भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-12

(Chacheri Behan Ki Chudai: Bhai Behan Ki Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 12)

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दोस्तो, मेरी फैमिली सेक्स की में आपने पढ़ा कि मेरी सगी बहन मुझसे चुद चुकी थी, चचेरी बहन ने हम भाई बहन की चुदाई देख ली.
अब आगे:

मैंने माँ को झड़ते देखा तो मेरा लंड भी जवाब दे गया और मैंने भी अपना वीर्य अपनी बहन की कोमल गांड में डाल दिया और अपने हाथ आगे करके उसके उभारों को पकड़ा और दबाने लगा।

ऋतु ने अपनी कमर सीधी करी और अपने एक हाथ को पीछे करके मेरे सर के पीछे लगाया और अपने होंठ मुझ से जोड़ दिए। मेरा लंड फिसल कर उसकी गुदाज गांड से बाहर आ गया और उसके पीछे पीछे मेरा ढेर सारा रस भी बाहर निकल आया।

हम एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे। ऋतु ने आँखें खोली और अपनी नशीली आँखों से मुझे देखकर थैंक्स बोली… पर तभी पीछे देख कर वही आँखें फैल कर चौड़ी हो गयी।

हमारी कजिन सिस्टर नेहा उठ चुकी थी और हमारी कामुकता का नंगा नाच आँखें फाड़े देख रही थी।

मैंने जब पीछे मुड़ कर देखा तो नेहा हम भाई बहन को नंगा देखकर हैरान हुई खड़ी थी, उसकी नजर मेरे लटकते हुए लंड पर ही थी। मैंने अपने लंड को अपने हाथ से छिपाने की कोशिश की पर उसकी फैली हुई निगाहों से बच नहीं पाया।
नेहा ने हैरानी से पूछा- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो?
“तुम्हें क्या लगता है नेहा… हम लोग क्या कर रहे हैं?” ऋतु ने बड़े बोल्ड तरीके से नंगी ही उसकी तरफ जाते हुए कहा।
मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया कि ऋतु ये क्या कह रही है और क्यों!

नेहा ने हकलाते हुए कहा- मम्म मुझे लगता है कि तुम… दोनों… गन्दा काम कर रहे थे।
ऋतु- गंदे काम से तुम्हारा क्या मतलब है?
नेहा- वो ही जो शादी के बाद करते हैं.
उसका हकलाना जारी था।

ऋतु- तुम कैसे जानती हो कि ये गन्दा काम है… शादी से पहले या बाद में; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता! ये तो सभी करते है और खूब एन्जॉय करते हैं।
नेहा- पर तुम दोनों तो भाई बहन हो… ये तो सिर्फ प्रेमी या पति पत्नी करते हैं।
ऋतु- हम्म्म्म… काफी कुछ मालूम है तुम्हें दुनिया के बारे में, लेकिन अपने घर के बारे में भी कुछ मालूम है के नहीं?
नेहा- क्या मतलब??
ऋतु- यहाँ आओ और देखो यहाँ से!

ऋतु ने उसे अपने पास बुलाया और ग्लास वाले एरिया से देखने को बोला।
नेहा पास गयी और अन्दर देखने लगी।
अन्दर देखते ही उसके तो होश ही उड़ गए; उसके मम्मी पापा हमारे मम्मी पापा यानि उसके ताऊ और ताई जी के साथ नंगे एक ही पलंग पर लेटे थे।

अब तक दूसरे रूम में सेक्स का नया दौर शुरू हो चुका था, मेरी माँ अब जमीन पर बैठी थी और नेहा के पापा का यानि अपने देवर का लम्बा लंड अपने मुंह में डाले किसी रंडी की तरह चूसने में लगी थी।
मेरे पापा ने भी आरती चाची को उल्टा करके उनकी गांड पर अपने होंठ चिपका दिए और उस में से अपना वीर्य चूसने लगे।

