मेरे दोस्त ने मेरी भाभी को चोदा-2

(Mere Dost Ne Meri Bhabhi Ko Choda- Part 2)

राज कुमार 6 2018-11-05 Comments

अब तक की मेरी सेक्सी कहानी के पहले भाग
मेरे दोस्त ने मेरी भाभी को चोदा-1
में आपने पढ़ा था कि मेरे दोस्त ने उनको चोदने का पूरा तय कर लिया था. उधर मेरी भाभी चुदासी हो चुकी थीं और बाथरूम से निकल कर अपनी चुदास दिखा रही थीं.
अब आगे..

भाभी पूरा बदन पौंछ कर नाइटी को पहन लिया, लेकिन ब्रा और पैंटी नहीं पहनी. फिर भाभी लेट केर मैगजीन पढ़ने लगीं. थोड़ी देर के बाद लाइट को भी बंद कर दिया.

हम भी कमरे में आ गए और लाइट बंद करके सोने लगे. करीब एक घंटे के बाद भाभी के कमरे की लाइट फिर जली, मैं दौड़ कर खिड़की के पास आ गया, देखा कि भाभी बेड बैठ कर कुछ सोच रही है. मनीष सो गया था.

मैंने टाइम देखा तो ढाई बज रहा था. भाभी उठीं और कमरे से बाहर आ गईं फिर मुझे दरवाजा खटखटाने की आवाज आई.

भाभी मनीष के कमरे का दरवाजा खटखटा रही थीं. मनीष उठा मुझे देखा कि मैं कमरे से बाहर बालकनी में हूँ तो वो दरवाजा खोलने चला गया.

दरवाजा खोल कर पूछा- क्या हुआ भाभी.. इतनी रात को.. क्या सोई नहीं?
भाभी बोलीं- मुझे डर लग रहा है, थोड़ी देर तुम्हारे साथ बैठना चाहती हूँ.

मुझे लगा आज ही मनीष की मुराद पूरी हो जाएगी शायद.. और शायद यही मनीष भी सोच रहा था.

तभी उसने बोला- भाभी आपके ही कमरे में ही बैठते हैं चलिए, उसे पता था कि यदि इस कमरे में कुछ हुआ तो मैं कुछ भी देख नहीं पाउँगा.

मनीष भाभी के साथ उनके कमरे में चला गया और मैं खिड़की पर चला गया. कमरे में जाते जाते मनीष मुझे कॉल कर दिया, जिससे मैं बातें सुन सकूं. मैं भी इयर फोन पर उसकी बातें सुनने लगा.

मनीष और भाभी बेड पर बैठ कर बातें कर रहे थे, मनीष भाभी का सर सहला रहा था.

मनीष- भाभी भैया की याद आ रही है क्या?
भाभी- हां आ रही है, पर क्या करूँ चार दिन तो काटने ही हैं. तुम कल क्या कर रहे हो?
मनीष- मैं तो कल घर पर ही हूँ, क्या कोई काम है?
भाभी- नहीं, कल मैं ऑफिस जाऊँगी तो दो बजे मेरे ऑफिस आ जाना, पिक्चर देखने चलेंगे.
मनीष- अच्छा कौन सी पिक्चर देखनी है.

मनीष बातें करते करते भाभी के कंधे भी सहलाता जा रहा था.
भाभी बोलीं- कोई भी देख लेंगे.
मनीष कंधे सहलाते सहलाते गर्दन सहला रहा था और उंगलिया मम्मों की तरफ सरका रहा था. भाभी आंखें बंद करके बात करते जा रही थीं.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा मनीष का हाथ लगभग पूरा भाभी की नाइटी के अन्दर था और शायद मम्मों से थोड़ा ही दूर था और भाभी की सांसें थोड़ी तेज हो रही थीं.

फिर मुझे लगा शायद आज ही मनीष की मुराद पूरी हो जाएगी, लेकिन तभी भाभी उठ गईं और बोलीं- मनीष अब सोते हैं.. कल ऑफिस भी जाना है. अब तुम जाओ.

तब मनीष ने पूछा- यहीं सो जाऊं भाभी?
भाभी बोलीं- हां सो जाओ और लाइट बंद कर दो.

मनीष ने लाइट बंद कर दी. अब मुझे पूरा भरोसा हो गया कि मनीष आज ही चोदेगा.

कुछ देर बाद अँधेरे में ही भाभी की आवाज आई- मनीष ये क्या कर रहे हो?
तब मनीष ने कहा- सॉरी भाभी, गलती से हाथ वहां पहुंच गया था.

