लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-26

(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 26)

This story is part of a series:

हम मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।

मैं रितेश के लिये असन्तुष्ट थी, बेचारा… चूत उसे मिल ही नहीं रही है।

इसी तरह मेहमानवाजी में फिर रात के ग्यारह बज गये और सब लोग सोने की तैयारी में थे।
मैं और नमिता माताजी के कमरे में आ गई पर काफी देर तक रोहन नहीं आया था।
सब गहरी नींद में सो चुके थे लेकिन रोहन?

मैं उठी और बाथरूम की तरफ इस उम्मीद से गई थी कि स्नेहा और रोहन बाथरूम के अन्दर ही मजे ले रहे होंगे, पर बाथरूम में कोई नहीं था, बाकी और कमरों में मेहमान थे तो वहाँ सवाल ही नहीं उठता था।
पर यह भी नहीं हो सकता था कि रोहन बिना किसी मतलब के अपनी नींद खराब करे… कल जब उसे मेरे साथ मौका मिला तो उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया था और स्नेहा… वो जब से आई है रोहन के साथ ही मजे लिये।

यही सोचते हुए मैं स्टोर रूम की तरफ गई तो अन्दर से हल्की आवाज आ रही थी और इस आवाज ने मेरी सोच को सही कर दिया। स्टोर रूम के अन्दर स्नेहा और रोहन ही थे, दोनों की कामुक आवाज आ रही थी, बस आवाज थोड़ी धीमी थी और जहां तक मेरा अंदाज था कि वो दोनों काफी देर से लगे हैं।

मेरे दिमाग में मेरे प्यारे रितेश का ख्याल आया कि उसे भी स्नेहा की चूत का मजा दिलवा दूं।
मैंने तुरन्त ही रितेश को स्टोर रूम के पास आने का मैसेज किया।
रितेश तुरन्त ही आ भी गया।

मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और एक ऐसी जगह छुप गये जहाँ से रोहन और स्नेहा की नजर हम पर न पड़े।
मैंने पूरी बात रितेश को बता दी।

पांच सात मिनट बाद रोहन स्टोर रूम से निकल कर कमरे की तरफ चला गया।
मैंने रितेश को बता दिया कि अगर मैं कमरे में न मिली तो रोहन हो सकता है कि यहां आ जाये तो तुम ही अन्दर चले जाओ।

मेरी बात मानते हुए रितेश अन्दर चला गया।

मैं दो मिनट के लिये बाहर रूक गई और देखने लगी कि रितेश को सामने देखकर उसका क्या रिएक्शन होता है।

वो पैन्टी पहन चुकी थी और ब्रा पहन रही थी कि रितेश को सामने देखकर चौंकी।
रितेश ने जब पूछा कि वो वहाँ क्या रही है तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था।

रितेश माहिर खिलाड़ी तो था ही उसने ज्यादा कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा और स्नेहा के और करीब जा कर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ सहलाने लगा और बिना कुछ बोले दोनों इसी तरह चिपके खड़े रहे लेकिन रितेश का हाथ स्नेहा की पैन्टी के अन्दर भी घुसकर अपना काम कर रहा था।

दोनों को वहाँ छोड़ कर मैं कमरे में चली आई, देखा तो रोहन सीधा लेटा हुआ है, मैं जाकर बगल में लेट गई।
मेरे लेटते ही रोहन ने मेरी तरफ करवट ली और अपने एक पैर और एक हाथ को मेरे ऊपर रख दिया।

रोहन बहुत ही चोदू किस्म का हो चुका था, अभी-अभी स्नेहा को चोद कर आया और मेरे ऊपर सवारी करने की सोच कर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी।
रोहन बोला- भाभी, दूध पीना है!
कहते हुए वो थोड़ा नीचे सरक गया, मैंने अपने गाउन को खोलकर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दिया, एक निप्पल उसके मुंह में था और दूसरे को वो मसल रहा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी।

जब उसका मन मेरी चूची पीने से भर गया तो वो थोड़ा और नीचे आया और मेरी नाभि के साथ खेलने लगा और मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली डालकर चूत के साथ खेलने लगा।
वो नाभि के अन्दर अपनी जीभ चला रहा था और चूत को उंगली से चोद रहा था, मैं पानी छोड़ चुकी थी।

रोहन ने मुझे सीधा किया और फिर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और बहते हुए रस को चाटने लगा फिर मुझे पेट के बल होने के लिये कहा और मेरी गांड को फैलाकर उसको चाटने लगा।

काफी देर गांड चाटने के बाद उसने मुझे फिर सीधा किया और अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते से मुझे चोद रहा था।

उसकी और मेरी दोनों की ही नजर मां और नमिता पर थी कि कहीं कोई इस खेल को न देख ले।
नमिता की तो चिन्ता नहीं थी क्योंकि उसे तो सब पता था पर मां की चिन्ता ज्यादा थी।
पर दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे।

रोहन अपने जबड़े को भींचे मुझ पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

क्या एडवेंचर था कि सास सो रही थी और उसी के ही बगल में नीचे उसका दूसरा पुत्र अपनी भाभी को चोद रहा था और भाभी चुदवा रही थी।
डर मुझे और रोहन दोनों को ही था कि कही सासू मां जाग न जाये।