ऋतु ने आगे आकर नेहा के कंधे पर अपना सर टिका दिया और वो भी दूसरे कमरे में देखने लगी और नेहा के कान में फुसफुसा कर बोली- देखो जरा हमारी फैमिली को… तुम्हारे पापा मेरी माँ की चूत मारने के बाद अब उनके मुंह में लंड डाल रहे हैं और तुम्हारी माँ कैसे अपनी गांड मेरे पापा से चुसवा रही है। इसी गांड में थोड़ी देर पहले उनका मोटा लंड था।

नेहा अपने छोटे से दिमाग में ये सब समाने की कोशिश कर रही थी कि ये सब हो क्या रहा है। उसकी उभरती जवानी में शायद ये पहला मौका था जब उसने इतने सारे नंगे लोग पहली बार देखे थे।
मैंने नोट किया कि नेहा का एक हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया है।

ऋतु ने कहा- जब हमारे पेरेंट्स, माँ बाप, चाचा चाची ताऊ ताई ये सब एक दूसरे के साथ खुल कर कर सकते हैं तो हम क्यों पीछे रहें?
नेहा देखे जा रही थी और बुदबुदाये जा रही थी- पर ये सब गलत है.
“क्या गलत है और क्या सही अभी पता चल जाएगा…” और ऋतु ने आगे बढ़ कर मेरा मुरझाया हुआ लंड पकड़ कर नेहा के हाथ में पकड़ा दिया।

नेहा के पूरे शरीर में एक करंट सा लगा और उसने मेरा लंड छोड़ दिया और मुझे और ऋतु को हैरानी से देखने लगी।
ऋतु बोली- देखो, मैं तुम्हें सिर्फ ये कहना चाहती हूँ कि जैसे वहां वो सब और यहाँ हम दोनों मजे ले रहे हैं क्यों न तुम भी वो ही मजे लो…
और फिर से मेरा उत्तेजित होता हुआ लंड उसके हाथ में दे दिया।

इस बार नेहा ने लंड नहीं छोड़ा और उसके कोमल से हाथों में मेरा लंड फिर से अपने विकराल रूप में आ गया। उसका छोटा सा हाथ मेरे लम्बे और मोटे लंड को संभाल पाने में असमर्थ हो रहा था। उसने अपना दूसरा हाथ आगे किया और दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया।

मैं समझ गया कि वो मन ही मन ये सब करना चाहती है पर खुल के बोल नहीं पा रही है; अपनी तरफ से तो ये साबित कर रही है कि इन्सेस्ट सेक्स यानी पारीवारिक सेक्स बुरा है पर अपनी भावनाओं को रोक नहीं पा रही है।

ऋतु ने मुझे इशारा किया और मैंने आगे बढ़ कर एक दम से नेहा के ठन्डे होंठों पर अपने गरम होंठ टिका दिए। उसकी आँखें किस करते ही फ़ैल गयी पर फिर वो धीरे धीरे मदहोशी के आलम में आकर बंद हो गयी।

मैंने इतने मुलायम होंठ आज तक नहीं चूमे थे… एकदम ठन्डे… मुलायम, मलाई की तरह। मैंने उन्हें चूसना और चाटना शुरू कर दिया; नेहा ने भी अपने आपको ढीला छोड़ दिया।
नेहा ने भी मुझे किस करना शुरू किया; मैं समझ गया कि वो स्कूल में किस करना तो सीख ही चुकी है वो किसी एक्सपर्ट की तरह मुझे फ्रेंच किस कर रही थी… अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल कर मेरी जीभ को चूस रही थी।

अब मेरे लंड पर उसके हाथों की सख्ती और बढ़ गयी थी। ऋतु नेहा के पीछे गयी और उसके चुचे अपने हाथों में लेकर रगड़ने लगी। नेहा ने अपनी किस तोड़ी और अपनी गर्दन पीछे की तरफ झुका दी।
मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी लम्बी सुराहीदार गर्दन पर टिका दी। वो सिसक उठी- स्स्स स्स्स्स स्स्सम्म म्मम्म… नाआआअ…

