एक ख्वाहिश

(Ek Khwahish)

ख्वाहिशें सच में बहुत अजीब होती हैं। अन्तर्वासना पर लेखकों की ख्वाहिश कि बस लड़कियों के ढेर सारे मेल आयें और दिन रात मैं सम्भोग के असीम पलों का आनन्द लेता रहूँ..
पुरुष पाठकों की ख्वाहिश कि इन कहानियों जैसा ही कुछ हमारे साथ भी हो जाए !
पाठिकाओं की ख्वाहिश कि काश मेरे बॉयफ्रेंड या पति का लिंग भी इन्हीं कहानियों की तरह होता और वो भी ऐसे ही मज़े दे पाते।

बहुत सी कुंवारी कन्याएँ भी इस वेबसाइट को देखती हैं, इसका पता मुझे अपनी कहानियों के प्रकाशन के बाद ही चला। उनकी ख्वाहिशें कि ऐसा ही कुछ हमारे जीवन में भी घटित हो, पर उन्हें डर भी होता है पता नहीं जिनसे हम बात करें, वो कैसा होगा। डर के साथ सम्भोग के सुख को प्राप्त कर पाना मुश्किल है।

सभी की तरह मेरी भी ख्वाहिश है कि ऐसी कोई तो मिले जो सेक्स में कभी ना न कहे और पूरे पल को पूरे एहसास के साथ जिए। सच कहूँ तो मुझे आज तक ऐसी कोई मिली नहीं, कभी कभी तो लगता है ऐसी कोई है ही नहीं जो निशांत को शांत कर सके। एक बार तो तीन लड़कियों के साथ भी कोशिश की पर नहीं दूसरे ही दिन तीनों मुझे पास भी आने नहीं दे रही थी। खैर जो भी हो मेरी दुआ है कि आप सभी की ख्वाहिशें पूरी हों..

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह कहानी है मेरी और शोना की। जब मेरी कहानी ‘प्रेम अध्याय की शुरुआत’ का प्रकाशन हुआ तब एक कन्या ने मुझसे फेसबुक पर संपर्क किया। मेरे दिल के तार भी बजने लगे। मैंने उससे बात शुरू की वो किसी मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी। हमारा संवाद कुछ इस प्रकार हुआ..

शोना- मेरा नाम शोना(बदला हुआ) है, मैं मेडिकल की छात्रा हूँ आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। आप अपने बारे में बतायें, आपकी उम्र और आप क्या करते हो ?

मैं- जानू प्यार का उम्र से क्या लेना देना है। वैसे उम्र 25 साल है और हर उस लड़की से प्यार करता हूँ जो भी मुझसे प्यार की उम्मीद करती है..

शोना- कितनी गन्दी बातें करते हो आप। आपकी कहानियों से लगा था आप भावनाओं की कद्र करते हो। बस सेक्स नहीं स्त्रियों की भावनाएँ भी आपके लिए मायने रखती हैं।

मैं- क्या करूँ शोना, जब कोई तुम्हारी भावनाओं से खेलने लगे तो किसी और की भावनाओं को समझना मुश्किल हो जाता है। माफ़ करना मेरे इस व्यवहार के लिए !

शोना- काफी चोट खाए आशिक लगते हो जनाब आप ! आपकी कहानियाँ ही बता देती हैं।

मैं- शारीरिक चोट की दवा तो मिल भी जाती है। पर इस दिल की दवा आज नहीं मिली। वैसे आपके जीवन में ऐसा कुछ हुआ है क्या?

शोना- नहीं, मैंने कभी किसी को अपने दिल के इतने अन्दर आने ही नहीं दिया कि कोई उसे ठेस पहुँचा सके। पहली बार आपकी कहानियों को पढ़कर मुझे आपसे संपर्क करने की इच्छा हुई।

मैं- तो अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती हैं आप? मुझे लगा कि इस मामले में बहुत अनुभवी होगी।

