मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-1

(Mami Ki Gand Chod Kar Suhagrat Manayi- Part 1)

किरण कुमार 2018-09-26 Comments

नमस्कार दोस्तो, मैं राहुल एक बार फिर से अपनी नई कहानी लेकर आया हूँ.

अभी तक आपने पहले भागों
मामी की चूत चुदाई का आनन्द-1
मामी की चूत चुदाई का आनन्द-2
मामी की चूत चुदाई का आनन्द-3

में पढ़ा कि मामी की मैंने कैसे चुदाई की थी. वो पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थीं. अब मैंने मामी की गांड कैसे मारी, ये इस कहानी में पढ़िए.

उस दिन चुदाई करने के बाद हम दोनों बेड पर लेट हुए बातें कर रहे थे. मामी ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कभी इतनी जबरदस्त चुदाई नहीं की है. तुमने मुझे अपनी पत्नी की तरह संतुष्ट कर दिया है, जो कि मेरे पति का काम था. इसलिए अब से तुम ही मेरे असली चुदाई वाले पति हो.

इस बात पर मैंने कहा- मामी जी, पति को तो अपनी पत्नी की कुंवारी बुर मिलती है ना? पर मुझे नहीं मिली. चलो कोई बात नहीं, वो मेरे मामा जी ने मार ली है, पर मुझे भी आपकी कुंवारी मिल सकती है.. लेकिन जब आप दोगी तब.
मामी जी- मेरी क्या चीज कुंवारी बची है, जो कुछ मैं अपने चोदू पति को दे सकती हूं?
मैं- मामी जी आपके पास आपकी कुंवारी मख़मली गांड है, मैं आपके साथ सुहागरात में आपकी गांड मारना चाहता हूँ.

मामी जी इस बात से खुश हो गईं और वो इसके लिए तैयार भी हो गईं. मामी जी ने और मैंने, हमारे ख़ुद के पास वाले फार्म हाउस में सुहागरात मनाने का प्लान बनाया. इसके लिए हमने तैयारी की. बाजार गए, जनरल स्टोर से बॉडी मालिश करने के सामान खरीदे, कुछ कपड़े और खाने का सामान लेकर शाम को फार्म हाउस जा पहुंचे.

फार्म हाउस मैं हमारा बूढ़ा वॉचमेन रमेश अपनी दूसरी पत्नी रूपा के साथ वहीं रहता है. रूपा एक ज़वान औरत है, पर मजबूरी में उसे एक बूढ़े से शादी करनी पड़ी. हम जब फार्म हाउस पहुंचे तो उसने ख़ुशी से हमारा स्वागत किया.

रमेश- अरे छोटे मालिक, बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए.
मैं- बात ही कुछ ऐसी है, मामी जी की तबियत खराब है और डॉक्टर ने उन्हें खुली हवा में रहने के लिए कहा है, तो हम दो दिनों के लिए यहां रहने आए हैं.
रमेश- अरे वाह, आप यहाँ पर रुकने वाले हैं.. बड़ी बहू भी, चिंता ना करें. यहां बहू की तबियत ठीक हो जाएगी. मैं भी आपके घर आकर दो दिन के लिए जाने की कहने की सोच रहा था. लेकिन आप फ़िक्र ना करें आपकी सेवा में ये रूपा यहीं रहेगी. मैं इसे अकेले छोड़ कर नहीं जा पा रहा था. अब आप लोग आ गए तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है.

मेरी निगाह रूपा के मस्त उठे हुए मम्मों पर थी जोकि रूपा ने भी भांप लिया था.

फिर बूढ़ा रमेश जाने की तैयारी करने चला गया और रूपा ने हमें खाना खिलाया, खाना रूपा ने बनाया था, तो उसे मैंने रूपा को सौ का नोट उपहार स्वरूप देकर कहा- खाना खाकर मन प्रसन्न हो गया.
वो शरमाते हुए चली गई.

उसके बाद मैंने रमेश से कहा- हम आज रात हम ऊपर सोने वाले हैं.. तो हमारा बिस्तर ऊपर छत पर लगवा देना.

