जवान मौसी की चूत दोबारा मिली- 5

(Hot Mausi Ki Chut Kahani)

हॉट मौसी की चुत कहानी में पढ़ें कि रात में मौसी की जेठानी ने मुझे मौसी की चूत चोदते देख लिया था. सुबह को उन्होंने हमारे साथ क्या बर्ताव किया?

हॉट मौसी की चुत कहानी के पिछले भाग
जवान मौसी की चूत खुली छत पर चोदी
में अब तक आपने पढ़ा कि मौसी के घर अचानक उनकी जेठानी के आ जाने से हमको प्यार करने का अवसर नहीं मिल रहा था.
लेकिन रात को जेठानी के सो जाने के बाद हम खुले आसमान के नीचे चुदाई करने लगे.
तभी मुझे लगा कि हमें कोई देख रहा है. इसी हड़बड़ी में रूपाली की चूत में मेरा वीर्य स्खलन हो गया।

अब आगे हॉट मौसी की चुत कहानी:

रात को हम लोग नीतू को जिस अवस्था में छोड़ कर छत पर गये थे, वापस आने पर वो हमें उसी तरह सोती हुई मिली।

मैं और रूपाली पुनः अपने- अपने बिस्तर पर जाकर लेट गये.
फिर पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी।

सुबह मेरी आँख मेरे रोज की अपेक्षा जल्दी खुल गई लेकिन फिर भी घर की दोनों महिलायें मतलब मौसी और उनकी जेठानी मुझसे पहले ही उठ गई थी।

बेड पर लेटे-लेटे ही रात की सारी घटना मेरी आँखों में तैर गई और मैं रात में दिखी उस परछाई के बारे में सोचने को मजबूर हो गया.
लेकिन कुछ भी समझ नहीं आया।
अगर थोड़ा और उजाला होता तो शायद किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता था.

अंत में मैं अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। मैंने बाहर आँगन में आकर देखा नीतू नहा चुकी थी जैसा की उसके गीले बालों से टपकती हुई पानी की बूंदों से जाहिर हो रहा था लेकिन रूपाली मुझे कहीं भी नहीं दिखी।

मैं रसोई में जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
नीतू के गीले बदन की खुशबू से पूरा रसोई महक रहा था। मैं उसके बदन की काया को अपनी आँखों से निहार रहा था।

सच में भगवान ने उसे बड़े इत्मीनान से बनाया था वो खुदा का नायाब नगीना थी और शायद भगवान को भी इस बात का गुरुर होता होगा।

अभी मैं उसके बदन की खुशबू को अपने सीने में जज्ब किये उसकी गर्मी से आँखें सेंक रहा था।
तभी उसकी आँखें अपने बदन पर घूमती हुई मेरी आँखों से टकरा गई।
उसने मुझे घूरकर ऐसे देखा जैसे उसे पता चल गया हो कि मैं उसे बहुत देर से ताड़ रहा हूँ।

उसकी आँखों में मुझे अपने लिए गुस्सा साफ़ दिख रहा था.
लेकिन सिर्फ देखने भर से कोई इतना गुस्सा थोड़ी होता है।

बात शायद कुछ और रही होगी इसलिये मैंने माहौल को थोडा हल्का करने के लिए उनसे रूपाली के बारे में पूछा- मौसी रूपाली मौसी कहाँ हैं?
नीतू- वो तो बाथरूम गई है नहाने!
मैं- अच्छा!

नीतू- क्यों मन नहीं लग रहा क्या उसके बिना?
मैं- नहीं मौसी, ऐसा नहीं है।

नीतू- जा तू भी जाकर घुस जा बाथरूम में … शायद तेरे लिए दरवाजा खोल के ही बैठी हो।
मैं- ये आप क्या कह रही हो? मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ, वो तो मेरी मौसी हैं।

नीतू- और ये मौसी मौसी क्या लगा रखा है? रूपाली कह कर बुलाओ उसे … क्योंकि वो तो तुम्हारी पत्नी है न!
अब तक नीतू का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था.

मैं- आप ऐसा क्यों कह रही हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
नीतू- ज्यादा शरीफ मत बनो. मुझे सब पता है कि तुम दोनों कल रात को छत पर क्यों गये थे और क्या कर रहे थे। मैंने रात को सब देखा!

