मेरी डार्लिंग सिस्टर-1

(Meri Darling Sister- Part 1)

डॉली 2013-09-01 Comments

This story is part of a series:

कॉलेज से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं स्नातक का छात्र हूँ। कॉलेज के गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिए एक ऑटो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मेरे बैठते ही ऑटोवाला तेज़ी के साथ सोनिया के स्कूल की तरफ रवाना हो गया।

यह मेरा हर रोज का रुटीन था। पहले ऑटोवाला मुझे लेता था क्योंकि मेरे कॉलेज की छुट्टी 12:30 बजे होती थीं। फिर सोनिया को, जो 12वीं क्लास में पढ़ती थीं और उसके स्कूल की छुट्टी 1:00 बजे होती थी।

कुछ ही देर में मैं सोनिया के कॉनवेंट स्कूल के सामने पहुँच गया। अभी 12:45 हुए थे, ऑटोवाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया।

मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकाल लीं। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त मनीष ने मुझे दी थीं।

एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे और दूसरी किताब में कहानियाँ थीं। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया और पिक्चर वाली किताब को अपनी इक्नोमिक्स की पुस्तक के बीच में रख कर वहीं ऑटो में देखने लगा।

तस्वीरें काफ़ी सेक्सी और उत्तेजक थीं, देखते-देखते मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लंड को छुपाने के लिए मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तस्वीरों को देखने लगा।

तभी स्कूल की घंटी बज उठी, मैंने जल्दी से किताबों को मोड़ कर अपने बैग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पैन्ट में अड्जस्ट किया और ऑटो से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इंतज़ार करने लगा।

हमारे परिवार की एक छोटी सी कहानी हैं, जिसे बताना मैं आवश्यक समझता हूँ। वर्ष 2000 में एक सड़क दुर्घटना में 41 लोगों की जान चली गई थीं, जिसमें हम दोनों अनाथ हो गए थे। हम दोनों के माँ-बाप उस दुर्घटना में चल बसे थे।

उसी दुर्घटना में हमारे साथ यात्रा कर रहे श्री सक्सेना जी के परिवार में उनको छोड़ कर कोई भी जीवित नहीं बचा था। उसके बाद से ही उन्होंने हमें अपनी संतान के रूप में पाला हैं।

मेरे और सोनिया के माता-पिता अलग-अलग थे। उस समय हम अबोध बालक थे, सो उस समय से ही हम दोनों को सक्सेना जी ने ही पाला हैं और उनको हम अपना पिता मानते हैं। बाद में उसी दुर्घटना में मारे गए एक अन्य परिवार की नवविवाहित महिला जो कि विधवा हो गई थीं, उनसे सक्सेना जी ने विवाह कर लिया था। अब इस तरह हमारा एक परिवार बन गया था। दुर्घटना से बने भय के कारण हमारे वर्तमान अभिभावक हमें बाइक या स्कूटर आदि भी नहीं दिलवाते!

ठीक एक बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया सी बहन ऑटो की तरफ बढ़ती हुई दिख गई।

सच में कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन! उसको देख कर किसी भी मर्द के रीढ़ की हड्डी में ज़रूर एक सिहरन उठ जाती होंगी।

मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डूब गया हूँ, वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती हैं। बाहर की दुनिया के लिए हम भले ही भाई-बहन हैं मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे के लिए पति-पत्नि से भी बढ़ कर हैं।

आपको यह सुन कर शायद आश्चर्य लगे मगर यही सच है। मेरी बहन इस वक़्त 19 साल की है और मैं 21 साल का।

हम दोनों अपने मम्मी पापा के साथ शहर से थोड़ी दूर उप-नगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 42 साल के और मम्मी 33 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला हैं और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं।

पापा एक प्राइवेट बैंक में उच्च पद पर हैं और मम्मी सरकारी नौकरी में हैं। इस नये शहर में आकर पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शान्ति भरे माहौल में एक बंगला खरीदा था।

हमको स्कूल ले जाने और ले आने के लिए उन्होंने एक ऑटो कर दिया था। घर की ऊपरी मंज़िल पर एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन।

हमारे घर से स्कूल तक ऑटो करीब 25 मिनट में आ पाता था।

ऑटो के पास आते ही बहन ने पूछा- और भाई कैसे हो? बहुत ज्यादा देर इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा?

मैंने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।

और उसको देखते हुए मुस्कुराया। मैंने देखा कि उसके गाल गुलाबी हो गए थे और चेहरे पर शर्म की लाली और आँखों में वासना के डोरे तैर रहे थे।

मैं सोचने लगा कि मेरी प्यारी बहन के गाल गुलाबी और आँखें वासना से भरी क्यों लग रही हैं? क्या सोनिया स्कूल में गर्म हो गई थी?

