chudai ki kahani

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General Sex Stories in hindi

जो पहले कर ना सकी थी

मैंने चुपचाप आँखें मूंद ली... काफ़ी दर्द हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं कोई गर्भवती थी, अभी मेरा प्रसव हुआ है और मेरा बच्चा मेरे दोनों निप्प्ल चूस रहा है...

परीलोक से भूलोक तक

By साजन शर्मा On 2012-10-26 Tags:

एक बार फिर मैं अपनी नई कहानी लेकर आपसे रूबरू हो रहा हूँ, यह कहानी असल में मेरा एक सपना है, जो मैंने अभी तीन–चार दिन पहले ही देखा था, उसी को आपके सामने एक कहानी के रूप में पेश कर रहा हूँ, आशा करता हूँ मेरा यह सपना आप सभी को पसंद आएगा। मेरी […]

बेशर्म कौन

जैन साहब उस दिन नाई की दुकान में अपनी बारी की इन्तजार में बैठे किसी फिल्मी पत्रिका में एक हास्य अभिनेता के सपनों के घर के बारे में पढ़कर चौंक गये ! चौंकना स्वाभाविक था क्योंकि वह अपने सपनों का महल जूहू बीच पर, किसी सुरम्य वादी या स्वर्ग में नहीं बसाना चाहता था, वह […]

निगोड़ी जवानी-6

By रोनी सलूजा On 2012-09-15 Tags:

शाम को मैं फिर घर पहुँची। राकेश आये तो उन्होंने रात को सोते समय फिर मुझे दबोच लिया, अपना खड़ा लंड मेरे हाथों में थमा दिया। मैं जानती थी कि उन्हें चुसवाने में बड़ा मजा आने लगा है, मैंने भी चूस चूस कर उन्हें मस्त कर दिया, फिर उनके ऊपर चढ़ कर उनका लंड अपनी […]

निगोड़ी जवानी-5

By रोनी सलूजा On 2012-09-14 Tags:

मैं रोनी सलूजा, अन्तर्वासना कहानियों के भण्डार में आप सभी पाठक पाठिकाओं का स्वागत करता हूँ, मुझे ख़ुशी है कि आप सभी मेरे द्वारा लिखी कहानी ‘निगोड़ी जवानी’ का भरपूर मजा ले रहे हैं। यह कहानी विनीता की है जिसे मैं रोनी सलूजा अपने शब्दों में संशोधित एवं सुसज्जित करके आप सभी के समक्ष प्रस्तुत […]

निगोड़ी जवानी-4

मैं उनके बालों को सहलाते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के गर्व से फूली नहीं समा रही थी। फिर मैंने माफ़ी मांगते हुए उन्हें सारी सच्चाई बता दी तो वो हँसते हुए बोले- मैं डॉक्टरक्टर हूँ, तुम्हें बाथरूम से उठाकर लाया था, तभी समझ गया था कि तुम्हें कहीं चोट नहीं लगी है। फिर […]

निगोड़ी जवानी-3

By रोनी सलूजा On 2012-09-10 Tags:

मैंने सर को पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया, वो भी मेरे ऊपर आकर मेरे से लिपट गए, मेरे चेहरे को थामकर मेरे होंठों का रसपान करने लगे। उनका खड़ा लंड मुझे अपनी नाभि के पास चुभता महसूस हो रहा था। हमेशा से सच्ची रही विनीता अन्तर्वासना के कारण बेवफ़ाई के रास्ते चल पड़ी। अब सर […]

निगोड़ी जवानी-1

By रोनी सलूजा On 2012-09-08 Tags:

सभी पाठकों को रोनी का प्यार भरा नमस्कार ! आज की कहानी विनीता की है जो उसने मुझे सुनाई थी, उसी को मैंने उसी के शब्दों की माला में पिरोकर आपके समक्ष पेश कर दी है। मेरा नाम विनीता है उम्र 24 साल है। यह मेरी सच्ची कहानी है जिसे मैं रोनी सलूजा से लिखवाकर […]

मेरे बचपन का प्यार

By magic_mouse4u On 2012-08-27 Tags:

मेरा नाम अदित है, आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी। हमारे परिवार बचपन से ही काफी करीब रहे हैं तो काफी आना जाना होता था एक दूसरे के घर लेकिन मैं हमेशा से ही घर से बाहर पढ़ा हूँ तो मेरी बातें ज्यादातर फ़ोन पर […]

ज्योमेट्री के साथ सेक्स-2

By सचिन On 2012-08-17 Tags:

प्रेषक : सचिन मेरी कहानी ‘ज्योमेट्री के साथ सेक्स’ को अन्तर्वासना पर जगह मिली, धन्यवाद। दोस्तो, आपके मेल मिले बहुत अच्छा लगा और स्फूर्ति मिली। मैं कहानी की तरफ बढ़ता हूँ। उस दिन प्रिया चली गई पर दूसरे दिन आने का वादा उसने किया। मैं उस दिन उसके ही सोच में डूबा रहा। वो सब […]

दिल का क्‍या कुसूर-8

तभी अचानक मुझे अपने अन्‍दर झरना सा चलता महसूस हुआ। अरूण का प्रेम दण्‍ड मेरे अन्‍दर प्रेमवर्षा करने लगा। अरूण के हाथ खुद ही ढीले हो गये… और उसी पल… आह… उईईईई… मांऽऽऽऽऽ… मैं भी गई… हम दोनों का स्‍खलन एक साथ हुआ… मैं अब धीरे धीरे उस स्‍वर्ग से बाहर निकलने लगी। मैं अरूण […]

