मौसी की चूत में गोता -3

(Mausi Ki Chut Me Gota- Part 3)

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अब तक आपने पढ़ा था कि मौसी के सोते समय मैंने जो किया था.. उससे वे हैरान तो थीं.. पर अब वे जानने को उत्सुक थीं कि क्या मैंने ये सब किया था।

अब आगे..

वे मुझसे बोलीं- बेटा रात को तुम छत पर सोए थे क्या?
मैंने कहा- रात को पढ़ते समय बहुत गर्मी लग रही थी.. तो कुछ समय के लिए छत पर सोया था।

ये सुनकर मौसी सोचने लगीं कि कहीं आशीष ही तो उनके साथ में ये सब नहीं कर रहा है।

लेकिन उन्होंने मुझे कुछ कहा नहीं.. और लगभग 15 दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। मौसा रात को थके होने के कारण आग लगी चूत को छोड़कर सो जाते और मुझे जब भी मौका मिलता.. मैं कभी उनकी चूत चाट लेता.. तो कभी उनकी चूचियों और उनके शरीर पर मुठ्ठ मार लेता.. लेकिन वो इस बात को कन्फर्म नहीं कर पा रही थीं कि ये सब कौन करता है। इसलिए वो मुझसे कुछ बोली नहीं और मैं उन्हें चोदने की आस लगाए दिन गुजारता रहा।

फिर एक दिन वो घड़ी आ गई.. जिसका मुझे इंतजार था।

एक दिन मौसा जी का फोन आया कि शाम को उन्हें 3 दिनों के लिए कहीं बाहर जाना है और शाम में वो बाहर चले गए। तब मैं और मौसी बिल्कुल अकेले रह गए थे।

मुझे उस रात भी मौका मिला.. लेकिन आज मैं मन मसोस कर रह गया क्योंकि अगर आज कर देता तो मौसी को पता चल जाता कि इतने दिनों से ये सब में ही कर रहा हूँ।

अगले दिन मुझे स्कूल जाना था और मैं दो घंटे के लिए स्कूल चला गया और मौसी घर में अकेली रह गईं। कई दिनों से तड़फती और आग उगलती चूत उन्हें बहुत परेशान कर रही थी। उन्होंने घर का काम कर लिया और सोचा कि मैं तो 2-3 घंटे बाद आऊँगा.. लेकिन मेरा काम आधे घंटे में ही हो गया और मैं घर आ गया।

घर आ कर मैंने आवाज़ लगाई.. जब कुछ देर में दरवाजा नहीं खुला.. तो मैंने मेरे पास वाली चाभी से डोर अनलॉक किया और घर में घुसकर दरवाजा बंद करते हुए जल्दी से अपने जूते खोले.. मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी थी। मैं सीधे बाथरूम की तरफ भागा.. हमारे घर में लेट-कम-बाथरूम था.. बाथरूम का दरवाजा ज़रा सा खुला था.. इसलिए मैंने सोचा कि अन्दर कोई नहीं होगा और मैंने अपना लम्बा लौड़ा निकालकर जो कि इस समय पूरा खड़ा था.. इसलिए सीधे धड़धड़ाते हुए अन्दर घुस गया।

अन्दर घुसते ही मैंने जो देखा.. उसे देख कर मेरी साँसें ही रुक गईं। अन्दर मेरी गदराए जिस्म वाली लाली मौसी मादरजात नंगी खड़ी थीं। नंगी मौसी गजब की सुंदर औरत लग रही थीं.. ऐसे भी वो किसी परी से कम नहीं लगती थीं और हमारे घर में आने वाले बहुत लोग मौसी की सुंदरता की तारीफ करते थे।

लेकिन मैं ये नहीं जानता था कि मेरी मौसी अन्दर से इतनी खूबसूरत होंगी।

क्योंकि दिन के उजाले में मैं पहली बार उन्हें ऐसे देख रहा था। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर हक्के-बक्के रह गए। मेरी नज़र चेहरे से उतर कर नीचे उनके गोल-मटोल भरे हुए सन्तरों पर टिक गई। औरत के मम्मे.. जो शायद दुनिया भर के मर्दों के सबसे पसंदीदा फल हैं।

