गाँव की मस्तीखोर भाभियाँ-1

(Gaanv Ki Mastikhor Bhabhiyan Part-1)

जलगाँव बॉय 2016-07-29 Comments

This story is part of a series:

नमस्ते दोस्तो.. जलगाँव ब्वॉय का आप सभी को प्यार भरा प्रणाम।
नए पाठकों को मैं अपना परिचय दे देता हूँ। मेरा नाम अवि है.. मैं महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में रहता हूँ।

मेरी उम्र 19 साल है और हाइट 5’2″.. वजन 55 किलो.. औसत बॉडी है.. और लण्ड भी अच्छा-खासा लम्बा और मोटा है.. एकदम मस्त सफेद और लण्ड का टोपा लाल है।

आज आपके लिए फिर से नई हॉट और सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ, अन्तर्वासना की सभी पाठक आंटी भाभियों और लड़कियों के आग्रह पर आप सभी के लिए कहानी पेश है।

यह कहानी पढ़कर सभी लड़कों को कई बार मुठ मारनी पड़ेगी और लड़कियों को कई बार चूत में उंगली डालनी पड़ेगी।

कहानी शुरू करता हूँ।

मेरा गाँव वहाँ से 40 किलोमीटर दूर था.. जहाँ पर यह अनोखी घटना घटी।

बात आज से 3 महीने पहले की है। उन दिनों में अपने पुराने गाँव में गया हुआ था जिसकी आबादी करीब 3 हजार लोगों की थी।

गाँव में मेरे चाचा चाची, उनके दो बेटे और बहुएँ रहते हैं।
यह कहानी उन कहानी उन्हीं दो भाभियों से जुड़ी हुई है।

मेरी बड़ी भाभी का नाम रूपाली है.. और फिगर साइज 35-29-36 का है.. दूसरी भाभी का नाम भारती है। उनकी उम्र 25 साल.. रंग मीडियम सांवला.. फिगर 34-26-34 का कन्टाप माल हैं।

दोनों भाभियाँ बहुत सेक्सी हैं।

क्योंकि गाँव में इतनी आजादी नहीं होती है, लोग बहुत संकुचित तरीके से रहते हैं। औरतों को बाहर निकलना कम ही रहता है, सिर्फ सब्जी ही लेने जाती हैं या कभी तालाब पर पानी भरने या कपड़े धोने.. और हाँ हगने के लिए तो जरूर जाती हैं।

हमारे चाचा के घर के पीछे ही एक तालाब है जो कि कुछ ही दूरी पर है, बीच में और किसी का घर नहीं था। सिर्फ कुछ बड़े-बड़े पेड़ थे।

हमारी भाभी उधर ही कपड़े धोने जाती थीं।
सभी भाभियाँ काम बांट लेती थीं, कोई रसोई.. तो कोई कपड़े धोने का.. तो कोई बर्तन और सफाई का।

तो जैसे ही मैं गाँव गया, उन सभी लोगों ने मेरा बड़े प्यार से स्वागत किया।
मेरी भाभियाँ मजाक भी करने लगीं कि बहुत बड़ा हो गया है.. शादी के लायक।

मैंने जाकर सभी से मिलने के बाद सोचा थोड़ा फ्रेश होता हूँ, मैंने अपनी बड़ी भाभी से बोला- मुझे नहाना है।
उन्होंने बोला- इधर नहाना है या तालाब पर जाना है?

मैंने कहा- अभी इधर ही नहा लेता हूँ। तालाब कल जाऊंगा।
तो वो बोलीं- ठीक है..

उन्होंने पानी रख दिया।

मैं दोनों भाभियों को देख कर उत्तेजित हो गया था, मैंने बड़ी भाभी को याद करते हुए मुठ मारी और नहा कर जैसे ही वापस आया, बड़ी भाभी बोलीं- क्यों देवर जी इतनी देर क्यों लगा दी। कहीं कोई प्रॉब्लम तो नहीं.. अगर हो तो बता देना.. शायद हम आप की मदद कर सकें।

ऐसा बोल कर दोनों भाभियाँ हँसने लगीं।
मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और ख़ुशी भी हुई।

दूसरे दिन सुबह मैं 7 बजे उठा, नाश्ता किया।
तभी बड़ी भाभी कपड़े की पोटली बना कर तालाब पर धोने को जाने लगीं, वो बोलीं- चलो देवर जी तालाब आना है क्या?