दिल का क्‍या कुसूर-7

उन्‍होंने अपने हाथ से मेरी ठोड़ी को पकड़ कर ऊपर किया और मेरी आँखों में झांकते हुए विनती सी करने लगे जैसे कह रहे हों, “प्‍लीज, मुझे अपनी प्राकृतिक अवस्‍था का दर्शन कराओ।” उनकी नजरों में देखते देखते पता नहीं कब मेरी पकड़ ढीली हुई और वो मुझसे थोड़ा सा अलग हुए… मेरी ब्रा और […]

दिल का क्‍या कुसूर-6

अरूण मेरे बिल्‍कुल नजदीक आ गये। मेरी सांस धौंकनी की तरह चलने लगी। अरूण ने चेहरा ऊपर करके अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिया। आहहहह… कितना मीठा अहसास था। उम्‍म्‍म्‍म्‍म… बहुत मजा आ रहा था। मेरी आँखें खुद-ब-खुद बन्‍द हो गई। संजय के बाद वो पहले व्‍यक्ति थे जिन्‍होंने मेरे होठों को चूमा था… […]

दिल का क्‍या कुसूर-5

आखिर इंतजार की घड़ी समाप्‍त हुई और बुधवार भी आ ही गया। संजय के जाते ही मैंने अरूण के मोबाइल पर फोन किया। तो उन्‍होंने कहा, “बस एक घंटे में गाड़ी दिल्‍ली स्‍टेशन पर पहुँच जायेगी… और हाँ, अभी फोन मत करना मेरे साथ और लोग भी हैं हम तुरन्‍त मीटिंग में जायेंगे। मीटिंग खत्‍म […]

दिल का क्‍या कुसूर-4

मुझे पुरूष देह की आवश्‍यकता महसूस होने लगी थी। काश: इस समय कोई पुरूष मेरे पास होता जो आकर मुझे निचोड़ देता… मेरा रोम रोम आनन्दित कर देता… मैं तो सच्‍ची धन्‍य ही हो जाती। मेरा दायें हाथ अब खुद-ब-खुद तेजी से चलने लगा था। आहह हह… उफ़्फ़फ… उईई ई… की मिश्रित ध्‍वनि मेरे कंठ […]

दिल का क्‍या कुसूर-3

दोनों लड़कियाँ आपस में एक दूसरे से अपनी योनि रगड़ रही थी। ऊफ़्फ़…!! मेरी उत्‍तेजना भी लगातार बढ़ने लगी। परन्‍तु मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्‍या करूँ? कैसे खुद को सन्‍तुष्‍ट करूँ? मुझे बहुत परेशानी होने लगी। वो दोनों लड़कियाँ लगातार योनि मर्दन कर रही थी। मुझे मेरी योनि में बहुत […]

नर्क से स्वर्ग

By डॉ. अनुराधा On 2012-07-10 Tags:

इस सच्ची घटना के द्वारा मैं सबको यही बताना चाहती हूँ कि अगर पति-पत्नी थोड़ी समझदारी से काम लें तो एक नर्क भरी जिंदगी भी स्वर्ग बन जाती है। डॉक्टर अनुराधा शर्मा प्यारे दोस्तो, मैं अनुराधा चण्डीगढ़ से हूँ। मैं एक सरकारी अस्पताल में लेडी स्पेशलिस्ट डिपार्टमेंट में हूँ। मैं आपको अपनी दो सहेलियों की […]

मेरा तप्त प्यासा बदन

By Antarvasna On 2012-06-20 Tags:

“… यार, अठारह से अट्ठाईस साल की लड़कियाँ देखते ही कुछ होने लगता है…!” पतिदेव थे, फ़ोन पर शायद अपने किसी दोस्त से बातें कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने फ़ोन रखा, मैंने अपनी नाराज़गी जताई- अब आप शादीशुदा हैं। कुछ तो शर्म कीजिए ! “यार, लड़कियाँ ताड़ना तो मर्द के खून में होता है। […]

चेतना की सील तोड़ी

By शिमत On 2012-06-18 Tags:

प्रणाम पाठको, आपका अपना शिमत वापिस आ गया है अपनी नई कहानी को लेकर, वैसे आपने मेरी पहले वाली बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं ! आज मैं आप को अपनी एक नई और सच्ची कहानी बताने जा रहा रहा हूँ, वैसे आपको मेरा तो पता है ना, मैं पांच फ़ुट सात इंच, साफ़ रंग और […]

न बुर न चूची बातें करे ऊँची ऊँची

By श्रेया आहूजा On 2012-06-12 Tags:

लेखिका : श्रेया अहूजा हाय श्रेया मैं देव… डिग्री कॉलेज वाला देव भटनागर ! सोचा बहुत दिन हो गए, बात नहीं हुई ! आखरी बार जब बात हुई थी अब तुमने पूछा था- हाउ इस लाइफ?? आज सोचा तुम्हें बताऊँ मेरी ज़िन्दगी कैसी थी, और अब कैसी है… तुम्हें तो याद होगा ज्योति… थोड़ी सांवली […]

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