शोना- नहीं जी, ऐसा नहीं है कि सभी जो ऐसी कहानियाँ पढ़ती हैं वो अनुभवी ही हों। वैसे हाँ, मुझे पसंद है दूसरो के अनुभवों को जानना ताकि मेरा पहला अनुभव मैं अच्छे से जी सकूँ। आप जिस तरह से काम क्रीड़ा का वर्णन करते हो उससे उम्मीद जगती है कि ऐसे भी लोग हैं जो साथी की भावनाओं की कद्र करते हैं। अगर कोई भी लड़की यह कहती है कि नहीं इस चीज़ को अनुभव करने का मन नहीं है तो वो झूठ कहती है क्योंकि यह तो इंसान की सहज वृति ही है। जैसे पुरुष किसी स्त्री को देख कर आकर्षित होता है वैसे ही कोई स्त्री भी पुरुष के प्रति आकर्षित होती है। बस वो घबराती है कि सामने वाला सही मायने में उसे समझेगा या नहीं।

मैं- आपने तो मेरी आँखें खोल दी। कहाँ थी अब तक आप? मन तो करता है कि आपका शिष्य बन जाऊँ और स्त्री की भावनाओं का ज्ञान आपसे प्राप्त करूँ..

शोना- बस भी करो मेरा मजाक उड़ाना ! माफ़ करना जो मैंने तुम्हें इतना ज्ञान दे दिया।

मैं- ठीक है, इतना तो समझ गया कि आप अनुभव तो प्राप्त करना चाहती हो पर घबराती हो। वैसे मुझ पर भरोसा कर सकती हो।

शोना- नहीं आप भी जानते हो इन्टरनेट पर किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता। फिर चाहे वो लड़की हो या लड़का। मैं यूँ ही किसी के साथ भी संबंध नहीं बना सकती।

मैं- पर उसका अनुभव तो कर सकती हो न ! मुझे भी किसी पर भरोसा नहीं है और मैं बस अब दायरे से बाहर किसी अनुभव को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम वीडियो चैट कर सकते हैं। इसमें हम दोनों आमने सामने होंगे और भरोसे वाली बात भी होगी।

शोना- मैं कैसे मान लूँ कि तुम हमारी बातों को रिकॉर्ड नहीं करोगे और बाद में मुझे परेशानी हुई तो? ऐसे कैसे कर लूँ तुम पर भरोसा?

मैं- वैसे इतनी गिरी हुई हरकत करना तो दूर, मैं सोच भी नहीं सकता ! फिर भी तुम्हारे भरोसे के लिए जब भी पहली बार तुम मेरे सामने वीडियो पर आओगी तब मैं तुम्हें अपनी ओरिजिनल फेसबुक आईडी और पासवर्ड दे दूंगा, अगर तुम्हें कभी भी ऐसा कुछ महसूस हुआ तो तुम उसके वाल पे जितनी चाहे उतनी गालियाँ दे देना और साथ ही तुम्हारी बात भी उन सब से करवा दूंगा जो मुझसे इस तरह से बहुत दिनों से बात कर रही हैं।

शोना- मैं तुम्हें देखना चाहती हूँ।

मैंने अपनी तस्वीर उसे भेज दी !

शोना- तुम तो बॉलीवुड हीरो जैसे दीखते हो। मैं उतनी सुन्दर नहीं हूँ। मुझे देख के तुम्हारा क्या होगा, रहने दो इस टॉपिक को..

मैं- तुम लड़कियों की अदाएँ भी न.. एक दिन मेरी जान ले लेंगी !

तभी एक वीडियो कॉल का रिक्वेस्ट आ गया। मैंने उसे रिसिव किया और शोना मेरे सामने थी।

हुस्न ऐसा कि जैसे पलकें झुकाने का दिल ही ना करे, होंठ मानो बरसों की प्यास बुझा दें, स्तन की उसकी एक छुअन जिस्म में आग लगा दे और आँखें ऐसी कि लबों से कुछ कहने की जरूरत ही न हो…

शोना अब मेरे सामने थी, यकीन नहीं हो रहा था पर यह सच था। मैंने अपने गाल पर अपने नाख़ून गड़ाए।

शोना ने पूछा- क्या करे हो?

मैंने कहा- खुद को यकीन दिला रहा हूँ कि यह सच है, कोई सपना नहीं।

वो हंसने लगी। इस एक हंसी की खातिर राजा अपना देश लुटा दे !