मैं तो वही देख रहा था कि कब मुझे वो बुलाएँ।

मैंने ‘हाँ’ कहा और अपने कपड़े और तौलिया लेकर उनके साथ चल पड़ा।
रास्ते में वो बड़ी खुश दिख रही थीं, उन्होंने थोड़ी इधर-उधर की बातें भी की।

जब हम तालाब पहुँचे तो…
हे भगवान.. यह मैं क्या देख रहा हूँ.. मेरी तो आँखें फ़टी की फ़टी रह गईं.. वहाँ पर 10-15 औरतें थीं और उन सबमें से 6-7 ने तो ऊपर ब्लाउज ही नहीं पहना हुआ था।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरे कदम रुक ही गए थे।

भाभी ने पीछे मुड़ कर देखा और बोलीं- क्यों देवर जी क्या हुआ.. रुक क्यों गए?

मुझे मालूम था कि वो मेरे रुकने की वजह जानती थीं.. लेकिन जानबूझ कर मुझसे ऐसा पूछ रही थीं।

मैं बोला- भाभी यहाँ पर तो..
यह बोल कर मैं रुक गया।

भाभी ने पूछा- क्या.. यहाँ पर तो क्या?
मैं बोला- सब औरतें नंगी नहा रही हैं.. मैं कैसे आऊँ?

भाभी बोलीं- तो उसमें शर्म की क्या बात है.. तुम अभी इतने बड़े कहाँ हो गए। चलो अब जल्दी करो।

मैं तो चौंक गया।
वहाँ जाते ही सभी औरतें मुझे देखने लगीं और भाभी से पूछने लगीं- कौन है री ये लड़का? बड़ा शर्मीला है।

भाभी ने बोला- यह मेरा देवर है, शहर से आया है। अभी ही जवान हुआ है.. इसी लिए शर्मा रहा है। मैंने तो इनसे बोला है कि शर्माओ मत.. ये सब बाद में देखना ही है न!

यह सुनते ही सभी औरतें हँसने लगीं।

मुझे अब पता चला कि गाँव में भी औरतें मॉडर्न हो गई हैं और गंदी-गंदी बातें करती हैं।

उनमें से एक ने मेरी भाभी से बोला- क्यों री.. देवर से हमारा परिचय नहीं कराएगी क्या?
तो भाभी ने उन सभी से मेरा परिचय करवाया।

मेरा ध्यान बार-बार उन नंगी औरतों के दूधों पर ही चला जाता था।
तो वो भी समझने लगी थीं.. कि मैं क्या देख रहा हूँ।

उनमें से एक मीडियम साइज की 26 साल की औरत ने मुझे बोला- क्यों रे तूने आज तक कभी बोबा नहीं देखा.. जो घूर रहा है?
इस पर मेरी भाभी और दूसरी सभी औरतें हँसने लगीं।

मेरी भाभी ने बोला- हाँ शायद.. क्योंकि घर पर भी वो मेरे बोबे को घूर रहा था.. तो इसीलिए उसे यहाँ पर लाई हूँ.. ताकि सब कुछ खुल्लम-खुल्ला देख सके।

फिर उन्होंने मुझसे बोला- देवर जी देख लेना.. जी भर के.. बाद में शहर में ऐसा मौका नहीं मिलेगा।
इस पर सभी औरतें हँसने लगीं।

अभी ऐसी बातों से मेरे लण्ड की हालत खराब हो गई थी।

तभी मेरी भाभी ने कहा- देवर जी कब तक देखोगे.. आप यहाँ पर नहाने आए हैं.. न कि बोबे देखने..

अब मेरी हिम्मत भी थोड़ी खुल गई थी- भाभी ऐसा दिखाओगी तो कोई भला नहाने में समय क्यों गंवाएगा?

