भूखा लण्ड- एक प्यास एक जनून-2

अमन सिंह 2014-08-14 Comments

कहानी का पिछ्ला भाग: भूखा लण्ड- एक प्यास एक जनून-1

दोस्तो, मेरे द्वारा लिखी गई यह कहानी महज एक कल्पना पर आधारित है, इस कहानी से किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरा उद्देश्य नहीं है लेकिन यह कहानी सच्चाई को आपके सामने रखती है, जैसे आजकल लोग सोचते हैं, हमारी वासना हमसे कुछ ऐसा करा देती है जिससे हम किसी रिश्ते को नहीं मानते ! रह जाता है तो बस मर्द और औरत का रिश्ता ! ज्यादा समय ना गंवाते हुए आइये शुरू करते हैं ‘भूखा लण्ड’ एक प्यास एक जनून-2′
कहानी के पहले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे निखिल अपनी अभिभावक बुआ रजनी को चुदने के लिए मजबूर करता है और इसमें कामयाबी भी पा लेता है अब आगे..
रात भर की ठुकाई के बाद निखिल और रजनी अब गहरी नीद में थे, सुबह के दस बज चुके थे सूरज आसमान में चढ़ चुका था, कमरे में आ रही धूप की किरणें रजनी को जगाने की कोशिश कर रही थी और जैसे ही रजनी की आँखें खुली, उसकी नजर सामने मेज पर रखी घड़ी पर पड़ी, सन्नाटा इतना था कि घड़ी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी।
उसने दूसरी तरफ देखा तो साथ में निखिल सो रहा था, वो उठी, दोनों के ऊपर ओढ़ी हुई एक ही चादर हटाई और देखा कि वो और निखिल एकदम नंगे सो रहे थे, बिस्तर की चादर पर रात की चुदाई के निशान रजनी को रात की ठपाठप हुई चुदाई की याद दिला रहे थे।
तभी रजनी की नज़र निखिल के सोये लण्ड पर पड़ी, एक तरफ झुका शांत लण्ड रजनी में एक जनून पैदा कर रहा था, आज का उसका यह नजरिया उसे एक नया एहसास दिला रहा था, वो आगे बढ़ी, उसने निखिल के माथे को चूमा और बिस्तर से उठ कर सीधा नहाने बाथरूम में चली गई।
कुछ देर में जब वो नहा कर बाहर आई तो निखिल जग चुका था और उसकी नज़रें रजनी को निहार रही थी, निखिल का लण्ड भी जग कर अपना रूप बदलने लगा था।
तभी रजनी एक हल्की सी नट-खट मुस्कुराहट दे कर वहाँ से रसोई में चली गई और नाश्ता बनाने की तैयारी करने लगी। जब तक रजनी ने नाश्ता बना कर मेज पर लगाया, तब तक निखिल भी नहा-धोकर वहाँ पहुँच गया।
निखिल- गुड मोर्निंग बुआ !
रजनी धीमी आवाज़ में- गुड मोर्निंग !
और दोनों नाश्ता करने लगे। और थोड़ी देर बाद..
निखिल- तो बुआ कल की रात आपको कैसी लगी?
रजनी इस पर शरमा गई और कोई जवाब नहीं दिया।
निखिल- अब बस करो यार, अब इतना शर्माने की क्या जरूरत है प्लीज बताओ ना?
रजनी- तू भी ना.. अब मैं तुझे क्या कहूँ कि मुझे अपने भतीजे से चुदने में मज़ा आया !
निखिल- अरे मेरी प्यारी बुआ, अभी मज़ा आया ही कहाँ है, अभी तो सिर्फ शुरुआत है।
और इस पर निखिल ने आगे बढ़ कर रजनी को धीरे से चूम लिया तो रजनी ने भी उसका जवाब बखूबी दिया।
निखिल- बुआ, मुझे लगता है कि तुम अपनी पूरी ज़िन्दगी में गिनी-चुनी बार ही चुदी हो और ऐसा लगता है कि फूफाजी ने भी आपका अच्छी तरह रस-पान नहीं किया?
रजनी- हाँ, वैसे यह बात सच है पर मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फिर कभी किसी मर्द के साथ सो पाऊँगी.. निखिल कल से पहले मुझे लगता था कि यह सब गलत है, हम सेक्स नहीं कर सकते, यह पाप है पर कल रात तुमने मुझमें सालों से दबी मेरी अन्तर्वासना को फिर से जगा दिया।
निखिल- बुआ तुम सच में अभी बहुत प्यासी हो, पर तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूँ..
