रास्ते में मिली एक हसीना-1

जय कुमार 2007-08-11 Comments

लेखक : जय कुमार

मैं जय कुमार कालबाय हूँ और एक बार फिर से नई कहानी लिख रहा हूँ जो एक हकीकत है, आप लोग मानो या ना मानो मुझको कोई फर्क नहीं पड़ता है।

मेरा परिचय एक बार फिर : नाम जय, रंग साफ, कद 5 फीट 8 इन्च, एकदम से स्लिम, दिल्ली में रहता हूँ।

एक बार मैं अपनी ड्यूटी खत्म करके कुन्डली (नरेला) से रात को 11 बजे घर वापिस आ रहा था तो अलीपुर से आगे (बाई पास की तरफ) मुझे एक गाड़ी खड़ी नजर आई। जैसे ही मैं गाड़ी के नजदीक आया तो मैंने आपनी बाइक धीरे की तो गाड़ी के साथ एक महिला खड़ी हुई नजर आई।

मैंने बाइक रोककर पूछा- मैडम, क्या हुआ?

तो उसने कहा- शायद गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है।

मैंने कहा- यहाँ पर तो आसपास कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?

तो वो कहने लगी- नहीं, आप जाओ, मैं किसी और से मदद ले लूँगी।

मैंने कहा- मैडम, इतनी रात को कौन आपकी मदद करेगा। और फिर यहाँ तो आसपास कोई भी नजर नहीं आता है बस ट्रकों के अलावा। फिर यहाँ सुनसान इलाका है।

तो वो बोली- कोई बात नहीं ! जो होगा सो देखा जायेगा।

मैंने कहा- नहीं, ऐसे कैसे हो सकता है मैडम।

तो वो कहने लगी- नहीं, कोई बात नहीं, आप जाओ, मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी।

तो मैंने कहा- नहीं मैडम। पैट्रोल तो आपको यहाँ नहीं मिल सकता ! हाँ अगर आपके पास कोई बोतल हो तो वो मुझे दो, मैं कुछ इन्तजाम कर देता हूँ।

तो उसने कहा- हाँ, गाड़ी में पानी की बोतल है।

तो मैंने कहा- वो मुझे दे दो।

तो उसने गाड़ी से निकाल कर पानी की खाली बोतल मुझे दे दी और कहने लगी- आपको ज्यादा कष्ट करने की जरुरत नहीं, मैं अपने आप चली जाउँगी।

मैंने कहा- मैडम, इसमें कष्ट की क्या बात है? आदमी ही आदमी के काम आता है।

फिर मैंने उनसे पानी की खाली बोतल लेकर आपनी बाइक का नीचे से पेट्रोल का पाईप निकाल कर बोतल में पेट्रोल भरने लगा तो वो मेरे पास आकर कहने लगी- मैंने सोचा था कि आप पेट्रोल पम्प से पेट्रोल लेने के लिये जाओगे, इसलिये मैंने आपको मना कर दिया था। सॉरी !

मैंने कहा- कोई बात नहीं।

और मैंने पेट्रोल को बोतल में भरकर उनको कहा- आप अपनी गाड़ी का ढक्कन खोलो !

तो उसने गाडी के पेट्रोल टैक का ढक्कन खोल दिया और मैंने बोतल से उसकी गाड़ी में पेट्रोल डाल दिया और फिर दोबारा से बोतल में बाईक से पेट्रोल भरने लगा तो वो भी मेरे पास आकर बात करने लगी। उसने कहा- मेरा नाम वन्दना है !

मैंने अपना नाम जय बताया और बोतल में पेट्रोल भर कर गाड़ी में डाल दिया।

उसके बाद हम दोनों उसकी गाड़ी के पास खड़े होकर बात करने लगे। मुझे उसके साथ बात करते-2 वन्दना के मुँह से शराब की बू आई क्योंकि हम अब काफी नजदीक खड़े होकर बात कर रहे थे।

मैंने कहा- वन्दना जी, आप ड्रिन्क करती हैं क्या ?

तो वन्दना झेंप कर कहने लगी- नहीं तो !

मैंने कहा- फिर आपके मुँह से बू क्यों आ रही है।

वन्दना ने कहा- जय मैं अलीपुर शादी में आई थी और वहाँ अपने दोस्तों के कहने पर थोड़ी सी ले ली और कुछ नहीं।

मैंने देखा कि रात के 12 बज चुके हैं तो मैंने कहा- वन्दना जी, आप अब अपने घर जाइए, मैं भी अपने घर जाता हूँ।

वन्दना कहने लगी- ठीक है !

और मुझे पेट्रोल के पैसे देने लगी तो मैंने मना कर दिया।

तो वन्दना ने कहा- जय, आपके घर पर कौन-2 हैं ?

मैंने कहा- मैं अकेला ही रहता हूँ ! और आप वन्दना जी?

वन्दना ने कहा- जय, मैं रोहिणी में रहती हूँ और मेरे साथ मेरे पति रहते हैं वो ज्यादतर काम के कारण बाहर ही रह्ते हैं।

मैंने कहा- वन्दना जी अब घर चलते हैं !

तो वन्दना ने कहा- जय, अपना फोन नम्बर तो दे दो !

मैंने कहा- किसलिये ?

तो वन्दना ने कहा- क्यों? नहीं देना चाहते?

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं ! और मैंने अपना फोन नम्बर वन्दना को दिया और हम दोनों चल दिये। बाई पास पहुँच कर हम दोनों ने एक दूसरे को बाय किया और अपने-2 घर चल दिये।

अगले दिन दस बजे वन्दना का फोन आया- जय कहाँ पर हो?

