जिस्मानी रिश्तों की चाह-66

(Jismani Rishton Ki Chah- Part 66)

जूजाजी 2016-09-09 Comments

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अम्मी मुझे और आपी को अकेला छोड़ कर चली गईं।

आपी सोफे से उठीं और छुप कर अम्मी के पीछे गईं। जब अम्मी ने दरवाज़ा बंद कर दिया तो आपी वापिस आ गईं और तेज़-तेज़ कदमों से चल कर मेरे पास आने लगीं, आते ही वो मुझे पूरे मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगीं।

मैंने आपी को संभाला और कहा- आपी फरहान और हनी दोनों घर हैं.. क्या हो गया है.. वो आ जाएंगे तो?
आपी ने कहा- मुझे नहीं पता.. चुप रहो बस..
मैंने कहा- अच्छा.. एक मिनट रूको.. मैं हनी को देख कर आता हूँ।

मैं वहाँ से उठा और आपी वाले कमरे में हनी को देखा.. तो वो सो रही थी। मैंने धीरे से कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर से लॉक कर दिया।

आपी को वापस आकर मैंने कहा- हनी सो रही है और फरहान की कोई बात नहीं.. उसको तो सब पता है।

आपी ने कुछ कहे बिना ही मेरे मुँह पर अपने होंठ रखे और चूसने लगीं।

मैं भी आपी का साथ देने लगा.. तो आपी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगीं। आपी इतनी ज़ोर से चूस रही थीं कि मुझे दर्द होने लग गया।

मैंने आपी को रोक कर कहा- आपी यार क्या हो गया है.. आराम से करो ना.. मैं यहाँ ही हूँ आपके पास!
तो आपी ने कहा- सगीर, अब कैसे बर्दाश्त करूँ मैं.. पहले तुमसे कहती थी कि मुझे अभी नहीं चुदवाना.. मुझे पता था कि ये सब बाद में होगा.. पर तब मुझे तुम्हारे प्यार के लिए चुदवाना पड़ा और अब जब तुमने मेरे अन्दर आग लगा दी है तो कहते हो कि आराम से करो.. पर मैं क्या करूँ?

मैं भी आपी को भींचने लगा।

‘ये है ना.. ये इस जगह..’ आपी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- यहाँ आराम नहीं मिल रहा मुझे.. मैं क्या करूँ.. मुझे भी कुछ बताओ पिछले दो दिन से मैं यूनिवर्सिटी नहीं जा रही हूँ, मेरा वहाँ दिल नहीं लगता है।

आपी की आँखों में आंसू आने लग गए- तुम तो आराम से बाहर चले जाते हो.. अपना टाइम गुजार आते हो.. कभी मेरा सोचा है कि आपी घर में क्या कर रही होगीं। मेरे दिमाग से तुम नहीं जाते हो.. मैं क्या करूँ?’

सोफे पर बैठ कर आपी रोने लग गईं तो मैंने कहा- आपी प्लीज़ यार.. रो ना.. प्लीज़.. आपको पता है ना, मुझसे आपके आँसू नहीं देखे जाते.. प्लीज़ रो मत।
आपी ने गुस्से से कहा- फिर क्या करूँ? मर जाऊँ क्या?

तो मैंने आपी को पकड़ के ज़ोर से उठाया और झिझोड़ कर कहा- आपी होश में आओ.. क्या बोले जा रही हो.. क्या हो गया है आपको?
मैंने आपी को अपने गले से लगा लिया..
तो आपी ने अपनी बांहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लीं।
मैंने भी आपी को अपनी बांहों में भर लिया, मैंने कहा- आपी प्लीज़ चुप हो जाओ ना.. नहीं तो अब मेरे आँसू निकल आएँगे।

आपी हिचकियाँ लेते हुए चुप होने लगीं। उनके बाल खुले हुए थे और चेहरे के आगे आ गए थे।
मैंने आपी को गले से अलग किया और आपी के बाल पीछे कर के आपी के आंसू साफ करने लगा।
तो आपी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को ज़ोर से पीछे कर दिया।

मैंने कहा- आपी मेरी बात तो सुनो..
आपी का चेहरा मैंने पकड़ कर ऊपर किया और आंसू साफ किए.. पर आपी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं.. तो मैंने आपी का मुँह ज़ोर से ऊपर किया और कहा- आपी देखो ना..

