मस्तानी लौन्डिया-1

(Mastani-Laundia- Part 1)

This story is part of a series:

मेरा नाम संजीव है। मैं 26 साल का हूँ और एक प्राईवेट फ़र्म में सेल्स मैंनेजर हूँ। मेरी शादी नहीं हुई है, अकेला दिल्ली में रह रहा था।

दो महीने पहले मेरी ममेरी बहन 12वीं की परीक्षा के बाद मेरे साथ रहने आ गई। उसको अभी स्पोकन ईंग्लिश का एक कोर्स करना था फ़िर दिल्ली युनिवर्सिटी से बी.ए.. उसके मम्मी-पापा उसे मेरे घर छोड़ कर चले गए और मुझे उसका गार्जियन बना गए।

बी.ए. में एड्मिशन के बाद उसे होस्टल मिलने पर उसे होस्टल जाना था।

उसका नाम निशु था, 18 साल की निशु की जवानी एक दम से खिली हुई थी। 5’5′ की निशु का रंग थोड़ा सांवला था, पर इकहरे बदन की निशु की फ़िगर में गजब का नशा था, 34-22-34 की!

निशु को जब भी मैं देखता मेरे लंड में हल्का हल्का कड़ापन आना शुरु हो जाता। हालाँकि मैं दिखावा करता कि मुझे उसके बदन में कोई दिलचस्पी नहीं है, पर मुझे पता था कि निशु को भी मेरी नज़र का अहसास है। करीब एक सप्ताह में हम लोग काफ़ी घुल-मिल गए।

मेरे दोनों करीबी दोस्तों सुमित और अनवर से भी निशु खूब फ़्रेंड्ली हो गई थी। वो दोनों लगभग रोज़ मेरे घर आते थे।

मई के दूसरे शनिवार के एक दोपहर की बात है। निशु कोचिंग क्लास गई थी और हम तीनों दोस्त बैठ कर बीयर पी रहे थे। बात का विषय तब निशु ही थी। मेरे दोनों दोस्त उसकी फ़िगर और बॉडी की बात कर रहे थे, पर मैं चुप था।

अनवर ने मुझे छेड़ा कि मैं एकदम बेवकूफ़ हूँ कि अब तक उसकी जवानी भी नहीं देखी है।
मेरे यह कहने पर कि वो मुझे भैया बोलती है, दोनों हंसने लगे और कहा कि ठीक है, हम लोग उपाय करके उसको थोड़ा ढीठ बनाएंगे, पर उन दोनों ने शर्त रखी कि मैं भी मौका मिलते ही उसे चोद लूंगा और फिर उन दोनों से अपना अनुभव कहूँगा।

फिर अनवर बोला- यार उसकी एक पैंटी ला दो, तो मैं अभी मुठ मार लूँ।

तभी दरवाजे की घण्टी बजी और निशु घर आ गई। सफ़ेद सलवार और पीले चिकन के कुर्ते में वह गजब की सेक्सी दिख रही थी।

हम सब को बीयर के मजे लेते देख वो मुस्कुराई, सुमित ने उसको भी बीयर में साथ देने को निमन्त्रण दिया। मेरे उम्मीद के विपरीत वो हम लोगों के साथ बैठ गई।

हम लोग इधर-उधर की बात करते हुए बीयर का मजा ले रहे थे। निशु भी खूब मजे ले रही थी।

एक-एक बोतल पीने के बाद सुमित बोला- क्यों न हम लोग ताश खेलें, समय अच्छा कटेगा।

सब के हाँ कहने पर मैं ताश ले आया और तब सुमित बोला- चलो अब आज के दिन को फ़न-डे बनाया जाए।

निशु ने हाँ मे हाँ मिलाई।

सुमित अब बोला- हम सब स्ट्रीप-पोकर खेलते हैं, अगर निशु हाँ कहे तो! वैसे भी अब आज फ़न-डे है।

निशु का जवाब था- अगर भैया को परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं है।

अब अनवर बोला- निशु, हम लोगों के बदन पर चार कपड़े हैं, तुम अपना दुपट्टा हटाओ नहीं तो तुम्हारे पाँच कपड़े होंगे।