थोड़ी देर बाद मनीष अपने कमरे में आ गया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोला- कल रात को भाभी को चोदूंगा.
मैंने पूछा- अभी क्या हुआ?
वो बोला- अभी वो तैयार नहीं है. लाइट बंद करने के बाद मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया था, वे थोड़ी देर रखे रहीं, फिर हटा लिया. फिर मैंने नाइटी ऊपर कर दी तो कुछ नहीं बोलीं, उनकी टांगों को थोड़ा फैला दिया और जब चुत पर हाथ रख दिया तो बोलीं कि क्या कर रहे हो.. और फिर नाइटी नीचे कर ली. फिर मैंने कोई कोशिश नहीं. लेकिन अब कल रात को नहीं छोडूंगा, साली भाभी को जम कर चोद दूंगा.

सुबह बारह बजे मेरी आंख खुली तो भाभी जा चुकी थीं और मनीष जाने के लिए तैयार हो रहा था.

मैं बोला- फोन ऑन रखना.
मनीष ने कहा- ओके.

हम लोगों ने लंच किया और दो बजे मनीष चला गया. मैं फिर सो गया क्योंकि रात को जागना था. मेरी नींद खुली छह बजे, तो देखा मनीष के छह मिस्ड कॉल थे, मैंने तुरंत कॉल किया मनीष ने ऑन कर दिया.

भाभी की आवाज आयी- तुम्हारा मन पिक्चर में नहीं लग रहा है?
मनीष- क्यों क्या हुआ?
भाभी- तुम मुझे डिस्टर्ब कर रहे हो.
मनीष- जब कोई खूबसूरत महिला साथ हो, पिक्चर में मन कैसे लगेगा.
भाभी- अच्छा अच्छा चलो बातें मत बनाओ.. पिक्चर देखो.

थोड़ी देर शांति रही फिल्म की आवाज आती रही.

भाभी- क्या कर रहे हो मनीष.. हाथ हटाओ न.
मनीष- अच्छा हटाता हूँ.. अहह आप बहुत भारी हैं मेरा हाथ दब गया.
भाभी हंस दीं- और रखो हाथ नीचे.

फिर फ़ोन कट गया. आधे घंटे के बाद मैंने भाभी को फोन किया कि कहाँ हैं?

तो बोलीं- ऑफिस में लेट हो गयी हूँ, मैं दस बजे तक आउंगी और आप खाना खाके ऑफिस चले जाना.
फिर मैंने बोला- मनीष भी नहीं आया अभी तक?
तो बोलीं- मनीष बोल रहा था कि उसे किसी के साथ घूमने जाना है, देर से आएगा.

अब मैं दरवाजे में लॉक लगा खाना खा के मनीष के कमरे में चला गया. दस बजे के करीब दरवाजा खुलने की आवाज आयी. पहले भाभी अन्दर आईं, फिर मनीष आया.

भाभी अपने कमरे में चली गईं और मनीष अपने कमरे में आ गया.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- अब बस देखता जा.
फिर उसने अपने बैग से एक दवा निकाल कर खा ली.
मैंने पूछा- ये क्या है?
तो बोला- सेक्स पावर की दवा है, आज पूरी रात चोदूंगा.

फिर वो नहाने चला गया. मैंने भाभी के कमरे में देखा तो भाभी भी शायद नहा ही रही थीं, शावर की आवाज आ रही थी. मनीष तो जल्दी बाहर आ गया, पर भाभी अभी नहा ही रही थीं.

करीब चालीस मिनट के बाद भाभी बाहर आईं, वे पूरी नंगी थीं. लेकिन आज उनका पूरा बदन चमक रहा था, आज चुत पे बाल भी नहीं थे. वो भी पूरी तरह से चुदवाने के लिए तैयार थीं. ब्रा पैंटी और टू पीस नाइट ड्रेस पहनी और लंड लेने के लिए भाभी तैयार हो गईं.

भाभी बेड पर लेट गईं. तभी मनीष कमरे में आया, बोला- क्या हुआ भाभी थक गईं क्या?
भाभी बोलीं- हां बहुत थक गई हूँ और सर भी दुःख रहा है.
मनीष बोला- आईए मालिश कर दूँ.
तो भाभी बोलीं- हां कर दो.

मनीष तेल लेकर आ गया और सर पे मालिश करने लगा.
भाभी बोलीं- आज सिनेमा में बहुत मस्ती सूझ रही थी.
मनीष बोला- आप बहुत सेक्सी लग रही थीं.