अब मुझे सब कुछ समझ आ गया था कि गत रात छत पर जो परछाई देखी थी, दरअसल वो नीतू ही थी. और उसने मुझे और रूपाली चुदाई करते हुए देख लिया था.

लेकिन मैं फिर भी ढीठ बन कर उनकी बातों से अनजान बनने का दिखावा करने लगा।
“नहीं मौसी, हम कल छत पर नहीं गये थे.” मैंने कहा.

मेरे इतना कहते ही नीतू ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर जमा दिया।
थप्पड़ इतना जोर था कि उसके हाथों की उँगलियों का निशान मेरे गालों पर पड़ गया था।

इससे पहले मैं कुछ समझ पाता, तभी उसने एक और जोर का थप्पड़ लगा दिया.
फिर तीसरा, चौथा, इसके बाद न मैंने गिनना ठीक समझा और न नीतू ने रुकना।

उसके हर थप्पड़ से मैं एक कदम पीछे होता जा रहा था।
पीछे हटते हटते मैं आँगन तक जा पंहुचा।

रसोई से ले कर आँगन तक नीतू की चूड़ियां यहाँ वहाँ बिखरी पड़ी थी।
कुछ कांच के टुकड़े मेरे गालों को भी छू चुके थे जिससे गाल पर खून की कुछ बूँदें उभर आयी थी।

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और रूपाली मौसी बाहर निकली- क्या हुआ दीदी, क्यों मार रही हो इसे? क्या किया राहुल ने?

नीतू- ज्यादा भोली बनने की कोशिश मत कर तू समझी छिनाल! साली बहुत शौक चढ़ा है न चूत चुदवाने का? हरामजादी बहुत खुजली होती है न तेरी चूत में, शर्म नहीं आती अपनी बहन के लड़के से चुदाई करवाने में। एक बार भी घर की इज्जत के बारे में नहीं सोचा कि अगर परिवार में किसी को पता चल जायेगा तो कितनी बदनामी होगी। क्या छोटे (मौसा जी) तेरे लिए काफी नहीं है जो उसके अलावा बाहर के मर्द के साथ रंडीबाजी कर रही है। कल रात को कैसे मजे से इस हरामी का लंड अपनी चूत को खिलाने में लगी हुई थी। साली कुतिया बड़ी आग लगी है न तेरे बदन को। आखिर क्या कमी रह गई थी छोटे के प्यार में जो तू उसे इस तरह धोखा दे रही है। आने दे छोटे को … तुम दोनों की रंगरलियों के बारे में सब बताऊंगी।

इतना कहते ही नीतू फिर से मुझे मारने के लिए आगे बढ़ी लेकिन इस बार रूपाली ने नीतू का हाथ रोक लिया।

अब तक मैं और रूपाली किसी अपराधी की तरह नीतू की सारी बातें सुन रहे थे लेकिन अब रूपाली ने और चुप रहना ठीक नहीं समझा.

रूपाली- कौन कहता है कि मैं आपके देवर से प्यार नहीं करती। मैं आज भी उन्हें पहली की तरह प्यार करती हूँ लेकिन शायद अब वो मुझे पहले की तरह प्यार नहीं करते। उन्हें तो शायद ये भी याद नहीं कि उनकी एक पत्नी है जिसकी कुछ जरूरत है और उसके प्रति उनकी कुछ जिम्मेदारी हैं। उन्हें तो ये लगता है की दुनियाँ की सारी खुशियाँ पैसे से खरीदी जा सकती है, इच्छाएं तो पैसे से पूरी की जा सकती है लेकिन जरूरतों का क्या वो पैसे से पूरी नहीं होती। एक अरसा बीत गया है उनके साथ सेक्स किये। मेरी तरफ देखते भी नहीं, बस सारा समय पैसे कमाने में लगे रहते हैं। इसलिये न चाहते हुए भी मैं भी जवानी की आग में बहक गयी। आपके देवर ने मुझे एक विधवा बना के छोड़ दिया है। जिसका पति है तो लेकिन केवल मांग में उसके नाम का सिन्दूर लगाने के लिए बस!

