मन अभी भरा नहीं !

(Mann Abhi Bhara Nahi)

जैसा कि आप जानते हैं कि सेक्स की भूख कभी कम नहीं होती। यही हाल मेरा था।
मोना की दीदी की चुदाई और भाभी को चोदने के बाद में नए साथी की तलाश कर रहा था। कहते हैं ना कि जहाँ चाह होती है रास्ते अपने आप निकल आते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैं अब आपके सामने अपना नया अनुभव रख रहा हूँ, कैसा लगा, मेल जरूर करियेगा।

बात उन दिनों की है जब मैं कोलज में था। मैंने कुछ सब्जेक्ट्स की कोचिंग लेनी थी सो मैंने एक कोचिंग सेंटर में प्रवेश ले लिया और पढ़ने लगा। वहाँ काफी लड़के और लड़कियाँ पढ़ने आते थे और मेरी आदत थी लोगों से दोस्ती करने की, तो जल्द ही सभी लोगों से मेरी दोस्ती हो गई।

मैं ठहरा सेक्स का भूखा, तो जाहिर है मेरी रुचि लड़कियों में ही ज्यादा थी। धीरे-धीरे मेरी दोस्ती लड़िकयों से बढ़ गई। उनमें से एक लड़की थी जो मेरे ज्यादा नजदीक आने लगी थी। मैं उसके घर भी जाने लगा था, उसके घर वाले मुझको अच्छी तरह से जानते थे। मेरा उसके घर आना जाना बढ़ने लगा और अब मैं रोज क्लास के बाद उसके साथ उसके घर जाता और घंटों हम लोग बातें करते रहते। बहुत सेक्सी लड़की थी वो, जब टी-शर्ट पहन कर आती थी तो उसके उभारों का क्या कहना! ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ हों। और नितम्ब बहुत मस्त लगते थे।

शुरुआत में हमारी बातें सामान्य थी पर धीरे धीरे हम लोगों में नजदीकियाँ बढ़ने लगी। अब जब भी मैं उसके घर जाता हम लोग उसके कमरे में जाकर बैठ जाते, वहाँ कोई नहीं आता था तो हमको कोई चिंता नहीं थी। अब जब भी मैं वहाँ जाता वो मेरे घुटनों पर सर रख कर लेट जाती और हम बात करते। पर जब वो ऐसे लेटती थी तो मेरी नज़रें उसके कुरते के ऊपर और अंदर से उसके उभारों को ढूँढती रहती। मैं उसके सर को सहलाता रहता। इस अवस्था में कई बार मेरी नज़रें उसके उभारों के बीच की दरार के बीच अटक जाती। क्या मस्त स्तन थे उसके, बिल्कुल सीधे और बड़े बड़े।

एक दिन मैंने उससे कहा- तुम ऐसे मत लेटा करो, मेरी नियत ख़राब होती है।
तो वो बोली- कैसे?
तो मैंने उसके कुरते के गले की ओर इशारा करते हुए कहा- वहाँ से कुछ अंदर का दीखता है।
तो वो शरमा गई।

फिर जब मैं अगली बार उसके घर गया तो वो फिर वैसे ही लेट गई।
तो मैंने उससे वही बात कही तो वो बोली- अगर नियत ख़राब होती है तो कर लो।
मुझको उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी पर उसके मुँह से यह बात सुन कर मेरी तो जैसे निकल पड़ी।
मैंने कहा- सोच लो!
तो उसने सहमति में सर हिला दिया और वैसे ही आँखें बंद कर के लेटी रही।

मेरा तो मेरी ख़ुशी पर काबू ही नहीं था। आज ऐसा मस्त माल मिला था चोदने को कि पूछो मत।
मैंने धीरे से अपने हाथ उसके कुरते के ऊपर से उसके उन्नत उभारों पर रखे और उनका जायजा लेने लगा। मेरे हाथों में उसके स्तन पूरे नहीं आ रहे थे। पर मैं धीरे-धीरे उनको ऊपर से दबाने लगा और वो कसमसाने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- क्या मैं अन्दर हाथ डाल लूँ?

तो उसने फिर सहमति में सर हिला दिया। मैंने उसके गले पर हाथ फेरते हुए अपना सीधा हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से दबाने लगा। क्या मस्त कोमल चूचियाँ थी उसकी। मुझे उनको दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था। फिर मैंने उसको बैठाया और उसके लाल होंठों पर हाथ फेरे। फिर धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब हम लोग एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर और दूसरा उसके स्तन दबा रहा था। इसी मस्ती में मैंने अपना हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। मेरा हाथ बार बार उसके ब्रा के हूक पर जा रहा था।
मैंने उससे कहा- प्लीज, अपना कुरता उतार दो!

