तलाकशुदा आंटी की खुली छत पर चुत चुदाई- 3

(Desi Aunty Xxx Kahani)

गौरव कुमार 2021-12-19 Comments

देसी आंटी Xxx कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने आंटी को आधी रात के बाद बिल्डिंग की छत पर बुलाया और जोरदार ओरल सेक्स के बाद उनकी चूत चुदाई का मजा लिया.

हैलो फ्रेंड्स, मैं गौरव आपको देसी आंटी सेक्स कहानी में अपनी पड़ोसन पम्मी आंटी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
देसी आंटी Xxx कहानी के दूसरे भाग
पड़ोसन आंटी की चुदाई की चाहतमें आपने अब तक पढ़ा था कि मैंने आंटी को चोदने के लिए कहा, तो उन्होंने अपने बच्चों के आने का हवाला दे दिया.

अब आगे देसी आंटी Xxx कहानी:

उन्होंने कहा कि और कर भी क्या सकते हैं?
कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा कि मैं घर जा रहा हूं और आप मुझे कॉल करना. एक स्कीम है.

फिर मेरे घर आने के 10 मिनट बाद पम्मी आंटी ने मुझे कॉल किया और पूछा- हां बताओ क्या स्कीम थी?
मैंने कहा- आंटी अगर आप मुझ पर भरोसा करो, तो एक जुगाड़ है … जिससे आज रात ही हम एक दूसरे की तड़प मिटा सकते हैं.

वो कहने लगीं- कैसे?
मैंने कहा- अगर आप थोड़ी हिम्मत दिखाओ तो अपना काम आपके फ्लैट की छत पर ही आज रात को हो सकता है.

उन्होंने बोला- उधर कैसे?
मैंने बोला कि रात को 2-3 बजे का टाइम ऐसा होता है कि सब लोग बहुत गहरी नींद में सोए रहते हैं और आपकी विंग में तो अभी आपके और आपके नीचे वाले फैमिली के अलावा और कोई है नहीं. अगर आप चाहो तो रात को दो बजे हम आपकी छत पर मिल कर एक दूसरे की प्यास मिटा सकते हैं.

पहले तो आंटी बहुत डरने लगीं और उन्होंने साफ़ मना कर दिया कि नहीं ये बहुत रिस्की हो सकता है, मैं नहीं आऊंगी.

मेरे बहुत मनाने पर भी वो नहीं मानी.
फिर मैंने कॉल रख दी. मैंने सोचा कि अब तो सुबह तक का ही इंतजार करना होगा.

मैंने रात का खाना खाया और अपने कमरे में चला गया.

मोबाइल चलाते चलाते पौने दो बज गए और मुझे नींद आने लगी.

तभी मैंने सोचा एक बार आंटी को फिर से मनाने की कोशिश की जाए.
इसलिए मैंने आंटी को एक छोटी सी मिस कॉल मारी.

मेरे कॉल काटने के बाद ही तुरंत आंटी का कॉल बैक आया.

मैंने कॉल उठाया और कहा- क्यों आंटी नींद नहीं आ रही है क्या?
उन्होंने मुझसे कहा- तुम भी तो नहीं सोए.

मैंने कहा- अपने ही मुझे ऐसा तड़पाया है कि मुझे नींद नहीं आ रही है.
इस पर वो हंसने लगीं.

मैंने पम्मी आंटी से कहा- अगर मुझे उस दिन पैर दबाने में दस मिनट का समय और मौका मिल जाता, तो पता नहीं मैं उस दिन आपका क्या क्या नहीं दबा देता.

मेरी बात सुन कर कर आंटी बोलीं- अच्छा जी, ऐसा क्या क्या दबा देते … बताओ तो ज़रा?

मैंने कहा कि आपकी नीचे की कलियों को तो मैंने दबा ही दिया था, बस आपके सुंदर सुंदर दोनों दूध और सेक्सी हिप्स ही बचे थे.

मेरे ऐसा बोलने पर आंटी ‘चल हट बदमाश …’ कह कर हल्की सी सिसकारी लेने लगीं.
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है, चौका मार देता हूँ.