आपी ने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तो मैंने कहा- अच्छा आपी वादा.. आज के बाद मैं आपके अलावा कुछ नहीं सोचूंगा.. प्रॉमिस.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफ़रेंसे होगी.. प्लीज़ अब तो आँखें खोलो ना आपी..

तो आपी ने आँखें खोलीं और गुस्से से कहा- क्या है?
मैंने कहा- आपी वादा.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफरेन्स होगी.. जब भी मैं काम से फारिग होऊँगा.. वो टाइम आपके साथ गुज़ारूँगा।

आपी ने कहा- सोच लो ठीक से..
मैंने कहा- आपके लिए मुझे कोई फ़ैसला करने के लिए सोचने की जरूरत नहीं है।

आपी ने कहा- मैं जो भी करूँ.. तुम मुझे मना करते हो.. क्या बदला लेते हो मुझसे?
तो मैंने कहा- आपी आप से कैसा बदला.. आपका तो एहसान है मुझ पर.. जो मैं कभी नहीं भुला सकूंगा।

मैंने अपने होंठों से आपी के आंसू चूस कर साफ किए और आपी के गालों को चूसने लगा।
आपी से मैंने कहा- आपी अब ये भूल जाना कि आप ज़मीन पर खड़ी हो।
मैं आपी के होंठों को किस करने लगा।

मैंने आपी के बाजुओं को अपने गले में डाला और झुक कर आपी को टाँगों से उठाया और आपी की टाँगों को अपनी कमर के गिर्द लपेट लिया।

अब मैं आपी को किस करने लगा। आपी ने भी मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया।

आपी ने अपने आपको मुझे अपने साथ ज़ोर से चिपका लिया और टाँगों को भी ज़ोर लगा के अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं।

मैंने आपी से कहा- अब खुश हो ना आप..
आपी ने कहा- सगीर कुछ ऐसा करो कि मुझे तुमसे अलग ना होना पड़े.. मैं हर वक्त तुम्हारे साथ ही रहूँ.. दिन भी और रात भी.. सगीर एक दफ़ा लड़की जब किसी की हो जाती है.. तो फिर वो किसी और के बारे में नहीं सोचती.. इसलिए मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती हूँ।

मैंने आपी से कहा- आपी आप परेशान ना हों.. मैं आपको अपने आपसे जुदा नहीं होने दूँगा और मैं आपके दिन रात मेरे साथ रहने का भी कुछ करता हूँ।
आपी ने कहा- फिर ठीक है।

मैंने कहा- आपी और कुछ चाहिए तो बताओ.. पर आप रोया ना करो.. मुझसे आपको ऐसे नहीं देखा जाता।
आपी ने कहा- अपनी बीवी को खर्चा भी देते हैं.. तुम तो नहीं देते मुझे.. फिर मेरे इतने काम होते हैं.. जो पैसों की वजह से रह जाते हैं।

तो मैंने कहा- बस इतना सा काम.. अभी आपको खर्चा दूँगा.. पर आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी।
आपी ने कहा- तुम बस मुझे बताओ. सब मंजूर हैं।

मैंने कहा- एक तो यह कि मैं आपको जीन्स में देखना चाहता हूँ.. और जब मेरे पास हुआ करोगी बस तब थोड़ी देर पहन लिया करो।
आपी ने कहा- मान ली..

मैंने कहा- मेरे साथ घूमने चला करो।
आपी ने कहा- मंज़ूर..