तभी मुझे टॉयलेट आ गया. जब मैं टॉयलेट करके आया तो देखा भाभी पेट के बल लेटी हैं और मनीष सर की तरफ से उनकी पीठ की मालिश कर रहा था. ऐसा करने में उसका लंड निश्चित रूप से भाभी के सर से टकरा रहा होगा.

फिर उसने पीठ पर से ब्रा की स्ट्रिप खोल दी और मालिश करने लगा. मालिश करते समय मनीष की चार उंगलियां भाभी के मम्मों को साइड से सहला रही थीं, पर भाभी आंख बंद करके लेटी थीं.

धीरे धीरे मनीष अपने हाथ पीठ से होते हुए नीचे बूब्स की मालिश करने लगा. भाभी ने एक बार आंख खोल कर देखा और मुस्कुरा कर आंखें बंद कर लीं.

अब भाभी पूरी तरह तैयार थीं. मनीष ने अब भाभी को पीठ के बल लिटा दिया और नाइटी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और ब्रा को हटा दिया. भाभी की चूचियां एकदम टाइट थीं, मनीष उन्हें सहला रहा था और अब झुक कर भाभी को चूमने लगा. मनीष भाभी के मम्मों को मसल रहा था और उनके होंठ चूस रहा था.

थोड़ी देर के बाद मनीष भाभी के मम्मों को चूस रहा था. भाभी मस्ती से अपने होंठ काट रही थीं. अब मनीष ने भाभी के पजामे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार दिया.

भाभी क्या गजब लग रही थीं, उनके तने हुए चूचे, पिंक पैंटी, गोरा बदन सच मनीष की लॉटरी लग गई थी. मनीष अब भाभी के मम्मों के बाद नाभि से होते हुए पैंटी पर आ गया और ऊपर से ही चुत को जीभ से चाटने लगा.

भाभी की टांगें अब फ़ैलने लगी थीं, चुत पूरी खुल गई थी, पर अभी पैंटी से कवर थी. चाटते चाटते मनीष ने पैंटी भी उतार दी. आह.. क्या चुत थी. भाभी का छेद प्यार के रस से भरा हुआ एक मदहोश प्याला लग रहा था, जो अपने शराबी के डुबकी लगाने का इंतजार कर रहा था.

मनीष अब चुत पूरी तरह से चूस रहा था. दोनों हाथों से फैला कर अपनी जीभ को अन्दर तक पहुंचा रहा था. भाभी की हालत उस समय एक प्यासे हाथी की तरह हो गई थी, जो किसी तरह नदी तक पहुंचना चाह रहा था.

इस बीच मनीष ने भी आने सारे कपड़े उतार दिए. उसका लंड लगभग आठ इंच का लग रहा था. भाभी की टांगों को पूरी तरह फैला कर लंड को चुत के मुँह पर रख के भाभी से बोला- आज से तुम मेरी भाभी नहीं.. मेरी बीवी हो. मेरी जान.. ये लो मेरा लंड का स्वाद चखो.
और धक्का मार कर उसने पूरा लंड भाभी की चूत में अन्दर कर दिया.

भाभी की चीख निकल गई लेकिन मनीष पूरी ताकत से धक्के मार रहा था. भाभी कह रही थीं- मनीष मैं अब तुम्हारी हूँ.. इसे पूरी तरह से चोदो. बहुत मजा आ रहा है. तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी तक पहुंच रहा है.
भाभी अपनी गांड उठा कर चुद रही थीं.

अचानक भाभी का शरीर टाइट होके ढीला हो गया. अब वो झड़ गई थीं, लेकिन मनीष अभी चोदे ही जा रहा था.
थोड़ी देर के बाद भाभी ने बोला- मैं टॉयलेट जाना चाहती हूँ.

तब मनीष ने अपना लंड चुत से बाहर निकाला. क्या लंड था साला, एकदम कड़ा.. चुत के रस से भीगा हुआ.

भाभी बेड से उतरीं, तो लड़खड़ा रही थीं. मनीष बोला- क्या हुआ रानी ठीक हो? अभी तो पूरी रात बाकी है.
भाभी ने बोला- कुछ नहीं.. इतना बड़ा लंड पहली बार लिया है.. तो थोड़ा दर्द तो होगा, पर तुम चिंता मत करो पूरा साथ दूंगी.
भाभी गांड हिलाते हुए टॉयलेट चली गईं.

