मौसेरी बहनों को चोदने की लालसा -1

(Mauseri Bahanon Ko Chodne Ki Lalsa-1)

This story is part of a series:

दोस्तो मेरा नाम विनोद है और मैं दिल्ली में रहता हूँ और बी टेक का स्टूडेंट हूँ। घर में हम चार लोग हैं, मम्मी, पापा, दीदी (जो इंदौर में मेडिकल में पढ़ती है) और मैं।
हमारे घर में पढ़ाई का बहुत माहौल है, दीदी भी पढ़ाई में अव्वल हैं और मैं भी।

शायद इसी बात को सोच के मौसा ने अपनी दोनों बेटियों, मंजीत (बी टेक फ़र्स्ट ईयर) और चरणजीत (10+2) दोनों को पढ़ाई करने के लिए उनके एड्मिशन भी दिल्ली में करवा दिया और हमारे घर भेज दिया।

अब रिश्ते में तो वो दोनों मेरी बहनें लगती थी, मगर मैं था एक नंबर का कमीना, जब मैंने उन्हें देखा तो पहला ख्याल ही दिल में यह आया कि अगर दोनों में से एक भी सेट हो गई, तो भाई विनोद तेरे तो मज़े हो जाएंगे, क्योंकि दोनों की उम्र में चाहे दो साल का फर्क था मगर थी दोनों की दोनों सेक्स बॉम्ब।

बड़ी मीनू करीब 21 साल की थी और बेशक पतली थी मगर फिर भी उसके बोबे और कूल्हे भरे हुये थे।
दूसरी चीनू का बदन पूरा भरा हुआ था, उसके बोबे और कूल्हे तो अपनी बड़ी बहन से भी बड़े थे।

जिस दिन वो आई, मैंने सबसे पहले उनके नाम की ही मुट्ठ मारी।
उसके बाद तो खैर रूटीन लाइफ शुरु हो गई।

हम तीनों एक दूसरे को नाम लेकर ही बुलाते थे। धीरे धीरे वो दोनों हमारे घर में ऐसे एडजस्ट हो गई जैसे हमारे ही घर में पैदा हुई हों। दोनों स्वभाव की बहुत अच्छी थी, मम्मी का हर काम में हाथ बंटाती, मेरे साथ बैठ के पढ़ती थी।
मगर मेरे पढ़ने का स्टाइल थोड़ा अलग था, मैं दिन भर में कभी नहीं पढ़ता था, रात को जल्दी सो जाता और करीब साढ़े बारह एक बजे उठ जाता और तब दिल लगा के 2-3 घंटे पढ़ता, फिर सो जाता।
इसी वजह से मैं क्लास में भी अव्वल आता था।

चलो अब मुद्दे पर आता हूँ, धीरे धीरे हम तीनों आपस में पूरी तरह से घुल मिल गए, मगर हमारा प्यार वही भाई बहन वाला था, इसमें कोई गंदगी नहीं थी, हां अगर थी तो मेरे दिमाग में थी।
मैं अक्सर स्कीमें बनाता कि कैसे इन दोनों में से किसी एक को तो पटा ही लूँ, मगर कोई बात नहीं बन रही थी।
जब भी उन दोनों का कोई जलवा देखता तो मन ही मन तड़प उठता।

आपको कुछ उदाहरण देता हूँ।

एक दिन मीनू उल्टा लेट कर पढ़ रही थी, तो जब मैंने उसके कमीज़ के नीचे गिरे हुये गले में से उसके गोरे गोरे और गोल गोल बोबे देखे, मेरा मन किया कि इसकी कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर इसके बोबे दबा दूँ, मगर नहीं कर सकता था।
मैं बार बार चोरी चोरी उसके बोबे घूर रहा था, मुझे यह भी लगा कि शायद मीनू ने मेरा उसके बोबे घूरना देख लिया है मगर वो वैसे ही लेटी रही, उसने भी उठ कर अपना सूट ठीक नहीं किया और मैं भी करीब 15-20 मिनट तक उसके कुँवारे यौवन का नेत्र भोजन करता रहा।

एक दिन चीनू की चप्पल बेड के नीचे थोड़ी दूर चली गई, तो वो नीचे झुक कर या यूं कहिए के घोड़ी बन कर बेड के नीचे से चप्पल निकालने की कोशिश कर रही थी, मैं वही बैठा अपनी कोई किताब पढ़ रहा था, जब मैंने चीनू का ये पोज़ देखा तो मेरे लंड ने तो फन उठा लिया।
मैंने अपना लोअर नीचे को खिसकाया और लंड बाहर निकाल लिया और किताब की आड़ में चीनू के पाजामे से उभार के दिखते उसकी गोल मटोल गाँड देख के लंड सहलाने लगा।
मेरा दिल कर रहा जाऊँ और चीनू का पाजामा नीचे करके पीछे से ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसेड़ दूँ।
मगर यह संभव नहीं था।

ऐसी ही और भी बहुत सी उदाहरण थे जब मैं टाइट टी शर्ट, जींस, कैपरी वगैरह में उनके जवान जिस्मों की गोलाइयाँ देखता और मन ही मन आहें भरता।

