मस्त जवान मामी की मस्त चुदाई

(Mast Jawan Mami Ki Chudai)

रोहन वर्मा 2004-04-28 Comments

हाय दोस्तो.. मैं रोहन.. अहमदनगर, महाराष्ट्र से हूँ. आज मैं आपको एक वास्तविक सेक्स बताने जा रहा हूँ.

आज से लगभग 2 वर्ष पहले जब मेरी उम्र लगभग 22 वर्ष की थी.

तब एक दिन मेरे घर मेरे मामा और मामी आए. वो पुणे में रहते थे लेकिन कुछ कारणों से उन्होनें अपना शहर छोड़ दिया और वो हमारे घर आ गए. मेरी माँ के दूर के रिश्ते में वह भाई लगते थे.

मेरी माँ ने उन्हें यहाँ रहने के लिए कह दिया. मेरी मामी गोरी-चिट्टी … बलखाती कमर और भरे हुए बदन की थीं. जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तो देखता ही रह गया और उन्हें कैसे चोदूँ यह सोचने लगा.

मेरे मामा को काम की तलाश थी … तो मेरी माँ ने मुझसे कहा- तुम मामा के लिए कोई नौकरी की तलाश करो.
मैंने मामा के लिए एक अच्छी नौकरी की तलाश कर ली.. और मामा नौकरी पर जाने लगे.

इधर मामी घर में रहती थीं और मैं भी घर में अकेला रहता था. उसी बीच हम दोनों लोग बहुत घुल-मिल गए, मैं मामी से मजाक भी कर लेता था.

एक दिन वह घर में कपड़े धो रही थीं.. अचानक मेरी नजर उनके मम्मों पर पड़ गई. गोरे-गोरे मम्मों को देखकर मैं उत्तेजित होने लगा.

तभी मामी की नजर मुझ पर गई.. लेकिन मुझे पता नहीं चला और उन्होंने कुछ नहीं कहा.. वो बराबर अपना काम करती रहीं लेकिन शायद उन्होंने मेरा इरादा भांप लिया था.
इधर मेरी उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मैं मन ही मन में उन्हें चाहने लगा था और रात को ख्वाबों में उन्हीं को चोदने लगा.

तभी एक दिन मामी ने कहा- तुम मेरी भी नौकरी कहीं लगवा दो.
तो मैंने कुछ दिनों में उनकी भी नौकरी एक स्कूल में टीचर की जगह लगवा दी.

दूसरे दिन से मामी भी स्कूल जाने लगीं लेकिन अब मैं घर में अकेला रहता था, मुझे मामी की कमी महसूस होती थी.
मैं कुछ कर नहीं पा रहा था और चुप-चुप रहने लगा, मामी शायद यह समझ रही थीं.

एक दिन बिजली नहीं आ रही थी और हम सब लोग ऊपर छत पर आ गए तभी मामी भी आ गईं.
मैं उन्हें देखकर दूसरी छत पर चला गया जहाँ पर कोई नहीं था.
मामी भी वहीं पर आ गईं.

मामी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा- मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ.
मैंने कहा- क्या?
वो बोलीं- मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ.

यह सुनकर मैं एकदम से चौंक गया और उनकी तरफ देखने लगा. मैंने उनसे पूछा- सिर्फ दोस्ती या और कुछ?
वह शरमा गईं और बोलीं- सच तो यह है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ..
तो मैंने पूछा- इस प्यार की सीमा क्या होगी?
वह बोलीं- तुम्हें वो सारे अधिकार होंगे जो तुम्हारे मामा के हैं.. लेकिन सिर्फ एक अधिकार नहीं होगा.

मैंने पूछा- कौन सा?
तो वो बोलीं- तुम सब जानते हो.
इस पर मैंने कहा- वही तो मेन अधिकार है.
वह शरमा कर चली गईं.

अब हम दोनों एक-दूसरे को किस कर लेते थे.. कभी छिप कर एक-दूसरे के अंगों को छू लेते थे.

मैं भी उनके मम्मों पर हाथ से सहला लेता था.. लेकिन उन्हें चोदने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और कुछ चोदने का समय भी नहीं मिल रहा था.

उनकी जांघ पर भी मैं हाथ से सहला देता था. कई बार मैंने उनको नहाते हुए भी पूरा नंगा देख लिया था और उन्हें भी पता था कि ये मुझे देख रहा है.. लेकिन फिर भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई … बस मुस्करा कर शरमा जाती थीं. जैसे एक पत्नी अपने पति से शरमा कर नशीली निगाहों से मना करती है.. वैसे ही वह मुझसे करती थीं.

एक दिन मेरे घर में सभी लोग कुछ दिन के लिए बाहर गए हुए थे.. लेकिन मैं नहीं गया था. मम्मी ने भी ज्यादा फोर्स नहीं किया.. क्योंकि वह जानती थीं कि घर में मामी हैं.. खाने-पीने की कोई परेशानी नहीं होगी, वह मुझे अकेले छोड़ने के लिए तैयार हो गईं, मामा और मामी से उन्होंने कह दिया- राज का ख्याल रखना.

दो दिन गुजर गए.. कोई मौका नहीं मिला.
एक दिन मामा ने बताया- उनकी चार दिन रात को ड्यूटी लगेगी..
तो मैं मन ही मन में खुश हुआ कि अब तो मैं मामी को चोद कर ही रहूँगा.

उस दिन मामा रात को 9.00 बजे चले गए और उन्होंने मामी से कहा- तुम रात को जिम्मेदारी से सारे ताले आदि लगाकर सोना.
मामी ने रात को सारे ताले आदि लगा दिए.
मैं अपने कमरे में जाकर सोने का नाटक करने लगा.