रजनी- ओह्ह निखिल… मेरे प्यारे भतीजे !
तभी रजनी निखिल से सट गई और निखिल ने भी देर ना करते हुए एक कामुक चुम्बन से रजनी के होंठों का रसपान किया।
निखिल- बुआ, मैं कॉलेज जा रहा हूँ, मुझे कुछ जरूरी काम है पर मेरे आते ही मैं आपकी शाम कल से भी रंगीन बना दूँगा।
रजनी- मुझे भी इसका इंतजार रहेगा।
निखिल कॉलेज के लिये निकल गया और रजनी बस शाम को उसके आने का इंतजार करने लगी। रजनी अब सिर्फ एक बुआ नहीं रही थी, वो अब एक उस भूखी औरत की तरह थी जो लण्ड के लिए तड़फ रही थी। उस पूरे दिन में रजनी को बीती रात की बातें बार बार याद आ रही थी, निखिल का लण्ड अब उसकी चूत को एक नया अनुभव दे चुका था, उसे बस अब एक लण्ड चाहिए था।
खैर दिन मुश्किल से ही, पर वो दिन बीत गया और ठीक शाम के पांच बजे दरवाजे की घंटी बजी तो रजनी हड़बड़ी से दरवाजा खोलने गई, सामने निखिल को देख वो वहीं निखिल को चूम लेना चाहती थी पर अगर उसे इस समाज में रहना है तो उसे ऐसा नहीं करना चाहिए, यह सोच कर वो निखिल को बड़ी कामुकता के साथ अन्दर आने के लिए आमंत्रित करती है।
दरवाजा बंद करते ही निखिल ने रजनी को कमर से पकड़ा- मेरी जान, कहाँ चली? मैं सारा दिन बड़ी मुश्किल से बिता कर आ रहा हूँ।
रजनी- क्यों, ऐसा क्या हो गया जो इतना मुश्किल लगा तुम्हें आज का दिन?
निखिल ने बिना देर किये रजनी को चूमना शुरू कर दिया, बेताबी से पूरे जनून से चूमने लगा, रजनी भी उसका पूरा साथ दे रही थी। निखिल ने रजनी को दिवार से सटाया और उसका गला चूमने लगा।
निखिल का लण्ड अब खड़ा हो चुका था और जोर जोर से कपड़ों में ही रजनी की चूत के आगे लण्ड का दबाव डालने लगा, रजनी भी अपनी और से उसे पूरा जवाब दे रही थी।
निखिल ने अपनी एक उंगली कपड़ों के ऊपर से रजनी की योनि में घुसाने की कोशिश की।
रजनी- आह्ह…
अब निखिल ने बिना देर किये रजनी को अपनी बाहों में उठाया, अपने कमरे में लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया।
निखिल बड़ी तेजी से अपने कपड़े उतरने लगा, उसे देख रजनी ने भी ऐसा ही किया और कुछ ही पलों में वो दोनों कपड़ों से बाहर थे। निखिल रजनी पर टूट पड़ा और उसके एक स्तन का चुचूक अपने मुख में भर कर चूसने लगा।
रजनी- आह्ह मेरे संईया..
निखिल अपना मुँह रजनी के स्तन से पूरा भर कर तसल्ली से उसकी चुसाई करने लगा, वो कभी उसके स्तनों पर दांत मारता जिससे रजनी ‘आह्ह आह्ह’ की सिसकारियाँ भरती।
ऐसा करते करते दस मिनट बीत चुके थे और रजनी के निप्पल एकदम खड़े हो गए थे। वो बिस्तर पर सिसकारियाँ भर रही थी और निखिल उसके शरीर को चाट रहा था।
रजनी उसके ऐसा करने से उत्तेजित हो चुकी थी, निखिल रजनी के निप्पल अपनी उंगली और अंगूठे के बीच लेकर मसल रहा था।
रजनी- आह्ह निखिल, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, मेरी चूत तुम्हारे लण्ड को अंदर लेना चाहती है… अब और ना तड़फा इसे, डाल दे अंदर !
निखिल- अभी लो मेरी जान, यह तुम्हारे लिए कब से डंडे के तरह खड़ा है।
निखिल ने रजनी को उठाया, बेड के कोने में सटा दिया, रजनी की टाँगें खोली और बिना देर किए लण्ड रजनी की चूत पर सटा दिया और एक ही जोरदार झटके में पूरा 7″ लण्ड रजनी की फ़ुद्दी में उतार दिया।
रजनी- आह्ह्ह अह्ह्ह !
निखल- मज़ा आया ना मेरी जान?
निखिल ने झटके लगाने शुरू कर दिये और कमरे में ठप ठप आवाजें एक गर्म माहौल बनाने लगी।