मैंने कहा- अभी तो घर पर हूँ !

वन्दना कहने लगी- आज मुझसे मिल सकते हो ?

तो मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज आप मेरे घर पर मिलो !

मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! आज मैं नहीं आ सकता !

तो वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! आज आपको आना ही पड़ेगा !

मैंने कहा- नहीं वन्दना ! आज नहीं फिर कभी सही ! ओके ?

और मैंने फोन रख दिया। उसके बाद मैं नहाने के लिये चला गया और मैं 15 मिनट के बाद मैं जैसे ही देखता हूँ कि मेरे फोन पर 15 मिस काल हैं वन्दना जी की। मैंने जैसे ही काल किया तो वन्दना बोली- जय आप बात नहीं करना चाहते तो बोल देते !

मैंने कहा- वन्दना जी, मैं तो नहाने के लिये गया था ! तो फोन कैसे उठाता ? मैं तो अपने काम पर जाने के लिये तैयार हो रहा था। मैंने तो आपको पहले ही मना कर दिया था तो आप क्यों बार-2 फोन कर रही हैं?

यह कहकर मैंने फोन रख दिया।

मैं जैसे ही घर से निकला तो वन्दना का फिर से फोन आ गया।

मैंने झुंझलाहट मैं कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या चाहिये ? मैं तो आपसे परेशान हो गया ! बोलो, मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ ? बोलो ?

वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही मिलो !

तो मैंने कहा- ठीक है ! अपना पूरा पता दो ! मैं आपसे अभी एक घन्टे बाद आकर मिलता हूँ !

वन्दना ने अपना पता बताया। उसके बाद मैं थोड़ी देर के लिये अपने काए पर गया और उसके बाद रोहिणी, वन्दना के घर, पहुँचकर मैंने घण्टी बजाई तो वन्दना ने दरवाज़ा खोला और देखते ही बोली- जय, आप आ गये ! आओ अन्दर।

वन्दना ने दरवाज़ा बन्द किया और मैं भी वन्दना के साथ अन्दर आ गया।

उसने मुझे बैठने के लिये कहा और मेरे लिये पानी लेकर आई। मैंने पानी पीने के बाद कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या काम है जो आप इतना परेशान हैं?

वन्दना ने कहा- जय मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ !

मैंने कहा- मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिये?

तो वन्दना ने कहा- मैं आपके साथ सेक्स करना चहाती हूँ !

मैंने कहा- मैं एक काल बोय हूँ और अपने काम की फीस लेता हूँ ! और अपने बारे में वन्दना को सब कुछ बताया तो वन्दना ने कहा- मुझे मन्जूर है, आप जो भी लोगे, मैं देने के लिये तैयार हूँ !

मैंने कहा- वन्दना जी, अब मैं चलता हूँ, ड्यूटी के लिये लेट हो जाउँगा !

तो वन्दना ने कहा- नहीं जय ! आज आप ड्यूटी मत जाओ ! मैं भी अकेली हूँ, दोनों मजा करते हैं !

मैंने कहा- नहीं !

तो वन्दना नाराज होने लगी, कहने लगी- जय, आप मेरे लिये एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते ?

मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! ऐसी कोई बात नहीं ! मैं आपको रात को 10-30 बजे मिलता हूँ ! ड्यूटी खत्म करके आता हूँ !

मेरे इतना कहते ही वन्दना के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उनका साथ देते हुए अपने होंठ वन्दना के होंठों पर रख दिये और एक लम्बा सा चुम्बन लिया और बाय करके ड्यूटी के लिये निकल गया।

उसके बाद मैं अपनी ड्यूटी जल्दी खत्म करके जल्दी से निकल गया क्योंकि मैंने अपने रिलीवर को जल्दी आने के लिये बोल दिया था। और मैं 9-00 बजे कुन्डली से निकल गया।

ठीक 9-25 पर मैंने वन्दना के घर पर घण्टी बजाईं तो वन्दना ने जल्दी से दरवाज़ा खोला और बहुत ही जल्दी से बन्द करके मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।

मैं भी वन्दना का साथ देने लगा। बस फिर क्या था, तूफान तो दोनों तरफ उठ रहा था और हम दोनों इक-दूजे को मसलते रहे और चूमते रहे।

8 से 10 मिनट तक हम दोनों लगे रहे, उसके बाद मैंने कहा- वन्दना जी, कुछ खाने पीने के लिये तो होगा !

वन्दना ने कहा- जय आपने भी क्या बात कर दी? मैंने पहले से ही तैयारी करके रखी हुई है।

बस फिर टेबल पर वन्दना ने सारा समान तुरन्त ही लगा दिया और दो बहुत ही बड़े-बड़े पैग बनाये, हम दोनों ने चियर किया और अपना अपना पैग खत्म किया। दोनों ने एक दूसरे को चूमा और थोड़ा सा खाया जो भी खाने के लिये वन्दना ने रखा था।

और फिर हम दोनों आपस में लिपट गये और एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे। 5 से 10 मिनट तक हम दोनों आपस में लिपटे रहे।

फिर मैंने कहा- वन्दना, एक-एक पैग और हो जाये ! पर हल्का-हल्का !

वन्दना बोली- जय यार, आप कम पीते हो क्या?

मैंने कहा- वन्दना, मैं बहुत ही कम लेता हूँ !

तो कहने लगी- ठीक है !

फिर वन्दना ने दो पैग बनाये और फिर वही बड़े-बड़े और हम दोनों ने खत्म किये।

मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है !

वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।

और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया।

कहानी दो भागों में समाप्य !

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