घर के सारे काम खत्म करके मामी 11.00 बजे मेरे कमरे में आईं और बोलीं- सो गए हो क्या?
मैंने कहा- नहीं..
वो मेरे पास आकर बैठ गईं.. मैंने मामी से कहा- क्या आपको नींद नहीं आ रही है?
तो उन्होंने कहा- अभी नहीं आ रही है..

वे मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगीं. उन्होंने प्यार से मुझे देखा.. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें पकड़ कर बिस्तर पर लिटा लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए.
करीब आधा घण्टे तक हम एक-दूसरे को प्यार करते रहे, इसी बीच मामी भी बहुत उत्तेजित हो गई थीं.

मैंने मामी से कहा- मैं तुम्हारी जांघों को चूमना चाहता हूँ..
वो राजी हो गईं.. मैंने उनकी साड़ी उनकी जाँघों से ऊपर कर उनकी जाँघें बहुत गोरी और चिकनी थीं.
जांघों को चूमते-चूमते मैं और ऊपर की ओर आने लगा.. तो बोलीं- रोहन क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. अपनी इच्छा को पूरा कर रहा हूँ.

और मैंने एकदम से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिए और अपनी जीभ से उनकी चूत को सहलाने लगा.. उन्हें एकदम ऐसा झटका लगा जैसे किसी ने ठहरे हुए पानी में कंकड़ मार दिया हो.
मामी कराहने लगीं- ओह.. राज ये तुम क्या कर रहे हो!?

मैं दूसरे हाथ से उनके मम्मों सहलाने लगा.

मामी को इतना मजा शायद कभी भी नहीं आया होगा. उन्होंने दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं और मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से सहलाने लगा.
उनकी चूत गोरी और लाल थी.. यह बहुत ही नरम थी और उसमें से गरम-गरम भाप निकल रही थी.

वे अपने दोनों हाथों से मेरे सर के बालों को ऊँगलियों से सहला रही थीं और कह रही थीं- रोहन मैं पागल हो जाऊँगी.. बहुत मजा आ रहा है..
मैं भी उनके चूत के दाने को अपनी जीभ से सहला रहा था.. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद वह बोलीं- खुद ही सब कुछ करोगे.. कि मुझे भी कुछ करने दोगे..

यह कहकर वे मुझे खींचने लगीं.. मैं अभी अपना पैंट उतार ही रहा था.. कि तभी एकदम से उन्होंने मेरा कच्छा उतार दिया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं और बोलीं- तुम्हारा लण्ड तो काफी बड़ा है..

अब मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. उन्होंने मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगा लिटा दिया और वो मेरी पास बैठकर मेरे लण्ड को चूस रही थीं.. साथ ही मेरे लण्ड की गोटियों से खेल रही थीं.
मैं उनकी चूत में उंगली डालकर आगे-पीछे कर रहा था, इस प्रकार उन्हें भी मजा आ रहा था.

उनकी गोरी-गोरी जांघें जिन पर एक भी बाल नहीं था.. उन्हें देखकर ही मैं इतना उत्तेजित हो चुका था कि मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
उधर मामी भी अब ये चाहती थीं कि मेरा लण्ड उनकी चूत में घुस जाए और मैं उन्हें चोदूँ.
कुछ देर बाद वह बोलीं- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा रोहन.. जल्दी करो.. मैं चुदने को बेकरार हूँ.

मैंने भी मामी को लिटाया और उनकी चूत में अपना लण्ड डालने लगा.. पहले तो वह अन्दर ही नहीं जा रहा था.. फिर मैंने एक जोर से धक्का मारा.. और वह जैसे ही अन्दर घुसा.. मामी की एकदम चीख निकल गई.

वो कराह कर बोलीं- धीरे-धीरे करो न..

मैं धीरे-धीरे करने लगा और मामी के गोरे-गोरे मम्मों को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाने लगा. मामी मेरी बाँहों में सिमटी जा रही थीं और मेरे शरीर पर प्यार से हाथ सहला रही थीं.

वे कह रही थीं- ओह रोहन बहुत मजा आ रहा है.. ऐसे ही करो..
धकापेल चुदाई चल रही थी और पता नहीं कब धक्के लगाने की स्पीड बढ़ गई.
अब मेरे मुँह से भी आवाज निकल रही थी- ओह मामी.. पूरा अन्दर लो न..

और उधर मामी सिसकार कर बोल रही थीं- आह.. पूरा डाल दो.. मेरी चूत को फाड़ दो.. आह जल्दी करो..

कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- मामी मैं झड़ने वाला हूँ..
तो उन्होंने कहा- लण्ड निकाल कर मेरे मुँह में डाल दो..

मैंने लण्ड निकाल कर उनके मुँह में डाल दिया. वो लण्ड को चूसने लगीं और मेरा पानी भी मुँह में ले लिया.

उस रात मैंने मामी को तीन बार चोदा और हम दोनों पूरी रात नंगे ही लेटे रहे. कभी वो मेरे लण्ड से खेलतीं.. तो कभी मैं उनकी चूत और मम्मों से मजा लेता.

उसके बाद मैं रोजाना मामी को चोदता रहा.. करीब दो वर्ष तक मामी मेरे ही पास रहीं, ऐसा लगता था कि हम दोनों पति-पत्नी हैं.

लेकिन दोस्तो, आज मामी मेरे पास नहीं रहती हैं.. वह अब ग्वालियर रहती हैं..
लेकिन उन पलों को मैं आज तक नहीं भूला.. जो खूबसूरत पल उन्होंने मेरे साथ बिताए, उन पलों को याद करके मैं आज भी उन्हें याद कर लेता हूँ.

आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी. मुझे ई-मेल जरूर करें.
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