मेरी नज़रे नीचे गई.. तो सामने नंगा पेट और फिर उसके नीचे व ‘वी’ शेप में हल्की झांटें उगी हुई थीं.. झांटों में चूत छिपी हुई थी.. कमर और जांघों के बीच का वो त्रिभुज.. जिसमें हर मर्द डूबकर गोते लगाना चाहता है.. मस्त दिख रहा था। अब मेरी आँखें छोटे-छोटे बालों के झुरमुट से झाँकती दरार पर टिक गई।

अब तक मौसी भी होश में आ गईं और नीचे देखने लगीं और मेरे सांप से लहराते.. और झटके खाते लौड़े को देख कर.. मारे शर्म के घूम कर पलट गईं। पर बेचारी मौसी यह नहीं जानती थी कि पलट कर तो उसने अपने बेचारे जवान भतीजे पर और भी जानलेवा हमला कर दिया है।

मौसी के पीछे घूमते ही मेरे सामने जो दृश्य आया.. वो मेरी पूरी जिंदगी को पूरी तरह बदल देने वाला था। मेरी नज़रों के सामने जवानी से उफनती मेरी 42 वर्षीए मौसी की मादक गाण्ड थी.. जिसे देख कर मैं अपने होश-हवाश खो बैठा और मैंने उसी पल सोच लिया कि आज नहीं.. तो कभी नहीं और बस..

अक्सर अलग-अलग मर्द औरतों के अलग-अलग अंगों के दीवाने होते हैं.. कोई मम्मों को चूसना पसन्द करता है.. तो कोई कदली जाँघों का दीवाना होता है.. तो कोई चूत चूसने का मजा लेना पसन्द करता है और मैं गाण्ड का दीवाना था। दरअसल मैं हमेशा से ही औरत की गाण्ड का दीवाना था.. जब भी मैं घर से बाहर जाता तो रास्ते भर की औरतों की मटकती गाण्ड को देखता रहता था।

जब से मुझे इन सबकी समझ हुई थी.. ये मेरा पैशन बन गया था और इस समय तो मेरे सामने दुनिया की सबसे हसीन गाण्ड थी।

लाली मौसी की गाण्ड गजब की सेक्सी थी.. बाहर को निकली हुई.. जैसे कोई खींच कर बाहर निकाल रहा हो।

मौसी की गाण्ड एकदम चिकनी थी और मक्खन के समान मुलायम थी। गाण्ड के नीचे केले के तने के समान उनकी मांसल जांघें थीं। मेरा लंड उफान मारने लगा और मेरे पूरे खून में गर्मी आ गई।

मैंने जब उनकी गाण्ड की दो फलकों को अलग करने वाली लकीर पर नज़र जमाई.. तो मेरी मति भ्रमित हो गई.. रिश्ते-नाते सब हवा हो गए.. ऐसे भी सोई हुई मौसी की चूत चाटने और उनके कपड़ों पर लावा बहाकर में सब रिश्ते भूल चुका था। याद था तो बस लंड और चूत की प्यास।

मैं आगे बढ़ा.. घुटनों के बल बैठा और दोनों हाथों से लाली मौसी की कमर पकड़ ली और अगले ही पल मेरे होंठ मौसी के मादक नितंबों पर जा लगे।

अपनी गाण्ड पर अपने बेटे की उम्र के भतीजे के होंठों का स्पर्श महसूस करते ही लाली मौसी के शरीर में कंपकपी छूट गई.. लाली मौसी के पति ने भी कभी उनकी गाण्ड को चूमा नहीं था। हालांकि मौसा जी मौसी की गाण्ड सहलाते ज़रूर थे.. लेकिन ना कभी चाटी थी.. ना ही मारी थी।

इधर मैं तो मौसी की गाण्ड को देख कर पागल हो गया और लाली मौसी की चिकनी गाण्ड को जगह-जगह से चूम रहा था।

मेरे हर किस पर लाली मौसी सनसना जाती थीं।

कुछ देर गाण्ड को चूमने के बाद मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और लाली मौसी की गाण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा।
गीली.. गरम और खुरदरी जीभ जैसे ही लाली मौसी की गाण्ड पर चलना शुरू हुई.. तो उनके मुँह से सिसकारी निकल गई।

मौसी की उत्तेजना बढ़ती ही चली जा रही थी कि तभी मैंने अपनी जीभ लाली मौसी की गाण्ड की दरार में डाल दी और पूरी ताक़त से जीभ रगड़ने लगा।

