ममेरी भाभी की जिस्मानी भूख

(Mameri Bhabhi Ki Jismani Bhukh)

पंकज सिंह 2016-09-18 Comments

मैं पंकज ठाकुर.. नोएडा में रहता हूँ.. अभी ग्रेजुयेशन कर रहा हूँ।

मैं आप सभी लोगों को अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी।

यह घटना पिछले साल की है.. जब मैं गर्मी की छुट्टियों में मामा के घर गया हुआ था।
वहाँ पहुँच कर मैं सभी लोगों से मिला.. सब कुछ तो पिछली मुलाक़ातों जैसा ही लग रहा था.. पर छोटी वाली भाभी से मिलकर थोड़ा अलग सा लगा क्योंकि पहले वो बहुत चुप-चुप रहती थीं.. ज़्यादा बातचीत नहीं करती थीं.. लेकिन इस बार बड़ी ही खुश होकर मिलीं।

मुझे बहुत खुशी हुई कि चलो इस बार तो खुश हैं।

उन्होंने मुझे अपने फ्लैट पर आने को बोला.. क्योंकि वो और छोटे भैया गाँव से कुछ दूर शहर में फ्लैट लेकर रहते थे और भैया वहीं जॉब करते थे।

फिर कुछ दिनों के बाद मेरा काम के सिलसिले में उनके शहर में जाना हुआ.. तो मैंने सोचा कि चलो भैया-भाभी से भी मिल लेता हूँ। मैं पहले भैया के ऑफिस गया।

वहाँ उनसे मिला.. हमारी थोड़ी बात हुई।

उन्होंने कहा- तुम फ्लैट पर पहुँचो.. मैं शाम को ऑफिस के बाद आता हूँ.. आज हमारे साथ ही रुकना है.. घर नहीं जाना है।
तभी उन्होंने भाभी को मेरी आने के लिए कॉल किया कि मैं आ रहा हूँ।

मैं वहाँ से आधा घंटे का रास्ता तय करके उनके फ्लैट पर आया।

भाभी से बातचीत शुरू हुई.. लेकिन आज उनके बात करने का तरीका थोड़ा रोमाँटिक टाइप का लग रहा था।
हर बात में वो मुझसे लड़कियों का ज़िक्र कर रही थीं और पूछ रही थीं- तुम्हें कैसी लड़की पसन्द है?

फिर भाभी मुझे बड़ी अजीब नज़रों से घूरने लगीं।
कुछ पल बाद उन्होंने मुझसे पूछा- नाश्ते में क्या लेना पसंद है?
मैंने सैंडविच के लिए बोला.. तो उन्होंने कहा- सॉस कौन सा..
मैंने कहा- आपको जो पसंद हो।
तो उन्होंने आँखें नचा कर कहा- मुझे तो सिर्फ़ खट्टा वाला सॉस पसंद है।

मेरी कुछ समझ में नहीं आया पर हाँ कुछ अजीब सा लगा।
मैंने उनसे कॉफी के लिए बोला.. तो वो बोलीं- मैं दो मिनट में बनाकर लाती हूँ.. हम दोनों आज साथ में पिएंगे।

वो रसोई में चली गईं।
अब मैं उनके फिगर के बारे में बता दूँ। एकदम कसा हुआ जिस्म.. बड़े-बड़े तने हुए स्तन और उनकी लचकती कमर देख कर तो मैं तुरंत ही दीवाना हो गया था। आज वो सलवार-कमीज़ पहने हुई थीं जिसमें उनकी कमीज का गला कुछ ज्यादा ही गहरा खुला हुआ था और उसमें से उनकी ब्लैक ब्रा दिख रही थी।

मैं तो उनका दीवाना हो गया।

फिर वो रसोई में कॉफी के लिए चली गईं.. अभी वो रसोई में ही थीं कि जोरदार आँधी चलने लगी।
वो बोलीं- आप ऊपर से कपड़े लेते आओ, मैं जाऊँगी तो सैंडविच जल जाएगा।

मैंने कहा- ठीक है।
मैं ऊपर गया तो देखता ही रह गया.. उधर 3 ब्रा और 3 पैन्टी लटक रही थीं और सब की सब ब्लैक कलर की थीं.. कुछ और भी कपड़े थे।