फिर मैंने वादे के मुताबिक़ अपना यूजर आई डी पासवर्ड दिया। फिर हमने अपनी बात शुरू की।

मैं- कैसा लग रहा है इस तरह किसी अजनबी से बात करते हुए?

शोना- तुमने सच मुझे अपना सा महसूस करा दिया है। लग ही नहीं रहा कि हम पहली बार बात कर रहे हैं। तुम ऐसे मत देखो। तुम्हारी आँखें मुझे बेचैन कर रही हैं।

मैं- ठीक है, मैं अपनी आँखें नीचे कर लेता हूँ..

शोना- नहीं, वहाँ नहीं देखो। तुमको ना, बहुत मारूँगी मैं ! बहुत बदमाश हो तुम..

मैं- बोल तो ऐसे रही हो कि जैसे कितना कुछ दिख रहा हो। मेरी आँखें हैं, कोई एक्स रे नहीं जो अंदर तक झाँक लूँ..

शोना- अच्छा जी ! तो क्या देखना है आपको?

मैं- सब कुछ जो तुम दिखाना चाहो !

मेरी आँखों में चमक आ गई थी। उस वक़्त शायद शोना ने भी उसे महसूस कर लिया था।

शोना- मेरे लिए यह सब बिल्कुल नया सा है। बहुत अजीब सा लग रहा है। मैं नहीं कर पाऊँगी..

मैं- पता है मुझे इस तरह पहली बार में ही खुल जाना संभव नहीं होता है। मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकता हूँ, पर एक रास्ता है। तुम्हें सहज करने का ! अगर तुम हाँ कहो तो?

उसने स्वीकृति में सर हिलाया।

मैंने उससे कहा- अपनी आँखें बंद कर लो और हकीकत में नहीं तो खयालों में ही मैं तुम्हें ले चलता हूँ एक हसीन सफ़र पर। कोई एक जगह बताओ जो तुम्हें बहुत पसंद है..

शोना- मसूरी, देहरादून, ये मुझे बहुत पसंद हैं।

मैं- फिर ठीक है। अब हम अपनी आँखें बंद कर लेते हैं। हैडफ़ोन हम दोनों के कान के पास था और हम दोनों ही बिस्तर पर लेटते हुए ख्वाबों में निकल पड़े एक हसीन सी दुनिया में। जहाँ न कोई दीवार थी न कोई बंदिश बस एक एहसास था प्यार का किसी के साथ होने का !

खो गए हम दोनों और बस एहसास में एक दूसरे का साथ पा लिया।उसी बात को एक कहानी के रूप में लिखा है मैंने..

शोना और मैं अलग अलग शहरों में रहते थे। जिंदगी के हर पहलू को जीना चाहते थे हम। हम दोनों को ही इस बात का पता था कि कभी भी यह सपना टूट सकता है इसीलिए हम दोनों ही प्यार को महसूस करने और अपनी जिंदगी के अधूरेपन को पूरा करने के लिए निकल पड़े एक सफ़र पर। मेरी मुलाक़ात शोना से दिल्ली में हुई पहली बार !

20 साल की उम्र थी और पूरा बदन भरा पूरा था, रंग दूधिया और चेहरे पर ख़ुशी।

आनंद विहार के बाहर हमारी मुलाकात हुई। वहाँ से ही हमें साथ साथ आगे का सफ़र पूरा करना था। मैं उसके पास गया वो पास ही सटे मेट्रो के फ्लाईओवर पर थी, शाम का वक्त था, हल्का अँधेरा सा था। लड़के लड़कियों के जोड़े पास में ही बैठे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा। मुझे नहीं पता था कि अब मुझे क्या करना चाहिए।

जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा उसने मुझे गले से लगा लिया। मैंने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए। उसने मुझे थोड़ी देर तक तो पकड़े रखा, फिर अचानक ही मुझे झटके से दूर कर दिया। शायद उसके लिए यह प्रथम एहसास था किसी और के साथ का।

मैंने और आगे बढ़ना ठीक नहीं समझा, मैंने कहा- तो अब चलें?

