फ़्रेशर मोहिनी की फ़्रेश चूत-1

देविन 2013-10-23 Comments

एक बार फिर से देविन हाजिर है अपनी नई कहानी के साथ ! पिछली कहानी में मैंने कम गर्म शब्दों का प्रयोग किया था लेकिन इस कहानी में आप पूरा मजा लेंगे। पिछ्ली कहानी की तरह यह भी एकदम सच्ची है, अब थोड़ा बहुत तो बदलना पड़ेगा ना यार, नहीं तो मजा कैसे आएगा।

अब कहानी पर आता हूँ। ममता को चोदने के बाद मैंने कई लड़कियों को चोदा, यह उनमें से एक है, उसका नाम है मोहिनी। मोहिनी अपने नाम की तरह ही थी, क्या मस्त रंग, क्या मस्त उसकी गान्ड ! उसको देख कर कोई भी पागल होकर मुठ ना मारे तो वो साला चूतिया है फिर।

मैं भी पहली बार उस को देख कर पागल सा हो गया था और उसे देखता ही रह गया। आपको पता ही है कि मैं घर से अलग रूम लेकर रहता हूँ। वो मेरी बिल्डिंग में ही अपने मामा के घर आई हुई थी। जब मैं अपने कमरे में जा रहा था तो मैंने उसे पहली बार देखा था। सफेद रंग के सूट में क्या लग रही थी यार ! गजब के कसे हुए उसके चुच्चे देखे, तो बस देखता ही रह गया। गाण्ड तो मटक कर मुझे घायल कर रही थी। अब मैं औरों की तरह उसका नाप तो नहीं बता सकता पर उसकी पहली नजर ने ही मेरा लंड हिला दिया था। क्या कयामत थी यारो !

लेकिन उन लोगों से मेरी बातचीत तो थी नहीं, मैं सोचने लगा कि कैसे बात बनेगी। पर अपनी किस्मत में लौड़े नहीं हैं भाई, वो भी चूत की तरह कभी भी खुल सकती है।

मुझे वहाँ रहते हुए कई महीने तो हो चुके थे पर बात कभी किसी से नहीं करता था। मुझे सब जानते तो सब थे पर बस नाम को ही। सभी को पता था कि मैं पढ़ने के लिये यहाँ पर रह रहा हूँ।

यह बात अभी अप्रैल 2012 की ही है। मेरे दरवाजे पर कुछ आवाज हुई, मैंने दरवाजा खोला, देखा तो मोहिनी के मामा सामने खड़े थे। अब मैं तो अपने कमरे में अपने लोअर में ही होता हूँ।

वो बोले- बेटे क्या आपके कम्प्यूटर में इन्टरनेट लगा है?

“जी अंकल जी, कहिए क्या काम है?”

“वो बेटा, मुझे कुछ देखना था नेट पर !”

“कोई बात नहीं, आप अन्दर आकर देख लीजिए !”

“थैंक्स बेटे, पर मुझे प्रयोग नहीं करना आता, मैं बता देता हूँ कि मुझे क्या देखना है, आप ही देख कर मुझे बता दो !”

“कोई नहीं, आप बैठिए मैं देख लेता हूँ।”

मैंने कम्प्यूटर स्टार्ट किया और नेट चला कर कहा- जी अन्कल, बताइए, क्या देखना है?

“वो बेटा, मेरी भांजी के एग्जाम की डेट-शीट देखनी है बस !”

“कौन से कॉलेज की है अंकल?”

“एम पी से है बेटा !”

मैंने नेट पर डेट-शीट खोल कर दे दी और मैं वहाँ से उठ कर बैड पर बैठ गया।

उसकी डेटशीट लिखने के लिये उसके मामा ने मुझे कहा- बेटा, पैन और कागज हो तो मैं नोट कर लूँ !

और मैंने उन्हें कागज और पैन दे दिया।

कुछ देर में लिखने के बाद वे बोले- धन्यवाद बेटा !

