अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-2

(Apne Chodu Ko Maa Ka Pati Banavaya- Part 2)

पूनम चोपड़ा 2018-11-14 Comments

इस सेक्स कहानी के प्रथम भाग
अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-1
में आपने पढ़ा कि अपनी माँ लीना की चूत चुदाई होती देख बेटी अमीषा की चूत में भी खुजली होने लगी, उसकी कामुकता जाग उठी. उसने यह बात अपनी सहेली सुमन को बतायी तो उसकी सहेली ने अपने भाई से ही अमीषा की विर्जिन बुर चुदवा कर उसकी वासना शांत कर दी थी.
अब आगे:

जब पूरी चुदाई हो चुकी तो सुमन ने अमीषा से पूछा- कैसा लगा?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया।
तब सुमन ने इठलाते हुए कहा- मेरे भाई का लंड है ये, एक बार ले लिया तो बार बार माँगोगी।

अमीषा ने पूछा- तुमको कैसे पता कि इसका लंड कैसा है?
“मैं तो कई बार इससे चुद चुकी हूँ अपने तजुर्बे से बता रही हूँ. अभी देखो मैं भी तुम्हारे सामने इससे चुदती हूँ।” यह बोलती हुई वो भी पूरी नंगी होकर रवि का लंड अपने मुँह में लेकर चूमने लग गई। रवि ने उसको 69 में डॉलकर उसकी चूत को चूमने लगा।

कुछ देर बाद रवि उठा और उसके मम्मों को दबा दबाकर अपने मुँह में लेने लगा और सुमन को घोड़ी बनने को बोला।
सुमन अपने हाथों और घुटने के बल होकर घोड़ी बन गई और अमीषा से बोली- देख, इस तरह से पूरा लंड चूत में जाता है और वो बहुत मज़े से चुदती है।

अमीषा ध्यान से देख रही थी। रवि ने अपना पूरा खड़ा लंड एक ही शॉट में सुमन की चूत में डाल दिया और फिर शॉट पर शॉट मारने लगा। अब रवि आगे शॉट मारता था और सुमन उसका जवाब अपनी चूत को पीछे धक्का मारकर दे रही थी।

कुछ देर बाद रवि ने अपना माल उसकी चूत में डाल दिया। फिर उसके मम्मों को दबाते हुए अपने अलग होकर लेट कर आराम करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो उठी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत को अच्छी तरह से धोकर वापिस आई और अमीषा से बोली- देखो, अगर मेरा भाई रवि तुम्हारी चूत में अपना पानी निकल देता तो बच्चा होने का डर लगा रहता इस लिए उसने बाहर निकाला था। मगर मैं पिल्‍स खाती हूँ जिससे यह डर नहीं रहता। अगली बार जब तुम चुदवाओगी तो तुम्‍हें भी एक गोली दे दूंगी ताकि तुम भी पूरा मज़ा ले सको। असली मज़ा तो जब लंड का पानी चूत में जाने लगता है तभी मिलता है उससे आज तुम वंचित रही हो। मैं तुम्‍हें वो मज़ा भी दिलवा दूँगी। यह चूत बनी ही है लंड को अपने में लेने के लिये। कोई इसे चूत का पति कहता है, कोई दोस्त, कोई चूत का चोदु कहता है मगर मैं तो इसे चूत का भगवान कहती हूँ जो इसमें समाकर इसको पूरी तरह से खुश रखता है।

उसके बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए।

जब अमीषा घर जाने लगी तो सुमन ने एक गिलास में कुछ डालकर अमीषा को दिया और बोली- इसे पी लो, तुम्‍हारी सारी थकावट दूर हो जाएगी और फिर तुम दुबारा से अपने यार को मिलने के लिए उतावली रहोगी।
उसमें पता नहीं क्या था मगर उसका असर यह ज़रूर हुआ कि अमीषा में कुछ स्‍फूर्ति आ गई और जब वो घर वापिस पहुँची तो उसकी चूत में कुछ कुछ होने लगा, वो अब कुछ माँग रही थी जो उसके पास नहीं था। उसके मम्‍मे भी कुछ अकड़ने लगे।
पूरी रात बहुत मुश्किल से कटी।

अगले दिन कॉलेज में उसने सुमन को बताया कि कल रात को क्या हुआ।
तो वो बोली- घबरा नहीं, यह सब मेरी दवा का असर है। कुछ दिनों बाद तुम्हारे मम्मे बड़े हो जायेंगे। चूत भी बिना लंड के नहीं रह पायेगी। अगर कहेगी तो मैं तुम्‍हें वो दवा कुछ दिनों तक पिलवा देती हूँ।