उसके बिस्तर लगवा देने पर मैंने उसे एक बियर की बोतल दी, वो खुश होकर चला गया. वो पास के बैलों की शेड की तरफ बनी हुई झोपड़ी में सोता है.. लेकिन आज उधर रूप ही अकेली रहने वाली थी.

हमारा फार्म हाउस दो मंजिला बना है, जिसके चारों ओर तारों की बाड़ है, जिसके मेनगेट बंद होने पर कोई भी अन्दर नहीं घुस सकता है.

रात हो गई थी, खेतों में आठ बजे के बाद ही ऐसा महसूस होने लगता, जैसे शहरों में रात ग्यारह बजे के बाद लगता है. रात में सिर्फ मैं और मेरी मामी ही फार्म हाउस में थे.
मैंने फार्म हाउस का गेट बंद कर दिया. मैंने मामी से कहा- आप नीचे बाथरूम में नहा लीजिए और तैयार हो जाएं.
मैं ऊपर छत पर बेड लगवाकर पर चुदाई की तैयारी करने लगा. मैं सोच रहा था कि मामी की मखमली मोटी गांड आज जम कर मारूँगा.

कुछ ही में समय मामी जी नहाकर तैयार हो गईं और सज संवर कर ऊपर आ गईं. मामी बहुत ही हसीन लग रही थीं. एकदम नई दुल्हन सी लग रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैंने मामी जी को पैरों और कमर से पकड़ कर बाँहों में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया.
मैंने मुस्कुराते हुए मामी जी से कहा- आई लव यू मामी जी.
मामी जी ने भी ‘लव यू टू जानू…’ कहा.

इसके बाद मैं उनके ऊपर आ गया, मैंने उनके माथे को चूमा, फिर उनके गुलाबी होंठों पर होंठ रख दिए और उनको चूमने लगा. उसी बीच मेरे हाथ उनके पल्लू में से पीठ, कमर पर होते हुए उनके स्तनों पर पहुँच गया. मेरा हाथ उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके स्तनों को दबा रहा था. उनकी आँखें पूरी तरह से बंद थीं.. और वो उसका पूरा मजा ले रही थीं.

उसके बाद उनके पल्लू को मैंने उनके कन्धों से हटाया और वो एक तरफ गिर गया, साथ ही साड़ी का दूसरा हिस्सा जो पेटीकोट में घुसा हुआ होता है, उसे भी बाहर की तरफ खींच कर निकाल दिया. और इस तरह मामी की साड़ी पूरी तरह से निकाल दी. साड़ी निकालने की वजह से वो बेड से उठ गई थीं, अब वो मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी थीं.

इतने में मैंने ब्लाउज के बटन खोलकर, उसे भी निकाल दिया. उनके मस्त मम्मों के ऊपर कसी हुई गुलाबी रंग की ब्रा सामने आ गई. फिर मैंने मामी की ब्रा के हुक भी खोल दिए तो उनके बड़े बड़े स्तन आजाद हो गए. अब मैं उनके बड़े बड़े स्तनों को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

वो ‘आआ हाआ ऊऊन्न्ह ऊऊ म्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआ..’ करने लगी थीं. नीचे देखा तो उनके पैर मेरे पैरों पर रेंग रहे थे.

मैं फिर से ऊपर आकर उनके निर्वस्त्र स्तनों पर जीभ फेरने लगा. मामी के मुँह से तो बस मादक सिसकारियां निकली जा रही थीं- अह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. मम्म.. और जोर से.. म्मम्मम्म…

मामी जी के स्तनों को दबाते हुए मैं नीचे उनके पेट पर आ गया और पेट पर जीभ फिराने लगा. मैं उनकी गहरी और गोल नाभि में जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा.

फिर मैं धीरे धीरे से अपना हाथ मामी जी के पेटीकोट के नाड़े पर ले गया और उसे ज़ोर से पकड़ कर खींच डाला, जिससे मामी का पेटीकोट एकदम से नीचे गिर पड़ा. मामी जी अब पिंक कलर ब्रा पैंटी में मेरे सामने थीं. मैंने उन्हें फिर से लिटा दिया.

