सोनाली भाभी की दोस्ती से चूत चुदाई का सफ़र -1

(Sonali Bhabhi Ki Dosti Se Chut Chudai Ka Safar- Part 1)

This story is part of a series:

आप सभी लण्ड मनचलों और गरमा-गरम चूतों को मेरा एक और प्रणाम।

अभी तक मैंने जितनी भी कहानियाँ लिखीं.. आप सभी ने उनको सराहा और मुझे ढेर सारा प्यार दिया। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आशा करता हूँ कि भविष्य में भी मेरी कृतियों को आप पढ़ेंगे और सराहेंगे।

आज की कहानी मेरी एक भाभी और मेरे बीच बने सम्बन्धों के बारे में है.. जिनका नाम है सोनाली।
सोनाली के बारे में बता दूँ। सोनाली की उम्र क़रीब 42 साल है और सोनाली एक बेहद ख़ूबसूरत औरत है। वो उन हसीन भाभियों में से है.. जिसका जिस्म देख कर कोई भी लण्ड बग़ावत किए बिना बाज़ नहीं आएगा।

सोनाली की कमनीय काया क़रीब 38-30-36 की होगी.. और उसके चूचों का उभार ऐसे हैं कि अभी उनकी घाटी में लण्ड डालकर चुदाई शुरू कर दो।

बात क़रीब चार साल पुरानी है। मेरी और सोनाली की शुरू से ही अच्छी दोस्ती थी और मैं अक्सर सोनाली से मिलने उसके घर आता-जाता रहता था, फ़ोन पर बात करना तो जैसे रोज़ का काम था और कुछ दिनों से चैटिंग भी कुछ ज़्यादा होने लगी थी।

मैं मौक़े की तलाश में था कि कैसे सोनाली को चोदूँ और इसीलिए बातों-बातों में मैंने सोनाली को कई बार ‘I Love U’ भी बोल दिया था और कभी-कभी सोने से पहले पप्पी भी माँगी थी।
एक बार सोनाली ने ‘गुड-नाइट’ किस क्या दी.. मैंने रोज़ उससे पप्पियाँ लेनी देनी शुरू कर दी।

एक दिन सोनाली ने मुझे एक राज की बात बताने के लिए अपने घर बुलाया और मुझसे गले लग कर बोली- राहुल.. मैं तुम्हारे भइया के अलावा किसी और से प्यार करती हूँ।
मैंने भी सोनाली को झट से कह दिया- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ सोनाली।

सोनाली ने आश्चर्य से मुझे देखा और बोला- राहुल.. मैं तुमसे नहीं दीपक से प्यार करती हूँ।
मैं आश्चर्यचकित होते हुए सोच में पड़ गया.. क्यूँकि आज पहली बार सोनाली की चूत मुझे असम्भव सी लग रही थी। पर मैंने हिम्मत ना हारते हुए उसको बोला- मैं तुम्हारे साथ हूँ सोनाली। जब और जो सहायता चाहिए हो.. बताना। मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूँगा। प्यार करने का मतलब ये तो नहीं कि जिससे तुमने प्यार किया वो तुम्हें मिल ही जाए।

मेरी बात सुन सोनाली ने मुझे गले लगा लिया और बोली- राहुल तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो.. पर मुझे नहीं पता था कि तुम मुझसे प्यार करते हो। मुझे माफ़ कर दो.. पर मैं दीपक को बहुत चाहती हूँ।

इतना कहके सोनाली ने मुझे फिर गले लगा लिया। मैंने समय देखते हुए सोनाली के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक प्यारी पप्पी चल ही रही थी कि सोनाली ने मुझे पीछे धकेला और बोली- मुझे माफ़ करना, पर ये सही नहीं है राहुल।

मैं अब तक ये समझ गया था कि सोनाली अपने पति से ख़ुश नहीं है और दीपक.. क्यूँकि लखनऊ से था.. तो उससे मिलना भी सोनाली के लिए आसान नहीं था। मतलब.. मेरा नम्बर साफ़ था.. बस ज़रूरत थी.. एक सही मौक़े की।

अब मैंने सोनाली के घर आना-जाना बढ़ा दिया और उसकी पप्पियाँ लेना, उसको गले लगाना, उसके चूचों को छेड़ना आदि आम बात हो गई।