“कोई बात नहीं अंकल ! आप ही का घर है कभी भी जरुरत हो तो बता देना !”

और फिर वो चले गये। लेकिन मेरे मन में अभी भी मोहिनी को पाने की योजना बन रही थी कि आखिर कैसे उसको भोगा जाए।

और फिर वो दिन भी आ गया।

मैं शाम को अपनी क्लास के लिये जा रहा था। तभी मोहिनी के मामा मेरे पास आकर कहने लगे- बेटा मेरी भांजी को नेट पर कुछ काम है। अगर कोई दिक्कत ना हो तो?

“कोई बात नहीं अंकल, कभी भी आप उसे साथ लेकर आ जाना। अभी मैं क्लास के लिये जा रहा हूँ !”

“ठीक है बेटा, मैं शाम को उसे लेकर या उससे पूछ कर आ जाऊँगा, आप कितने बजे तक आ जाओगे?”

“मैं सात बजे तक आ जाऊँगा, उसके बाद आप कभी भी आ जाना !”

“ओ के बेटा !”

फिर मैं क्लास के लिये चला गया और शाम को 7:30 तक ही वापस आ पाया अपना खाना लेकर ! मैं अपना खाना होटल से लेकर ही खाता हूँ। फ्रेश होने के बाद मैं खाना खा रहा था कि तभी डोर बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला, मोहिनी और अंकल दोनों ही बाहर खड़े थे।

“अरे अंकल, आप अन्दर आ जाइए !”

वो दोनों अन्दर आ गये, अंकल ने कहा- बेटी, क्या देखना है नेट पर, आप बता दो इन्हें !

“वो मुझे ना लास्ट इयर के पेपर देखने हैं !”

“मैं अभी खाना खाकर आप को दिखा देता हूँ !”

“कोई बात नहीं मैं देख लेती हूँ… आप खाना खाइए !”

“अगर आप देख लें, कोई बात नहीं, तब तक मैं खाना खा लेता हूँ !”

उसने PC ओन किया और नेट पर अपना काम करने लगी।

उसके मामा ने कहा- और बेटा आपके घर में कौन कौन हैं?

“अंकल हम दो भाई हैं, भैया अपना काम करते हैं, और मैं अपनी पढ़ाई। पापा भी अपनी सरकारी जॉब पर हैं। बस दो तीन साल हैं उनके रिटायरमेन्ट के, उसके बाद वो भी फ्री हैं।”

“यह तो बहुत अच्छा है पर तुम यहाँ अलग क्यूँ रहते हो?”

मैं हँसा- वो अंकल, बस थोड़ी प्राईवेसी के लिये और कुछ नहीं, यहाँ से मेरा कोलेज भी पास में है। फिर मैं पार्ट टाईम काम भी कर रहा हूँ।

मैं खाना खा कर उठ गया और हाथ धोने लगा।

“यह तो अच्छी बात है बेटा, पढ़ाई के साथ काम भी करते रहो !”

“हाँ अंकल, थोड़ा मन भी लग जाता है।”

तभी मोहिनी बोल पड़ी- क्या आपके पास पैन ड्राइव है तो मैं ये सब प्रिन्ट करवा लूँगी।

“हाँ है !” मैंने उसे अपनी पेन ड्राइव दे दी।

अंकल ने तभी कहा- बेटा हम आपको ज्यादा परेशान कर रहे हैं।

“अरे नहीं अंकल, कोई बात नहीं ! वैसे भी मैं यहाँ किसी को जानता भी नहीं हूँ। इसी बहाने से आप से बात तो हो जाती है।”

हम दोनों हँसने लगे, मैंने मोहिनी से पूछा- हो गया आपका काम?

“हाँ, हो गया है, इनका प्रिन्ट निकलवा कर फिर मेरा काम हो जाएगा।”

“अंकल और कोई सेवा हो बताओ मेरे लिये !”

