अजनबी संग मजा चुत चुदाई का

(Ajnabi Sang Maja Chut Chudai Ka)

शालू 2011-05-02 Comments

दोस्तो… आपकी शालिनी राठौर आपके लिए एक बार फिर से अपनी मस्ती की दास्ताँ लेकर आई है.
भूले तो नहीं ना मुझे?
तो लगी शर्त
जीजा मेरे पीछे पड़ा
गर्मी का इलाज
और डॉक्टर संग मस्ती
आया कुछ याद?
हाँ जी आपकी वही शालिनी भाभी जयपुर वाली.

बहुत दिनों से आपके बीच नहीं आ सकी तो आप सब की बहुत याद आई. इन्ही दिनों कुछ मस्त सा घटा मेरी जिंदगी में तो सोचा कि आप सबको भी बताऊँ.

इस कहानी में जो मेरा सहपात्र है वो आप सबके बीच में से ही एक है. मेरी कहानी पढ़ कर वो मुझे इतने मेल कर रहा था कि मेरा ध्यान उसकी तरफ जाने लगा. पर एक अजनबी के साथ नजदीकियाँ बढ़ाना एक औरत के लिए सुरक्षित नहीं लग रहा था. धीरे धीरे उस के साथ मेरी चैटिंग शुरू हो गई और फिर यह कहानी बन गई.

जब मेरी कहानी ‘जीजा मेरे पीछे पड़ा’ आई तो एक रोहित नाम के लड़के ने मुझे मेल किया और फिर तो जैसे उसकी मेल की लाइन लग गई. वो बार बार मुझे दोस्ती करने के लिए कहता और मुझे चोदने की इच्छा जताता. उसकी मेल पढ़ कर मेरी चूत में गुदगुदी होने लगती पर अजनबी से चुदवाना मुझे कुछ सही नहीं लग रहा था इसीलिए मैं उसको टालती रहती.

धीरे धीरे हम दोनों चैटिंग करने लगे. बात आगे बढ़ रही थी. मैंने उसको अपना लंड दिखाने को कहा तो उसने अपने लंबे से लंड की फोटो मुझे मेल कर दी.

इतना लंबा और मोटा लंड देख कर मेरी चूत गीली होने लगी. मन में बार बार आता कि अब तो रोहित से चुद ही जाऊँ. लंबे और मोटे लंड की तो मैं दीवानी थी. लंबे लंड से चुदने का लालच मुझे रोहित से चुद जाने को बेबस करने लगा था.

रोहित ने अपनी फोटो मुझे नहीं दिखाई थी बस अपना लंड ही दिखाया था. वो अपने आप को जयपुर के पास के एक शहर का रहने वाला बताया करता. जब नहीं रहा गया तो मैंने उसको एक बार मिलने के लिए कहा. वो झट से राजी हो गया.

और फिर हमने जयपुर के एक रेस्टोरेंट में मिलने का समय तय किया. मैं जानबूझ कर समय से पहले ही रेस्टोरेंट में पहुँच गई. एक समस्या थी कि ना तो उसने मुझे देखा था और ना ही मैंने. बस पहचान के लिए मैंने उसको बोल दिया था कि वो काली पैंट और पीली शर्ट पहन कर आये.

समय दस बजे का पक्का हुआ था और ठीक दस बजने में पाँच मिनट पर पीली शर्ट और काली पैंट पहने एक छ: फुट का हट्टे-कट्टे बदन वाला नौजवान लड़का रेस्टोरेंट में दाखिल हुआ.

वो मुझ से दो मेज छोड़ कर बैठ गया. मैं तो उस रोहित पर देखते ही मोहित हो गई थी. पर मन अभी भी डर रहा था. इसीलिए मैं दूर बैठी उसे देखती रही. वो बार बार अपनी घड़ी और दरवाजे की तरफ देख रहा था. करीब साढ़े दस बजे तक वो मेरा इन्तजार करता रहा. मैं वही मौजूद थी पर डर के मारे मैंने भी उसको नहीं बुलाया. आखिर वो साढ़े दस बजे उठ कर बाहर जाने लगा. एक बार तो मन में आया कि उसको रोक लूँ और चुद जाऊँ पर फिर मैंने उसको थोड़ा और तड़पाने का सोचा.

जैसे ही वो रेस्टोरेंट से बाहर गया तो मैंने उसको फोन किया.