उसने मौन स्वीकृति दे दी। हम दोनों प्लेटफोर्म पर पहुँचे हमारी ट्रेन लगी हुई थी। ए सी बोगी में साइड लोअर और साइड अपर बर्थ थी हमारी। हमने अपना सामान नीचे रखा और लोअर बर्थ पर बैठ गए। पर्दा लगा लिया था हमने। अब भी बस हम एक दूसरे की तरफ

देखे ही जा रहे थे।

शोना के बाल कंधे से थोड़े नीचे तक थे, आँखें काली थी, रंग तो इतनी कम रोशनी में भी चमक रहा था, होंठों का असर अब तक मेरे होंठों पर था, एक बार उसकी तरफ देखा तो उसे देख शायर की लाइन याद आ गई:

कुछ तो शराफत सीख ले इश्क शराब से

बोतल पे लिखा तो है मैं जानलेवा हूँ !

तभी टी टी ने आकर हमारे टिकट देखे और चला गया। वहाँ से हमें देहरादून तक जाना था। रात भर का सफ़र था।

मैंने अपने हाथ को आगे किया और उसके हाथों को पकड़ अपने पास खींचने लगा हल्के हल्के ही कि वो मेरे करीब तो आये। वो अब तक सहज नहीं हो पाई थी..

मैंने उससे पूछा- जान, आज माहौल कितना खामोश है न?

मेर अन्दर एक आग सी लग रही है, पर उसकी आँखों की हया मैं देख सकता था, वो बस मौन ही थी, न कुछ कह रही थी, न ही कुछ सुनना चाह रही हो, जैसे बस उस बीतते वक़्त को महसूस कर रही थी..

“कितना सुरूर रात की तन्हाईयों में था..

चुप था चाँद जैसे रुसवाईयों में था..

लोग जग रहे थे अपनी अपनी इबादत के लिए..

और दिल किसी की यादों की गहराईयों में था !

मैंने जल्बाजी से काम न लेते हुए थोड़ा इंतज़ार करना ही बेहतर समझा, अपना फ़ोन निकाल उसमें गाना लगा दिया..

और आहिस्ता कीजिये बातें..

वो गाने के बोल सुन मुस्कुराने लग गई, मैं उसके करीब गया और उसकी गोद में मैंने अपना सर रख दिया, फिर उसकी तरफ देखने लगा, वो भी मेरी तरफ देख रही थी।

काफी देर बाद उसने अपनी मीठी सी आवाज़ में कुछ कहा..

यूँ इस तरह हमसे नज़रे न मिलाइए..

कि डर लगता है कुछ होने का..

थोड़ा हमसे दूर हो जाइए..

कि डर लगता है अब सब कुछ खोने का..

उसकी अदाएँ तो जैसे जान ही लेने पे अमादा थी ! मुझे इतना तो पता था कि जैसे ही स्पर्श छूटा, वैसे ही वो दोबारा पास आने न देगी, मैंने उसकी हथेलियों को अपने होठों से चूमते हुए कहा-

दूर ही रखना था तो साथ आये क्यों..

दर्द ही देना था तो मुस्कुराए क्यों..

यह कोई मेरे होठों का उसके जिस्म पर प्रथम एहसास नहीं था, फिर भी शायद इस माहौल का ही असर था कि मेरे हर चुम्बन से उसके

बदन में सिहरन सी हो रही थी जिसे मैं महसूस कर सकता था। उसकी आँखें अब बंद सी हो रही थी… उसकी स्कर्ट घुटनों से थोड़ी ज्यादा ऊपर हो गई थी, अपने हाथों से मैंने उसका स्पर्श किया और अपने होंठ उसकी जांघों पर टिका दिए। थोड़ी देर रुक कर मैंने शोना के चेहरे के भाव भी पढ़ने की कोशिश की। उसकी आँखें अब तक बंद ही थी पर होंठ हरकत कर रहे थे मेरी हर छुअन के साथ..

मुझे यह समय मेरे अनुकूल लग रहा था, अब मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा, उसकी हथेलियों को अपने होंठों से लगाए मैं अपने होंठ उसके अधरों के पास ले गया, उसकी आँखें अब तक बंद ही थी, मैं उसकी गर्म साँसें महसूस कर सकता था, मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए। इस बार हमारे चुम्बन में चाहत सी थी सब कुछ पा लेने की..