वो अपने साथ एक खुराक और लाई थी जिसको उसने अमीषा को पिला दिया। अब उसका असर तो होना ही था, जब अमीषा घर वापिस आई तो उसके मम्मों के निप्पल पूरी तरह से खड़े हुए थे। वो जब भी उनको स्पर्श करती तो वो और अकड़ जाते थे। अब उसका दिल करता था कि इनको कोई मुँह में डालकर जोर जोर से चूसे ताकि ये ढीले हो जायें। अब ना तो अमीषा का मुँह उन तक जा सकता था और ना कोई था जो उनको चूसता। इसलिए अमीषा की बहुत दुर्दशा हो रही थी।

उधर चूत में भी खारिश होनी शुरू हो चुकी थी। उसमें तो अपनी उंगली डाल डालकर खारिश को मिटाने की कोशिश करती थी अमीषा। मगर खारिश ख़त्‍म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। फिर उसने चूत के फूल को दबाया उससे कुछ शांति मिली मगर कुछ देर बाद फिर वो ही हालत होने लग गई।

अगले दिन अमीषा ने सुमन से कहा- मैं अब कोई दवाई नहीं लूँगी, मेरी बहुत बुरी हालत होती है।
वो बोली- आज ले लो, मैं तुम्‍हारे लिए खास बनवा कर लाई हूँ। तुम छुट्टी के बाद मेरे साथ चलना मैं तुम्हें दवाई के असर का पूरा मज़ा भी दिलवा दूँगी। तुम्‍हारी चूत को मैं अपनी समझ कर ही तुम्‍हें पूरा मज़ा दिलवाना चाहती हूँ।

यह कह कर उसने अमीषा को आज की खुराक भी पिला दी। छुट्टी के बाद अमीषा उसके साथ उसी घर पर चली गई। वहाँ उसका भाई रवि पहले से ही माजूद था। पिछले तीन दिनों से अमीषा की बुरी हालत थी और आज सुमन ने जो दवा पिलवा दी उसका असर भी कुछ ज़्यादा ही होने लग गया था।

अमीषा उसके घर पर पहुँचते ही अपने कपड़े उतार कर अपनी चूत और मम्‍मों पर खारिश करने लगी।
रवि ने कहा- जानेमन, यह काम मेरा है, तुम क्यों तकलीफ़ करती हो।
उसने अमीषा के मम्मों को दबाना शुरू किया और उनके निप्पल को काट काटकर चूसने लगा। अब तो अमीषा को बहुत मज़ा आने लगा, आह… उफ्फ्फ… की सीत्‍कार के साथ अब अमीषा गर्म होने लगी।
ये सीत्‍कार सुनकर रवि और गर्म हो गया, उसका लंड भी अमीषा की चूत से टकराने लगा। पूरी लंड की गर्मी और चूत की गर्मी दोनों को अलग नहीं रहने देना चाहती थी. जैसे ही उसने लंड को चूत में डालने को कोशिश की तो अमीषा ने कहा- जल्‍दी से अंदर करो, बहुत बुरी हालत है इसकी।
यह सुनते ही रवि ने एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर कर दिया।

चूत को फाड़ते हुए लंड अंदर जा चुका था और वो अपना काम भी शुरू कर चुका था. अब उसके हाथ अमीषा के मम्‍मों को ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे, उसका मुँह और दाँत अमीषा के निप्पलों को काट काट कर चूस रहे थे और लंड चूत में उछल कूद मचा रहा था। अमीषा को लग रहा था कि वो अब सातवें आसमान पर है। वो उससे बार बार यही कह रही थी- हां… ज़ोर से… और जोर से करो… ईस्‍स्‍स्‍स… मज़ा आ रहा है…

अमीषा की हर आवाज़ से रवि को ज़्यादा उत्तेजना मिल रही थी और वो जितनी ज़ोर से धक्के मार सकता था, मार रहा था। कोई 15 मिनट के बाद उसका लंड पानी छोड़ने लग गया जो आज उसने अमीषा की चूत में ही छोड़ा था।
जैसे ही लंड का पानी चूत में जाने लगा, पता नहीं अमीषा को क्या हो गया वो तो इतनी आनंदमग्न हो गई कि उसकी आँखें बंद हो कर मुँह से हाँ.. हाँ.. हाँ.. निकल रहा था।

“आह… हो गया.. हो गया.. आज तो पूरा हो गया। तुम पहले क्यों नहीं आये… अब… न… जा…ना… मुझे छोड़कर!” की गिड़गिड़ाहट अमीषा के होंठों से निकल रही थी। जब रवि का लंड अपने आप ढीला हो गया तो वो अमीषा की चूत से बाहर आ गया। तब अमीषा की चूत से उसका सफेद पानी निकालने लगा।