निशु मजे के मूड में थी, बोली- नहीं, अकेली लड़की खेलूंगी, तीन लड़कों के साथ मुझे इतनी छूट मिलना चाहिए।

सुमित फ़ैसला करते हुए बोला- ठीक है, पर हम लड़कों के कपड़े तुमको उतारना होगा, और तुम्हारा कपड़ा वो लड़का उतारेगा जिसके सबसे ज्यादा अंक होंगे।

मैं सब सुन रहा था, और मन ही मन में खुश हो रहा था। अब मुझे लग रहा था कि मैं सच में बेवकूफ़ हूँ, निशु तो पहले से मस्त लौंडिया थी।

मेरे सामने अनवर था, निशु मेरे दाहिने और सुमित मेरे बाँए था। पहला गेम अनवर हारा और नियम के मुताबिक निशु ने अनवर कि कमीज उतार दी।

दूसरे गेम में मैं हार गया, और निशु मुस्कुराते हुए मेरे करीब आई और मेरा टी-शर्ट उतार दी। पहली बार निशु का ऐसा स्पर्श मुझे अच्छा लगा।

तीसरे गेम में निशु हार गई और सुमित को उसका एक कपड़ा उतारना था। सुमित ने अपने दाहिने हाथ से उसका दुपट्टा हटा दिया और अपने बाँए हाथ से उसकी एक चुची के हल्के से छू दिया। मेरा लंड अब सुरसुराने लगा था।

अगले दो गेम सुमित हारा और उसके बदन से टी-शर्ट और बनियान दोनों निकल गये।

इसके बाद वाली गेम मैं हारा और मेरे बदन से भी बनियान हट गया और फिर जब सुमित हारा तो अब पहली बार किसी का कमर के नीचे से कपड़ा उतरा।

निशु ने खूब खुश होते हुए सुमित की जींस खोल दी। मैक्रोमैन ब्रिफ़ में सुमित का लंड हार्ड हो रहा है, साफ़ दिख रहा था।

एक नई बीयर की बोतल तभी खुली। उसके मजे लेते हुए पत्ते बंटे, और इस गेम में निशु हार गई, और अनवर को उसके बदन से कपड़ा हटाना था।

निशु अब मेरे सामने अनवर की तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई, जिससे अनवर को उसके कुर्ते की ज़िप खोलने में सुविधा हो।

अनवर ने पहले अपने दोनों हाथ को पीछे से उसकी चुची पे ला कर दो-तीन बार चुची मसला, और फिर उसके कुर्ते की ज़िप खोल करके कुर्ते को उसके बदन से अलग कर दिया।

एक बार हमारी नज़र मिली, वह मुझे देख कर मुस्कुराई।

गुलाबी रंग की ब्रा में कसे उसकी शानदार छाती किसी को भी मस्त कर सकती थी। उसका एकदम सपाट पेट और गहरी नाभि देख हम तीनों लड़कों के मुँह से एक ईईईससस निकलते-निकलते रह गया।

वो एकदम सामान्य दिख रही थी। उसकी नाभि के ठीक नीचे एक काला तिल देख सुमित बोल उठा- ब्यूटी स्पॉट भी शानदार जगह पर है निशु। इतनी जानदार फ़िगर है तुम्हारी, थोड़ा अपने बदन का ख्याल रखो।

निशु बोली- कितना डायटिंग करती हूँ संजीव भैया से पूछिए।

सुमित अब बोला- मैं तुम्हारे अंडर-आर्म के बालों के बारे में कह रहा हूँ।

सच निशु के काँख में खूब सारे बाल थे, काफ़ी बड़े भी। ऐसा लगता था कि निशु काफ़ी दिनों से उसको साफ़ नहीं किया है।

पहली बार मैं एक जवान लड़की की काँख में इतना बाल देख रहा था और अपने दोस्तों को दिल में थैंक्स बोल रहा था कि उनकी वजह से मुझे निशु के बदन को देखने क मौका मिल रहा था।

निशु पर बीयर का मीठा नशा हो गया था और वो अब खूब मजे ले रही थी हम लड़कों के साथ। वैसे नशा तो हम सब पर था बीयर और निशु की जवानी का।

निशु मुस्कुराई और बोली- चलिए अब पत्ते बाँटिए भैया। पत्ते बाँटने की मेरी बारी थी।

ब्रा में कसे हुए निशु की जानदार चुचियों को एक नज़र देख कर मैंने पत्ते बाँट दिए। यह गेम मैं हार गया। मुझे थोड़ी झिझक थी।

पर जब निशु खुद मेरे पास आकर बोली- भैया खड़ा हो ताकि मैं तुम्हारी पैंट उतारूँ!