‘रोहित… कहाँ हो तुम?’
‘अरे शालिनी जी… मैं तो कब से रेस्टोरेंट में आपका इन्तजार कर रहा हूँ.’
‘पर रोहित जी मैं तो रेस्टोरेंट में ही हूँ… तुमने तो मेरी तरफ देखा भी नहीं.’

उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ पर अगले ही मिनट वो फिर से रेस्टोरेंट में दाखिल हुआ. पुरे रेस्टोरेंट में अकेली बस मैं ही बैठी थी. वो डरता हुआ सा मेरे पास आया.

‘आप शालिनी हैं..?’
‘हाँ… आप कौन?’
‘मैं रोहित… अभी अभी आप से बात हुई थी मेरी.’
‘ओह… रोहित आज तो मुझे देर हो गई है अब मुझे जाना पड़ेगा… हम फिर किसी दिन मिलते हैं.’ कहकर मैं उठ खड़ी हुई.

मेरे उठने से रोहित बेचैन हो उठा और मुझे कुछ देर रुकने के लिए मिन्नत करने लगा.
मैंने रुकने से मना कर दिया तो वो बोला कि क्या वो मुझे मेरे घर तक छोड़ सकता है?
मेरी तो चूत में वैसे ही खलबली मची हुई थी. जब से रोहित को देखा था, चूत गीली हो गई थी और लंड लेने को बेताब हो रही थी.
मैंने एक बार मना किया पर जब रोहित ने बार बार मिन्नत की तो मैंने उसको हाँ कर दी. वो ऐसे खुश हुआ जैसे उसको जन्नत मिल गई हो.

बाहर आये तो देखा कि रोहित कार लेकर आया हुआ था. हम दोनों कार में बैठ गए. कार पार्किंग से निकल कर कुछ आगे ही बढ़ी थी की रोहित ने मेरा हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगा. मैंने एक बार तो अपना हाथ छुड़वाया पर रोहित ने फिर से पकड़ कर अपने लंबे मोटे लंड पर रख दिया.

मेरी हालत तब उस बच्चे जैसी हो गई जिसके हाथ में उसका पसंदीदा खिलौना पकड़ा दिया जाए. फिर मैंने भी सोचा कि जब चुदना ही है तो शर्म कैसी और मैं रोहित का लंड गाड़ी में ही सहलाने लगी.

रोहित का लण्ड जो पहले से ही खड़ा था वो अब और अकड़ कर पैंट में सिर उठाने लगा था. रोहित भी अब खुलने लगा था.

‘शालिनी जी… बहुत तड़पाया है तुमने.’ रोहित आप से सीधा तुम पर आ गया था.
‘मिलना तो मैं भी चाहती थी तुमसे पर एक अजनबी से मिलने में डर रही थी.’
‘अब तो जान-पहचान हो गई जी…’
‘हाँ वो तो हो गई… अब तो इससे जान-पहचान करनी है…!’ मैंने उसके लण्ड को थोड़ा सहलाते हुए कहा तो रोहित का लण्ड ठुमके लगाने लगा. पैंट में बंद उसके लण्ड की लम्बाई और मोटाई ने मेरी चूत गीली कर दी थी.

मेरा ध्यान रास्ते पर नहीं था. कुछ देर के बाद जब गाड़ी रुकी तो देखा की मेरी ही सोसाइटी के बाहर गाड़ी खड़ी थी. मैं हैरान हो गई कि मैंने तो रोहित को रास्ता नहीं बताया था.
तभी रोहित ने मेरी सोसाइटी के सामने वाली सोसाइटी में गाड़ी घुमाई और बोला- मैं यहाँ रहता हूँ!
तो मैं हक्की-बक्की रह गई. मैंने रोहित को पहले कभी नहीं देखा था.

रोहित ने गाड़ी पार्किंग में खड़ी की और मुझे अपने साथ चलने को कहा. मैं उसे बताना भी नहीं चाहती थी कि मैं सामने की सोसाइटी ही रहती हूँ. वो मुझे लेकर चौथी मंजिल पर अपने फ्लैट में ले गया. मैं थोड़ा घबरा रही थी क्यूंकि इससे पहले मैं या तो अपने रिश्तेदार से चुदी थी या फिर अपने घर पर चुदी थी. एक अजनबी से एक अजनबी जगह पर चुदने में मेरी फट रही थी.