इतना कहते-कहते रूपाली का गला रुंध आया था और आँखों से आंसुओं की अविरल धारा बह चली थी।

नीतू ने आगे बढ़ कर रूपाली को गले लगा लिया और दोनों कितनी देर तक साथ में रोती रही।
क्योंकि इस वक़्त दोनों की मनिस्थिति लगभग बराबर थी और दोनों ही एक समान दुःख से परेशान थी।

उस दिन एक बात समझ आयी कि विवाहपूर्व यौन संबंध, विवाहेतर यौन संबंध, विवाह पश्चात भी हस्तमैथुन, हमउम्र मित्रों या कमउम्र लोगों के साथ अप्राकृतिक और अशोभनीय आचरण या निर्जीव वस्तुओं के साथ अराजक हो जाना और भी तमाम माध्यम हैं विवाह कर लाई गई एक लड़की को बगैर छुए प्रताड़ित करने के!

रूपाली- दीदी, अब कभी मैं राहुल के पास नहीं जाऊँगी।
नीतू- नहीं रूपाली, अगर तुझे राहुल के साथ रहने में ख़ुशी मिलती है तो तुमको भी हर इंसान की तरह खुश रहने का हक़ है. और छोटे ने तुम्हारी जिंदगी में जिन हिस्सों को खाली छोड़ दिया है तुम्हें पूरा हक है उन खाली हिस्सों को राहुल के साथ भरने का!

इतना कहते ही दोनों ने एक दूसरे को फिर से गले लगा लिया और मैं उन दोनों उसी जगह छोड़ कर वापस कमरे में आ गया।

नीतू को हमारे संबंधों के बारे पता चल गया था। इसलिये अब रूपाली ने भी उन्हें खुल के सारा कुछ बता दिया।

मैं रूपाली के बेडरूम में बैठा हुआ था और बहुत देर से अभी-अभी हुए सारे घटनाक्रम के बारे में सोचने लगा।
तभी कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ हुई जिससे मेरी तन्द्रा भंग हो गई।

मैंने देखा कि रूपाली मेरी तरफ आ रही है। उसके हाथों में कोई दवा की शीशी थी।
रूपाली मेरे बगल में आ कर बैठ गई।

उसने मेरे गाल को अपने हाथों से साफ़ किया फिर उस पर दवा लगाने लगी।
वो मेरे गाल पर दवा लगा रही थी और मैं उसे लगातार देखे जा रहा था.

उसकी आँखें आंसुओं से भरी हुई थी.
जैसे ही उसकी आँखें मेरी आँखों से टकराई, वो अपनी भावनाओं को रोक न सकी और रोने लगी।
मैंने अपने हाथ से उसके आसुओं को पौंछा और उसके रोने का कारण पूछा.

रूपाली- ये सब मेरी वजह से हुआ. न रात को हम छत पर जाते, न दीदी हमें देखती और न तुमको इतना कुछ सहना पड़ता।

मैं- क्या नीतू दीदी अभी भी गुस्सा है हम लोगों से?
रूपाली- नहीं, दीदी को अब हमारे रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है।

मैं रूपाली की दोनों आँखों को बारी-बारी से चूमने लगा।
धीरे से मैंने अपने होंठों को रूपाली के नम्र होंठों की ओर अग्रसर कर दिया।

रूपाली के होंठ चूमते-चूमते मैं गर्म होने लगा लेकिन रूपाली न तो मेरा साथ दे रही और न ही मुझे रोक रही थी।
शायद वो नीतू के घर में होने की वजह से थोड़ी असहज हो रही थी लेकिन तब तक मेरे अंदर वासना का भूत जाग चुका था और मैं किसी भी तरह रूपाली की चुदाई करना चाहता था।

फिर मैंने उसके शरीर के सबसे कामुक हिस्से पर हमला करते हुए उसकी गर्दन को चूमना और चाटना शुरू कर दिया।

कुछ समय बाद उसका खुद से काबू खोने लगा और उसकी आँखें बंद होने लगी।
उसकी आँखें बंद होते ही मैंने उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया। उसकी चूचियों को हाथ लगाते ही मुझे पता चला कि उसने ब्रा नहीं पहनी हुई है।

मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी दोनों चूचियों के निप्पल को अपनी उँगलियों से उमेठने लगा जिससे रूपाली की सिसकारियां निकलने लगी।

मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा दिये और अपने अपने मन में उठी वासना की प्यास बुझाने लगा।
उसके होंठों को चूमते-चूमते जैसे ही मैंने उसके ब्लाउज का पहला हुक खोला तो रूपाली ने अपनी आँखें खोल दी और मुझे याचना भरी दृष्टि से देखते हुए और आगे न बढ़ने की विनती की.