तो उसने मना कर दिया पर थोड़ा और बोलने पर वो तैयार हो गई। मैंने धीरे से उसका कुरता उतार दिया। उसके ऊपर के शरीर पर सिर्फ एक ब्रा थी। मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया और उस पर चढ़ गया। उसके उन्नत उरोज़ मेरे सीने पर लग कर बहुत अच्छा अनुभव दे रहे थे। हम लोग लगातार एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ फेर रहा था। कभी मैं उसके ऊपर कभी वो मेरे ऊपर।

करीब एक घंटे तक हम यही करते रहे। मेरा मन तो उसको चोदने का था पर उसका मूड इससे आगे जाने का नहीं था सो मैंने जोर नहीं दिया और यही खूबसूरत एहसास ले कर आ गया।

उससे मना तो कर दिया था पर मैंने उसको चोदने का मन बना किया था और इस काम के लिए मुझको क्या करना था मैं जानता था। अब रोज ही हम लोगो में ऐसी मस्ती होने लगी।
3-4 दिन बाद मैंने उसको कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के यानि नंगा देखना चाहता हूँ!
तो वो शरमा गई और अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया।

मैंने उसके हाथों को हटा कर उसके चहरे को चूम लिया। रोज की तरह मैं उसका कुरता पहले ही उतार चुका था। मैंने धीरे से उसके ब्रा का हूक खोल दिया और उसके ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया। उसके मोटे मोटे वक्ष मेरे सामने थे। मैंने फुर्ती से उनको पकड़ लिया और दबाने लगा। मैंने एक चुचूक अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मुझको बहुत मजा आ रहा था और वो भी मस्ती में खोने लगी थी। मेरे हाथ उसके पूरे शरीर को टटोल रहे थे। उसकी जांघों, उसके नितम्बों और उसकी चूत को भी मैं सहला रहा था। वो मस्ती से चूर हो रही थी और अब उसके चूतड़ भी उछल रहे थे। मुझको इतना अनुभव तो था हो अगर लड़की अपने चूतड़ उछालने लगे तो समझो लड़की चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मैं उसके वक्ष को चूसते हुए उसके पेट को चूमने लगा और इसी बीच धीरे से मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और धीरे धीरे उसके पजामे को नीचे सरकाना शुरु कर दिया। उसकी जांघें बिल्कुल संगमरमर की तरह चिकनी थी बिना बालों के। उसकी गुलाबी रंग की पेंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। उसमें उसकी फुद्दी बिल्कुल पाव की तरह फूली थी और उसकी पेंटी थोड़ी गीली भी हो गई थी।

मैंने पजामा उतारना शुरु कर दिया वो पहले मना करती रही पर मैं नहीं रुका तो उसने विरोध करना बंद कर दिया। मैंने उसका पजामा उसके शरीर से उतार कर एक तरफ़ फेंक दिया। अब वो सिर्फ पेंटी में थी और उसकी पाव जैसी फुद्दी मुझको अपनी और आकर्षित कर रही थी। मैंने बिना वक्त गंवाए उसकी चूत पर मुँह लगा दिया और पेंटी ले ऊपर से ही उसको चूसने लगा। वो मेरे सर को जोर जोर से दबाने लगी और मैं भी जोश में आकर उसकी चूत को चूसने लगा।

अब मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था। मैंने अब मौका गंवाए बिना उसकी पेंटी भी उतार फेंकी। अब वो बिल्कुल नंगी थी बिना कपड़ो के, बिना बालों के, बिल्कुल चिकनी। मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ फेर रहा था और उसकी फुद्दी को मसल रहा था। वो मस्ती में चूर थी और मेरा भी वही हाल था। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था और उसमें अपनी उंगली डाल रहा था।

फिर मैं अपना मुँह उसकी चूत के पास लेकर गया और उस पर चूम लिया। उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी। मैं अब उसकी चूत को अच्छी तरह देख सकता था। मस्त, गुलबी, बिना बालों की एकदम फूली हुई चूत थी उसकी जिसमें से अजीब सी खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देख कर साफ़ पता लग रहा था कि उसने अपने बाल आज ही साफ़ किये थे मतलब आज वो इसके लिए तैयार थी।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने और चूमने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसका रस पी रहा था।

मेरा लंड पैंट के अन्दर नहीं समा रहा था सो मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया और उसके होंठों पर रगड़ने लगा। उसने मेरे लंड को प्यार से देखा और उसे चूमने लगी।