खैर वो धक्के पे धक्के पेले पड़ा था।
फिर वक्त आ गया उसके डिसचार्ज होने का… मैं पहले ही झर चुकी थी, मेरी चूत केवल अपने आप को रोहन के लंड से फ्री होने का इंतजार कर रही थी कि कब रोहन डिसचार्ज हो और कब उसके लंड से मुक्ति मिले।

रोहन का शरीर अकड़ने लगा और उसने तुरन्त ही मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और अपने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ना शुरू किया।

वो अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उसका वीर्य एक झटके में खाली हो गया।
कुछ बूंद मेरी मुंह के अन्दर गिरी तो कुछ बाहर निकल कर गालों से होती हुई नीचे गिरने लगी।

जब वो पूरी तरह से डिसचार्ज हो गया और उसका लंड ढीला पड़ गया तो रोहन मेरे सीने से नीचे उतर कर मेरी बगल में लेट गया और रोहन ने मेरी चूत मेरी गाउन से साफ कर दी और मुझसे चिपक कर सो गया।

सुबह मैं भी बेसुध थी लेकिन मेरे कपड़े बिल्कुल सही थे और रोहन भी मुझसे दूर था।
आज सभी मेहमानों को जाना था और उनकी ट्रेन दस बजे की थी इसलिये मैं और नमिता दोनों ने ही तेजी से सब काम निपटा कर नौ बजे तक फ्री हो गई और मेहमान विदा होने लगे।

मेरी और नमिता की सेवा भाव से खुश होकर मुझे और नमिता को गिफ्ट दिया।
स्नेहा मुझे लिपट कर थैंक्स बोली और अगली मुलाकात जल्दी करने का वादा करके चली गई।

फ्री होने पर मैं भी ऑफिस के लिये तैयार होने के लिये मैं अपने कमरे में आ गई।
मैं तैयार हो ही रही थी कि मुझे पीछे से आकर रितेश ने जकड़ लिया और चूमने चाटने लगा।

मैं थकी हुई थी इसलिये मैं उसके चूमने चाटने का जवाब नहीं दे पा रही थी, फिर भी मैंने रितेश को रोका नहीं। रितेश ने मेरी जींस को नीचे किया और मुझे झुकाते हुए अपने मोटे लंड को मेरी चूत में पेल दिया।

करीब तीन चार मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो मेरी चूत में ही झर गया और फिर पास पड़े गाउन से रितेश ने मेरी चूत साफ की और फिर मुझे मेरी जींस और बाकी कपड़े पहनने को मदद की।

मैं रितेश के साथ ऑफिस निकल गई।
ज्यादा थकी होने के कारण बॉस ने मुझे कुछ ज्यादा वर्क नहीं दिया बल्कि ट्रिप के बारे में एक दो दिन में इन्फार्म करने को कहा ताकि वो रिजर्वेशन करवा सके।

किसी तरह बॉस के साथ छुटपुट घटना के साथ शाम हुई और मैं घर आ गई।
मेरे घर पहुंचने के बाद घर के बाकी सदस्य भी आ चुके थे, चाय नाश्ते के लिये सब बैठ चुके थे।

रितेश ने ही मेरे कहने पर बात की शुरूआत की, उसने बताया कि मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में कलकत्ता जाना है और मेरी कम्पनी मेरे साथ साथ रितेश का भी खर्चा उठाने को तैयार है अगर रितेश न जा पाये तो कोई एक और मेरे साथ कलकत्ता जा सकता है।

तो पापा ने पूछा- फिर समस्या क्या है? रितेश और तुम दोनों चले जाओ।

तब मैंने बताया कि रितेश को भी उसी दिन अपने ऑफिस के प्रोजेक्ट के लिये तमिलनाडु जाना है।

मुझे लग रहा था कि मेरे इस प्रोपोजल को सुनकर रोहन और विजय मेरे साथ चलने को बेताब हो जायेंगे, लेकिन दोनों कुछ बोलते उससे पहले ही मेरे ससुर मुझसे बोले- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। काफी दिन हो गये मुझे भी कहीं घूमे हुए।

मैं उनको मना नहीं कर पाई लेकिन यह तो तय हो गया कि मौका देखकर मुझे अपनी चूत में बैंगन, ककड़ी या फिर मूली डालकर ही काम चलाना पड़ेगा।
और न चाहते हुए भी यह तय हो गया कि मैं और मेरे ससुर कोलकाता जा रहे हैं।

मुझे कल अपने बॉस को यह इन्फार्म करना था ताकि वो रिजर्वेशन करवा दे और होटल बुक करवा दे।

नाश्ता करने के बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आ गये। रितेश मुझे देख कर हँसने लगा और बोला- तुम तो हनीमून मनाने जा रही थी? अब क्या करोगी?

‘कोई बात नही!’ मैं बोली- लंड नहीं तो मूली और बैंगन तो काम आयेगा। जब ज्यादा चुदास हूंगी तो बैंगन और मूली अपनी चूत में डाल कर अपनी चुदासी चूत को शान्त कर लूंगी।

मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा था तो रितेश को मालिश करने के लिये बोलकर मैंने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी होकर बेड पर उल्टी लेट गई।
रितेश मेरी मालिश धीरे-धीरे करने लगा।

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top