भाभी- ठीक है.. फिर देखो.. लेकिन ये सब तो तुम नहाते हुए भी देख सकते हो।

यह आइडिया मुझे अच्छा लगा।
लेकिन तकलीफ ये थी कि पानी में कैसे जाऊँ.. क्योंकि.. मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।

तभी भाभी ने बोला- सोच क्या रहे हो कपड़े निकालो और कूद पड़ो पानी में..
मैं- ठीक है भाभी।

अब मैंने भी शर्म छोड़ दी, जो होगा देखा जाएगा.. सोच कर मैंने अपना शर्ट और पैंट उतार दिया।

अब मैं सिर्फ निक्कर में था, उसमें से मेरा लम्बा लण्ड साफ़ दिख रहा था.. वो भी उठा हुआ।

मेरे लण्ड का टोपा निक्कर के किनारे से थोड़ा ऊपर आ गया था।

जैसे ही उन सभी औरतों को दिखा.. तो भाभी और सभी औरतें मुझे घूरने लगीं।

भाभी- देवर जी, ये क्या तंबू बना रखा है अपनी निक्कर में?
मैं- क्या करूँ भाभी आप सभी ने तो मेरी हालत खराब कर दी है।

भाभी- आप मेरा नाम क्यों ले रहे हो? मैंने तो अभी कपड़े उतारे भी नहीं हैं।
मैं- हाँ वही तो अफ़सोस है।
और मैं हँसने लगा।

भाभी- लगता है आपकी शादी जल्द ही करनी पड़ेगी।
सभी औरतें हँसने लगीं।

मैं पानी में चला गया, मुझे वहाँ पर बड़ा मजा आ रहा था, मैं सोच रहा था कि हमेशा ही मेरा दिन ऐसा ही कटे।

इतने सारे चूचों के बीच मुझे मुठ मारने की इच्छा हो रही थी.. लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था.. वो भी पानी में..
शायद मेरी परेशानी को भाभी समझ रही थीं।

उन्होंने मुझे मजाक में कहा- देवर जी आप उसका जोश कम करो.. निक्कर फट जाएगी।

उधर ऐसी मजाक से मेरी हालत और खराब हो रही थी लेकिन उन लोगों को मस्ती सूझ रही थी।

भाभी ने नीचे बैठ कर कपड़े धोना चालू किए।
उनकी बैठने की पोजीशन ऐसी थी कि उनके घुटनों से दब कर उनके बोबे ब्लाउज से बाहर आ रहे थे और दोनों बोबों के बीच की बड़ी खाई दिखाई दे रही थी।

ब्लाउज उनके बोबों को समाने के लिए काफी नहीं था। उसका गला भी बहुत बड़ा था.. जिससे उनकी आधी चूचियाँ बाहर दिख रही थीं। चूची भी क्या गजब की थीं.. मानो दो हवा के गुब्बारे हों.. वो भी एकदम सफेद जैसे दिख रहे थे।
बस पूरा खाने को दिल कर रहा था।

मैं लगातार उनके बोबे देखे जा रहा था।

तब पता नहीं कब भाभी ने मेरे सामने देखा और हमारी नजरें मिलीं.. जिससे भाभी बोलीं- मुझे पता है देवर जी आप मेरी चूचियाँ देखना चाहते हैं तभी तो बार-बार घूर रहे हैं।

वे ऐसा बोल कर हँस पड़ीं.. और बोलीं- लो आपकी ये इच्छा मैं अभी पूरी कर देती हूँ।

यह बोल कर उन्होंने अपने पैरों को सीधा किया और मेरी तरफ देख कर मेरे सामने अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगीं। ब्लाउज भी कितना तंग था कि उनको शायद हुक खोलने में मुश्किल हो रही थी..
और वो मेरी तरफ देख कर बार-बार मुस्कुरा रही थीं।

आखिर उनका ब्लाउज का हुक खुल गया.. उसके बाद दूसरा.. उसके बाद तीसरा.. करके चारों हुक खोल दिए.. और उन्होंने ब्लाउज को वैसे ही रहने दिया।

