वो कच्ची कलियाँ तोड़ गया

प्रेषिका : सिमरन सिंह

मेरा नाम सूर्यप्रभा है, मैं अट्ठारह साल की हूँ और मैं असम के तिनसुकिया जिले के एक छोटे गाँव से हूँ। मेरी बड़ी बहन मानसी और मैं पिछले ५ सालों से दिल्ली में रहती हैं। हमें पापा ने वहाँ के आतंकवाद से दूर पढ़ने भेज दिया था। मैं अभी स्कूल में हूँ और दीदी कॉलेज में आ चुकी हैं। दीदी बहुत खूबसूरत है। गोरी चिट्टी, स्वस्थ शरीर, तेज़ दिमाग वाली हैं मेरी दीदी। मैं पढ़ने में ज़रा कमज़ोर हूँ पर दीदी मेरी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देती हैं और किसी तरह मुझे हर बार पास करवा देती हैं। दीदी मुझे प्यार से छुटकी कहती हैं। मैं और दीदी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हम घर ज्यादा नहीं जा पाते। मैं बहुत भावुक हूँ, बात-बात पे रो देती हूँ जबकि दीदी काफ़ी कड़े दिल की हैं। जब भी ऐसा होता है दीदी मुझे गले से लगा लेती हैं और मुझे प्यार से समझाती हैं। फिर जब मैं हँसती हूँ तो दीदी कहती हैं कि मैं दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची हूँ। पर दीदी ने एक दिन मुझे बड़ा बनते हुए भी देखा।

दीदी का एक दोस्त था- राजीव, जो उनके साथ स्कूल में भी था और कॉलेज में भी एक साल तक साथ था। अच्छा लड़का था। पढ़ने में दीदी से भी तेज़, दिखने में स्मार्ट। वो उदयपुर का रहने वाला है और हमारी ही तरह दिल्ली में पढ़ने आया हुआ था। कॉलेज में आते ही उसने दीदी को प्रोपोज़ भी किया था और दीदी मान भी गई थी पर तब हमारे और उसके घर वालों के डर और दबाव के कारण दीदी ने वो रिश्ता आगे नहीं बढ़ाया। बाद में राजीव ने कॉलेज बीच में छोड़ कर अपने शहर में शादी कर ली। पर जिस दौरान राजीव हमारे साथ था, तब एक घटना ने हम तीनों की ज़िन्दगी बदल दी।

दीदी और राजीव का रोमांस शुरू हुए एक हफ्ता बीता था, अक्टूबर का महीना था। दीदी एक बार रात को उसके साथ मूवी देखने गई, मैं घर पर ही पढ़ाई कर रही थी। वो लोग दस बजे वापस आये। तब तक मुझे कच्ची सी नींद आ गई थी। मेरे कमरे तक उनके बातें करने की आवाज़ आ रही थी। हमेशा तो राजीव दीदी को छोड़ कर घर लौट जाता था पर उस दिन बहुत देर तक बातों की आवाज़ आती रही, फिर उनकी आवाज़ बंद सी हो गई और मेरी नींद गहराने लगी। कुछ देर बाद दीदी की सिसकियों की आवाज़ से मेरी नींद टूट गई।

मैं जल्दी से दीदी के कमरे में गई तो देखा की बिस्तर पर राजीव गर्दन झुकाए बैठा है और दीदी पास खड़ी रो रही है। मानसी दीदी का मासूम चेहरा आंसूओं से भरा हुआ था।

मैंने पूछा- दीदी, क्या हुआ?

तो उसने आंसू पौंछे और मुझे कहा- छुटकी, तू सो जा !

मैं कमरे से बाहर निकल गई लेकिन गई नहीं और कान लगा कर सुनने लगी। राजीव कह रहा था,”मनु, तुम ज़रा सी बात पर क्यूं रो रही हो?”

दीदी ने कहा,”तुमसे मैं बहुत प्यार करती हूँ, पर शादी से पहले मैं कुछ नहीं कर सकती !”

राजीव कहने लगा,”जान, ऐसा कुछ नहीं है, तुमको भी खुश रहने का पूरा हक है।”

मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन तभी दीदी ने कहा,”मुझसे गलती हो गई राजीव, मुझे तुमको चूमना नहीं चाहिए था।”

राजीव बोला,”नहीं मनु, गलती मेरी है !”