मैंने झट से आंटी से कहा- आंटी, अगर आप हामी भरो, तो अभी भी मैं सारी चीजें दबा कर आपको मज़ा दे सकता हूं.
आंटी कहने लगीं- यार मुझे बड़ा डर लगता है.

थोड़ी देर मैंने बहुत ज़िद की, बहुत मनाया तो उन्होंने कहा- अगर कुछ हो गया, किसी ने देख लिया तो?
मैंने कहा- आंटी आप मुझ पर भरोसा रखो, कुछ नहीं होगा.

थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- ठीक है, तुम पहले अपने विंग और मेरी विंग देख कर आओ कैसा माहौल है? फिर मैं आऊंगी.

दोस्तो, इतना सुनना ही था कि मेरा दिल तो खुशी के कारण ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा और मेरा लंड मेरे बॉक्सर में खड़ा होने लगा.

मैंने ‘ठीक है …’ आंटी कह कर कॉल काट दिया और पहले अपनी विंग देखी फिर आंटी की विंग देखी.
मुझे सब शांत लगा.

उस समय रात के 2 बज रहे थे.

जब मैं अपने विंग की छत गया तो मैंने उसी समय छत के गेट पर ताला लगा दिया था ताकि कोई हमारी विंग की छत पर ना जा सके.
क्योंकि हमारे विंग की छत से पम्मी आंटी की छत साफ़ दिखती है.

उसके बाद जैसे ही मैं पम्मी आंटी की छत पर पहुंचा, मैंने आंटी को कॉल किया- आंटी, रास्ता साफ़ है … आ जाओ छत पर.

कुछ दस मिनट के बाद आंटी छत पर आ गईं और आते ही उन्होंने छत का दरवाज़ा बंद कर दिया.
पम्मी आंटी की छत के बीचों बीच एक बड़ी सी सीमेंट की बनी पानी की टंकी थी जो कि लगभग 10 फुट ऊंची और 7-8 फुट चौड़ी थी.

मैं उसी टंकी में पीछे ही खड़ा था.
आंटी ने छत पर आते ही मुझे हल्के से आवाज़ दी तो मैंने उन्हें टंकी के पीछे बुला लिया.

जैसे ही आंटी करीब आईं, मैंने सीधे उनके सामने से पकड़ा और किस करने लगा.
आंटी ने भी मुझे पूरे जोश के साथ किस किया.

फिर उन्होंने कहा- कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हो जाएगी ना?
मैंने कहा- नहीं, डरो मत आंटी … कोई गड़बड़ नहीं होगी.

मैं दोबारा से उन्हें किस करने लगा और इस बार मैं उनके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलने लगा.
आंटी के हिप्स मुझे शुरू से ही बहुत पसंद थे.

कुछ देर किस करने के बाद हम अलग हुए.
फिर मैंने आंटी को टंकी की दीवार से सटाया और अपने घुटनों के बल बैठ कर उनकी मैक्सी ऊपर उठा दी.
मुझे महसूस हुआ कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी है.

छत पर अंधेरा होने की वजह से कुछ भी दिख नहीं रहा था.

मैंने तुरंत आंटी का एक पैर अपने कंधे पर रखा और उनकी चूत को वैसे ही घुटनों के बल बैठ कर चूसना चालू कर दिया.

आंटी तो मानो पागल ही हो गईं.
उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर ऐसे दबाना चालू कर दिया मानो मेरा पूरा सर अपनी चूत में घुसाना चाहती हों.

लगभग 5 मिनट चूसने के बाद आंटी का शरीर कांपने सा लगा और आंटी मेरे मुँह में ही, दबी दबी सिसकारियों के साथ झड़ गईं.
उनके झड़ने के कुछ देर बाद भी मैं उनकी चूत को चूसता रहा और उनका नमकीन पानी मेरे मुँह में आता रहा.

मेरे जो दोस्त चूत चाटना पसंद करते हैं, उन्हें तो इस स्वादिष्ट नमकीन पानी के स्वाद का पता ही होगा.

फिर मैंने जब अपना मुँह आंटी की चूत से हटाया, तो आंटी ने मेरी तरफ मुझे देख कर मुझे कॉलर से पकड़ कर झटके से उठा दिया.
वो मेरे गले, मेरी छाती पर बिल्कुल बेकाबू शेरनी की तरह चुम्बन करने लगीं.