रजनी- आह निखिल, मेरी चूत की चुदाई आज जम कर करना, इसकी प्यास बुझा देना…
यह सुनते ही निखिल ने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी और कमरे में आह्ह आह्ह ठप ठप और सिसकारियों का माहौल बन गया। निखिल लण्ड को पूरा बाहर लाता और फिर एक जोरदार झटका लगाता, इस पर रजनी भी एक जोरदार सिसकारी भरती- आह्ह… चोद, और चोद !
कुछ देर बाद निखिल ने लण्ड चूत से निकाला और बिना देर किया रजनी की गाण्ड पर सटा दिया।
रजनी इस पर घबरा गई और गाण्ड ना मरवाने का संकेत दिया।
निखिल- साली, आज मत रोक, आज तेरी गांड का मज़ा मुझे लेने दे।
रजनी- नहीं, रुक जा… इसमें बहुत दर्द होगा, मेरी चूत मार… उसमें ज्यादा मज़ा है।
निखिल- नहीं, मुझे नहीं पता, मैं आज तेरी गांड मार कर ही मानूँगा।
रजनी- प्लीज़ मत कर ऐसा…
निखिल ने रजनी की बात को अनसुना कर दिया और अपने हाथ में थूक लेकर अपने लण्ड पर मला, उसे रजनी की गांड पर सटा दिया और बिना देर किये एक जोरदार झटका मारा।
पर रजनी की गाण्ड इतनी तंग थी कि लण्ड अंदर जाने की बजाये साईड में खिसक गया।
रजनी- निखिल, ऐसा मत कर !
निखिल- अब चुप रहो मेरी जान… इसमें भी बहुत मज़ा आएगा।
निखिल ने दोबारा कोशिश की और एक जोर देकर लण्ड का ऊपरी मोटा सुपारा गांड में घुसा ही दिया।
बिना देर किये निखिल ने एक बार और जोर मारा और 4″ लण्ड रजनी की गाण्ड में घुसा दिया।
रजनी बिलबिला उठी- आह्ह्ह्ह आह्ह्ह… निकाल ले इसे बाहर… मेरी गांड फट जाएगी निखिल !
निखिल- कोई बात नहीं मेरी जान, थोड़ी देर और फिर तुम भी स्वर्ग के सैर करोगी।
और निखिल ने अंतिम कोशिश के साथ पूरा लण्ड रजनी की गांड में उतार दिया।
रजनी बुरी तरह से चिल्ला रही थी पर निखिल यह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसने इस वक्त लण्ड बाहर निकाला तो फिर यह गांड बड़ी मुश्किल से मिलेगी।
ऐसा सोच निखिल बिना कोई परवाह किये लण्ड को आगे पीछे करने लगा। रजनी की गाण्ड इतनी कसी थी कि निखिल को लण्ड आगे पीछे करने में परेशानी हो रही थी, पर वो बिना परवाह किये लण्ड आगे पीछे करता रहा।
रजनी- आह्ह अह्ह्ह !!
ठीक दस मिनट बाद माहौल बदल गया, रजनी की चीखें अब सिसकारियों में बदल गई थी, वो निखिल के झटकों का जवाब पूरी उत्तेजना से देने लगी और कमरा अपने माहौल में फिर जमने लगा था, ठप ठप की आवाजें निखिल और रजनी को एक उत्तेजक एहसास दिला रही थी।
निखिल अब अंतिम सिरे पर था, वो जोरदार घस्से लगाने लगा- आह्ह… मैं आ रहा हूँ मेरी जान…
रजनी ने यह सुनते ही अपनी गाण्ड को और टाईट कर लिया और ऐसा करते ही निखिल जैसे स्वर्ग में था, वो धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करने लगा और अगले ही पल में उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और रजनी के ऊपर झड़ गया।
उसने सारा माल रजनी के बदन पर फ़ैला दिया।
इस चुदाई ने निखिल के लण्ड की बुरी तरह से छील दिया था पर उसने बिना परवाह किये लण्ड रजनी की चूत पर सटाया और लण्ड फिर से चूत में घुसा दिया और फिर से झटके लगाने लगा।
उसने पन्द्रह-बीस झटके लगाये और रजनी को भी झड़वा दिया।
रजनी के झड़ते ही चूत की गर्मी ने लण्ड एकदम गर्म कर दिया और निखिल निढाल हो कर रजनी के ऊपर गिर गया और अगले पांच मिनट तक वो दोनों एसे ही लेटे रहे।
कहानी जारी रहेगी।

कहानी का अगला भाग: भूखा लण्ड- एक प्यास एक जनून-3

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