उनके बोबे कपड़ों से ढके थे.. लेकिन उनकी लंबी लकीर दिख रही थी.. जो किसी के भी लण्ड का पानी खींचने के लिए काफी थी।

उन्होंने मेरी तरफ मुस्कुरा कर खुद ही अपने बोबों को दोनों हाथों से सहलाया और दो साइड से ब्लाउज अलग कर दिया।
बाद में उन्होंने अपने कंधे ऊपर करके ब्लाउज उतार फेंका।

अब उनके हाथ पीछे की ओर गए और उन्होंने अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया।

वो ब्रा भी अब उनके हाथों में थी और उनके दूधिया बोबे हवा में लहराने लगे। बोबे भी जैसे हवा में आजाद होकर आजाद महसूस कर रहे हों.. वैसे हिलने लगे।

उनके निप्पल मीडियम साइज के और एकदम काले थे। दोनों बोबों के बीच में कोई जगह नहीं थी और एक-दूसरे से अपनी जगह लेने के लिए जैसे लड़ाई कर रहे थे।

वो नजारा देखने लायक था.. मेरी आँखें वहाँ से नजरें हटाने का नाम नहीं ले रही थीं।
उन्होंने वो देख लिया और बोलीं- क्यों देवर जी अब बराबर है न.. हुई तसल्ली?

मैं बस हैरान होकर देखे ही जा रहा था।

बाकी औरतें उनकी हरकत से हँसने लगीं।

मेरा लण्ड अब मेरे काबू में नहीं था। तभी एक आंटी जो कि करीब 35 साल की थीं, उन्होंने भाभी को कहा- क्यों बेचारे को तड़पा रही हो.. ऐसा देख कर बेचारे के लण्ड से पानी निकल रहा होगा।

उनकी बात भी सही थी, शायद वो ज्यादा अनुभवी जो थीं.. इसीलिए आदमी के हालात समझती थीं।

वैसे मेरी भाभी भी कोई कम अनुभवी नहीं थीं.. लेकिन वो मजा ले रही थीं।

मैं भाभी को बोला- भाभी आप मत तड़पाओ मुझे.. मुझे अभी रहा नहीं जा रहा है।
भाभी बोलीं- क्यों रहा नहीं जा रहा है..? मतलब क्या हो रहा है?

मैं भी बेशर्म होकर बोला- भाभी मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।

वो हँसते हुए बोलीं- सबर करो देवर जी.. उसका इलाज भी मेरे पास है.. देखते हैं कि कैसे नहीं बैठता है आपका वो.. लण्ड।
वो फिर कपड़े धोने लगीं।

मैं फिर उनके और दूसरी औरतों के बोबे देखते हुए फिर से नहाने में ध्यान लगाने लगा।
लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उन सभी के बोबे और जाँघों के बीच में ही अटक जाता था।

कई औरतों का पेटीकोट तो घुटने तक ऊपर होने की वजह से उनकी जाँघें साफ़ दिख रही थीं.. और बोबे घुटने में दबने से इधर-उधर हो रहे थे।

मैं नहाना छोड़कर कहीं पेड़ के पीछे जाकर मुठ मारना चाहता था, मैं भाभी को बोला- भाभी.. मैं अब थक गया हूँ और मुझे भूख भी लगी है.. तो मैं घर जा रहा हूँ।

भाभी बोलीं- अभी से क्यों थक गए तुम और भूख लगी है.. तो तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है.. इधर ही तुम अपनी भूख मिटा लो।
ऐसा बोल कर उन्होंने बाजू वाली को बोला- क्यों री रसीली.. तेरे बोबे में अभी दूध आ रहा है या नहीं?

रसीली ने जवाब दिया- हाँ भाभी, आ रहा है।

भाभी बोलीं- जरा उसका तो पेट भर दे.. अपनी गोदी में लेकर!
यह सुन कर बाकी सब औरतें हँस पड़ीं।

कहानी जारी रहेगी.. कैसा लगा मेरी कहानी पहला भाग.. आप जल्द हमें मेल करो और बताओ।
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