मैं डरती डरती उसके फ्लैट के अंदर चली गई. अंदर जाते ही रोहित ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरी चूची को दबाते हुए मेरे होंठो को चूसने लगा.
एक ही पल में मेरा सारा डर गायब हो गया और मैं भी रोहित को उसके चुम्बनों का जवाब देने लगी.

रोहित ने मुझे अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया. उसकी मजबूत बाहों में आते ही मुझे उसकी मर्दानगी का एहसास होने लगा. समझ गई थी कि आज चूत अच्छे से चुदेगी और बहुत मजा आने वाला है.

बेडरूम में जाते ही उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और फिर अपने कपड़े उतारने लगा. एक मिनट के बाद ही वो सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने खड़ा था. उसके लण्ड की उठान देख कर उसके भयानक होने का पता लग रहा था. अपने कपड़े उतारने के बाद वो मेरे पास आया और फिर एक एक करके मेरे भी कपड़े उतारने लगा, पहले ब्लाऊज, फिर ब्रा उतारी और फिर मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चुम्भलाने लगा.

वो चूचियों को चूसते हुए मेरे चुचूक अपने दांतों में दबा दबा कर काट रहा था. मैं बेचैन हो रही थी. चूत पानी पानी हो रही थी. चूत में खुजली भी होने लगी थी. लण्ड लेने को तड़पने लगी थी मैं. मैंने हाथ आगे बढ़ा कर रोहित का लण्ड अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया और मसलने लगी.

थोड़ी देर मेरी चूचियाँ चूसने के बाद रोहित खड़ा हुआ और मेरी साड़ी और पेटीकोट उतारने लगा जिसमें मैंने भी उसकी मदद की.
मैं बिल्कुल नंगी हो गई थी.

उसने मुझे बेड पर बैठाया और फिर अगले ही पल अपना अंडरवियर खींच कर नीचे कर दिया. मैं कब से रोहित का लण्ड देखने को तरस रही थी. अंडरवियर नीचे होते ही रोहित का लगभग तीन इंच मोटा और लगभग आठ-नौ इंच लंबा लण्ड मेरी आँखों के सामने था.
इतना मोटा और लंबा लण्ड देखते ही मेरी आँखें चमक उठी थी. मैं तो पहले से मोटे मोटे लंडो की दीवानी हूँ.

रोहित ने अपना लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया और मुझे चूसने को बोलने लगा. मैंने मना किया तो वो थोडा जबरदस्ती लण्ड मेरे मुँह में देने लगा. दिल तो नहीं था पर फिर भी सोचा कि रोहित को भी मजा देना चाहिए.
मैंने मुँह खोला और रोहित के लण्ड का काले रंग का सुपारा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. रोहित सिसकारने लगा था.

‘चूस मेरी रानी… चूस… कब से तुझे अपना लण्ड चुदवाने को तड़प रहा था… बहुत तड़पाया है तूने… चूस… साली तू जीजा से चुदवाती रही, डॉक्टर से भी चुदवा लिया पर मुझे इतने दिन से तड़पा रही थी… आज देख मेरा लण्ड तेरी चूत का क्या हाल करता है!’ रोहित बोलता रहा और मैं मस्त हुई रोहित का लण्ड चूसती रही.

कुछ देर के बाद रोहित ने मुझे बेड पर लेटा दिया तो मुझे लगा कि अब चूत की चुदाई होगी पर वो मेरी टांगों के बीच में आकर मेरी चूत चाटने लगा तो मस्ती के मारे मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी थी. रोहित मेरी चूत के अंदर तक जीभ डाल डाल कर चूत चाट रहा था. मेरी चूत भरपूर पानी छोड़ रही थी.

मेरी चूत अब लण्ड लेने को मचलने लगी थी तो मैंने रोहित को कहा- जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में डालो.

रोहित भी अब मुझे चोदने को बेचैन हो रहा था, वो मेरी जांघें चौड़ी करके बीच में आ गया और अपने मोटे लण्ड का सुपारा मेरी चूत के छेद पर रख दिया. मैं तो पहले ही लण्ड को चूत में लेने को मरी जा रही थी सो लण्ड के चूत पर लगते ही मैंने अपनी गांड ऊपर उठा दी और लण्ड का स्वागत किया.

‘उईईईई… माँ… मररर… गईई… धीरे…!’ रोहित ने जब पहला धक्का लगाया तो मैं चीख उठी.
बहुत करारा धक्का लगा था.