दीदी बोली,”तुम्हारी कोई गलती नहीं है, चुम्बन तो मैंने शुरू किया था।”

और इतना कह कर दीदी सुबक सुबक कर रोने लगी। तब मुझे कुछ समझ में आने लगा था, आखिर मैं इतनी भी छोटी नहीं थी। पर दीदी का रोना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।

तब दीदी के रोने की आवाज़ ज़रा कम हो गई और राजीव धीरे धीरे बोलने लगा,”मनु, तुम मुझे बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता।”

फिर ऐसी आवाज़ आई जैसे किसी को किसी ने चूमा हो। फिर अचानक दीदी के रोने आवाज़ फिर से आने लगी। उनके रोने को सुन कर मुझे भी रोना आ गया। अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं वापस उनके कमरे में चली गई और रोते रोते बोली,”दीदी, आप रोइए मत न प्लीज़ !”

और इतना कह कर मेरा रोना और तेज़ हो गया, और मैं छोटे बच्चे की तरह रोने लगी। दीदी मेरे पास आई, दीदी ने मेरे आंसू पौंछे और मुझे गले लगा कर मेरे गालों पर चूमने लगी। मैं चुप हो गई और दीदी ने कहा,”मेरी छुटकी बेटा, अब दीदी नहीं रोएगी !”

“देखो न राजीव हमारी छुटकी कितनी प्यारी है और अब मैं समझ गई हूँ कि खुश रहना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।”

इतना कह कर दीदी ने राजीव को देखा और दोनों के होटों पर मीठी सी मुस्कान तैर गई। तब दीदी ने मुझे सो जाने को कहा। मैंने उनको फिर पूछा कि वो अब रोएगी तो नहीं?

दीदी ने कहा- मेरी जान, मैं अब नहीं रोऊंगी।

दीदी ने मुझे चूमा और मैं अपने कमरे में जा कर सो गई। सुबह देखा कि दीदी ने राजीव का शर्ट पहना हुआ है, और राजीव जो शायद नंगा था, बिस्तर में सो रहा था।

मैंने दीदी से पूछा- राजीव रात को घर नहीं गया?

दीदी ने कहा- नहीं !

और रसोई में जा कर काफ़ी बनाने लगी। मुझे पता चल गया कि रात को क्या हुआ होगा पर अब जो हुआ उसके लिए मैं तैयार नहीं थी।

राजीव उठ चुका था और मुझे देख रहा था। उसने मुझे बुला लिया और कुछ इधर उधर की बात करने लगा। बातों बातों में उसने मेरे पैर पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे से सहलाने लगा। मुझे ज्यादा अजीब नहीं लगा, लेकिन मन में कुछ अजीब सा लगा। दीदी तब तक कमरे में आ चुकी थी और राजीव को घूर के देख रही थी। राजीव ने हाथ हटा लिया।

मैंने कहा- मैं स्कूल के लिए तैयार होती हूँ !

और बाथरूम में चली गई। वहां मुझे उनकी धीमी धीमी आवाज़ आ रही थी। लग रहा था जैसे राजीव दीदी को कुछ सलाह दे रहा है और दीदी पहले गुस्सा कर रही हैं, और बाद में मान गई हों।

मैं स्कूल ड्रेस का स्कर्ट-टॉप पहन कर बाहर की तरफ जा रही थी, तभी दीदी ने आवाज़ दी। मैं गई तो मुझे कहा- आज स्कूल मत जा, यहीं बैठ कर हमसे बातें कर !

मैंने कहा- ओके !

राजीव ने पूछा,” छुटकी ! तू अपनी दीदी से कितना प्यार करती है?”

मैंने कहा,”ढेर सारा”

उसने कहा कि वो भी उनसे बहुत प्यार करता है और उनसे शादी भी करेगा।

फिर दीदी ने पूछा,”तुझे पता है कि हम लोग रात में क्या कर रहे थे?”

मैं समझ नहीं पाई कि क्या बोलूं, बस गर्दन झुकाए बैठी रही।

दीदी बोली- शरमा मत !

तो मैंने हाँ में सर हिला दिया। तब दीदी बोली- देखा राजीव, मेरी छुटकी थोड़ी सयानी भी है !

राजीव बोला,”हाँ, और बहुत सुन्दर भी !”

मैं शर्म के मारे लाल होने लगी थी। तब दीदी ने पूछा कि क्या मैं भी कुछ मज़ा करना चाहती हूँ? तो मैंने हाँ में सर हिला दिया।

यह सुन कर राजीव मेरे पास आया और मेरे गालों को चूमने लगा। तब दीदी ने उसको रोका और कहा- राजीव ध्यान से ! मेरी बहन अभी इतनी बड़ी नहीं है !