मैं कभी-कभी सोनाली को पीछे से अपनी बाँहों में ऐसे भर लेता कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर दस्तक देता और मेरे हाथ उसके रसीले चूचों पर होते.. जिससे मैं उन्हें कभी हल्के.. कभी ज़ोर से निचोड़ देता।

सोनाली चाहे-अनचाहे मन से मुझसे हमेशा मना करती.. पर मुझे तो उसकी चूत ने दीवाना बना रखा था। मैं कहाँ उसकी सुनने वाला था।

एक दिन.. यूँ ही खेल-खेल में सोनाली मेरी गोद में बैठी थी। तभी मैंने सोनाली की चूत को उसकी जीन्स के ऊपर से रगड़ दिया और सोनाली बस सिहर कर रह गई। उसने मुझे कुछ नहीं कहा बल्कि मेरे मेरे लण्ड पर और जम कर बैठ गई। मैंने भी बिन समय गँवाए उसकी जीन्स में हाथ डालकर अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और उसको हिलाने लगा। सोनाली के मुँह से कामुक ‘आहें..’ निकल रही थीं..।

पर थोड़ी ही देर में उसने मेरी उंगली अपनी चूत से बाहर निकाली और खड़ी होकर बोली- राहुल, मैंने पहले भी तुम्हें बोला है कि मैं सिर्फ़ दीपक की हूँ और ये सब ग़लत है।

इस बीच, मैंने अपनी उंगलियाँ चाटनी शुरू कर दीं और देखा कि सोनाली मुझे ऐसा करते देखकर मदहोश हो रही है। मैं समझ गया कि उसको चूत चटाना पसंद है और मैंने गरम लोहे पर हथौड़ा मार दिया।

मैंने कहा- सोनाली, तेरी चूत का स्वाद जन्नत है। मैं बस एक बार तेरी चूत का रस पीना चाहता हूँ। देख, मना मत करना।

सोनाली थोड़ी नानुकुर के बाद मान गई और मुझे अपने कमरे में ले गई। उसने मुझसे कहा- देखो राहुल, मैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए ऐसा कर रही हूँ.. पर तुम्हें वादा करना होगा कि तुम मेरी चूत चाटने के अलावा कुछ नहीं करोगे और ऐसे करके मैं भी अपने अपराधबोध से मुक्त हो जाऊँगी कि दीपक से प्यार करने के कारण मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकती।

मुझे और क्या चाहिए था..
मैंने फटाफट सोनाली को उसके बिस्तर पर चित्त लिटाया और उसकी जीन्स उतार दी।

फिर मैंने सोनाली की चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से ही मसलना शुरू किया। क्यूँकि सोनाली के पति की दुकान उसके घर के नीचे ही थी.. मैं जानता था कि मेरे पास बहुत सारा समय नहीं है। इसलिए मैंने एक झटके के साथ सोनाली की पैंटी को उससे अलग कर अपना मुँह उसकी चूत पर टिका दिया और उसको चाटने लगा।

मेरी जीभ सोनाली की चूत में सैर कर रही थी और सोनाली अपनी कमर उठा उठा कर अपनी उत्तेजना व्यक्त कर रही थी।

मेरे हाथ कभी सोनाली के चूचों को मसल रहे थे तो कभी उसकी गाण्ड को। सोनाली के हाथ मेरे सिर पर थे और मेरे मुँह को ज़्यादा से ज़्यादा चूत में धकेल रहे थे और उसकी सिसकियाँ तेज़ होती जा रही थीं।

मैं समझ गया था कि सोनाली बहुत जल्दी चरम आनन्द तक पहुँचने वाली है, मैंने अपनी जीभ और तेज़ी से चलानी शुरू कर दी।

मुझे सोनाली को ज़्यादा से ज़्यादा मज़े देने थे.. जिससे वो मुझसे दोबारा चूत चटाने के लिए हमेशा तैयार रहे और मुझे उसकी चूत मारने का मौक़ा मिले।

कुछ ही देर में सोनाली ने चिल्लाते हुए अपने असीम आनन्द को प्राप्त किया और बोली- जल्दी उठो राहुल.. कहीं कोई नीचे से आ ना जाए।