मैं सब कपड़े लेकर आया.. तब तक वो फ्री हो चुकी थीं।
भाभी बोलीं- मेरे हाथ गीले हैं आप बेडरूम में लेते आओ.. वहीं अलमारी में रख देना।

मैं उनके पीछे-पीछे बेडरूम में चला गया। जब अल्मारी खुली तो वहाँ भी कुछ ब्रा पैन्टी रखी हुई थीं.. और वो भी ब्लैक कलर की ही थीं।

मैंने उनसे कहा- भाभी एक बात पूछू.. आप बुरा तो नहीं मानोगी?
भाभी ने कहा- पूछो..
मैंने कहा- छोड़ो आपको बुरा लगेगा..
तो वो बार-बार कहने लगीं कि नहीं लगेगा.. तुम पूछो न।

मैंने कहा- यह बताओ भाभी, ब्लैक कलर आपको ज़्यादा पसंद है या भैया को?
तो उन्होंने कहा- क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो और इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है?ि

मैंने कहा- जब मैं ऊपर कपड़े लेने गया था.. तब मैंने देखा कि आपकी सारी ब्रा और पैन्टी ब्लैक कलर की हैं और आपकी अलमारी में भी जितनी भी आपकी ब्रा-पैन्टी थीं.. वो सब ही ब्लैक कलर में हैं.. तो बताओ किसे पसंद है ब्लैक कलर?

तो वो थोड़ी शर्मा गईं.. कुछ नहीं बोली।
फिर थोड़ी देर बाद वो सैंडविच और कॉफी लेकर आईं और मुझसे बोलीं- तुम्हारे भैया को।
मैं मुस्कुरा दिया।

उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हें कौन सा कलर पसंद है?
मैंने कहा- मुझे भी ब्लैक ही पसंद है।

उन्होंने दूसरी अल्मारी खोली और उसमें से 4-5 अलग-अलग कलर की ब्रा और पैन्टी निकालीं.. रेड.. ग्रीन.. पर्पल.. पिंक..
अब वो मुझसे बोलीं- अब बताओ इन सब में अच्छी कौन है?

तो मैंने कहा- ऐसे पता नहीं चलता है.. वो तो पहन कर दिखाइए.. तभी पता चलेगा।
फिर वो बोलीं- ठीक है..

उन्होंने मेरे सामने ही अपनी कमीज़ निकाल दी और अलग-अलग रंग की ब्रा पहन-पहन कर दिखाने लगीं।
मेरा बुरा हाल हो गया था।

एक ब्रा में भाभी हुक नहीं लगा पा रही थीं.. तो मुझसे बोलीं- तुम लगा दो ना.. मुझसे नहीं हो रहा है।
मैं भाभी के पास गया वो अधनंगी बिस्तर पर बैठी थीं, मैं उनके पीछे गया और उनका हुक बंद कर दिया।

वो बोलीं- अब बताओ?
तो मैंने कहा- मुझे तो सब अच्छी लग रही थीं.. न भी पहनो तो और भी अच्छी लग रही थी।

मेरी इस बात को सुन कर भाभी मेरी गोद में ही बैठ गईं.. और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।

वो मुझे एकदम मेरे चेहरे पर.. कंधे पर.. मेरे सारे बदन को चूमने लगीं.. सहलाने लगीं.. और मुझसे लिपट कर वो मुझे लगातार चूमे जा रही थीं।

मैंने उनको अपने से अलग किया तो रोने लगीं और कहने लगीं- प्लीज़ बाबू मुझे अपने से अलग ना कीजिए.. मुझे आपकी बहुत ज़रूरत है।
मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो भाभी मुझसे लिपट गईं.. और बोलीं- आपके भैया को सिर्फ़ और सिर्फ़ काम ही दिखाई देता है.. उनको मुझमें कोई इंटरेस्ट नहीं है.. मुझे प्यार की ज़रूरत है.. पर उनके पास तो इतना भी टाइम नहीं है.. बस ऑफिस से घर आते हैं.. खाना खाकर तुरंत सो जाते हैं।