मुझे समझ आ गया था कि असली आग तो आंटी की अब भड़की है.

मुझे चूमते चूमते आंटी ने मुझे अब दीवार की ओर टिकाया और अपने हाथों से मेरे बॉक्सर के ऊपर से ही मेरा लौड़ा मसलने लगीं.

अबकी बार पम्मी आंटी घुटनों के बल बैठ गईं और बॉक्सर के ऊपर से ही मेरे लंड को अपने मुँह से खाने की कोशिश करने लगीं.

फिर कुछ पलों के बाद उन्होंने मेरा बॉक्सर खींच कर नीचे उतार दिया और मेरा लंड पकड़ते ही सीधा मेरे लौड़े को मुँह के अन्दर डाल कर चूसने लगीं.

क्या बताऊं दोस्तो, मैं तो सातवें आसमान में पहुंच गया था. मुझे आज तक ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला था.

मेरे जिन दोस्तों ने अपना लंड किसी औरत से चुसवाया है, उन्हें पता होगा कि मैं कैसा महसूस कर रहा होऊंगा.

पम्मी आंटी मेरे लंड को किसी आइस्क्रीम की तरह खूब मज़े से चूस रही थीं.
लंड चूसते चूसते वो कभी मेरी जांघों को सहलातीं, तो कभी मेरे आंडों को हाथ से पकड़ कर उनके साथ खेलने लगतीं.

क्या बताऊं … मुझे कितना मज़ा आ रहा था.
मैंने भी अब जोश में आकर आंटी के बाल पकड़ लिए और अपना लंड आंटी को चुसवाने लगा; उनके कोमल मुँह को अपने लंड से चोदने लगा.

मैं कहने लगा- हां पम्मी आंटी, चूसो इस लंड को … आंह कितने समय से मेरा लंड आपके इन सुंदर होंठों को छूना चाहता था, कितने समय से मेरा लंड आपके मुँह की चुदाई करना चाहता था.

इस तरह बोलते बोलते में पम्मी आंटी के मुँह को लगातार चोदे जा रहा था.

जिन फीमेल पाठकों को लंड चूसने में मज़ा आता है, वो प्लीज मुझे मेल करके जरूर बताएं कि लंड चूसते हुए उन्हें कैसा महसूस होता है. आपकी पहचान सिर्फ मुझ तक और सिर्फ मुझ तक रहेगी, मैं अपनी ज़ुबान देता हूं.

लगभग 5 मिनट मेरा लंड चूसने के बाद आंटी खड़ी हो गईं और अपनी मैक्सी उतार कर किनारे रखती हुई बोलीं- गौरव, 4 महीनों की प्यासी चूत है. अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती, डाल दो अपना ये प्यारा लंड मेरी चूत के अन्दर!

मैंने भी देर ना करते हुए आंटी को कंधे से पकड़ा और झट से टंकी की दीवार पर टिका दिया, उनका एक पैर उठा लिया और उनके दोनों पैरों के बीच आकर अपने लंड उनकी चूत पर टिका दिया.

लंड चुत पर सैट हुआ तो बिना देर किए मैंने अन्दर डाल दिया.
आंटी की चूत बहुत टाइट थी पर मेरे लंड पर लगे उनके मुँह के नमकीन अमृत और उनके चूत के पानी ने हमारा काम कुछ आसान कर दिया.

मेरा लंड एक ही बार के प्रयास में आंटी की चूत में पूरा अन्दर तक घुस गया.

लंड अन्दर जाते ही आंटी थोड़ा उचक सी गईं और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया.

अब मैं धीरे धीरे आंटी को वैसे ही खड़े खड़े चोदने लगा.
उधर आंटी ने मुझे ज़ोर से जकड़ कर पकड़ लिया था और नीचे से वो भी अपनी तरफ से मुझे अपनी चूत से ज़ोर से चोदने की कोशिश करने लगी थीं.

मौके की नज़ाकत समझते हुए मैंने भी पम्मी आंटी का एक पैर पकड़ा और आंटी को नॉन स्टॉप ज़ोर से चोदने लगा.

मैंने आंटी को बिल्कुल दीवार से चिपका दिया था और आंटी के ऊपर अपना पूरा भार देकर उनको जोरों से दबा कर चोदने लगा.