मैंने कहा- आपी हनी को भी ग्रुप में अन्दर ले लो और इस डर को खत्म करो। फरहान भी जो हर वक्त आपके पीछे रहता है.. वो भी थोड़ा कम होगा और मुझे भी एक नई चूत मिल जाएगी।

मेरी इस बात को सुन कर आपी चुप हो गईं और थोड़ी देर बाद बोलीं- उसे शामिल तो मैं कर लूँ.. पर तुमको ये एक बात छोड़नी पड़ेगी कि मुझे भी नई चूत मिल जाएगी.. क्योंकि इस लण्ड पर सिर्फ मेरा हक है.. तो किसी और का क्यों हिस्सा बनने दूँ?

तो मैंने कहा- अच्छा मेरी जान.. ये जिद खत्म कर दी.. अब तो मान जाओ ना!
आपी ने कहा- ठीक है, कर लेंगे उसको भी शामिल।

अब आपी ने अपने एक हाथ से मेरी बेल्ट खोल कर पैन्ट नीचे उतार दी और अपनी टाँगें ढीली करके कहा- मेरा पजामा नीचे करो।
मैंने आपी का पजामा नीचे कर दिया और आपी ने फिर टाँगें ऊपर की।

अब उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के सुराख पर रखा और लण्ड के ऊपर बैठने लगीं।
मेरा लण्ड आपी की चूत में जाने लगा.. तो आपी के मुँह से आवाज निकली- आअहह.. आहह.. ऊऊओह.. सगीर.. ये गीला नहीं है.. रगड़ कर अन्दर जा रहा है।
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मैंने कहा- आपी इसको पहले चूस लो।
आपी ने कहा- नहीं सगीर आज मुझे ऐसे ही चोदो।
यह कह कर आपी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने आपी को गाण्ड से पकड़ा और आपी को ऊपर-नीचे करने लगा।
आपी सिसकारियाँ भरने लगीं ‘आहह.. आअहह सगीर.. तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़.. आहह..’

कुछ देर की चुदाई में आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जिससे लण्ड गीला हो कर तेज़ी से आपी की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।

मैंने अपनी पूरी ताक़त से आपी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही आपी ने चीख मारी- आअहह आआहह.. सगीर मैं गई..
आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी आपी की चूत में पानी छोड़ने लगा।

आपी ने कहा- सगीर क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा.. इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा।
मैंने आपी से कहा- आपी इसका भी कुछ करते हैं.. अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो।

आपी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- इतने बहुत हैं.. थैंक्स सगीर।
यह कहते ही आपी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला.. तो आपी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा।

मैंने आपी से कहा- यह तो काम खराब हो गया है।
आपी ने कहा- तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर.. अपना जिस्म साफ करो.. इसको मैं देखती हूँ।

मैंने आपी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया.. नहा-धो कर बाहर आया तो फरहान उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- खैरियत तो है.. आज इस टाइम नहा रहे हो?

तो मैंने कहा- हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ।
उसने कहा- रात का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- रात को तैयार रहना.. आज आपी आएंगी।
उसने कहा- ठीक है।

वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया।
मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया।

रात को 9 बजे आँख खुली तो आपी उठा रही थीं कि खाना खा लो.. मैं ऊपर ही ले आई हूँ.. और ये दूध भी पी लेना।

आपी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए।

तो मैंने कहा- आपी हनी का भी कुछ करो न..
आपी ने कहा- हो जाएगा.. क्यों जल्दी पड़ी है।

आपी नीचे चली गईं।

मैंने खाना खाया और फरहान से कहा- यार कोई गर्म मूवी तो लगा।
उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी।

उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था, मैंने कहा- ये मूवी कहाँ से आई है?
उसने कहा- मैं बाज़ार से लाया हूँ।

मैं मूवी देखने लगा.. कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था।

मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक फरहान को खिला दी। मैंने उससे कहा- आज आपी को जम कर चोदना है।
तो उसने कहा- ठीक है भाई।

अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर आ गईं।
अब हम दोनों आपी को चोदने की तैयारी में थे।

आपके ईमेल के इन्तजार में।
वाकिया जारी है।
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