बारिश का दिन

Antarvasna 2010-05-30 Comments

मेरा नाम गौरव है और मेरी गर्लफ्रेंड का नाम जूली है।

मैं आज आप लोगों के सामने एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ।

बात उन दिनों की है जब हम लोग कॉलेज में पढ़ा करते थे। जुलाई का महीना था और हम दोनों कॉलेज में घूम रहे थे, हम दोनों एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे और अकसर साथ में समय बिताते थे। हर रोज की तरह हम उस दिन भी साथ में घूम रहे थे। उस दिन जूली ने जींस और टीशर्ट पहन रखी थी। वो उस दिन कुछ अलग सी लग रही थी मगर मैंने उसकी तारीफ नहीं की थी।

अचानक से बारिश होने लगी और हम दोनों एक कमरे में चले गए, हम दोनों थोड़ा सा भीग गए थे, मेरा मन उसे देख कर कुछ मचलने लगा था क्योंकि उसकी टीशर्ट गीली हो गई थी।

फिर हम लोग एक दूसरे से बाते करने लगे। तभी उस की नजर बाहर एक दृश्य पर पड़ी और वो शरमा गई और हंसने लगी तो कौतूहलवश मैंने भी देखा। वहाँ पर वही दृश्य चल रहा था जो भारत में गलियों, सड़कों पर आम तौर पर देखने को मिल जाता है। इस दृश्य को देख कर तो मेरा भी मन होने लगा था। मैं जूली के थोड़ा पास जाकर बैठ गया। उसने भी कोई आपति नहीं की। फिर मैंने उसके हाथों को पकड़ा, वैसे तो हम हमेशा हाथ पकड़ते थे मगर उस दिन उसके हाथों में एक अलग सा एहसास हुआ, मैंने हिम्मत जुटा कर उससे सेक्स के बारे में पूछा कि उसने पहले कभी किया है तो वो शरमाते हुए बोली- हट पागल ! यह भी कोई पूछने की बात है।

फिर उसने बताया कि उसने कभी किया तो नहीं है मगर उसे सब पता है।

तो मैंने पूछा- कैसे पता?

तो उसने बताया कि उसके भैया की नई शादी हुई है और उसके भैया रोज वही करते हैं।

तो मैंने पूछा- तुमने कैसे देखा?

तो वो बोली- भैया का कमरा मेरे कमरे के बगल में है और कमरे में एक छोटा सा छेद भी है, मैं वहीं से सबकुछ देखती हूँ !

इतना सुनने के बाद तो मेरा खड़ा होने लगा। न उसने भी शायद यह बात नोटिस कर ली थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

फिर मैंने अपने ऊपर काबू किया और उसको चुम्बन के लिए बोला। वो शरमाते हुए नीचे देखने लगी। मैं समझ गया कि गुरु यही मौका है, ले लो चुम्मी !

मैंने उसे पीछे से पकड़ कर बाहों में भर लिया और जोर से चूम लिया। उसने भी मेरा साथ दिया लेकिन उस कमरे में कोई और भी था जो यह सब देख रहा था तो हम लोग वहाँ से निकल लिए।

बाहर का मौसम और भी सुहाना हो गया था, उसने मुझे अपने घर चलने को कहा, उसका घर वहीं थोड़ी ही दूर था। मैंने भी मना नहीं किया और हम दोनों उसके घर पहुँच गए। उसके पापा और मम्मी दोनों ही सरकारी नौकरी में थे तो घर पर कोई नहीं था।

उसने मुझे बाहर वाले कमरे में बिठा दिया और अन्दर चली गई।

मेरे तो तन-बदन में आग लगी हुई थी तो मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया, उसने शायद मुझे आते हुए देख लिया था तभी तो उसने दरवाजा पूरा बंद नहीं किया और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी।

उसने पहले टीशर्ट उतारी और फिर जींस ! अब वो ब्रा पैंटी में थी। तभी वो कमरे के एक तरफ चली गई और मुझे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।

थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि कोई मेरे पीछे खड़ा है तो मैंने मुड़ कर देखा तो जूली ही थी। उसने मुझे जोर से धकेला और मैं सीधा कमरे के अन्दर आ गया फिर उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर से चूमने लगी और कहा- आज मैं भी देखूँगी कि चुदाने में कितना मजा आता है !

यह कह कर उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगी। मुझे लगा जैसे वो मेरा दैहिक शोषण करने जा रही हो। मगर मैंने सोचा कि कद्दू चाकू पर गिरे या चाकू कद्दू पर, बात तो एक ही होगी। इतना सोच कर मैंने भी उसका पूरा साथ दिया और हम दोनों ने पूरे कपड़े उतार दिए।

तब उसने मेरे लण्ड को मसलना शुरु कर दिया और मैंने भी उसकी चूचियों को ! उसकी चूचियाँ बड़ी तो नहीं मगर उसका फिगर बहुत अच्छा था। मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसके बदन के साथ खेलने लगा।

उसे भी मजा आ रहा था, धीरे धीरे हम दोनों गर्म होते गए। जैसे लगा के इससे अच्छा और कुछ भी नहीं।

तब मैंने उससे कहा- मैं अपना लंड अन्दर डालूँ?

तो उसने तुरंत अपने पैरों को फैला कर मुझे कहा- आज मुझे ऐसा चोदो कि मुझे हमेशा याद रहे !

और मैंने भी अपना लंड उसकी बुर में डाल दिया। पहले तो मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था मगर मेरे धक्कों ने उसे अन्दर कर दिया।

मेरे शुरुआती धक्कों से उसकी सील टूट गई और खून आने लगा तो मैं थोड़ा सा घबरा गया मगर उसने कहा- कुछ नहीं ! यह तो होता है !

और उसने मुझे पूरी बात बताई और फिर से करने को कहा।

मैं धक्के मारने लगा, वो चिल्लाने लगी और मुझे भी दर्द होने लगा, उसकी बुर बहुत कड़ी थी। करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी बुर में झर गया और वो भी झर गई। फिर मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा। फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे उठाया और कहा- मुझे और चोदो !

तो मैंने उसे घोड़ी बन कर चुदने के लिए कहा तो वो तैयार हो गई। फिर से मैं उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- मैं तुम्हारी गाण्ड में डालूँ?

तो उसने कहा- बहुत दर्द होगा !

मगर उसका भी मन था तो उसने मुझे वैसलिन देते हुए कहा- इसे लगा कर चोदो।

मैंने वैसलिन को अपने लंड और उसकी गाण्ड दोनों पर लगाया और धक्का देने लगा। थोड़ी देर बाद मेरा लंड उसकी गाण्ड में चला गया और वो चिल्लाने लगी।

तब मैंने उसे शान्त रहने को कहा और धक्के लगाना बंद कर दिया।

थोड़ी देर बाद फिर मैंने धक्के लगाये और अपना पूरा लंड उसकी गाण्ड में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।

थोड़ी देर में मैं फिर से झर गया और उसके ऊपर ही लेट गया। फिर मेरी नज़र घड़ी पर गई तो मैंने देखा कि 5 बजने वाले हैं मैंने अपने कपड़े पहने और अपने घर को निकल गया।

कुछ दिन तक तो यह सब चलता रहा और हमें अच्छा लगता रहा मगर अब उसकी शादी हो गई तो मैं अकेला पड़ गया हूँ।

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