मेरे यौन जीवन की शुरुआत-1

Antarvasna 2013-11-19 Comments

रेखा जैन

मैं रेखा जैन प्रीतमपुर से, मैं अपने अतीत के बारे में बता रही हूँ। मैं 20 साल की हूँ, मेरे पिता जी एक बिजनेसमेन हैं, मम्मी गृहणी है। मेरे परिवार में पापा मम्मी और हम दो बहनें हैं। मेरे पापा का नाम जनेन्द्र है। मम्मी का नाम प्रभा है। मेरी बहन का नाम राखी है। हमारा घर बहुत बड़ा है, हम लोगों के पास बहुत पैसा है। बचपन से हम बहनें बहुत लाड़ प्यार में पली-बढ़ी हैं। मेरे पापा बहुत हैण्डसम हैं, मेरी माँ भी बहुत सुंदर है। मेरी माँ बहुत धर्मालु है वो रोज मंदिर जाती है। मेरे पापा के एक भाई सुरीश हैं जो कैलाशनगर में रहते हैं, वो कभी कभी हमारे घर आते हैं।

बात तब शुरू होती है जब मैं पढ़ती थी, उस समय मेरा फिगर 34D-26-34 था। एक दिन मेरी सहेली निधि ने मुझे अपने घर बुलाया उसने कहा कि वो एक ऐसी बात बताएगी जो मुझे पता नहीं होगी। मैं क्लास की टॉपर थी, कोई बात मुझे न पता हो, यह नहीं हो सकता, मैं ऐसा मानती थी।

मैं उस दिन उसके घर गई तो उसके घर कोई नहीं था। उसने मुझे अपने कमरे में चलने का कहा। मैं उसके साथ गई, वहाँ वो अपने कपड़े उतारने लगी, उसने कहा- तुझे पता है, पति पत्नी क्या करते हैं रात में?

मैं दंग रह गई, वो पूरी तरह नंगी थी।

मैंने कहा- नहीं !

तो वो हंसने लगी, कहने लगी- मैं बताती हूँ, पहले अपने कपड़े उतार।

मैंने मना किया तो निधि मेरे स्तन दबाने लगी, मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं चुपचाप अपने कपड़े उतारने लगी।

फिर उसने कहा- मैंने अपने भैया की अलमारी से यह किताब चुराई है, इसमें सब दिया है, इसे जरुर पढ़ना !

फिर वो मेरे निप्पल दबाने और चूसने लगी। मुझे बहुत मजे आ रहे थे। उसने कहा- मैंने भैया को बाथरूम में नंगा देखा है, तुमने कभी लण्ड देखा है?

मैंने कहा- नहीं, पर सुना है।

उसने कहा- कभी रात में अपने पापा-मम्मी को देखा है कि वे क्या करते हैं आपस में?

मैंने कहा- नहीं।

तो कहने लगी- आज देखना।

फिर वो अपनी उंगली मेरी योनि पर फेरने लगी। उसने पूछा- पता है, इसे चूत कहते हैं।

मैंने कहा- हाँ मुझे पता है।

वो कहने लगी- लंड को चूत में घुसाते हैं तो बहुत मजे आते हैं।

और मेरी योनि में अपनी उंगली घुसा दी, मैं उछल गई, मेरी चीख निकल गई, मुझे बहुत दर्द होने लगा, मेरी योनि गीली हो गई, मैं पीछे हट गई।

तब वो बोली- यार, पहली बार में दर्द होता है, मैंने पढ़ा है !

फिर वो मेरी योनि चाटने लगी, मेरी तो जान ही निकल गई ! मुझे बहुत मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरे अन्दर कोई ज्वालामुखी फूट गया हो।

फिर थोड़ी देर बाद मेरी योनि से पानी निकलने लगा मेरा शरीर अकड़ने लगा। मैं बता नहीं सकती कि मुझे कितना अच्छा लग रहा था। मेरी सहेली निधि वो पानी चाटने लगी, उसने बताया कि उसके पापा ने कल उसकी मम्मी के साथ ऐसा ही किया था।

मेरा चेहरा पूरी तरह लाल था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर उसने मुझे वो किताब दे दी। मैं उसे घर ले आई।

मम्मी ने मेरा लाल चेहरा देख कर पूछा- क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

और मैं अपने कमरे में चली गई। मैंने वो किताब पढ़ी तो मुझे पता चला कि पति पत्नी रात को क्या करते हैं। मुझे कई नई बातें पता चली कि कैसे बच्चा पैदा होता है, सुहागरात को क्या होता है।