अब लाली मौसी का बुरा हाल हो गया, एक तरफ तो वो शरम का अहसास भी कर रही थीं और दूसरी तरफ उनका भतीजा उनके चुदास भरे शरीर में आग लगाए जा रहा था।

मौसी के पति तो उन्हें पिछले 15 दिन से थके होने के कारण बिस्तर पर प्यासी छोड़कर सोए जा रहे थे। इतने दिनों से वो मर्द के चरम सुख वाले स्पर्श से वंचित थीं और अब जब उसे कोई मर्द छू भी रहा था.. तो वो उसका भतीजा था।

मैं उनकी गाण्ड चाटने के साथ-साथ अब हाथ से भी लाली मौसी की जाँघों को सहलाने लगा.. जिससे मेरा हाथ लाली मौसी की चूत के बालों से टकरा जाता।

इन सब हरकतों को होते हुए पाँच मिनट ही हुए होंगे कि मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से फुंफकार मारने लगा।

उत्तेजना की हालत में मैंने मौसी की गाण्ड पर अपने दाँत गड़ा दिए। जैसे ही मैंने लाली मौसी की गाण्ड को काटा.. उनके मुँह से से हल्की सी चीख निकल गई ‘आह्ह.. बेटा आशीष..’

इसी चीख के साथ लाली मौसी को होश भी आ गया कि बाथरूम में क्या हो रहा है और उनके मुँह से निकला।

लाली मौसी- आशीष छोड़ दो.. ये ग़लत है.. अब तुम जाओ यहाँ से.. ये ठीक नहीं हो रहा है।

मुझे भी होश आया और मैंने उनकी बातों पर ध्यान दिए बिना उन्हें पकड़ कर नीचे उल्टा ज़बरदस्ती बैठा दिया और एक हाथ से अपने कपड़े उतारने लगा… जिसे मौसी देख नहीं पाईं.. वरना आने वाला भूचाल शायद रुक जाता।

लाली मौसी की टांगें काँप रही थीं.. वो घूमीं और मुझे नंगा देखा और मेरे लंड को देखकर उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैं उनकी गाण्ड के अन्दर अपनी खुरदुरी जीभ डालकर काफी देर तक चोदता रहा। ऊपर से हमारे ऊपर शावर का पानी गिर रहा था और फिर लाली मौसी अचानक से झड़ने लगीं और फिर मैं उनकी गाण्ड को छोड़कर उनकी चूत का अमृत पीने लगा। ये देखकर लाली मौसी कुछ दूसरे ही ख़यालों में खोई थीं। शायद ये उनके साथ पहली बार हुआ था कि किसी ने उनकी चूत का पानी.. वो भी टेस्ट ले-लेकर पिया हो।

फिर हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और कुछ पलों के बाद मौसी उठने लगीं.. तो मैं भी उनके साथ ही उठ गया। वो अपने कपड़े पहनने लगीं.. तो मैंने उनके हाथों से कपड़े लेकर फर्श पर फेंक दिए.. और उन्हें अपनी महबूबा की तरह गोद में उठा कर हॉल में लाकर सोफे पर लिटा दिया। हमारा पूरा शरीर भीगा हुआ था और आज मैंने सोच लिया था कि किसी भी सूरत में किले को फतह करना ही है।

सोफे पर लेटते ही लाली मौसी मुझे बड़े आश्चर्य से देखने लगीं।

तभी मैं उनके ऊपर झुकने लगा.. तो वो बोलीं- क्या कर रहे हो.. जाओ यहाँ से..
मैंने कहा- जो बाकी है.. उसे पूरा तो कर लूँ।

लेकिन मौसी उठकर वहाँ से जाने लगीं.. तो मैंने उन्हें पकड़ लिया और फिर से सोफे पर धक्का देकर गिरा दिया।

मैं भी तुरंत उनके ऊपर चढ़ गया और बिना पूछे उनके होंठों पर होंठ लगा दिए। उसी समय हाथ की एक उंगली मैंने उनकी चूत में घुसेड़ दी। मौसी के मुँह से ‘आह..’ निकल गई।

मौसी की चुदास जागृत हो चुकी थी बस अब उनको हर तरह से तृप्त करने की तैयारी में लग गया।

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