मैं अब अपना मुँह मामी की पैंटी के पास ले गया और मामी की चूत को ऊपर से ही चूसने लगा. फिर मैंने उनकी पैंटी को पकड़ा और झटके से उनकी पैंटी निकाल दी. उनकी चूत मेरे सामने आ गई.

छत पर चांदनी रात में नंगी मामी.. क्या मस्त माल लग रही थीं. मामी जी की चूत, रात में एकदम चमाचमा उठी. उनकी चिकनी चूत कामरस से भीगी हुई थी.

इस तरह चूत के दर्शन करने के साथ मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा दी मामी जी एकदम से तिलमिला उठीं. फिर मैं धीरे धीरे उनकी चूत को जीभ से सहलाने लगा. मैं उनकी चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चुत चाटने लगा.

मामी की सांसें तेज होने लगीं- आआह्हह्ह.. उईई.. ओह्ह.. अई..
वे मादक सिसकारियां भरने लगीं.

मैं मामी की चूत चुसाई करता रहा. उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को उठा कर मेरे कन्धों पर रख दिया और मेरा सर अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दिया. मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली हैं. मैं जोर जोर से अपनी जीभ मामी की चूत में अन्दर बाहर कर रहा था. वो बहुत ही उत्तेजित हो गई थीं, इसलिए ज्यादा समय तक सह नहीं सकीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

मैंने चूत को चाट कर साफ दिया. चूत चुसाई से अब चूत का काम हो गया था.

अब मैंने अपने आज के मुख्य लक्ष्य की तरफ़ जाने का फैसला किया यानि कि मामी की गांड मारने की तरफ आ गया.

मैंने मामी जी को पलटने के लिए कहा. वो उठीं और पेट के बल लेट गईं. अब मेरे सामने मामी जी के चूतड़ थे, जिनको सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मैं- वाह, क्या गोल गोल चूतड़ हैं मामी जी आपके… इनकी संगत में आपकी गांड चुदाई में बहुत मजा आएगा.
मामी जी- सच राहुल तुम्हारे मामा जी ने तो आज तक इसको छुआ तक नहीं, एक बार गांड मारने का प्रयास किया था, लेकिन उस दिन क्या हुआ कि जब वह पीछे से अन्दर डालने का प्रयास करते, तो उनका लंड मेरे बड़े बड़े चूतड़ की गोलाई में ही फंस कर रह जाता था, क्योंकि उनका लंड छोटा है. इसके बाद उन्होंने कभी गांड मारने का प्रयास नहीं किया. वो कहते थे कि तुम्हारी गांड बहुत मोटी है.. इसलिए मुझे गांड मारना पसंद नहीं है.
मैं- अरे गांड मारना भी बड़े भाग्य से मिलती है.. आपकी इस सेक्सी गांड को तो मैं ही मारूंगा. चलो अब पीठ की मालिश कर देता हूँ.

मैंने एक हाथ में ढेर सारा तेल डालकर उनकी पीठ पर दोनों हाथों से मालिश करना शुरू कर दिया. पीठ से होते हुए मेरे हाथ अब उनकी कमर की मालिश कर रहे थे. कमर की मालिश करते वक़्त मेरे हाथ उनके चूतड़ों पर टच हो रहे थे. वाह क्या मुलायम और बड़े बड़े चूतड़ थे, जो न जाने कितने दिनों से मुझे दीवाना बना रहे थे.

मामी की कमर की मालिश के बाद मैंने उनकी टाँगों को थोड़ा खोल दिया. फिर उनके चूतड़ों के नीचे एक तकिये को रखा तो उनके चूतड़ ऊपर की तरफ उठ गए, जिससे मामी की चूत और गांड साफ दिखाई दे रहे थे. मैंने उनके चूतड़ों पर तेल डाल दिया. तेल उनके चूतड़ों पर फैलाकर मालिश करने लगा, फिर धीरे से चूतड़ दबाने लगा. उनके चूतड़ों पर मेरे हाथों का स्पर्श पाकर मामी मस्त हो गई थीं. उनके मुँह से हल्के हल्के स्वर में कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. वो ‘अहह.. सस्स्सस्स.. अहह..’ कर रही थीं.