ऋतु की उँगलियों के बीच नेहा के निप्पल थे। नेहा मचल रही थी हम दोनों भाई बहन के नंगे जिस्मों के बीच… नेहा अपनी छोटी गांड पीछे करके उससे ऋतु की चूत दबा रही थी। नेहा ने आत्म समर्पण कर दिया था हम दोनों के आगे और अपनी उत्तेजना के सामने।

मैंने अपने हाथ नेहा के चुचे पर टिका दिए… ‘क्या चुचे थे…’ ये ऋतु से थोड़े छोटे थे पर ऐसा लगा जैसे उसने अपनी टी शर्ट के अन्दर संतरे छुपा रखे हैं।

ऋतु ने नेहा की टी शर्ट पकड़ कर ऊपर उठा दी; उसने काली रंग की ब्रा पहन रखी थी; गोरे चुचे उसके अन्दर फँस कर आ रहे थे। शायद ब्रा छोटी पड़ रही थी। मैंने हाथ पीछे करके उसके कबूतरों को उसकी ब्रा से आजाद कर दिया और वो फड़फड़ा कर बाहर आ गए। वो इतने छोटे भी नहीं थे जितना मैंने सोचा था। बिल्कुल उठे हुए, ब्राउन निप्पल, निप्पल के चारों तरफ फैला काले रंग का एरोला… बिल्कुल अनछुए चुचे थे।

मैंने आगे बढ़ कर अपना मुंह उसके दायें निप्पल पर रख दिया। नेहा ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुंह को अपने सीने पर दबा दिया। वो अपनी गोल आँखों से मुझे अपने चुचे चाटते हुए देख रही थी और मेरे सर के बाल पकड़ कर मुझे कण्ट्रोल कर रही थी।

नेहा मेरे सर को कभी दायें चुचे पर रखती और कभी बाएं पर… मैंने अपने दांतों से उसके लम्बे निप्प्ल को जकड़ लिया और जोर से काट खाया.
“आआ आआआ आआह्ह्ह…” उसने एक दो झटके लिए और फिर वो नम हो गयी।
मेरे चूसने मात्र से ही उसका ओर्गास्म हो गया था।

मैंने अपनी चचेरी बहन के चूचों को चूसना जारी रखा, उसके दानों से मानो बीयर निकल रही थी। बड़े नशीले थे उसके बुबे… मैंने उन पर जगह जगह काट खाया, चुबलाया, चूसा, और उसकी पूरी छाती पर लाल निशाँ बना दिए।

ऋतु ने पीछे से उस की कैपरी भी उतार दी और नीचे बैठ कर उस की कच्छी के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे कर दिया।
मेरी चचेरी बहन अब बिल्कुल नंगी थी हमारे सामने।

मेरे मन में ख्याल आया कि मात्र दस मीटर के दायरे में दो परिवार पूरे नंगे थे। भाई बहन चचेरी बहन, जेठ छोटी भाभी देवर भाभी… की जोड़ियाँ नंगे एक दूसरे की बाँहों में सेक्स के मजे ले रहे थे।

मेरी बाँहों में मेरी चचेरी बहन नंगी खड़ी थी और उसके पीछे मेरी सगी बहन भी नंगी थी। मेरा लंड पिछले दो घंटों में तीसरी बार खड़ा हुआ फुफकार रहा था और अपने कारनामे दिखाने के लिए उतावला हुए जा रहा था, उसे मेरी चचेरी बहन की कुंवारी चूत की खुशबू आ गयी थी।

मैंने अपना एक हाथ नीचे करके नेहा की चूत पर टिका दिया; वो रस से टपक रही थी। मैंने अपनी बीच की उंगली उसकी चूत में डालनी चाही पर वो बड़ी कसी हुई थी। मैंने उंगलियों से उसका रस समेटा और ऊपर करके उन्हें चूस लिया।
बड़ा मीठा रस था।