तब मैं भी मस्त हो गया।

मैंने कहा- ओके, जब गेम का यही नियम है तब फ़िर ठीक है, खोल दो मेरा पैंट, और मैं खड़ा हो गया।

निशु ने अपने हाथ से मेरे बरमुडा को नीचे खींच दिया और जब झुक कर उसको मेरे पैरों से बाहर कर रही थी तब मेरी नज़र उसके ब्रा में कसी हुई चुचियों पर थी, जो उसके झुके होने से थोड़ा ज्यादा ही दिख रही थी।

अनवर ने अपना हाथ आगे किया और उसके चूतड़ पर एक हल्का सा चपत लगाया। वो चौंक गई, और हम सब हंसने लगे।

मेरा लंड फ़्रेंची में एकदम कड़ा हो गया था और निशु को भी यह पता चल रहा था।

अगली बाजी अनवर हारा, और उसकी भी बनियान उतर गई। पर जब तक निशु उसका बनियान खोल रही थी, वो तब तक उसके पेट और नाभि को सहलाता रहा था।

अगली बाजी मैं जीता और निशु हार गई। पहली बार मुझे निशु के बदन से कपड़ा उतारने का मौका मिला। निशु मेरे सामने आकर खड़ी हो गई। मेरे दिल में जोश था पर थोड़ी झिझक भी थी। मुझे निशु की सलवार खोलनी थी।

मैंने अभी सलवार की डोरी पकड़ी ही थी कि अनवर बोला- थोड़ा सम्भल के! जवान लड़कियों की सलवार के भीतर बम रहता है, ध्यान रखना संजीव।

मैं झेंप गया, निशु भी थोड़ा झेंपी, पर फ़िर सम्भल गई और बोली- मैं आत्मघाती दल की सदस्या नहीं हूँ, सीधी-साधी लड़की हूँ भाई, ऐसा क्यों बोलते हैं अनवर भैया।

मैं तब तक उसके सलवार को नीचे कर चुका था, और वो अपने पैरे उठा के उसको पूरी तरह से निकालने में सहयोग कर रही थी। वो अपने दोनों हाथ से मेरे कन्धे को पकड़ कर अपने पैर ऊपर कर रही थी, ताकि मैं सलवार पूरी तरह से उतार सकूँ।

अब जब मैंने निशु को देखा तो मेरा लंड एक बार पूरी तरह से ठनक गया। गुलाबी ब्रा और मैरून पैंटी में निशु एक मस्तानी लौंडिया लग रही थी। उसका सांवला-सलोना बदन मेरे दोस्तों के भी लंड का बुरा हाल बना रहा था।

इसके बाद की बाजी अनवर फ़िर हारा और निशु ने उसका पैंट खोल दिया। इस बार निशु के चूतड़ पे सुमित ने तबला बजाया, पर अब निशु नहीं चौंकी, वह शायद समझ गई थी कि अकेली लड़की होने की वजह से उसको इतना लिफ़्ट हम लड़कों को देना होगा।

अब जबकि हम सब अपने अंडरगार्मेंट में थे, सुमित बोला- क्या अब हम लोग गेम रोक दें, इसके बाद नंगा होना पड़ेगा।

उसने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि अनवर बोला- कोई बात नहीं, नंगा होने के लिए ही तो स्ट्रीप-पोकर खेला जाता है।

मैं दिल से चाह रहा था कि खेल ना रुके और मैं एक बार निशु को नंगा देखूँ।

सुमित ने निशु से पूछा- बोलो निशु, तुम अकेली लड़की हो, आगे खेलोगी?