मेरे उठते ही सोनाली ने अपने कपड़े पहने और मुझे पीछे से अपने गले लगा लिया और बोली- आज तक तुम्हारे भाई ने मेरी चूत को ऐसे नहीं चाटा और पिछले कुछ सालों से तो वो इतनी शराब पीते हैं कि उनसे कुछ होता ही नहीं है। तुमने मुझे तृप्त कर दिया राहुल।
इसके बाद हम वापस उनके ड्राइंग-रूम में आकर बैठ गए.. पर एक-दूसरे से बिल्कुल चिपक कर।

थोड़ी देर में सीड़ियों से कुछ आहट सुनाई दी और हम दोनों अलग होकर बैठ गए। नीचे दुकान से लड़का चाय लेने आया था।

मैंने सोनाली को ‘बाय’ बोला और वहाँ से अपने घर वापस आ गया। अब मैं बस ये सोचने लगा कि सोनाली को कैसे चोदा जाए क्यूँकि उसके घर पर तो ये सम्भव नहीं था और कहीं और आने-जाने को वो तैयार नहीं थी।

एक दिन मुझे पता चला कि सोनाली अपने बेटे को स्वीमिंग क्लास ले जाती है। मैंने प्लान बनाया और जिस दिन मेरे घर में कोई नहीं था, उस दिन मैं सोनाली के घर उसके बेटे की क्लास के समय से पहले पहुँच गया। जब उसकी क्लास का टाइम हुआ.. तो मैंने उनको मेरे साथ चलने को कहा और सोनाली के बेटे को स्वीमिंग पूल पर छोड़ कर सोनाली को मेरे घर चलने को बोला।

थोड़ी नानुकुर के बाद सोनाली मान गई.. पर जब उसको घर पर कोई नहीं मिला तो उसको आश्चर्य हुआ।

मैंने सोनाली को अपनी मंशा बताई कि मैं उसकी चूत पीना चाहता हूँ और इसलिए उसको घर लाया हूँ।
पिछली बार जब मैंने सोनाली की चूत चाटी थी तो उसको बहुत मज़ा आया था और मैंने उसकी मर्ज़ी के आगे कुछ नहीं किया था, इसलिए सोनाली आसानी से मान गई।

मैं सोनाली को अपने कमरे में ले गया और उसके होंठों को चूसने लगा। मेरे हाथ सोनाली के चूचों को मसल रहे थे और धीरे-धीरे उसके कपड़े भी उतार रहे थे। सोनाली इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसको पता ही नहीं चला, मैंने कब उसको पूरी नंगी कर दिया।
उसकी चूत एकदम साफ़ थी और उसका गुलाबी रंग मुझे और ज्यादा आकर्षित कर रहा था।
मैंने सोनाली के चूचों को पीना शुरू किया और एक उंगली उसकी चूत में उतार दी। उसकी सिसकियाँ पूरे माहौल को गरम कर रही थीं और वो मुझे अपनी चूत की और धकेल रही थी।

वो जल्दी से जल्दी अपनी चूत चुसाना चाहती थी और उसको वापस अपने बेटे को लेने भी जाना था। तो मैंने देर ना करते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत की पंखुड़ियों को चौड़ा कर उसकी चूत को अन्दर तक चाटने लगा।

सोनाली अपनी आँखें बंद करके बड़बड़ा रही थी- आह्ह.. और चाट.. पी जा अपनी भाभी की चूत को.. क्या मस्त चाटता है तू… तूने तो आग ही लगा दी राहुल.. आह्ह..

मैंने उसको आनन्द में डूबे देख कर अपने कपड़े उतार दिए और एक हाथ से अपने लण्ड को मसलने लगा। सोनाली झड़ने वाली थी.. तो मैंने और तेज़ी से अपनी जीभ उसकी चूत पर फेरनी शुरू कर दी और थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने अपना रस मेरे मुँह पर उड़ेल दिया।
सोनाली ने आँखें खोलीं और मुझे नग्न अवस्था में देखा तो बोली- राहुल.. हम और कुछ नहीं करेंगे। मैंने पहले ही तुम्हें कहा था कि तुम सिर्फ़ मेरी चूत चाट सकते हो।

मैं सोचने लगा कि साली चूत चुसवा तो सकती है पर चुदवा नहीं सकती है.. ये तो वही मिसाल हुई कि ‘गुड़ खाए और गुलगुलों से परहेज करे..’ खैर.. मैंने भी एक तिकड़म लगाई और उसको कैसे चोदा, आपको अगले भाग में लिखूँगा।

अपने ईमेल मुझ तक जरूर भेजिएगा।
कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top