगी.

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