“नहीं बेटा बस !”

“मोहिनी, और कुछ काम है तो बता दो, अभी कर लो।”

मोहिनी ने कहा- वो मुझे कभी कभी नेट पर काम होता है, तब बाहर ही जाना पड़ता है, मैं वहाँ से भी कर लेती हूँ !

मैंने कहा- अरे कोई बात नहीं, जब भी मन करे आ जाना… मैं अपनी चाबी आप के घर पर दे दिया करूँगा। वैसे भी मैं कौन सा सारा दिन यहाँ पर होता हूँ। सुबह जल्दी कॉलेज फिर शाम को अपनी कम्प्यूटर क्लास के लिये। मैं तो बस रात को ही PC यूज़ करता हूँ।”

अंकल बोले- आपको दिक्कत होगी?

“नहीं अंकल, कोई बात नहीं !”

“ओ के… अगर ऐसी बात है तो मैं मना नहीं करूँगा… थैन्क्स बेटा !”

“इट्स ओ के !”

और फिर वो चले गये। बस फिर क्या था, अब तो 50% काम हो चुका था। अगले दिन मैंने उनके घर पर अपने रुम की चाबी दे दी। और कोलेज चला गया। शाम को आया तो अपनी क्लास चला गया।

रात को मैंने अपना PC चालू किया और देखने लगा कि क्या वो आज आई थी या नहीं। मैंने PC की हिस्ट्री चैक की तो पता चला कि उसने कुछ यूनिवर्सिटी की साईट यूज की हैं। शनिवार तक यही चलता रहा वो मेरे जाने के बाद रोज आकर नेट पर कुछ ना कुछ करती रहती।

रविवार को मैं देर तक सो कर उठता हूँ, मैं दस बजे तक सोता रहता हूँ। जब मैं सो रहा था, तभी डोर बैल बजी, मैंने पूछा- कौन है? कोई आवाज नहीं… मैं बड़बड़ाता उठा, गेट खोला तो मोहिनी थी !

“अभी रुको एक मिनट !” मैं अन्दर भागा और निक्कर पहन कर आया गेट को पूरा खोला तो वो अन्दर आ गई। उसके साथ एक छोटी बच्ची भी थी।

“वो… मुझे नेट यूज करना था !” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“ओ… आप PC ओन कर लो… जो करना है करो। मैं अभी उठा हूँ… थोड़ा सा फ़्रेश हो जाऊँगा तभी मेरी आँखें खुलेंगी !” और मैं हंसने लगा। उसके बाद वो PC पर काम करने लगी और मैं मुहँ धोकर बाहर किचन में आकर काफी बनाने लगा। मैं दो काफी और कुछ बिस्किट लेकर रुम में आ गया।

“यह लो… आपकी काफी !”

“अरे, आप ये क्यों ले आए… मैं अभी चाय पी कर आई हूँ !”

“मेरे हाथ की पीकर देखो, आपको मजा आ जाएगा।”

“ओ के, पर आपको फिर हमारे घर भी आना होगा चाय पीने !”

“काफी पिलाओगे तो जरूर आ जाऊँगा, चाय मैं नहीं पीता !”

“कोई बात नहीं, आप आना आपको कॉफी ही पिलाऊँगी !”

“ओ के !”

“तो ठीक है, आज शाम को मेरे यहाँ पर चार बजे !”

शाम को मैं उनके घर चला गया। उन लोगों ने मुझे बडे प्यार से ट्रीट किया, मोहिनी ने चाय पिलाई। मैंने उससे पहली बार काफ़ी बात की, मजा आ गया… अब तो मुझे उसकी चूत अपने बैड पर नजर आ रही थी। पर अभी भी कुछ बाकी था। उसके बाद हम जब भी मिलते एक दूसरे से बात करते।

कहानी जारी रहेगी।

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