मेरी बहन ने ऑटो में बैठने के लिये अपने एक पैर को ऊपर उठाया। इस तरह करते हुए उसने बड़े ही आकर्षक और छुपे हुए तरीके से अपनी स्कर्ट को इस तरह से उठ जाने दिया कि मुझे मेरी प्यारी बहन की मांसल चिकनी और गोरी जाँघों उसकी पेंटी तक दिख गई।

एक क्षण में ही सोनिया ऑटो में बैठ गई थी पर मेरे बगल में शैतानी भरी मुस्कुराहट के साथ बैठ गई।

मैं जानता था कि यह उसका मुझे सताने के अनेक तरीकों में से एक तरीका है। जब वो मेरे बगल में बैठी तो उसके महकते बदन से निकली सुगंध मेरे नाक को भर दिया और मैंने एक गहरी सांस लेकर उस सुगंध को अपने अंदर और ज्यादा भरने की कोशिश की।

मेरी बहन मेरी उत्तेजना को समझ सकती थी, उसने मुस्कुराते हुए पूछा- क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा इस तरह से लाल क्यों हो रहा है? और तुम्हारी आँखें भी लाल हो रही हैं क्या बात है?

मैंने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा और कहा- देखो सोनिया तुम तो मेरे दोस्त मनीष को जानती हो, उसने मुझे दो बहुत ही गर्म किताबें दी हैं। तुम्हारा इंतज़ार करते हुए मैंने उन्हें देख रहा था और फिर तुम जब ऑटो में बैठ रही थीं तब तुमने मुझे अपनी पेंटी और जाँघें दिखा दीं। अब जबकि तुम मेरे बगल में बैठी हो, तुम्हारे बदन से निकलने वाली खुश्बू मुझे पागल कर रही है।

मेरी बहन हँसने लगी। ऑटोवाले ने ऑटो को आगे बढ़ा दिया था और हम दोनों भाई-बहन धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए आपस में बात कर रहे थे ताकि हमारी आवाज़ उस तक नहीं पहुँचे।

मेरी बहन मेरे दाहिने तरफ बैठी थी और अपनी दाहिने हाथ से उसने अपनी किताबों को अपनी छाती से चिपकाया हुआ था।

पथरीले रास्ते पर चलने के कारण ऑटो बहुत हिल रहा था और इसलिए अपना संतुलन बनाने के लिए सोनिया ने अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा कर ऑटो का हुड पकड़ लिया।

ऐसा करने से मेरी सोनिया के चिकनी मांसल कांख, जो कि पसीने की पतली परत और उससे भीगे हुए उसके स्कूल ड्रेस की ब्लाउज से ढके हुए थे, से निकलती हुई तीखी गंध सीधा मेरे नकुओं में आ कर समा गई।

मेरी गोद में रखे मेरे बैग के नीचे मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और ऐसा लग रहा था कि उसने मेरे बैग को अपने ऊपर उठा लिया हैं।

यह मेरी बहन का एक और अनोखा अंदाज था मुझे सताने का, वो जानती थी कि मुझे उसकी कांख और उस से निकलने वाली गंध पागल बना देती है। उसके बदन की खुशबू मुझे कभी भी उत्तेजित कर देती है। उसने मुझे अपने आँखों के कोनों से देखा और सीट की पुष्ट से अपनी पीठ को टिका कर आराम से बैठ गई।

उसने अभी भी अपने बाएं हाथ से हुड को पकड़ रखा था और अपनी किताबों को अपनी छातियों से चिपकाये हुए थी। ऑटो के हिलने के कारण उसकी किताबें जो कि उसकी छातियों से चिपकी हुई बार-बार उसकी चूचियों पर रगड़ खा रही थीं।

जैसे ही ऑटो एक मोड़ से मुड़ा, मैंने ऐसा नाटक किया कि जैसे मैं लुढ़क रहा हूँ और अपने चेहरे को उसकी मांसल काँखों में घुसेड़ दिया और लंबी सांस खींचते हुए उसकी काँखों को चाट लिया और हल्के से काट लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मेरी बहन के मुँह से एक आनन्द भी चीख निकल गई और उसने मुझे जानवर कहा और बोली- देखो भाई, तुम एक जानवर की तरह से हरकत कर रहे हो, देखो तुमने कैसे मेरी बगलों को चाट कर गुदगुदा दिया और काट लिया, मुझे दर्द हो रहा है। मुझे लगता है तुम्हारे दोस्त की दी हुई किताबों ने तुमको कुछ ज्यादा ही गर्म कर दिया है।

‘अगर तुम मुझे इस तरह से सताओगी तो तुम्हें यही फ़ल मिलेगा, समझी मेरी प्यारी बहना। वैसे डार्लिंग मुझे एक बात बताओ कि तुम आज कुछ ज्यादा ही चुलबुली और शैतान लग रही हो, ऐसा क्या हुआ है? आज क्या तुम भी मेरी तरह गर्म हो रही हो, बताओ ना?’

सोनिया बोली- तुम तो मेरी सहेली तनीषा को जानते ही हो, उसने अपने घर पर कल रात हुए एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गर्म हो गई हूँ। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ और मेरी पेंटी मेरी चूत के पानी से भीग गई है।

‘सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ, मुझे भी बताओ ना?’
सोनिया ने बताया- कल रात उसके घर पर उसके मामू…

कहानी जारी रहेगी।
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