फिर मैंने एक और स्कीम लड़ाई, मैंने उनके कमरे की खिड़की में एक बारीक सा छेद बनाया क्योंकि मेरे कमरे के साथ बाथरूम अटैच नहीं था, सो मुझे रात को बाहर वाले बाथरूम में जाना पड़ता था और रास्ता उनकी खिड़की के पास से होकर गुज़रता था तो मैं जान बूझ के रात को बाथरूम के बहाने एक दो बार जा कर देखता कि शायद उन दोनों को अपने कमरे में कभी कपड़े बदलते या वैसे ही कम कपड़ों में देख सकूँ।
और ऐसा हुआ भी, मैंने दोनों को कई बार कपड़े बदलते या कम कपड़ों में कमरे में घूमते हुये देख चुका था।

मगर अब बात यह थी कि इनके दिल में सेक्स की आग कैसे लगाऊँ।

फिर मैंने दूसरी स्कीम चलाई।
एक दिन मीनू नहा रही थी, चीनू माँ के साथ किचन में थी, मैंने चुपचाप बीनू का मोबाइल उठाया और अपने मोबाइल के ब्लूटूथ से 3-4 बढ़िया बढ़िया ब्लू फिल्मों की क्लिप्स बीनू के मोबाइल में भेज दी।

अब मैं यह देखना चाहता था कि बीनू इन्हें कब देखती है।

उसी दिन रात को जब मैं बाथरूम के बहाने मीनू के कमरे के पास से गुज़रा तो मैंने खिड़की के सुराख से देखा कि चीनू तो सो रही है, मगर मीनू अपने मोबाइल पे कुछ देख रही है।
देखते देखते मीनू ने अपना हाथ अपने पाजामे में डाल लिया और शायद अपनी चूत सहलाने लगी।
मेरा भी इंटरेस्ट बढ़ गया और मैं भी ध्यान से देखने लगा।
जैसे जैसे मीनू मोबाइल पे देखती जा रही थी, उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी।
फिर उसने घुटनों तक अपना पाजामा उतार दिया, अपना कुर्ता भी ऊपर उठा लिया, मैं बाहर अपना लंड हाथ में पकड़ के खड़ा था।

मैं मीनू के बोबे तो देख सकता था मगर मैं उसकी चूत नहीं देख पा रहा था, हाँ एक हल्की सी झलक उसकी झांट के बालों की ज़रूर देख सका था।
वो अंदर बेड पे लेटी मोबाइल देख कर हस्तमैथुन कर रही थी और मैं बाहर खड़ा उसे देख कर।

देखते देखते वो अंदर झड़ गई और मैं बाहर।

पानी छूटने के बाद वो भी सो गई और मैं भी अपने कमरे में आ कर लेट गया।

उसके बाद तो यही रूटीन बन गया, थोड़े से दिनों बाद मैं उसके मोबाइल में चुपके से 1-2 पॉर्न क्लिप्स डाल देता जिन्हें वो देखती और
हस्त मैथुन करती और उसे देख के मैं करता।

एक रात जब मीनू अपना मोबाइल देख कर हस्तमैथुन कर रही थी तो चीनू उठ गई और उसने मीनू को नंगी हालत में देख लिया।
जब मीनू ने उसे मोबाइल पे विडियो दिखाई तो चीनू भी उसे ध्यान से देखने लगी, दोनों बहने मोबाइल देख रही थी जब मीनू ने चीनू का हाथ पकड़ के अपनी चूत पे रख लिया, चीनू अपने हिसाब से उसे सहलाने लगी तो मीनू ने उसे समझाया के चूत पे किस जगह और कैसे सहलाते हैं।

चीनू वैसे ही करने लगी, जब चीनू गरम होने लगी तो मीनू ने अपना हाथ उसके पाजामे में डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगी।
उसके बाद दोनों बहनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और मीनू ने बड़े धीरे से चीनू के होंठों पे अपने होंठ रख दिये, उसके बाद मोबाइल
को रख के साइड पे दोनों बहने आपस में ही गुत्थमगुत्था हो गई।

मेरा तो उनको इस हालत में देख कर ही पानी छूट गया।
मगर मैं इस मौके को देखे बिना नहीं रह सकता था, तो पानी छूटने के बाद भी मैं वही खड़ा रहा।

दोनों बहनों ने एक दूसरे से बहुत प्यार किया, चूमते चूमते दोनों ने एक दूसरे के कपड़े खोले।
कमरे की धीमी रोशनी में आज मैंने पहली बार दोनों बहनों को बिल्कुल नंगी हालत में देखा।

क्या बोबे थे दोनों के… ये गोल गोल और बड़े बड़े चूतड़! मोटी मोटी जांघें, पतले सपाट पेट।
दोनों की दोनों बेहद सेक्सी और अब तो पूरी तरह से गर्म लंड लेने को तत्पर और बाहर मैं खड़ा था उन दोनों को चोदने को तत्पर।
मगर बीच में दीवार।

खैर दोनों बहनों ने एक दूसरे को खूब चूमा चाटा और दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली की और दोनों की दोनों ने अपना अपना पानी छुड़वाया।

मेरा तो मुट्ठ मार मार के लंड भी दुखने लगा था, वैसे भी मैं तीन बार मुट्ठ मार के अपना पानी निकाल चुका था।

अब तो मेरे लिए और बढ़िया हो गया था, अब मैं अक्सर दोनों बहनों का लेस्बीयन सेक्स देखा करता, 4-5 बार करने के बाद तो वो इतना खुल गई के अपना कमरा बंद करने के बाद वो अक्सर लिप किसिंग, एक दूसरे के बोबे दबाना, एक दूसरी की गाँड में उंगली देना जैसी हरकतें करती।
कहानी जारी रहेगी।
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