समय और संयोग : दोस्त की सच्चाई, बीवी की अच्छाई -2

(Samay aur Sanyog : Dost Ki Sacchai Bivi Ki Acchai- Part 2)

नील 2016-03-06 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..
वो शरमा गई और कुछ हड़बड़ा भी गई। हड़बड़ाहट की वजह से उसने टी-शर्ट ठीक नहीं की और कमोबेश मेरे भी होश उड़े हुए थे। अन्दर से हवस कब जग गई.. पता नहीं चला और कुछ सोचे-समझे बिना मैं उसके मम्मों को दबाने लगा।
अब आगे..

तभी भाभी चौंकी.. और मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी.. पर बेन्ड भी तो फंसा हुआ था।
भाभी ना तो कुछ बोल रही थी.. ना कुछ कर पा रही थी।

मेरी कामवासना चरम पर थी।

मैंने भाभी को कस के पकड़ लिया, उसके सर को पकड़ चुम्बन करने लगा पर भाभी सदमे में थी.. फिर मैंने उसे लेटा कर अपने निक्कर से लण्ड बाहर निकाला। उसकी नाइट ड्रेस भी निकाल दी।

सेक्सी मूवी देखने की वजह से उसकी चूत भी गीली थी.. इसलिए मैंने पोजीशन बनाई और झट से लण्ड डाल दिया।
भाभी के मुँह से ‘आह’ निकली..
और मैं ‘धपाधप..’ चुदाई करने लगा, ना कुछ समझ में आ रहा था.. ना कुछ दिखाई दे रहा था।

उधर भाभी भी मेरा साथ देने लगी थी.. मैं और भी मस्ती में चुदाई में मशगूल हो गया था।
भाभी इतने लगी शायद वो झड़ने की स्थिति में आ चुकी थी।
फिर अचानक मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और झड़ गया।

झड़ने के बाद मेरा मन अन्दर से बुरे अहसास से भर गया कि यह मैंने क्या कर दिया।
किसी भी इन्सान पर हवस और बुरी नजर या कामवासना सर पर चढ़ जाती है.. फिर उसका अहसास स्खलन के बाद ही होता है।
मेरी आंख से आंसू गिरने लगे और फिर मैं भाभी के बाजू में ही बिस्तर पर गिर गया।

भाभी की आंख में भी आंसू थे.. वो उठी मेरे सर पर हाथ रखा।
बोली- यह तुम्हारी गलती नहीं थी.. तुम्हारी इच्छा कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी.. इसी लिए जब तुम चुदाई कर रहे थे तब तुम्हारी आँखों में वासना ही दिख रही थी। पर एक बात ध्यान रखो वासना अपनी जगह ठीक है.. पर किसी का ख्याल रखना बड़ी बात है कि उसे दु:ख ना हो।

मैं- मुझे माफ कर दीजिए भाभी!
मैं उनसे सिर्फ इतना ही बोल पाया।

कीर्ति- कोई बात नहीं और ना ही इस बात को किसी से कहूँगी.. तुम चिंता मत करो।
भाभी के सहलाने से कब मैं नंगा ही सो गया.. पता ही नहीं चला।
थकान दोहरी थी.. भाभी के साथ चुदाई और पूरा घर जो साफ किया था।

जब आधी रात को टॉयलेट के लिए नींद खुली.. तब देखा तो भाभी सोई हुई थी।
वो मेरे साथ ही बिस्तर पर सो गई थी.. पर बीच में तकिये की दीवार बना दी थी।

वो नींद में कराह रही थी।
मैं नंगा था.. मैंने भाभी को उठाया और बोला- क्या हुआ.. दर्द है?
कीर्ति- हाँ तुम्हारे धक्कों से जांघ और कमर पर थोड़ा दर्द है।

मैंने ‘सॉरी’ बोला और रसोई में गया, तेल को गरम किया वापस आकर बोला- लाइए लगा दूँ..

उसकी कमर पर तेल लगाने लगा।
भाभी ‘थैंक्स’ बोली और मेरी ओर मुँह करके लेट गई।

मैं गरम तेल लगा रहा था.. भाभी के मुलायम शरीर के स्पर्श से फिर से झनझनाहट होने लगी और लण्ड भी खड़ा हो गया।
भाभी मेरे सामने देख रही थी.. जब मैंने उसे देखा तब उसने अपनी भौं बनाकर मुझे घूर कर देखा और हँसी।
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मैं भी हँस दिया.. पर मैं तो भूल ही गया था कि मैंने कपड़े नहीं पहने हैं और मेरा लण्ड खड़ा था।

मैं शर्म के मारे पानी-पानी हो गया.. पर मेरा लण्ड फिर भी खड़ा था जिससे वो और गरम हो रही थी।
तभी मैं जोश में आकर उसके मम्मों को पकड़ कर चूसने लगा।
मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था.. मेरी जीभ के स्पर्श वो एकदम तड़प उठी ‘आआअहह.. आओउम्म्म्म ऐईईईईईई..’
और वो मुझे अपने मम्मों पर ऐसे दबाने लगी कि जैसे वो किसी रंडी हो।

करीब मैं 10-15 मिनट तक उसके मम्मों को लगातार चूसता रहा। फिर मैं उठा और मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रखकर अपना लण्ड उसकी चूत पर जैसे ही रखा और एक धक्का देकर मैंने लण्ड पूरा उसकी चूत के अन्दर कर दिया.. तो वो एकदम तड़प उठी और सिसकियाँ भरती हुई बोली- आहईई ईईरररे.. अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह यह तुम्हारे लण्ड ने क्या कर दिया.. अह्हह्ह हऐह्ह्हह..