राजीव ने कहा कि वो जानता है कि मैं दीदी से भी ज्यादा नाज़ुक हूँ । फिर उसने बिस्तर पर चादर के अन्दर बैठे बैठे ही मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गाल, होटों और गले पर चुम्बनों की बौछार कर दी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसने मेरा शर्ट उतार दिया और मेरे वक्ष को ब्रा के ऊपर से चाटने लगा। मेरे मुँह से ऊम्म्म्ह्छ आःह्ह् की आवाजें निकलने लगी।

दीदी मेरे पास आ गई और मेरी ब्रा खोल दी। मेरे दो छोटे से संतरे नंगे हो गए। मुझे बहुत शर्म आई। राजीव ने मुझे शर्माते देख फिर से मुझे गालों और होटों पे चूम लिया, साथ में मेरे स्तन भी दबाने लगा। मुझे अब बहुत मज़ा आने लगा था। ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था। तब तक दीदी मेरी पीठ और कमर को चूम रही थी। फिर दीदी ने मेरा स्कर्ट उतार दिया, मेरी पैंटी पे कुछ गीलापन आ गया था।

अब राजीव ने मेरी पैंटी पर हाथ से सहलाया और फिर हाथ अन्दर डाल दिया। मुझे तो जैसे झटका लग गया। मेरा मुँह खुल गया और आह निकल गई। अब दीदी ने मुझे होटों पर चूमा तो मैंने जोश जोश में उनके बाल पकड़ लिए। तब तक राजीव मेरे पेट पर चूम रहा था। मेरी हालत ख़राब हो गई थी। मैं अब बिस्तर पर चित्त लेटी थी और वो दोनों मुझसे खेल रहे थे।

तभी मेरी पैंटी राजीव ने अलग कर दी, वो मेरी चूत पे उगे छोटे बालों में गुदगुदी करने लगा। मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। उसने मेरे दाने पर हाथ रखा तो लगा जैसे मैं जन्नत में हूँ। फिर वो उसको रगड़ने लगा और मेरी ऊओह् आःह् की आवाजें शुरू हो गई। मेरे छोटे गुलाबी चुचूक पहले ही कड़क हो गए थे। दीदी उनको काट और चूम रही थी।

अब दीदी ने अपना शर्ट उतार दिया और एकदम नंगी हो गई। दीदी के बूब्स भी मेरी तरह थे, बस ज़रा से बड़े थे। तब तक मैं चीख चीख कर बिस्तर पर कूदने लगी थी, चादर को पकड़ कर पूरा शरीर मोड़-तोड़ रही थी। तभी मेरे अन्दर तूफ़ान सा आया और मैं पहली बार झड़ गई।

मैं ओह दीदी कह कर उनसे लिपट गई और दीदी ने मुझे प्यार से ढेर सारे चुम्मे दिए।

तब राजीव ने अपना ९ इंच का लिंग मुझे दिखाया और छूने को कहा। मैंने छुआ तो राजीव ने हलकी सी आह भरी। राजीव ने दीदी को देखा तो दीदी ने हाँ में सर हिलाया और मुझे फिर से चूम के कहा,”छुटकी, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन फिर मज़ा आएगा !”

तब तक राजीव ने लंड को मेरी छोटी सी नाज़ुक चूत पे सहलाना शुरू कर दिया। मुझे सिरहन सी होने लगी और मैंने दीदी को पकड़ लिया।

राजीव ने लंड को थोड़ा चूत के अन्दर डाला तो इतना दर्द हुआ कि मेरा मुँह खुला रह गया, चीख भी नहीं निकली, बस गले से हलकी सी तीखी आवाज़ और आँखों से आंसू निकल आये। दीदी मेरे सर पे हाथ फेरने लगी। राजीव ने एक झटके से और भी अन्दर डाल दिया, तो मैं बिलखने लगी।

मुझे रोता देख दीदी के भी आंसू आ गए थे। दीदी मुझे चूमती जा रही थी और कह रही थी,”बस बेटा थोड़ा और !”

अब राजीव ने एक आखिरी झटके के साथ पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया। मेरा रोना जारी रहा और मैंने जब नीचे देखा तो चादर पर खून था, जिसे देख कर मेरी और हालत ख़राब हो गई। दीदी ने कहा- कोई बात नहीं ! ऐसा होता है पहली बार में !