ऋतु ने मुझे ये सब करते देखा तो लपक कर मेरा हाथ पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और बचा हुआ रस चाटने लगी “म्म्म्म स्स्स्स… इट्स… सो… टेस्टी…”
नेहा के चेहरे पर एक गर्वीली मुस्कान आ गयी, उसने अपनी आँखें खोली और मेरा हाथ अपनी चूत पर रखकर रगड़ने लगी। मैं समझ गया कि वो गरम हो चुकी है।

मेरी नजर दूसरे कमरे में चल रहे खेल पर गयी। वहां मेरी माँ तो अपने देवर का लंड ऐसे चूस रही थी जैसे कोई गन्ना… अजय चाचू ने मेरी माँ को वहीं जमीन पर लिटाया और लंड समेत उनके मुंह पर बैठ गए- ले साली… चूस मेरे लंड को… चूस छिनाल भाभी… मेरे लंड कओ… आआआ आआह्ह्ह…

वो अपने टट्टे मेरी माँ के मुंह में ठूंसने की कोशिश कर रहे थे। माँ का मुंह थोड़ा और खुला और लंड निकाल कर वो अब गोटियाँ चूसने लगी। चाचू का लंड उनकी नाक के ऊपर लेटा हुआ फुफकार रहा था।
मम्मी की लार से उनका पूरा चेहरा गीला हो चुका था- ले साआआ आआली… चुस इन्हीईईए… आआआ आआह्ह्ह्ह!
मेरी माँ की आँखों से आंसू निकल आये… इतनी बर्बरता से चाचू उनका मुंह चोद रहे थे। मेरे पापा अपने छोटे भाई के कारनामे देख कर मुस्कुरा रहे थे पर अपनी पत्नी को भाई के द्वारा ऐसा होते देखकर वो भी थोड़ा भड़क गए और अपना गुस्सा उन्होंने उसकी पत्नी आरती के ऊपर निकाला।

पापा ने आरती की टांगों को पकड़ा और उसे हवा में शीर्षासन की मुद्रा में अपनी तरफ मुंह करके उल्टा खड़ा कर दिया और टांगें चौड़ी करके उनकी चूत पर अपने दांत गड़ा दिए। चाची अपनी चूत पर इतना हिंसक प्रहार बर्दाश्त ना कर पाई और उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ आअह्ह्ह… भेन चोद… क्या कर रहा है… आआ ह्ह्ह्ह.. धीईरे… आआ आआआह्ह…
पर वो अपनी गांड हिला रही थी यानि चाची को भी मजा आ रहा था।

तभी मेरे पापा ने अपने लंड को आरती चाची के मुंह की तरफ करके पेशाब कर दिया। उनकी धार सीधे आरती चाची के उलटे और खुले मुंह में जा गिरी। कुछ उनकी नाक में भी गयी और वो खांसने लगी।
मुझे ये देख कर बड़ी घिन्न आई पर मैंने नोट किया कि आरती चाची को इसमें मजा आ रहा था और वो खूब एन्जॉय कर रही थी।

अपनी बीवी से बदला लेते देख कर अजय चाचा मेरे पापा की तरफ देख कर हंसने लगे और मेरी माँ पर और बुरी तरह से पिल पड़े। वो दोनों भाई एक दूसरे की बीवियों की बुरी तरह से लेने में लगे हुए थे।
मैं और मेरी बाकी दोनों बहनें मेरे साथ ये सब देख रही थी और एक दूसरे के नंगे जिस्म सहला रही थी।