उधर आंटी भी पूरे जोश में थीं.
मैं जितने ज़ोर से उन्हें दबा कर चोद रहा था, आंटी भी नीचे से उतने जोश के साथ मुझे पकड़ कर चुदवा रही थीं.

एक तो आधी रात … ऊपर से ये सुनसान छत … हमारा डर इन सब बातों से चुदाई को और ज्यादा कामुक बना रहा था.

हमारी चुदाई से पूरी छत में फच्च पच्च की आवाज़ आ रही थी.

उसी तरह 10 मिनट खड़े खड़े चोदने के दौरान आंटी ने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए और ‘ज़ोर ज़ोर से चोदो गौरव … और ज़ोर से चोदो …’ बोलती बोलती झड़ गईं.

आंटी के झड़ने के कुछ और देर बाद तक मैं आंटी को चोदता रहा.

फिर आंटी कहने लगीं- अब और खड़ा नहीं हुआ जाता … अब मुझे लेटा कर चोद लो.

मैंने लंड बाहर निकाला और आंटी को वहीं पड़ी चटाई पर लेटा कर फिर से उनके चढ़ गया. मैंने उनके ऊपर लेट कर अपना लंड दोबारा से आंटी की चूत में डाल दिया और उन्हें हल्के हल्के से चोदते हुए मजा लेने लगा.

मैं उन्हें पूछने लगा- लंड कैसा लगा मेरी पम्मी आंटी?
उन्होंने कहा- क्या बताऊं यार गौरव … तुमने आज मेरी प्यास बुझा कर मुझे अपना दीवाना बना दिया है. मैं तो अपने तलाक के बाद भूल ही गई थी कि चुदाई कितनी मजेदार होती है. चोदो मुझे गौरव … आंह जोर से चोदो अपनी आंटी को … अपना पूरा लंड घुसा दे आंह चोद दो मुझे आज!

पम्मी आंटी की कामुक बातें सुनकर मेरे अन्दर और ज्यादा जोश आ गया और मैं उन्हें अपने नीचे दबा कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. साथ ही साथ उनके प्यारे प्यारे दोनों मम्मों को अपने हाथों से मसलने लगा.

पम्मी आंटी भी नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं.

लगभग और दस मिनट की चुदाई के बाद जब मेरा पानी निकालने वाला था तो मैंने आंटी से पूछा- पानी अन्दर ही निकाल दूं … या बाहर?

आंटी ने कहा- नहीं नहीं अन्दर नहीं … बाहर निकालना!
मैंने कहा- ठीक है, मैं आपके मुँह में निकालूंगा.
तो आंटी मान गईं.

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और आंटी जल्दी से घुटनों के बल बैठ गईं, मेरा लंड दोबारा जोरों से अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

लगभग एक मिनट के बाद मेरा पानी छूटने लगा, तो मैंने आंटी का सर पकड़ कर ज़ोर से उनके मुँह को अपने लंड से चोदने लगा और उनके मुँह में झड़ने लगा.
उनके मुँह में अपनी पिचकारी मारते मारते मैंने अपना लंड बाहर निकाला और पम्मी आंटी के मुँह पर पिचकारी चला दी.

मेरा वीर्य आंटी के मुँह पर गिरने लगा, कभी गालों पर, कभी माथे पर, तो कभी होंठों पर.

फिर आंटी दोबारा मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं और पूरा लंड चूस चूस कर उसे साफ कर दिया.

जब घड़ी में देखा तो 4 बजने को थे.

उसके बाद मैंने आंटी से कहा- अब हमें घर चलना चाहिए.
आंटी ने भी मेरी बात पर सहमति जताई.

उसके बाद हम दोनों अपने अपने घर चले गए.

इसके बाद हमारी दोबारा चुदाई कब और कैसे हुई और साथ ही साथ कैसे मैंने आंटी की देवरानी को चोदा.
इन सबके बारे जानने के लिए मेरी अगली सेक्स कहानी की प्रतीक्षा करें.

मुझे मेल जरूर करें कि आपको यह देसी आंटी Xxx कहानी कैसी लगी? कमेंट्स भी करें.
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