मैंने उसको कहा- जान, इसको अपने मुँह में लेकर इस पर एहसान कर दो।

उसने बिना वक़्त गंवाए मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में रख लिया। मुझको ऐसा लगा मानो मैं जन्नत में हूँ। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसके मुँह के अन्दर था और मैं उसके मुँह को झटके मार मार कर चोद रहा था। फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गये। मेरा मुँह उसकी चूत को चाट रहा था और उसका मुँह मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रहा था।

अब हम लोग अपने बस में नहीं थे और अब रुक भी नहीं सकते थे सो मैंने अपना लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया। उसकी चूत पानी निकलने के कारण चिकनी हो चुकी थी सो मेरे एक ही झटके से मेरा लंड उसकी चूत में उतर गया। मैं भी पुराना खिलाडी था सो लंड डालते ही मुझको पता चल गया कि यह लड़की पहले भी लंड खा चुकी है पर अभी मुझको अपने मज़े से मतलब था। अगर किसी ने पहले इससे मज़े लिए हैं तो मुझको क्या। मुझे जो चाहिए थे वो मिल रहा थे और चूत से खेलने का हक तो सबको है।

अब मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में था। मेरा लंड उत्तेजित हो कर मोटा हो गया था और उसकी चूत में रगड़ खा रहा था। हम लोगों को बहुत ही मजा आ रहा था। मैं अपने लंड से उसकी चूत में धक्के मार रहा था और वो भी चूतड़ उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम लोग झड़ने लगे। उसने मेरे लंड को अपनी चूत दबा के अन्दर ही फंसा रखा था और वो अपनी चूत से मेरे लंड को दबा रही थी।

थोड़ी ही देर में पहले उसने अपनी धार छोड दी और अब मेरा नंबर था। जैसे ही मेरा रस निकलने को हुआ मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। मेरा सारा रस उसके मुँह में निकलने लगा। जितना वो पी सकती थी उसने पिया बाकी उसके चहरे पर बह गया। उसने एक कपड़े से अपना मुँह साफ किया और हम लोग वैसे ही लेट गए। हम लोगों को इस काम में बहुत मजा आया था। हम दोनों अब एक दूसरे से चिपक कर लेटे थे।

उसके शरीर क़ी गर्मी से थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा। अब मेरा लंड उसके चूतड़ों क़ी दरार के बीच था। उसने फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूस-चूस कर खड़ा कर दिया। अब मैंने उसको घोड़ी की अवस्था में आने को कहा तो वो अपने घुटनों पर बैठ कर घोड़ी बन गई। मैंने उसकी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और अपना लंड उस पर रख कर जोर लगाने लगा। थोड़ी देर क़ी मेहनत के बाद मेरा लंड उसकी गांड में था। मैंने फिर उसकी गांड क़ी चुदाई शुरु कर दी और अपने हाथ उसके वक्ष पर रख के उनको दबाने लगा। हम लोग बिल्कुल कुत्तों की तरह एक दूसरे को चोद रहे थे। थोड़ी देर क़ी चुदाई के बाद हम लोग दुबारा झड़ गए।

फिर कुछ देर वैसे ही लेट कर सो गए। थोड़ी देर बाद मैं उठा और कपड़े पहन कर तैयार हो गया। वो अभी भी बिना कपड़ों के लेटे मुझको देख रही थी।

उसने मेरा हाथ पकड़ के कहा- मन अभी भरा नहीं! अभी मत जाओ!
तो मैंने उसके होंठों को चूम कर कहा- जान, चिंता मत करो, अब तो मैं तुमको रोज खुश किया करूँगा।
फिर मैंने उसके चुचूक मुँह में लेकर उनको बहुत देर तक चूसा और फिर घर आ गया।

उसके बाद हमको जब भी मौका मिलता हम सेक्स करते और सिलसिला लगभग रोज ही चलता। जब तक वो मेरे साथ रही हम लोगों ने हर आसन का मजा लिया। जितने तरीके हो सकते थे हमने आजमाए।

आज मेरी वो दोस्त मेरे साथ नहीं है पर आज भी वो मुझको बहुत याद आती है। मैं चाहता हूँ कि अगर वो इस कहानी को पढ़ रही है तो वापस मेरे पास आ जाये। मैंने अब उसको पहले से भी ज्यादा मजा दूँगा। मेरा लंड आज भी उसकी याद में खड़ा हो जाता है।

आप लोगों को मेरी आपबीती कैसी लगी, कृपया मुझको मेल जरूर करें ताकि मैं आगे भी आप लोगों के लिए ऐसे और अनुभव अन्तर्वासना पर ला सकूँ।
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