इससे पहले कि मैं संभल पाती रोहित ने दो धक्के और लगा दिए. लण्ड चूत में घुस कर बच्चेदानी से जा टकराया और मेरी तो जैसे एक बार जान ही निकल गई. लण्ड पूरा चूत में घुस चुका था.

लण्ड पूरा अंदर डालने के बाद रोहित एक बार रुका. एक मिनट के लिए उसने साँस ली और फिर पहले धीरे धीरे लण्ड अंदर-बाहर करने लगा और फिर रफ़्तार हर धक्के के साथ बढ़ती चली गई.

रोहित चुदाई का खिलाड़ी लग रहा था तभी तो उसका हर धक्का मेरी चूत में एक अलग ही तरह का मजा दे रहा था, मेरी टाँगें अपने कंधे पर रख कर पूरी स्पीड में मेरी चुदाई कर रहा था. मैं सिसकारियाँ भर रही थी, चीख रही थी पर सब मस्ती में! भरपूर मजा आ रहा था.

रोहित लण्ड सुपारे तक बाहर निकालता और फिर जड़ तक चूत में उतार देता. लण्ड मोटाई के कारण पूरा रगड़-रगड़ कर चूत के अंदर बाहर हो रहा था. पांच मिनट की चुदाई में ही मेरी चूत दो बार झड़ गई. मैं भी गांड उठा उठा कर लण्ड ले रही थी.

उसके बाद मेरी चूत भी रोहित के लण्ड की अभ्यस्त हो गई. दस मिनट के बाद रोहित ने मुझे घोड़ी बनाया और फिर पीछे से लण्ड चूत में उतार दिया. फिर तो अगले आधे घंटे तक मैं चुदती रही और रोहित चोदता रहा.

चुद चुद कर मेरी चूत लाल हो गई थी पर रोहित अभी भी चोदे जा रहा था. असली मर्द था रोहित. अब रोहित झड़ने के करीब था. उसका लण्ड भी चूत के अंदर फूल गया था. मेरी चूत भी चौथी बार झड़ने को तैयार थी और फिर अगले ही पल रोहित और मैं दोनों ही एक साथ झड़ने लगे. रोहित के वीर्य ने मेरी चूत लबालब भर दी थी. वीर्य बहुत गर्म गर्म था पर उसने मेरी चूत में ठंडक भर दी थी.

मैं लगभग बेहोशी की हालत में चली गई थी. मस्ती के मारे मेरी आँखें बंद हो गई थी. मेरी आँख तब खुली जब मैंने रोहित का लण्ड अपनी गांड के छेद पर महसूस किया.

मैं उलटी लेटी हुई थी और रोहित मेरे ऊपर आकर लण्ड को मेरी गांड के छेद पर रगड़ रहा था.लण्ड दुबारा तन चुका था और इस बार मेरी गांड में घुसने की तैयारी में लग रहा था.

मैं गांड मरवाने के मूड में नहीं थी पर रोहित ने मुझे कुछ समझने का मौका ही नहीं दिया और एक धक्का लगा कर सुपारा मेरी गांड में फिट कर दिया. दर्द के मारे मैं छटपटाई पर रोहित जैसे मर्द की पकड़ से निकल नहीं पाई. रोहित ने मुझे जकड़ रखा था और लण्ड को गांड पर दबा रहा था. धीरे धीरे पूरा लण्ड उसने मेरी गांड में उतार दिया और फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.

मोटे लण्ड को अपनी गांड में लेकर मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर जीजा ने जब से मेरी गांड मार मार कर खोल दी थी तब से मुझे गाण्ड मरवाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी.

रोहित ने दूसरे राऊँड में करीब दस मिनट मेरी गांड मारी और फिर अगले लगभग बीस मिनट मेरी चूत की चुदाई करके मुझे निहाल कर दिया.

मैं रोहित के पास लगभग दो घंटे तक रही और चुदाई का आनन्द लिया और फिर कपड़े पहनकर अपने घर के लिए चल दी.

चुदाई के बाद बदन एकदम से हल्का हो गया था. मैं रोहित को अपने घर का पता नहीं बताना चाहती थी इसीलिए मैं घूम कर पिछले दरवाजे से अपनी सोसाइटी में गई. अपने घर पहुँच कर मैं बाथरूम में जाकर बहुत देर तक नहाती रही और फिर कमरे में आकर काफी देर तक सोती रही.

मेरी कहानी आपको कैसी लगी, कमेन्ट करके जरूर बताना.

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