किताब पढ़ने के बाद मेरा मन भी किसी को सेक्स करते हुए देखने को हुआ, मैंने सोचा कि आज रात को पापा मम्मी को देखूँगी।

उस दिन पापा अपने बिज़नेस टूअर से लौटे थे।

रात को खाना खाने के बाद मम्मी ने हम दोनों बहनों से कहा- जाओ, सो जाओ।

मुझे अजीब लगा क्योंकि मम्मी हमें रोज रात को 11 बजे तक पढ़ने को कहती थी और आज तो साढ़े नौ ही बज रहे थे।

फ़िर भी हम दोनों बहनें अपने कमरे में आकर सो गई। पर मेरी आँखों में नींद नहीं थी। आधे घंटे बाद जब मेरी बहन राखी सो गई तब मैं उठने की सोच ही रही थी कि मम्मी और पापा हमारे कमरे में आए।

मम्मी ने धीरे से पूछा- तुम जाग रही हो क्या?

मैं चुपचाप सोने की एक्टिंग करती रही, पापा बोले- जानेमन, बच्चियाँ सो गई हैं, अब चलो भी एक एक पेग हो जाये। मुझे अजीब लगा क्योंकि पापा तो कभी कभार पीते थे पर मम्मी कभी नहीं पीती थी।

फिर पापा मम्मी को गोद में उठा कर ले गए।

मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मम्मी शराब पीती होंगी। कुछ देर बाद मैं अपने कमरे से बाहर आई और पापा मम्मी के कमरे की तरफ गई, पर वो लोग वहाँ नहीं थे, हॉल से उनके बात करने की आवाज आ रही थी।

मैं चुपचाप सीढ़ी उतर कर एक कमरे का दरवाजा खोल कर उसमें छुप गई। यह कमर सीढ़ियों के बिल्कुल पास था और इसकी खिड़की से पूरा हाल दीखता था।

पापा मम्मी सोफे पर बैठ कर शराब पी रहे थे, मम्मी ने हरे रंग की साड़ी पहनी थी और पापा जींस टी शर्ट पहने हुए थे।

पापा कह रहे थे- जानेमन, टूअर पर तुम्हारी बहुत याद आई, तुम्हारी याद में मेरा लंड बहुत रोया।

यह सुनकर मम्मी हंसने लगी। मुझे समझ नहीं आया कि पापा किस तरह से मम्मी से बात कर रहे हैं।

मम्मी ने कुछ देर बाद कहा- जनेन्द्र, एक बात पूछूँ? सच बताना ! तुमने इन चार दिनों में कितनी लड़कियों को चोदा है?

मम्मी हमेशा पापा को आप कह कर बात करती थी पर आज वो पापा का नाम लेकर बात कर रही थी। यह सुनकर में दंग रह गई की मम्मी कैसी बातें कर रही हैं।

पापा ने कहा- दो लड़कियों को और एक औरत को !

और वो मुस्कुराने लगे, मम्मी भी मुस्कुरा दी।

मैं बता नहीं सकती कि मैं कैसा महसूस कर रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यही मेरी धर्मालु माँ है।

मम्मी बोली- मुझे पता है, तुम्हें रोज चुदाई करने की आदत है, इसके बिना तुम नहीं रह सकते हो।

पापा ने कहा- मैं भगवान म**र का शुक्र गुजार हूँ कि उसने मुझे तुम जैसी पत्नी दी।

मम्मी ने कहा- तुम्हें पता है, चार दिन में मेरी हालत कैसी हो गई है? मैं तो किसी और से सेक्स नहीं कर सकती हूँ तुम्हारे सिवाय ! पापा हंसे और मम्मी का हाथ पकड़ कर उन्हें अपनी गोद में खींच लिया, फिर मम्मी को चूमने लगे, मम्मी से कहा- आज पूरी रात मैं तुम्हारे साथ हूँ, बोलो क्या करोगी?

मम्मी ने हँसते हुए कहा- आज पूरी रात तुम्हारा लौड़ा अपनी फ़ुद्दी से नहीं निकलने दूँगी।

यह सुन कर मेरी हालत ख़राब हो गई, मेरे मम्मी पापा को मैं इस तरह बात करते हुए देख रही थी।

मैं भी गर्म होने लगी।

कहानी जारी रहेगी !

आप अपनी राय साईट पर ही कहानी के नीचे डिस्कस पर लिखें ! अपनी इमेल मैं अपनी पहचान गुप्त रखने के लिए नहीं दे रही हूँ !

सभी व्यक्तियों व स्थानों के नाम भी कुछ परिवर्तित हैं पर मिलते जुलते हैं !

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