मैंने उन्हें सहलाते हुए बोला- भाभी मैं हूँ ना.. आप क्यों परेशान होती हैं।
भाभी ने मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगीं।

मुझे भी भाभी का नशा चढ़ने लगा और हम दोनों वहीं बिस्तर पर लेट गए और एक-दूसरे से लिपट कर चूमने लगे।

भाभी तो पहले से ही ऊपर से सिर्फ़ ब्रा पहनी हुई थीं.. तो मैं उनकी चूचियों से खेलने लगा और भाभी ने मेरी शर्ट को खोल दिया.. इसके बाद वो मेरी पैंट खोलने लगीं।

कुछ ही पलों में मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और भाभी सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थीं।
हम एक-दूसरे को कामुक निगाहों से देख रहे थे।

भाभी के मम्मे बहुत ही नर्म और गोरे थे।
मैंने पूछा- भाभी आपका साइज़ क्या है?
उन्होंने बताया- खुद ही पकड़ कर देख लो।

मैंने उनकी ब्रा निकाली और उसमें देखा तो 34-D लिखा था।
उन्होंने कहा- तुम्हारा साइज़ क्या है?
मैंने कहा- आप भी खुद ही देख लो।

तो उन्होंने मेरा अंडरवियर उतार दिया और बोलीं- अरे वाह मस्त.. क्या पर्फेक्ट साइज़ है।
मैंने कहा- आपको पसंद आया?
उन्होंने कहा- हाँ बहुत.. ये आपके भैया से बहुत बड़ा है उनका तो छोटा सा है।

भाभी मेरे लंड को हिलाने लगीं.. और हम एक-दूसरे को किस करने लगे।

वो ऐसे मेरे होंठों को चूम रही थीं.. जैसे वो पहली बार ऐसा कर रही हों, उनकी इतनी प्यास और बेचैनी थी।

उनकी आग से मैं जल उठा, मैं भी उनको पागलों जैसे किस करने लगा।

मैं भाभी की ब्रा के ऊपर से ही उनके चूचों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
बहुत मस्त खुश्बू आ रही थी उनके चूचों में से.. मेरा मन कर रहा था कि ऐसे ही अपना मुँह उनके दूधों में लगाए रखूँ।

मैंने भाभी की ब्रा निकाल दी और उन्होंने अपने चूचुक मेरे मुँह में डाल दिए, मैं भाभी के चूचुकों को बच्चों की तरह चूसने लगा।

तभी भाभी ने धीरे से मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया।

हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए, भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मैंने भी भाभी की चूत में अपना मुँह लगा दिया।

क्या ग़ज़ब की खुशबू थी उनकी चूत की.. मैं तो उसमें घुस जाना चाहता था।
मैंने अपनी जीभ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
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भाभी ‘सीई.. सी..’ करने लगीं.. और मेरे लंड को अपने दांतों में दबाने लगीं।

फिर भाभी की चूत का रस निकलने लगा.. जिसे मैंने बहुत प्यार से पिया और थोड़ी देर में मेरे लंड से वीर्य निकलने लगा.. जिसका भाभी एक-एक बूँद पी गईं।
भाभी मुझसे लिपट कर बोलीं- बाबू अब और मत तड़फाओ.. जल्दी से मेरी भट्टी की आग अपने पानी से बुझा दो।

मैंने बोला- पहले मेरा पाइप तो सीधा कीजिए।

भाभी तुरंत मेरा लंड फिर से मुँह में लेकर चूसने लगीं.. और तब तक चूसती रहीं.. जब तक वो फिर से एकदम खड़ा नहीं हो गया।

फिर वो बिस्तर पर लेट गईं और मैं उनके ऊपर आ गया।
भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत में लगाया।

मैंने थोड़ी देर उसे अन्दर नहीं डाला.. तो वो बेचैन होकेर बोलीं- बाबू जल्दी डालिए.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. मैं पागल हो जाऊँगी।

इतना कह कर उन्होंने मुझे ज़ोर से पकड़ कर अपनी कमर उठाई और पूरा लंड खुद अन्दर ले लिया।

फिर मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और भाभी मादक आहें भरने लगीं।