मैं उसके मम्मों को चूसने और दबाने लगा।
जब वो मुझे थोड़ी शांत लगी तो मैं फिर से ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा तो वो ‘अहह्ह उफफ्फ.. ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह..’ करने लगी।

शायद अब उसे भी मज़ा आने लगा था और ताबड़तोड़ चुदाई के बाद वो भी अपनी गाण्ड को उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह टाईट कर लिया।
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है.. तो मैं अब और भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा।
वो चिल्लाने लगी- आअहह..आआह्ह.. इसस्सई इसस.. अहह..ह्ह्ह्हह चोदो मुझे और ज़ोर से.. उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह चोदो मुझे..।
वो झड़ गई और शांत हो गई।

अब मेरी बारी थी.. तो मैंने उससे पूछा- अपना पानी कहाँ निकालूँ?
तो वो बोली- अन्दर ही छोड़ दो.. मैं भी आज तेरे पानी का मजा ले ही लूँ।

बस 5-7 जोरदार धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया और दस मिनट लेटे रहने के बाद जब हम नॉर्मल हुए तो हमने दोबारा एक गहरा किस किया और एक-दूसरे को अपनी बाँहों में भर लिया।

ऐसे ही दूसरे दिन भी चुदाई की।
पर दोस्त मुझे तुमसे छुपा कर अच्छा नहीं लग रहा इसलिए मैंने ये सब बता दिया।
हम दोनों चुप थे।

उसकी बात सुन कर मुझे लगा कि ना इसमें संजय का दोष है और ना कीर्ति का.. क्योंकि यह सब समय और संयोग के कारण हुआ।
मैं बोला- कोई बात नहीं.. चलता है आखिरकार दोस्त है मेरा तू..

ऐसी बात से मैं उससे दोस्ती तोड़ना नहीं चाहता था.. क्योंकि काम का बंदा था। एक तो पैसे वाला और जान-पहचान वाला और मुझसे उसने सच्ची दोस्ती की थी.. इसलिए तो उसने मुझे सब सच बताया।
मैं भी ऐसा सच्चा दोस्त भी खोना नहीं चाहता था।

संजय- तुम मुझ पर गुस्सा नहीं हो?
मैं- था.. जब तुमने कहा कि संबध बनाए.. फिर इसके पीछे का कारण सुन कर बिल्कुल नहीं लगा कि तुम दोनों में से किसी का दोष था।
संजय मुझसे ‘सॉरी’ बोल कर मुझसे लिपट गया।

मैं- अबे साले ड्रामा बंद कर.. और आगे कभी भी तू भाभी के साथ करना चाहो या करो.. तो मुझे बताना.. पर हमेशा सच बोलना..
संजय- हे..
मैं- हे क्या.. हाँ या ना..
संजय- ह..हाँ..

मैं- और तूने मुझे बता दिया है कि क्या हुआ था.. पर इस बारे में कीर्ति को मत बताना।
संजय- क्यों?
मैं- उसने शायद ऐसा भी लगे कि वो झूठ बोली या फिर गैरमौजूदगी में गैर मर्द से काम किया.. वो मुझसे नजरें नहीं मिला पाएगी.. मेरे उसके प्रेम पर असर पड़ सकता है। पर इस बार चूंकि मैं नहीं था और ना मेरी इजाजत से ये सब हुआ है.. इसलिए तुझे बोल रहा हूँ।
संजय- ठीक है।

मैं- चलो अब काम पर चलते हैं.. तूने तो मेरी बीवी के साथ मस्ती कर ली। जब तुम्हारी बीवी आएगी.. तब मैं उसके साथ करूँगा।
संजय- कर लेना.. मैं नहीं रोकूँगा.. हा हा हा हा हा..

इस तरह हम काम पर चले गए।

दोस्तो, सब कुछ शान्त हो गया कुछ दिन में मेरी बीवी भी सामान्य हो गई।
इसके बाद आगे भी हुआ.. पर हम दोनों की सहमति से हुआ था..

कई बार जब मेरा बाहर जाना होता तो संजय और मेरी बीवी चुदाई करते और मस्ती करते।
संजय बाद में और पहले सब बता देता..

मैं जब यहाँ शहर में होता तो कीर्ति को कभी-कभी कहता कि अगर शॉपिंग या मूवी देखनी हो संजय के साथ चली जाए।

मेरे मन में संजय और उसके प्रति कोई सवाल या कुछ और न देख कर वो भी बेझिझक हो गई थी इसी लिए कभी-कभी वो उसके साथ भी जाती।
पर ऐसी घटना के बाद भी हमारी एक-दूसरे के प्रति इज्जत और सम्मान वैसा ही रहा।
यह सब समय और संयोग की बात है।

आगे भी शादी के पहले वाली घटना और शादी के बाद वाली घटना लिखूँगा.. और इस घटना के बाद जो बड़ा बदलाव हुआ.. वो घटना भी लिखूंगा।

मुझे मेल जरूर करें।
[email protected]

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