सुमन ने उसे एक गोली दी और बोली- इसे अभी खा लो और एक अपने पास रख लो, इसे शाम को खा लेना। जो दवा तुम्हें पिलाती थी, उसका मज़ा तुम्हें मिल गया। अब ना तुम्हें यह चूत और ना ही मम्‍मे तंग करेंगे। आज रात को और यह पिल तुम्हें उस मज़े से कोई प्राब्लम नहीं होने देंगे। हाँ मगर कल फिर तुम्हारी चूत और मम्में लंड, हाथ और मुँह माँगेगे।
इतना बोलकर उसने अमीषा को उसके घर वापिस भेज दिया।

इस तरह से उसने अमीषा को शायद कोई हारमोन की दवा पिला दी थी। जिससे उसके मम्मों का आकार जल्दी ही बढ़ गया जो लड़कों को अपनी और आकर्षित करने के लिए काफ़ी थे।
फिर अमीषा उसकी दवा पीनी छोड़ दी क्योंकि उससे मुझे कुछ ज़्यादा ही गर्मी महसूस होती थी। सुमन ने भी ज़्यादा नहीं कहा क्योंकि उसने रवि के कहने से ही अमीषा को यह दवा पिलाई थी ताकि उसके मम्मों का आकार बढ़ जाए जिससे उसे इनको दबाने और चूसने में पूरा मज़ा मिले।

मगर जब एक बार चूत चुद जाती है तो फिर बिना चुदाई के नहीं रहा जाता। कुछ दिनों बाद शायद रवि का दिल अमीषा से भर गया। अब सुमन उसे अपने साथ ले जाने के लिए कुछ नहीं कहती। क्योंकि शायद रवि किसी और नई चूत के चक्कर में था। सुमन अमीषा की तरह लड़कियों को फँसाकर अपने घर पर ले जाकर अपने भाई से चुदवाती थी।

एक दिन सुमन अमीषा से पूछने लगी- तुम्हारी चूत का क्या हाल है? कोई नया लंड मिला क्या?
अमीषा ने भी अपनी बेकरारी छुपाते हुए झट ही हां बोल दिया।
सुमन बहुत हैरानी से अमीषा को देखने लगी और बोली- अच्छा … तब तो पूरे मज़े है तुम्हारे।

अमीषा ने भी खुन्‍नस में बोल ही दिया- तुम क्‍या समझती हो कि एक तुम्‍हारा भाई ही लंड लिये घूमता है क्‍या?
वो कुछ झिझक सी गई और बोली- नहीं यार, तुम ग़लत समझ रही हो! मेरा भाई कुछ दिनों के लिए बाहर चला गया था। अगर चाहो तो आज मेरे साथ चलना।
अमीषा ने कहा- नहीं जी, अब मैं अपनी चूत को फोकट में नहीं चुदवाऊंगी. अब मुझे पूरा चुदवाने का तजुर्बा हो चुका है, मैं लंड को पूरा खुश कर सकती हूँ। अगर तुम्‍हारा भाई अपनी जेब ढीली करे तो मैं उसके साथ जा सकती हूँ।
मेरी बात सुनकर वो बहुत हैरान हो गई कि जिसको चुदवाना उसने सिखाया आज वो ही उससे कैसे बात कर रही है।

कॉलेज की छुट्टी के बाद सुमन अमीषा से बोली- तुम थोड़ी देर रुकना, मुझे तुमसे कोई बात करनी है।
जब कॉलेज से छुट्टी हुई तो धीरे धीरे सभी लड़कियाँ जब बाहर चली गई तो वो अमीषा को बहुत धीरे धीरे अपने साथ बाहर ले जा रही थी ताकि उसकी बात को कोई ना सुन सके।
वो अमीषा से बोली- मेरी बात को सुनकर अगर अच्छा ना लगे तो समझ लेना कि मैंने कोई बात नहीं की तुमसे। अगर अच्छी लगे तो मुझे कल बता देना।
अमीषा ने कहा- बोलो?
सुमन धीरे से बोली- देखो, मैंने एक ग्रुप बनाया हुआ है जिसमें और भी कुछ लड़कियाँ है सभी की सभी एक नंबर की चुदक्‍कड़ हैं. अगर तुम उसमें शामिल होना चाहो तो आ सकती हो। रोज़ नये लंड मिलेंगे. बस कॉलेज के बाद दो तीन घंटे ही काम होगा और पैसे भी खूब मिलेंगे।
अमीषा बोली- कल क्यों, मैं तुम्हें अभी जवाब दे देती हूँ। मुझे पैसे की कोई चिंता नहीं … मगर हाँ अगर नये नये लंड मिलेंगे तो मैं तैयार हूँ।
जवाब सुनकर सुमन बोली- ठीक है … आज से या अभी से?
अमीषा बोली- लंड लेना चूत के लिए बहुत शुभ काम है और शुभ काम के लिए आज और अभी से ही!
उसने कहा- ठीक है।

यह कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-3

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