ज्यों ज्यों हमारा चुम्बन गहराइयों तक जा जाता तब तब शोना की मुझपे पकड़ और उसकी बदन की सिहरन बढ़ती ही जाती। अब वो तैयार थी आगे बढ़ने के लिए !

मेरे हाथ जो उसके कंधों पर थे उन्हें धीरे धीरे मैं नीचे उसके उरोजों तक ले आया, लेकिन तभी उसने अपने हाथ से मेरे हाथ को दूर करने की कोशिश की, शायद नारी सुलभ लज्जा अब तक उसे मुझमें खोने नहीं दे रही थी।

मैंने भी हार नहीं मानी, उसे कस कर अपने आलिंगन में भर लिया मैंने ! आलिंगन ही भरोसा भी जगाता है और लज्जा को नियंत्रित भी करता है।

अब मेरे होंठ उसकी गर्दन और कानों के पास हरकत कर रहे थे, उसके जिस्म से मुझे मेरे हर चुम्बन का उत्तर मिल रहा था। एक बार फिर मैंने उसके उरोजों को अपने आगोश में ले लिया, अब उसने मुझे दूर करने की कोशिश नहीं की, टॉप के ऊपर से ही मैं उसके स्तनों के अग्रभाग को महसूस कर सकता था। उसके कंधों को चूमते हुए मैंने अपने हाथ उसकी टॉप के अन्दर दे दिए। जैसे ही मैंने उसके नग्न स्तनों को अपने हाथ में लिया, तभी एक तेज़ सिसकारी से शोना ने मुझे इसका जवाब दिया।

मैंने परदे से बाहर झाँक के देखा.. कोई आस पास नहीं था, बोगी लगभग खाली थी। फिर मुझे मेरे लिंग के पास हरकत महसूस हुई, देखा तो शोना के हाथ उसे बाहर से ही महसूस कर रहे थे। मैंने उसकी भावना को समझते हुए अपने लिंग को आज़ाद किया और अपने होठों से उसके स्तनों को मसलने लगा। जब जब मैं उसके स्तनों को जोर से चूमता। मेरे लिंग पर उसकी पकड़ और भी मजबूत हो जाती। मैं अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिंग को नियंत्रित करने का तरीका सिखाया और फिर अपनी उँगलियों को उसकी जांघों से होता हुआ योनिद्वार तक ले गया।

अब उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थी सो पुनः उसके होठों को अपने होठों में भर लिया। थोड़ी देर इसी अवस्था में रहने के बाद हम दोनों ने ही अपने चरम को पा लिया.. रुमाल से सब साफ़ करके दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए…

सुबह साढ़े पाँच के करीब हम देहरादून पहुँचे। ठंडी हवाएँ चल रही थी जो बदन में सिहरन ला रही थी। मैंने शोना के हाथ को अपने हाथ में लिया और कुली को सामान दे स्टेशन से बाहर आया.. वहाँ उस वक़्त बहुत शांति थी।

कुली हमारे आगे चल रहा था, मैंने शोना को देखा और प्यार से उसके माथे को चूम लिया, मेरे हाथ उसकी कमर पर थे.. मैंने उसकी ओर देखा और शायरी के अंदाज़ में गाने के बोल कहने लगा..

तेरी एक छुअन से जाना कैसा ये एहसास…

पहले तो महसूस हुई ना मुझको ऐसी प्यास..

उसने कोहनी से मुझे मारते हुए कहा- चलो न बुझाती हूँ तुम्हारी सारी प्यास…

बाहर हमने एक टैक्सी ली और मसूरी के लिए निकल पड़े.. तीस किलोमीटर का सफ़र था.. पहाड़ी रास्तों से होते हुए.. रास्तों की तरफ तो ध्यान जा ही नहीं रहा था. शोना को शरारत सूझी और उसने मेरे लिंग को कपड़ों के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी.. मेरा तो हाल बुरा हुआ जा रहा था.. मैंने भी उसके कपड़ों के अन्दर हाथ डाला और उसकी योनि पर अपनी उँगलियों से दबाव बनाने लगा..