जैसे ही मैं लंड को ज़ोर से अन्दर डालता.. भाभी ‘सीई.. सी.. आअहह… आआहह…’ की आवाज़ करतीं।

यह चुदाई का खेल कुछ मिनट तक चला और फिर भाभी झड़ने लगीं।

मैं नहीं झड़ा था तो हम दोनों ने आसन बदला और भाभी मेरे ऊपर आ गईं।
अब वो मेरे लंड पर बैठ कर अपनी चूत को जल्दी-जल्दी मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे करने लगीं।

लम्बी चुदाई के बाद मेरा लंड छूटने वाला था.. तो मैंने भाभी से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ..
तो भाभी ने कहा- अन्दर ही छोड़ दो.. मुझे आपसे बच्चा चाहिए।

थोड़ी देर में भाभी और मैं साथ में झड़ने लगे और मैंने अपना सारा पानी भाभी की चूत में ही निकाल दिया।

अलग होने के बाद भाभी ने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसकर साफ़ कर दिया।
हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में लेटे हुए बात करने लगे।

भाभी बोलीं- तुम मुझे अकेला तो नहीं छोड़ दोगे।
‘नहीं मेरी प्यारी भाभी..’
उन्होंने मेरा माथा चूम लिया.. मैंने भी उनका माथा चूम कर कहा- कभी नहीं..

मैं उनके चूचों को सहलाने लगा और भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया, वो मेरे लंड को आगे-पीछे करने लगीं।

मैं बोला- इतनी बेसब्री क्या है.. अभी तो मैं शाम तक यहीं हूँ।
वो बोलीं- शाम तक मुझे पूरा तृप्त कर दो.. फिर पता नहीं कब मिलोगे।

उन्होंने मेरे लंड के टोपे को चूसना शुरू कर दिया।
अब हम फिर 69 की पोज़िशन में आ गए, वो मेरा लंड चूस रही थीं और मैं उनकी चूत को जीभ से सहला रहा था।

थोड़ी देर में उनका पानी निकल गया जिसे मैंने बड़े चटखारे लेकर चाट लिया।

अब वो सीधी होकर मेरे लंड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगीं.. तो मैंने लण्ड हटा लिया।
उन्होंने कहा- अब और मत तरसाओ..

मैंने उनकी गाण्ड में उंगली डालते हुए कहा- इस बार आगे नहीं.. यहाँ..
वो बोलीं- जहाँ करना है करो.. पर जल्दी करो।

मैंने अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया.. उनकी गाण्ड मारने में जो मज़ा आया दोस्तो.. वो मैं ब्यान नहीं कर सकता।

थोड़ी देर हिलने के बाद वो खुद गाण्ड उठा-उठा कर लंड लेने लगीं और अपनी चूत में उंगली करने लगीं।
मैं पीछे से उनके मदमस्त चूचियों को मसलने लगा।

वो इतनी ज़ोर से अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर मार रही थीं.. कि ‘ठप्प.. ठप्प..’ की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी।
कुछ मिनट के बाद मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो उन्होंने कहा- मेरी चूत में झड़ना।

वो पलट गईं और मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत में डाल दिया। कुछ धक्कों के बाद मेरा लंड उनकी चूत में फिर से पिचकारी मारने लगा।
अब मैं थक कर उनके ऊपर ही लेट गया।

अब तक शाम हो चुकी थी.. हम दोनों वॉशरूम गए और एक साथ नहाए।

फिर हम कपड़े पहन कर बाहर आकर बैठ कर कॉफी पी रहे थे कि भैया आ गए।

उन्होंने हँस कर कहा- लगता है तुम लोगों की अच्छी जान-पहचान हो गई है।
थोड़ी देर में ही तो भाभी ने बोला- मुझे तो पता ही नहीं था कि देवर जी इतने स्मार्ट हैं।

मैंने जाने की कही तो भाई ने बहुत रोका पर मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था, मैंने रुकने के लिए मना कर दिया।

फिर थोड़ी देर भैया से बात करके मैंने उन लोगों से विदाई ली और घर चला आया। भाभी से फोन पर अक्सर बात चलती रहती है और मैं हर कुछ महीनों में उनसे मिलने चला जाता हूँ।

मेरी इस कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा।
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