अब नेहा के लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो गया, उसने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसने लगी। शायद अपने मम्मी पापा के कारनामे उसे उत्तेजित कर रहे थे।
ऋतु ने नीचे बैठ कर नेहा की लार टपकाती चूत पर अपना मुंह रख दिया जिससे उसकी चूत की लीकेज बंद हो गयी। नेहा की चूत पर हल्के हलके सुनहरे रोंये थे; वो अभी जवानी की देहलीज पर पहुंची ही थी और अपनी अनचुदी चूत के रस को अपनी बहन के मुंह में डाल कर मजे ले रही थी।

ऋतु चटकारे ले ले कर उस की चूत साफ़ करने लगी’ वो नीचे से उस की चूत चूस रही थी और मैं ऊपर से उस के होंठ। ऋतु ने अपनी जीभ नेहा की चूत में घुसा दी; नेहा की चूत के रस की चिकनाई से वो अन्दर चली गयी और फिर अपनी दो उंगलियाँ भी उसके अन्दर डाल दी।
नेहा मचल उठी और मेरी जीभ को और तेजी से काटने और चूसने लगी। मैंने अपने पंजे उस की छाती पर जमा दिए, उस पर हो रहा दोहरा अटैक उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

ऋतु ने धक्का दे कर हम दोनों को बेड पर ले जा कर गिरा दिया। मैंने अब गौर से नेहा का नंगा जिस्म बेड पर पड़े हुए देखा, उसका मासूम सा चेहरा, दो माध्यम आकार के चुचे, पतली कमर और कसे हुए चूतड़, मोटी टांगें और कसी हुई पिंडलियाँ देख कर मैं पागल सा हो गया और उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा।

मैं चूमता हुआ उसकी चूत तक पहुंचा और गीली चूत को अपने मुंह से चाटने लगा। उसका स्वाद तो मैं पहले ही चख चुका था, अब पूरी कड़ाही में अपना मुंह डाले मैं उसका मीठा रस पी रहा था।
ऋतु ने दूसरी तरफ से नेहा को किस करना शुरू किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रगड़ने लगी।

नेहा बुदबुदाये जा रही थी- मुझे कुछ हो रहा है… कुछ करो।
ऋतु ने मुझे इशारा किया और मैं समझ गया कि वो घड़ी आ चुकी है। मैंने उठ कर अपना लंड उसके रस से चिकना कर उसकी छोटी सी चूत के मुहाने पर रखा, ऋतु ने मेरा लंड पकड़ा और उसे नेहा की चूत के ऊपर नीचे रगड़ने लगी और फिर एक जगह फिक्स कर दिया और बोली- भाई… थोड़ा धीरे धीरे अंदर करना… कुंवारी है अभी…
मैंने कुछ नहीं कहा और अपने लंड का जोर लगा कर अपना सुपारा अपनी चचेरी बहन की नन्हीं सी चूत में धकेल दिया।

नेहा की तो दर्द के कारण बुरी हालत हो गयी- नाआआ आआ आआअ… निकाआआ आआआआ अल्लओ मुझे नहीईइ करना… आआआअ… मर गई मैं!
मैं थोड़ा रुका, ऋतु ने नेहा को फिर से किस किया और उस के चुचे चूसे।
वो थोड़ा नोर्मल हुई तो मैंने अगला झटका दिया; उसका पूरा शरीर अकड़ गया मेरे इस हमले से; मेरा आधा लंड उस की चूत में घुस गया और उस की झिल्ली से जा टकराया।

वो चीख पड़ती अगर ऋतु ने उसके होंठों पर अपने मुंह की टेप न लगाई होती। मैंने लंड पीछे खींचा और दुबारा और तेजी से अन्दर डाल दिया; मेरा लंड उसकी झिल्ली को चीरता हुआ अन्दर जा घुसा।

मैंने अपने लंड पर उसके गर्म खून का रिसाव महसूस किया; मेरी बहन की छोटी सी चूत फट चुकी थी; मैंने सोचा भी नहीं था कि कोई चूत इतनी कसी भी हो सकती है।
मेरी चचेरी बहन मेरे नीचे नंगी पड़ी छटपटा रही थी, मेरी सगी बहन ने उसके दोनों हाथों को पकड़ा हुआ था और उसे किस करे जा रही थी।

मैंने लंड बाहर खींचा और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में उसके कूल्हे भी मेरे लंड के साथ साथ हिलने लगे, अब उसे भी मजा आ रहा था।
नेहा बोली- साआले… जान ही निकाआल दी तूने तो… अब देख क्या रहा है… जोर से चोद मुझे भेन चोद… सालाआआ कुत्ताआआआ… चोद मुझे ईईईए… आआआह्ह्ह्ह… बहन चोद!

