एक भाई की वासना -24

(Ek Bhai Ki Vasna-24)

जूजाजी 2015-08-31 Comments

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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
मैं जाहिरा को भी और फैजान को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं फैजान को गरम कर रही थी। मैं अपनी जाँघों के नीचे फैजान के लंड को आहिस्ता-आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।

मैं अपना हाथ फैजान की छाती पर ले आई और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी। मेरा हाथ सरकता हुआ फैजान की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो फैजान मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग जाहिरा है.. इधर देख लेगी वो..
अब आगे लुत्फ़ लें..

मैं अपना हाथ उसकी बरमूडा में पुश करके अन्दर दाखिल करते हुई बोली- नहीं.. अँधेरा है.. उसे कुछ नहीं दिख रहा है।

फैजान चुप हो गया.. और मैंने हाथ अन्दर डाल कर उसके लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसका लंड आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा हो रहा था और मैंने उसे सहलाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मुकम्मल तौर पर खड़ा कर दिया। साथ-साथ मैं उसकी गर्दन को भी चूम रही थी और अपनी चूचियों को उसकी बाज़ू पर रगड़ रही थी.. जो कि मैंने अपनी ड्रेस को नीचे करते हुए बाहर निकाल ली हुई थीं।

अब मेरा नंगी चूची फैजान की बाज़ू से रगड़ रही थीं और उसका लंड भी मेरे हाथ में था।

फैजान की हालत उत्तेजना से बुरी हो रही थी और उसके शॉर्ट्स की अन्दर खड़ा हुआ लंड और उस पर हरकत करता हुआ हाथ.. उसकी बहन को साफ़ नज़र आ रहा था।

दूसरा.. मैं जो उसकी गर्दन पर किस कर रही थी.. वो भी मैं जानबूझ कर आवाज़ पैदा करती हुए कर रही थी.. ताकि उसकी आवाज़ भी उसकी बहन को सुनाई दे सके।
कुछ देर तक ऐसी ही चूमने के बाद मैंने फैजान का बाज़ू पकड़ कर उसे अपनी तरफ को कर लिया।

अब फैजान का चेहरा मेरी तरफ था और मैंने उसके गले में अपनी बाँहें डालीं और उसके ऊपर अपनी नंगी टाँग रखते हुए उससे चिपक गई।
मेरी जाँघों के खुल जाने से फैजान का अकड़ा हुआ लंड सीधा मेरी चूत से टकरा रहा था।

मैंने भी एक हाथ से उसे पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। जब फिर भी मेरी तसल्ली ना हुई तो मैंने फैजान के शॉर्ट्स को थोड़ा सा नीचे को करके उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

फैजान भी मुझे अपनी बाहों में भर कर अपने साथ चिपकाते हुए मेरा कान में आहिस्ता से बोला- तुमको आज क्या हो गया है डार्लिंग?
लेकिन मैं मस्ती में अपनी आँखें बंद किए बस उसके लण्ड से अपनी चूत को रगड़ती जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने फैजान को छोड़ा और आहिस्ता से बोली- सॉरी डार्लिंग..
और फिर थोड़ा पीछे हट कर लेट गई।

यह फैजान के खड़े लण्ड पर धोखा जैसा हुआ।

फैजान सीधा हुआ तो फ़ौरन ही जाहिरा ने दूसरी तरफ करवट ले ली.. मैं समझ गई कि वो सब कुछ बड़े मजे से देख रही थी।

अब कमरे में बिल्कुल खामोशी और अँधेरा था। हम तीनों ही आँखें बंद किए हुए लेटे थे.. और सब ही एक-दूसरे के सोने का इन्तजार कर रहे थे।

क़रीब एक घंटे तक जब बिस्तर पर बिल्कुल कोई हरकत ना हुई तो अचानक ही फैजान ने जाहिरा की तरफ करवट ले ली। जाहिरा अभी भी दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी और उसकी खूबसूरत उठी हुई गाण्ड.. उसके भाई के लण्ड के ठीक सामने थी.. बल्कि यूँ कहें कि उसके भाई के लंड के बिल्कुल सामने चुदने को तैयार दिख रही थी।

उस छोटे से जालीदार ड्रेस में जाहिरा की खूबसूरत कमर फैजान की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगी हो रही थी। उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और बेल्ट और हुक्स साफ़-साफ़ दिख रहे थे।
उसकी गोरी-गोरी चिकनी कमर कमरे के अन्दर मौजूद हल्की सी रोशनी में चमक रही थी।

कुछ देर में फैजान का हाथ सरकता हुआ जाहिरा की कमर के पास पहुँचा और उसने धीरे-धीरे अपने हाथ की बैक से जाहिरा की कमर को सहलाना शुरू कर दिया।