उस पर तो मजे का नशा था। वो चुपचाप मुझे देखने लगी, तो अनवर बोला- अरे निशु तुम अपने इस भैया की चिंता छोड़ो। अगर तुम मेरी बहन होती, तो जितने दिन से तुम इसके साथ हो, उतने दिन में ये साला तुमको सौ बार से कम नहीं चोदता। देखती नहीं हो, इसका लंड अभी भी एकदम कड़ा है, सुराख में घुसने के लिए।

और उसने अपना हाथ बढ़ाया और अंडरवीयर के उपर से मेरे लंड पे फ़ेर दिया।

मैं इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा था, चौंक गया। और सब लोग हँसने लगे, निशु भी मेरी हालत पे खुल कर हँसी। बीयर का हल्का नशा अब हम सब पर था।

अगली बाजी अनवर हार गया और निशु मुस्कुराते हुए उसको देखी। अनवर अपनी ही मस्ती में था बोला- आओ, करो नंगा मुझे। तुम्हारे जैसी सेक्सी लौन्डिया के हाथों तो सौ बार मैं नंगा होने को तैयार हूँ।

और जब निशु ने उसका अंडरवीयर खोला तो उसका 7′ का फ़नफ़नाया हुआ लंड खुले में आ कर अपना प्रदर्शन करने लगा।

अनवर भी निशु को अपने बाँहों में कस कर उसके होठ चूमने लगा और उसका लंड निशु की पेट पे चोट कर रहा था। तीन-चार चुम्बन के बाद उसने निशु को छोड़ा तब वो अपनी सीट पे बैठी।

अनवर साइड में बैठ कर अपने लंड से खेलने लगा। वह साथ में अपना बीयर का ग्लास भी ले गया।

अगले गेम में निशु हार गई और मुझे उसकी ब्रा खोलनी थी। वो आराम से मेरे सामने आ कर मेरी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई, और पीठ से अपने बाल समेट कर सामने कर लिए, ताकि मैं अराम से उसके ब्रा की हुक खोल सकूँ।

मैंने प्यार से ब्रा का हुक खोला, और वो अब सीधी हो गई, ताकि मैं उसकी चुचियों पर से ब्रा निकाल सकूँ।

अनवर पे सच थोड़ा नशा हो गया था, बोला- अबे साले संजीव, अब तो छू ले उसको। तेरी बहन है, बार बार चूची नंगी करके नहीं देगी तेरे को।

उसकी बात सुन मुझे खूब मजा आया, पर निशु को पता नहीं क्या लगा, बोली- मन है तो छू लीजिए संजीव भैया।

मैं समझ गया कि अब वह भी हल्के नशे में थी। मैंने दो-चार बार उसकी चूची पे हाथ फ़ेरा।

अगली बाजी मैं हार गया। निशु खुब खुश हुई और जोर से बोली- हाँ अब करुँगी आपको नंगा संजीव भैया।

मैं खड़ा हो गया और उसने मेरे फ़्रेन्ची को नीचे कर दिया।

मेरा फ़नफ़नाया हुआ लन्ड आजाद हो कर खुश हो गया। मेरा आधा सुपाड़ा मेरे फ़ोरस्कीन से बाहर झांक रहा था।

अनवर कैसे चुप रहता, बोल पड़ा- निशु खेल लो उस लन्ड से, तुम्हारे भैया का है, हमेशा नहीं मिलेगा देखने के लिए।

सुमित भी बोला- क्यों, मियाँ-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी।

और दोनों हँसने लगे।

निशु मेरे लन्ड को ले कर सहलाने लगी कि सुमित बोला- हाथ से लन्ड के साथ तो लड़के खेलते हैं निशु! लड़की तो लन्ड का लॉलिपॉप बना कर चूसती है।

निशु से मैं यह उम्मीद नहीं कर रहा था।

पर वो मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। दो-चार बार के बाद उसने बुरा सा मुँह बनाया, शायद उसको अच्छा नहीं लगा तो वो मेरा लन्ड छोड़ कर सुमित के सामने बैठ गई।