उसकी आँखों में वासना के डोरे नज़र आने लगे पर मौके की नजाकत को समझते हुए अपने हाथ वहाँ से हटा लिया और उसके हाथों को अपने ऊपर से हटा दिया।

अब मेरा ध्यान वहाँ के नजारों पर गया, रास्ते बहुत ही घुमावदार थे, पर सच में यों ही इसे पहाड़ों की रानी नहीं कहा जाता, पहाड़ों के शिखर को बादलों ने अपनी आगोश में भरा हुआ था, ऐसा लग रहा था मानो ये रास्ते जमीन से जन्नत तक ले जाते हों…

हम लगभग एक घंटे बाद मसूरी पहुँचे..

नाम था उस जगह का माल रोड !

मैंने एक बार उस लिखे हुए को देखा और फिर शोना की तरफ देख के हल्के से मुस्कुरा दिया..

हमारा होटल आ चुका था होटल हनीमून इन..

हम अपने कमरे में गए, रूम सर्विस वाले ने हमारा सामान अन्दर रखा और चला गया..

जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ मेरी साँसें और धड़कन दोनों ही बढ़ गए.. मैंने दरवाज़े को अन्दर से लॉक किया और पलटा तो शायद शोना मेरे इरादे भांप गई थी.. वो कमरे में ही मुझसे दूर भागने लग गई.. मैंने कूद कर उसे पकड़ने की कोशिश की पर उसके ऊपरी वस्त्र मेरे हाथ में आ गए और उसके चीथड़े हो गए।

उसने अपने दोनों हाथो से अपने स्तनों को छुपाया और बाथरूम में भाग गई। मैं वहीं बिस्तर पर था, कहने लगा- जानू, तुम तो चली गई, देखो मेरे हाथ में जोर से चोट लग गई है..

तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और वो मेरे पास आकर देखने लगी।मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और हंसने लगा..

वो मुझे मारते हुए छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी और कहने लगी- तुम बहुत झूठे हो, अब मैं कभी भी नहीं आऊँगी..

मैंने अपने होंठ उसके होठों से लगा दिए.. उसके होंठ का स्पर्श अब किसी भी स्पर्श से प्यारा लग रहा था, ऐसा लग रहा था मानो धातु ने पारसमणि को छू लिया हो.. जो धीरे धीरे उसे भी बहुमूल्य बना रहा है.. हमारी जिह्वा आपस में उलझी हुई थी, हमारी साँसें उस ठन्डे माहौल को भी गर्म किये जा रही थी, मेरे हाथ उसके बदन के निर्वस्त्र हुए हिस्सों पे थिरक रहे थे.. उस हर छुअन के साथ साथ बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी।

तभी उसे खुद से दूर करते हुए उसके बदन के बाकी ऊपरी वस्त्र को एक झटके में ही अलग कर दिया.. वो अपने हाथों से अपने उरोजों को छुपाने लगी। छुपाते वक़्त उन कोमल हिस्सों के कुछ भाग जो छिप नहीं पाए थे वो उस दृश्य को और भी कामुक बना रहे थे।

मैं उसके पास गया और उसे चूमने लगा जितने भाग वो छुपा न सकी थी.. मेरी हर चुम्बन के साथ साथ उसका धैर्य भी जवाब दे रहा था.. आख़िरकार उसने अपनी बांहों में मुझे भर लिया.. मेरे शर्ट को मेरे शरीर से अलग करने में लग गई.. हर बटन के साथ वो मेरे शरीर के हर उस हिस्से को भी चूमती जा रही थी।

मेरे हाथों ने उसके अमृत कलशों को अपनी पकड़ में ले लिया.. बड़े ही प्यार से चूमते हुए शोना के अधरों ने लिंग तक का सफ़र तय कर लिया, मेरे समस्त निचले वस्त्रों को अलग करके मेरे लिंग को अपने मुख में भर लिया। बड़े ही प्यार से अपनी जिह्वा का वार मेरे लिंग के अगले भाग पर करने लगी..