अब राजीव झटके मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर कर रहा था। वो बीच बीच में मेरे स्तन भी चूस रहा था। मेरी थोड़ी देर तक दर्द से हालत ख़राब रही। तब मेरे मुँह से रोने और दीदी- दीदी के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।

फिर दर्द ज़रा कम होने लगा और मैं मज़ा लेने लगी। अब मैं ऊऊउम्म्म्म्म, ऊऊह्ह्, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाजें निकाल रही थी। दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी। राजीव की तरफ उन्होंने कामुक नज़रों से देखा और राजीव ने मुझे चोदते हुए ही उनको चूम लिया।

फिर राजीव बोला- चलो, अब अपनी छुटकी को ओरल सिखा दो !

तो दीदी ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और कहा- चाट न छुटकी !

उनकी चूत पर बाल नहीं थे, मैंने चाटना शुरू कर दिया और दीदी अपने दाने को ऊँगली से रगड़ रही थी। ये काम मैंने दीदी से ले लिया और जीभ अन्दर बाहर करने के साथ उनका दाना भी रगड़ने लगी। दीदी ने कहा,”ऊह छुटकी, आई लव यू मेरी बच्ची !”

फिर वो आह ऊऊऊउम्म्म्म्ह जैसी आवाजें जोर जोर से निकालने लगी। उधर राजीव के ज़ोरदार झटकों की वजह से मैं दो बार झड़ चुकी थी।

अब राजीव का शरीर अकड़ने लगा और उसने लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मेरे स्तनों के बीच रख कर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में वो झड़ गया और उसका वीर्य मेरी गर्दन और मुंह पे फैल गया। दीदी को भी काफी वीर्य लगा क्यूंकि वो मेरे मुँह पर थी। दीदी राजीव को चूमने लगी। उसके बाद उनकी आह चीखों में बदल गई और ऊऊम्म्म्म्म्ह्ह्ह की मीठी आवाज़ के साथ वो मेरे मुँह पर झड़ गई।

फिर वो नीचे उतर कर मुझ पर लगे वीर्य को चाटने लगी और मुझे साफ़ कर दिया। दीदी और राजीव ने मुझे कई बार चूमा, फिर उन्होंने आपस में चूमा चाटी की और एक दूसरे से लिपट गए। राजीव नीचे लेटा और दीदी ने उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया। फिर वो ऊपर नीचे होने लगी। राजीव कभी दीदी के स्तन दबाता था और कभी उनकी कमर सहलाता था।

मेरा शरीर टूट रहा था पर मैं फिर से गर्म हो गई उनको देख कर !

मैंने ऊँगली अपनी चूत में डाल ली। यह देख राजीव ने मुझे पास बुलाया और मुझे कहा कि मैं उसके मुँह पर आ जाऊं जैसे दीदी मेरे मुँह पर आई थी। मैंने ऐसा ही किया तो राजीव ने अपनी जीभ से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं थोड़ी देर में जोश में आकर राजीव के मुँह पर कूदने लगी। दीदी और मैंने अपने हाथ मिला लिए और मिल कर कूद रहे थे। थोड़ी देर में दीदी झड़ गई, फिर राजीव झड़ गया। फिर उन दोनों ने मुझे चूमते हुए, चाटते हुए बहुत मज़े से चरम सीमा पर पहुँचाया।मैंने इतना मज़ा ज़िन्दगी में कभी नहीं किया था। मैंने राजीव को चूमा और बोली,”मज़ा आ गया जीजू !”

फिर मैं दीदी से लिपट गई, दीदी ने मुझे ढेर सारा प्यार किया और मैं उनकी बाहों में ही सो गई।

राजीव बाद में दीदी की और मेरी ज़िन्दगी से दूर चला गया, पर वो हसीं लम्हें, अक्टूबर की वो एक रात जब दीदी का और दिन जब मेरा कौमार्य भंग हुआ, मुझे कभी नहीं भूलता। मैं नहीं भूल सकती कि कैसे उस प्यारे ने हम कलियों को तोड़ दिया।

राजीव को गए ज्यादा समय नहीं हुआ है पर मेरी दीदी सम्भल गई हैं, बस एक अंतर आया है हमारे जीवन में, हम दोनों अब अन्य ज़रूरतों के साथ साथ एक दूसरे के शरीर की भूख भी शांत करती हैं।

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