इधर मनीष भाभी की पैंटी से लंड साफ कर रहा था.

भाभी बाहर आईं और बोलीं- क्या कर रहे हो मेरी पैंटी से?
मनीष- इसे बता रहा हूँ कि अब तेरी जरूरत कम पड़ेगी.. क्योंकि भाभी अब पैंटी कम पहनेंगी.
भाभी हंसने लगीं और मनीष के लंड को सहलाते हुए बोलीं- हां, जिससे इसे कम मेहनत करनी पड़े.

अब भाभी मनीष के ऊपर चढ़ गईं और किस करते हुए लंड को अपनी चूत में डालने लगीं.

अचानक मनीष ने नीचे से धक्का मार दिया, पूरा लंड एक बार में चूत में घुस गया. भाभी मनीष के ऊपर ही गिर गईं, वे बोलीं- इतना बेदर्द मत बनो यार.. आज के बाद नहीं चोदना है क्या?
लेकिन मनीष चोदे ही जा रहा था. और भाभी भी उछलने लगीं, जिससे फच फच की आवाज आ रही थी.

मनीष ने दोनों हाथों से भाभी की गांड फैला रखी थी, जिससे उनकी चूत पूरी फ़ैल गई थी और भाभी को पूरा मजा आ रहा था. कुछ देर के बाद भाभी ने मनीष को जोर से पकड़ लिया और झटके लेने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी झड़ गईं, लेकिन मनीष चोदता रहा और पलट कर भाभी पे चढ़ गया. उनकी टांगों को कंधे पर रख कर धक्के मारने लगा.

थोड़ी देर के बाद तेजी से धक्के मारते हुए पूरा लंड अन्दर करके बॉडी टाइट करने लगा. अब मनीष अपना माल भाभी की चुत में निकाल रहा था.

दोनों के शरीर हल्के हल्के झटके ले रहे थे.. दोनों की आंखें बंद थीं. चुत और लंड अपना काम कर रहे थे. कुछ सेकंड के बाद मनीष का माल निकलने लगा और वो भाभी के ऊपर ही लेट कर उनको चूमने लगा.
‘अच्छा लगा?’ मनीष ने पूछा.
भाभी ने कहा- बहुत अच्छा लगा.. लेकिन तुमने जबरदस्त चोदा है मुझे.

मनीष का लंड अब बाहर निकल रहा था साथ में सफ़ेद सफ़ेद गाढ़ा गाढ़ा माल भी टपक रहा था. मनीष बगल में लेट गया, झड़ने के बाद भी उसका लंड अभी पूरा लूज़ नहीं हुआ था. वो उठ के भाभी की चुत को फैला फैला कर माल निकलते हुए देख रहा था.

भाभी ने पूछा- क्या देख रहे हो?
मनीष बोला- देख रहा हूँ जान कि तुम्हारी चुत कितने आराम से मेरे माल की बाहर निकाल रही है.. इसको डालने में कितनी मेहनत करनी पड़ी.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- मेरी चुत बहुत छोटी है अभी.
मनीष- अच्छा अभी बड़ा करता हूँ इसे.
और मनीष फिर से लंड डालने की कोशिश करने लगा.

भाभी ने हाथ जोड़ते हुए कहा- बस अब आज मत चोदो.. थक गई हूँ कल ऑफिस भी जाना है.
भाभी उठ कर टॉयलेट चली गईं. फिर बाहर आईं तो उन्होंने नाइटी पहनी हुई थी.. और मनीष ने भी कपड़े पहन लिए थे.
फिर भाभी ने कहा- मनीष किसी को बताना नहीं.

मनीष हां कहते हुए कमरे से बाहर आ गया. भाभी ने लाइट बंद कर दी. मैं कमरे में आया तो मनीष बेड पर लेटा हुआ था.

मुझे देखकर उसने पूछा- कैसा लगा, चोद लिया न तेरी भाभी को.. देखा कमाल.
मैं क्या कहता, फिर मैं बोला- साले मजे तो तू ले रहा था.. मैं तो हाथ से ही काम चला रहा था.
वो बोला- देख कुछ दिन बाद तू भी कोशिश करना, तुझसे भी भाभी पक्का चुदवा लेगी.

इस एपिसोड के बाद तो मनीष भाभी को कई बार चोदा और उनकी मदद से पिछले चार सालों में उसने भाभी की सहेली और मेरी बीवी को भी चोदा. वो सेक्स कहानी बाद में बताऊंगा. प्लीज़ मुझे अपने विचार भेजें.
[email protected]

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