लिंग से निकलते हुए तरल को अमृत की बूंदों सा स्वाद ले अपने अन्दर ले रही थी.. मेरा लिंग अब अपने पूर्ण स्वरूप में था जो उसके मुख में समा पाना मुश्किल था तो वह उसे बाहर ही और अपने हथेलियों के प्रयोग से उसका मर्दन करने लगी, मेरे अन्डकोषों पर भी उसके अधर अपनी छाप छोड़ने लगे.. उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर छा गई.. अपनी जिव्हा को मेरे पूरे जिस्म पर फिरा रही थी और अपनी एक हाथ से मेरे लिंग को सहला रही थी..अब मुझमें उत्तेजना अपने चरम पर थी..

मैंने उसे अपने नीचे ले लिया और पूरे जिस्म को अपने आगोश में भर लिया। मेरी करतबों के निशान उसके पूरे शरीर पर छुट रहे थे.. जब उसके स्तनों को अपने मुख में भर लिया तो अब मेरी जिव्हा उसके स्तन के शिखर पे रक्तिम बिंदु से खेल रहे थे। मेरी जीभ का एक एक वार स्तन के शिखर को और भी ऊँचाइयों तक लिए जा रहा था। मैं बारी बारी से उन स्तनों को चूम रहा था तभी मुझे अपने सर पर दबाव सा महसूस हुआ, यह इशारा था अब कठोर वार करने का, अब मैंने उन स्तनों का मर्दन शुरू कर दिया.. अपने दांत और नाखूनों से उन पर निशान छोड़ने लगा.. अब उन स्तनों अपनी हथेलियों के हवाले को कर अपनी जिव्हा का रुख नीचे कर दिया.. निचले वस्त्र अभी भी अपनी जगह पर थे, मैंने उन्हें बदन से अलग किया और चूमते हुए उसके योनिद्वार तक पहुँच गया..

उसने अपने दोनों पैर फैलाये हुए थे, अब मेरी बारी थी उसे असीम आनन्द देने की, मैं अपने मुख को उसके योनि के पास ले गया और अपनी साँसों से उसे अपने करीब होने का एहसास कराया.. मेरी हर सांस से उसकी कमर में होने वाली हरकत उसके आनन्द की अनुभूति मुझे करा रही थी..

मैं अपनी जीभ को उसकी योनि के मुख पर ले गया, बड़े ही आराम से उसके दाने के आस पास घुमाने लगा.. जब भी मेरी जीभ उस दाने के पास से गुजरती वो कमर को हिला कर मानो यह कहती- इसे छुओ ना…

एक प्यारा सा चुम्बन मैंने उसके दाने पर किया, अब उसकी योनि की लकीरों पर अपने जीभ फिराने लगा। छिद्र को अपनी जिव्हा से भर दिया मैंने..

अब तो जैसे जैसे मैं जीभ को उसके योनि छिद्र से सटाता और अलग करता वैसे वैसे उसके नितम्ब भी लयबद्ध हो नृत्य कर रहे थे मानो.. जल्द ही वो अपने चरम पर थी.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अब फिर से मैं उसके ऊपर था… अपने लिंग को उसके योनिद्वार पर लगाए हुए ! एक बार मैंने उसकी आँखों में देखा.. उसने मौन स्वीकृति दे दी.. अपने तीसरे प्रयास में मैंने उसके कौमार्य को भंग कर दिया… उसकी आँखों में ख़ुशी और दर्द दोनों के भाव थे..

उसके होठों को चूमते हुए मैंने अपने लिंग को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, एक संगीतमय लय के साथ हम असीम आनन्द की दुनिया में विचरने लगे.. उसके होठों को चूमता हुआ मैं उसके ऊपर छाने लगा.. अब मैं अपने वीर्यपात को रोक न सका..

तभी मेरी आँख खुली शोना भी दूसरी तरफ अपनी उंगिलयों का इस्तेमाल कर रही थी.. मैंने उसे जगाया नहीं, बस देखता रहा।

आखिर वो भी स्खलन को प्राप्त हो गई.. उसकी आँखें खुली और हमारी नज़रें मिली.. अब भी मारे हया के उसका चेहरा लाल हो उठा था… मैंने वेबकैम से उसे किस किया उसने भी मेरा साथ दिया और हम दोनों अक्सर ऐसा ही अनुभव जीने लगे..

पाठकों से अनुरोध है कि उसकी आई डी ना मांगें..

आपके मेल का इंतज़ार रहेगा..
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