नेहा की गरम चूत मेरे लंड को जकड़े हुए थी; मेरे लिए ये सब बर्दाश्त करना अब कठिन हो गया और मैंने अपना वीर्य अपनी छोटी सी कुंवारी बहन की चूत में उड़ेल दिया. वो भी झटके ले कर झड़ने लगी और मैं हांफता हुआ अलग हो गया।

नेहा की चूत में से मेरा रस और खून बाहर आने लगा। नेहा थोड़ी डर गयी पर ऋतु ने उसे समझाया कि ये सब तो एक दिन होना ही था और उसे बाथरूम मे ले गयी साफ़ करने के लिए और बेड से चादर भी उठा ली धोने के लिए।
मैं भी उठा और छेद से देखा कि अन्दर का माहौल भी लगभग बदल चुका है, मेरे पापा आरती चाची की चूत में लंड पेल रहे थे और मेरी माँ अजय चाचू के ऊपर उन के लंड को अन्दर लिए उछल रही थी।
मेरी माँ ने नीचे झुक कर चाचू को चूमा और झड़ने लगी; चाचू ने भी अपने हाथ मेरी माँ की मोटी गांड पर टिका दिए और अपना रस अन्दर छोड़ दिया।

पापा ने भी जब झड़ना शुरू किया तो अपना लंड बाहर निकाला और चाची के मुंह पर धारें मारने लगे, वो नीचे पेशाब वाले गीले फर्श पर लेटी थी, चाची की हालत एक सस्ती रंडी जैसी लग रही थी; शरीर पेशाब से गीला और चेहरा मेरे पापा के रस से।

थोड़ी देर लेटने के बाद मेरी माँ अपनी जगह से उठी और आरती चाची के पास आकर उनके चेहरे पर गिरा मेरे पापा का रस चाटने लगी; बड़ा ही कामुक दृश्य था।
आरती का चेहरा चाटने के साथ साथ मेरी माँ उन्हें चूम भी रही थी।

चाची ने भी मेरी माँ को भी किस करना शुरू कर दिया और उनके उभारों को चूसते हुए नीचे की तरफ जाने लगी और उन की चूत पर पहुँच कर अपनी जीभ अन्दर डाल दी और वहां पड़े अपने पति के रस को खोद खोद कर बाहर निकालने लगी।
माँ ने भी अपना मुंह चाची की चूत पर टिका कर उसे साफ़ करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में दोनों ने एक दूसरे को अपनी अपनी जीभ से चमका दिया।

फिर मेरे मम्मी पापा अपने रूम में चले गए और चाचू चाची नंगे ही अपने बिस्तर में घुस गए।

ऋतु और नेहा भी वापिस आ चुकी थी, नेहा थोड़ी लड़खड़ा कर चल रही थी, उस की मासूम चूत सूज गयी थी मेरे लंड के प्रहार से। ऋतु ने उसे पेनकिलर दी और नेहा उसे खा कर सो गयी।
मैं भी घुस गया उन दोनों के बीच एक ही पलंग में और रजाई ओढ़ ली.
मजे की बात ये थी कि हम तीनों भाई बहन नंगे थे।

दोस्तो, मजा आ रहा है ना?
आगे की सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. आप अपने विचार मुझे इमेल से भेज सकते हैं, इंस्टाग्राम पर भी जुड़ सकते हैं मुझसे।
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