लेकिन इतना आगे बढ़ कर अब खुद को रोक पाना मेरे बस में भी नहीं था।
मैंने एक-एक करके उसके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए और उसके ब्लाउज को सरकाते हुए उसके हाथों से अलग कर दिया।

ब्लाउज के निकलते ही उसने अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया और दरवाजे की तरफ देखने लगी जैसे उसे लग रहा हो कि नीतू आज भी हमें देख रही है।

मैंने उसे भरोसा दिलाते हुए बेड पर लिटा दिया और उसकी एक चूची को मुंह में भर कर उसे पीने लगा तथा दूसरी को मुट्ठी में भर कर आटे की तरह गूंथने लगा।
उसके मुंह से अब आह … आह्ह्ह … य्ह्ह्ह … सीईई..यैईईई जैसे आवाज आने लगी थी।

मैं चूचियों को छोड़ कर उसकी चिकनी कमर पर जीभ घुमाने लगा।

मैंने उसकी नाभि को अपनी लार से भर दिया और उसकी कमर को चाटते हुए पूरी कमर को गीला कर दिया था।

तब मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और पेटीकोट के अंदर हाथ डाल दिया।
उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी; शायद उसने बाथरूम से निकलते वक़्त जल्दी-जल्दी में केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही पहना था।

मैं अपने हाथ से उसकी नन्हे बालों वाली चूत को सहलाने लगा जिससे उसकी आँखें एक बार फिर उन्माद से बंद होने लगी थी।
एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके पेटीकोट को निकलने लगा।

शायद अब तक रूपाली भी गर्म होने लगी थी. इसलिये इस बार न तो उसने मुझे रोका और न ही आँखें खोली, बस अपनी कमर को हल्के से हवा में उठा कर पेटीकोट निकलने में मेरी मदद की।

मैंने उसके पेटीकोट को उसकी टांगों से निकाल कर साइड में रख दिया और उसकी टांगों को फैला कर बीच में बैठ गया।
उसकी चूत अब गीली हो गई थी और उसमें से रस की बूँद चादर पर टपकने लगी थी।

मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत के मुकुट पर यानि दाने के ऊपर रख दी और उसे चाटने लगा।
रूपाली अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ चलाने लगी।

जितना जोर से मैं रूपाली की चूत चाटता, रूपाली उतनी ही जोर से आह्ह्ह … ह्ह्ह … उम्म्म … श्श्श … आईई जैसी कामुक आवाजें निकालने लगती।

थोड़ी और देर तक उसकी चूत चाटने के बाद जैसे ही मुझे लगा कि अब रूपाली कभी भी झड़ सकती है.
और अगर एक बार रूपाली झड़ जाती तो वो मुझे दोबारा जल्दी हाथ न लगाने देती … कम से कम रात होने से पहले तो बिल्कुल भी नहीं।
इसलिये मैंने उसकी चूत चाटना रोक दिया।

मैं बेड से नीचे उतरा और अपने सारे कपड़े उतार दिये और वापस से बेड पर आ गया।

रूपाली मेरे लंड को देखे जा रही थी जो अभी ठीक से खड़ा नहीं हुआ था।
उसे पता था कि आगे क्या होने वाला है।

मैं उसकी चूचियों के बीच में घुटने के बल बैठ गया और रूपाली की गर्दन को थोड़ा उठा कर उसके सिर के नीचे एक तकिया लगा दिया।
उसने एक पल कुछ सोच कर मेरे लंड को अपने मुंह में गप्प से भर लिया और अपनी गर्दन को आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को चूसने लगी।

मैं भी इस लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.
अचानक मेरी नज़र सामने की खिड़की पर पड़ी जिसकी हल्की सी ओट से नीतू हमें देख रही थी।

इस वक़्त मैं नीतू को और नीतू, मुझे और रूपाली देख रही थी.
लेकिन रूपाली अभी भी इस सब से अनजान थी।

मित्रो, हॉट मौसी की चुत कहानी में आपको मजा आ रहा है ना?
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हॉट मौसी की चुत कहानी का अगला भाग: जवान मौसी की चूत दोबारा मिली- 6

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