सुमित बोला- अब की बाजी में खेल खत्म हो जायेगा। इसलिए जो दूसरे को नंगा करेगा वो एक मिनट तक उसके प्राइवेट पार्ट को चूसेगा। मंजूर है तो बोलो वरना यहीं पे खेल समाप्त करते हैं।

निशु की आंखे लाल हो गई थी। वो अब नशे में थी। उसने पत्ते उठा लिए और आखिरी बाजी बंट गई। मैं दिल से दुआ कर रहा था कि निशु हार जाए ताकि उसकी चूत का भी आज दर्शन हो जाए।

और मेरी दुआ कुबूल हो गई। सुमित जीत गया और निशु हार गई।

सुमित ने अब निशु हो अपनी बांहो में उठा करके उसको सेन्टर टेबल पे लिटा दिया और उसके दोनों पैरों के बीच आ गया।
खूब प्यार से उसके मखमली जांघों को सहलाया और फिर मुझे और अनवर को पास आने का न्योता दिया- आ जाओ भाई लोगो, अब निशु की चूत का दीदार करो।

मैं तो कब से बेचैन था इस पल के लिए।

हम तीनों दोस्त मेज को घेर कर खड़े हो गये। निशु अब तक मुस्कुरा रही थी। सुमित ने निशु की पैंटी के ऊपर की इलास्टिक से फ़ोल्ड करना शुरु कर दिया। दूसरे फ़ोल्ड के बाद निशु की झांट की झलक मिलने लगी। धीरे-धीरे उसकी चूत की झलक भी मिलने लगी।

सुमित ने उसके पैरों को ऊपर की तरफ़ करके पैंटी नीचे से पैरों से निकाल दी और फ़िर धीरे-धीरे उसके टांगों को थोड़ा साइड की तरफ़ खोल दिया और अब निशु की चूत की फ़ाँक एकदम सामने दिख रही थी।

निशु की चूत पे 2-2′ के बाल थे और इन बड़ी-बड़ी झांटों की वजह से उसके चूत की घुंडी साफ़ नहीं दिख रही थी।

सुमित ने उसकी चूत पे हाथ फ़ेरा और फ़िर उसके झांटों को साइड करके हम दोनों को उसकी पूरी चूत के दर्शन कराए।

जब निशु की नज़र मेरे से मिली तब उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क लिया। पर अब मुझे उसकी शर्म की परवाह नहीं थी। हम में से किसी को नहीं थी।

निशु बोली- अब छोड़ दीजिए।

पर सुमित ने उसको याद कराया कि अभी 35 सेकेंड वो उसकी चूत चूसेगा।

इसके बाद वो निशु की चूत चूसने में लग गया, अनवर मूठ मारने लगा और मैं सब चीज़ समेटने लगा। निशु के मुँह से सिसकारी निकलने लगी थी।

नई-नई जवानी चढ़ी थी बेचारी पे, इसलिए वो इतना मजा पा कर के शायद झड़ गई और बोली- अब बस, अब मुझे पेशाब आ रही है।

पर सुमित रुकने का नाम नहीं ले रहा था। निशु ने दो-तीन बार अपने बदन को सुमित की पकड़ से छुड़ाना चाहा, फ़िर उसी मेज पर ही सुमित के चेहरे पे सु-सु करने लगी। सुमित ने अब अपना चेहरा हटा लिया।

निशु ने अपना बदन एकदम ढीला छोड़ दिया और खूब मूती, फ़िर शांत हो गई।

दो मिनट ऐसे ही रहने के बाद उसे कुछ होश आया और तब वह उठी और फ़िर अपने कपड़े उठा कर अपने बेडरूम में चली गई।

हम लोगों ने भी अपने कपड़े पहन लिए।

सुमित बोला- अब थोड़ी देर उसको अकेला छोड़ वरना वो रोने लगेगी, जब उसको लगेगा कि क्या-क्या हुआ है।

हम लोग अब पास की मार्केट की तरफ़ निकल गये, निशु तब बाथरूम में थी।

आप सब को यह कहानी कैसी लगी? बताना!

साथ ही यह भी बताना कि मुझे निशु के साथ किये गये मजे के बारे में भी लिखना चाहिए या नहीं।
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