मैंने अपनी एक उंगली तेल से भिगो कर उनकी गांड के छेद लगा कर कुछ देर तक सहलाया, फिर और तेल से भिगोकर उंगली को मामी जी की गांड में धीरे से करीब आधा इंच अन्दर डाल दी. इससे वे मचल उठीं और उनकी सिसकारी निकल गई.

थोड़ी देर वैसे ही उंगली को मामी की गांड के अन्दर रहने दी. इसके बाद धीरे धीरे मैंने पूरी उंगली मामी जी की गांड में घुसा दी. फिर मैं उंगली को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगा और अन्दर बाहर करने लगा.

अब मेरी एक उंगली आसानी से अन्दर बाहर हो रही थी, तो मैंने अपनी दूसरी उंगली भी मामी जी की गांड में घुसा दी, जिसकी वजह से उनको थोड़ा सा दर्द हुआ, लेकिन उन्होंने कहा कि अपना काम करते रहो.

फिर मैं धीरे धीरे उंगलियों को दोनों तरफ घुमाना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अन्दर बाहर भी कर रहा था, जिसके कारण गांड में थोड़ी सी जगह बन गई.

अब यही मौका था उनकी गांड में लंड डालने का. मेरा लंड गांड में घुसने के लिए बेताब हुए जा रहा था. मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा दिया, खास कर लंड के सुपारे पर.. और साथ ही साथ एक बार फिर थोड़ा तेल लेकर मैंने गांड के छेद में और उसके आसपास मल दिया.

इसके बाद मैंने मामी जी से कहा- आप अपनी गांड को ढीली रखना, अगर दर्द होने लगे तो बता देना, सिर्फ जरा सा दर्द होगा, जैसा पहली बार चूत चुदवाने में होता है वैसा ही होगा बस.

मैंने अभी तक उनकी गांड पर लंड नहीं रखा था. मैंने मामी जी से कहा आपके नितम्ब बहुत ही बड़े बड़े हैं, तो आप अपने हाथों से उन्हें चौड़ा कीजिए.

तो मामी जी ने अपने दोनों हाथ पीछे किए और अपने नितम्बों को पकड़ कर उन्हें चौड़ा कर दिया, इससे गांड का छेद भी और खुल गया. फिर मैंने मामी जी कि कमर को जोर से पकड़ लिया और लंड का सुपारा गांड के छेद पर लगा दिया. गांड पर लंड का गर्म गर्म स्पर्श होते ही उनके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई.

मैंने धीरे से अन्दर की ओर दबाव बनाया पर मेरा लंड फिसल गया. मैंने यह कई बार प्रयास किया, किन्तु लंड हर बार फिसल रहा था. इधर उत्तेजना से मेरा हाल बुरा हो रहा था, लग रहा था कि मैं ऐसे ही झड़ जाऊँगा.. और उधर मामी जी की भी साँसें बहुत तेज चल रही थीं.

मैंने अपने एक हाथ से अपने लंड को सहारा दिया, जिससे कि वो अब बाहर ना निकल पाए. फिर दुबारा अपनी कमर से दबाव बनाया.

अबकी बार मेरे लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा मामी जी की गांड में चला गया, जिसकी वजह से तो वो ज़ोर से चीख पड़ीं- आईईईईई मैं मर गई.. आज तो फाड़ ही दो मेरी इस गांड को आह्ह्ह्हह्ह.. आज मुझे वाकयी में लग रहा है कि मेरी असली सुहागरात तो आज ही है. इतना दर्द तो मुझे पहली सुहागरात को भी नहीं हुआ था. उई.. आह.. राहुल क्या लंड है आपका.. मार दो मेरी गांड.. फाड़ दो.

मुझे मालूम था कि मामी को दर्द हो रहा है.. लेकिन वो मुझे अपनी गांड मारने के लिए उकसा रही हैं. ये उनका साहस ही था, जिसे देख कर मैं खुश हो गया.

लेकिन अभी दर्द होना बाकी था. इसलिए मैं कुछ देर तक वैसे ही रुका रहा. कुछ देर रुक कर एक बार फिर से जोरदार झटका मारा. इस बार तो मेरा लंड का पूरा सुपाड़ा उनकी गांड में समा गया.

मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में घुसते ही वो दर्द मिश्रित आवाज में बोलीं कि राहुल थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालना.. प्लीज़ दर्द हो रहा है.. मैं पहली बार गांड मरवा रही हूं.
मैंने कहा- अरे आप डरो मत सिर्फ थोड़ा सा ही दर्द होगा.

अब में सिर्फ़ अपने सुपाड़े को ही धीरे-धीरे उनकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा था. ऐसे ही थोड़ा सा अन्दर बाहर अन्दर बाहर करते करते एक ही झटका मारा, जिससे उनकी चीख निकल गई. मेरा लंड उनकी गांड को चीरता हुआ 2″ अन्दर तक घुस गया था. मैं थोड़ा रुक गया और बड़े प्यार से उनकी पीठ को सहलाता हुआ चूमने लगा.

उसके बाद एक बार मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से एक धक्का और लगा दिया. इस बार लगभग मेरा आधा लंड, गांड की गहराई में उतर गया. मामी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- इईईई.. श्श्शशश.. अआआआ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्ह्हह..

इस बार आवाज तेज निकल गयी थी. सुनसान जगह और रात का समय था सो उनकी चीख जरा ज्यादा ही तेज लगी. मैंने उनको बताया कि रूपा भी सुन सकती है तो वे चुप हो गईं.

उनका बदन थोड़ा सा अकड़ गया. फिर मैं अपने हाथ से मामी जी के बदन को सहलाने लगा, जिस से वो नॉर्मल होने लगीं.

मामी जी की गांड और मेरे लंड पर तेल लगाने से गांड बहुत ही चिकनी हो गयी थी, जिस कारण गांड लंड आसानी से घुस रहा था. मैंने जितना सोचा था, गांड मारना उतना ज्यादा टफ नहीं लगा.

अब तक मेरा आधा लंड मामी जी की गांड में घुस चुका था. ये मेरी आधी जीत थी. मैं ऐसे ही आधे लंड को अन्दर बाहर कर के मामी जी की गांड मारने लगा और थोड़ा थोड़ा अन्दर घुसेड़ता भी जा रहा था, जिससे लंड का काफी हिस्सा गांड के अन्दर घुस गया था. अब ऐसे करने से मामी जी की गांड का छेद भी थोड़ा खुल चुका था.

तभी मैंने फिर से थोड़ा लंड को बाहर निकाल के एक जोर का धक्का मारकर पूरा लंड उनकी गांड में घुसा दिया, जिस कारण उनकी गांड के अन्दर की दीवारों को चीरता हुआ मेरा लंड जड़ तक घुस गया.

इस बार हल्की सी आवाज़ से मामी चीख निकल पड़ी- आहह्ह्ह उह्ह्ह्ह..

मामी ने कसकर बेडशीट पकड़ ली और अपनी आँख बंद कर लीं. मैंने देखा कि मामी की आँख में से पानी निकल गया.

फिर में थोड़ी देर वैसे ही रहा. जैसे ही मामी थोड़ी नॉर्मल हुईं, तो मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब उनको भी मज़ा आ रहा था. वो मादक कराह लेते हुए सिसकारने लगी थीं- हाईईईई रे.. हाई.. इसमें तो चूत से भी ज़्यादा मज़ा आता है.. और कसकर पेल मेरे राहुल, हाईईई रे.. बहुत मजाआअ आ रहा है.. सीईईईई हाईई.. चोदो.. सीईईईई और कसकर.. हायईईई.. उईईईई माँ.. आआह.. मजा आ गया रे..

अब मैं उनको बस धकापेल चोदता ही जा रहा था. वो ‘उफ्फ्फ… स्स्स्सस..’ करती जा रही थीं.

मामी जी की गांड का उद्घाटन हो चुका था. इसके बाद क्या हुआ, यह अगले भाग में बताऊंगा.

आप कमेंट्स लिख कर मुझे अपने विचार बता सकते हैं.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
कहानी जारी रहेगी.

कहानी का अगला भाग: मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-2

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