उसके हाथ की बैक साइड.. अपनी बहन की नंगी कमर पर ऊपर-नीचे सरक़ रही थी और वो अपनी बहन की नंगी और गोरी कमर के चिकनेपन को महसूस कर रहा था।

थोड़ी देर के बाद फैजान ने अपना हाथ को सीधा किया और उसे आहिस्ता से जाहिरा की कमर के नंगे हिस्से पर रख दिया।

जब जाहिरा ने कोई हरकत नहीं की तो फैजान ने हौले-हौले जाहिरा की नंगी कमर को सहलाना शुरू कर दिया।

फैजान का हाथ अपनी बहन की बिल्कुल बाहर को निकली हुई ब्रेजियर की तनियों पर गया। वो जाहिरा की ब्रा की तनियों को आहिस्ता-आहिस्ता छूने लगा और उस पर अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दिया।

जाहिरा की कमर पर से शुरू करके अपनी उंगली को कन्धों पर चिपकी हुई ब्रा की स्ट्रेप के ऊपर फिराता हुआ नीचे को लाने लगा और फिर उसकी उंगली जाहिरा की ब्रा की हुक वाली पट्टी पर आ गई।

अब फैजान ने अपनी बहन की ब्लैक ब्रेजियर की हुक पर अपनी उंगली फेरनी शुरू कर दी.. जिसने ब्रा की दोनों सिरों को मिलाकर जाहिरा की खूबसूरत चूचियों को जकड़ कर रखा हुआ था। उस पट्टी के सहारे ही जाहिरा के मस्त मम्मे सधे और बंधे हुए थे।

कुछ देर तक तो फैजान जाहिरा की ब्रा की स्ट्रेप्स पर हाथ फिराता रहा और कभी उसकी नंगी गोरी कमर पर ऊपर- नीचे और उसके कन्धों पर अपना हाथ फेरता रहा।

फिर उसने अपना हाथ आगे ले जाते हुए अपनी बहन की चूची पर अपना हाथ ढीला सा रख दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता उसका हाथ बंद होने लगा और उसकी मुठ्ठी में जाहिरा की चूची समा गई।
अब फैजान अपनी बहन की चूची को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।

इस पोजीशन में फैजान जाहिरा के और भी क़रीब चला गया हुआ था। अब उसने आहिस्ता से अपने होंठ अपनी बहन की नंगी कमर पर रखे और अपनी बहन की नंगी चिकनी कमर को एक बार चूम लिया।

ज़ाहिर है कि सिर्फ़ एक बार किस करने से उसकी तसल्ली होने वाली नहीं थी। अब तो जैसे वो पागल ही हो गया.. उसने बार-बार अपनी बहन की नंगी कमर और नंगे कन्धों पर किस करना और उन्हें चूमना शुरू कर दिया।

नीचे फैजान का हाथ जाहिरा की उभरी हुई गाण्ड पर पहुँचा और आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपना हाथ जाहिरा की गाण्ड पर फेरना शुरू कर दिया।

बिना किसी पैन्टी के पतले से कपड़े के बरमूडा में फंसी हुई जाहिरा की चिकनी गाण्ड.. ज़ाहिर है कि उसे बहुत ज्यादा मज़ा दे रही होगी। इसलिए उसका हाथ उसकी गाण्ड पर फिसलता ही जा रहा था।

मैं फैजान के पीछे ही थोड़ी ऊँची होकर यह सब देख रही थी।

आहिस्ता आहिस्ता फैजान ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और उसकी कमर को चाटने लगा। उसके कन्धों को चूमा और फिर अपनी ज़ुबान उन पर फेरनी लगा। फैजान ने जाहिरा की उस नेट ड्रेस की डोरी वाली स्ट्रेप को पकड़ा जो कि उसके कंधों पर फंसी थी.. और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे नीचे उसके कन्धों से बाज़ू पर ले आया।

मेरी चूत तो जैसे गर्मी से जल ही उठी कि आज अपनी बहन के लिए फैजान और भी ज्यादा हवस की आग में भड़क रहा है।

फैजान ने अपना हाथ दोबारा से अपनी बहन के सीने पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके नंगे सीने को सहलाने लगा।
यह नेट ड्रेस ऊपर से तो वैसे भी काफ़ी ओपन था.. तो फैजान का हाथ बड़े ही आराम से ड्रेस के अन्दर भी दाखिल हो रहा था और उसकी ब्रा से निकलती हुई उसकी मदमस्त चूचियों के ऊपरी हिस्से को मसल रहा था।

अचानक फैजान ने अपने हाथ को पूरा जाहिरा की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।

मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो जाहिरा के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर जाहिरा तुरंत ही शांत भी हो गई।

मैं दिल ही दिल में जाहिरा के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।

आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
[email protected]

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