दोस्त की बीवी ने पहल करके चुत चुदाई

(Bhabhi Ki Chudai : Dost Ki Biwi Ne Pahal Karke Chut chudai)

सभी दोस्तो भाभियों और आंटियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार, मैं शेखर शर्मा आपके सामने मेरी एक और सेक्स स्टोरी भाभी की चुदाई की पेश करने जा रहा हूँ.
दोस्तो आप जानते हो कि मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, वहां हमारे पड़ोस में एक लड़का है जो मेरा बहुत ही जिगरी दोस्त है, उसका नाम सुभाष है. सुभाष की शादी फिक्स होने के बाद उसकी शादी का सारा अरेंजमेंट मैंने ही किया क्योंकि सुभाष की फैमिली ओर मेरी फैमिली के रिलेशन बहुत ही अच्छे हैं.

सुभाष की शादी जिस लड़की से फिक्स हुई है, वो सीकर की है और उसका नाम रेणुका है. रेणुका की हाईट 5 फीट 3 इंच है, वो दिखने में बहुत सेक्सी है. उसकी सेक्सी जवानी इतनी कातिलाना है कि उसे देखते ही लंड खड़ा होकर सलामी देने लगे और बिना कुछ किए लंड का पानी निकल आए, उसका चेहरा एकदम गोल भरा हुआ, आँखें झील सी गहरी एकदम नशीली.. रंग एकदम दूधिया, उसको अगर जींस टी-शर्ट पहना दी जाए तो उसके चूचे और कूल्हे बहुत ज़्यादा चमकेंगे. रेणुका का भरापूरा फिगर 36-32-38 का है.

सुभाष की शादी के बाद मैं अपनी जॉब के लिए दिल्ली चला गया, मैं पूरे 11 महीने बाद जयपुर आया क्योंकि मैंने छुट्टी ली हुई थी, मुझे जयपुर में कुछ काम था. जयपुर आकर मैं सुभाष और रेणुका भाभी से मिला, दोनों बहुत ही खुश थे.

मैंने सुभाष से चुपके से पूछा कि सुभाष भाभी के साथ सुहागरात कैसी रही?
उस पर सुभाष ने हंस कर कहा- एकदम मस्त रही.
मैंने पूछा- रोज मस्ती होती होगी?
मेरे दोस्त ने कहा- हां यार… बिन नागा… हर रोज… किसी दिन मेरा मूड ना हो तो रेणुका ही पहल कर देती है.

मैंने कहा- अब भाभी प्रेग्नेंट है क्या?
सुभाष बोला- नहीं यार, ये ही तो झंझट है.
मैंने कहा- क्यों क्या बात है?
सुभाष ने कहा कि यार रेणुका का कहना है कि शादी के 2 साल तक हम बच्चा पैदा नहीं करेंगे.
मैंने कहा- यार, ये तो भाभी जी की फैमिली प्लानिंग होगी.
सुभाष ने कहा- हां वो तो बात सही है लेकिन यार मैं चाहता हूँ कि एक साल के अन्दर हम कम से कम एक बच्चा पैदा कर ही डालें, क्योंकि यार बिना बच्चों की लाइफ में कुछ नहीं है.

मैंने उसे समझाया कि सुभाष देख रेणुका भाभी की खुशी जिसमें है, तू उसमें खुश रह, क्योंकि अगर तू उनकी बात नहीं मानेगा तो रेणुका भाभी और तेरे बीच फालतू का झगड़ा होगा.
मेरी बात सुभाष के समझ में आ गई और उसने कहा- ठीक है यार.. शेखर मैं रेणुका की खुशी में ही खुश हूँ.

इसके बाद भाभी हमारे लिए नाश्ता और चाय ले आईं और बोलीं- भाई साहब आप कहां रहते हो.. शादी के पूरे 11 महीने के बाद बाद आप हमको आज मिल रहे हो.
मैंने कहा- हाँ भाभी.. वो ऑफिस में काम ज़्यादा रहता है.. सो यहां आने का टाइम नहीं मिल पाता.

कुछ देर बाद सुभाष उठा और ना जाने कैसे उसका पैर फिसल गया, जिससे वो गिर गया, भाभी उसे संभालते हुए एकदम से घबरा गईं और रोने लगीं.
मैंने उनको समझाया- भाभी चिंता मत करो कुछ नहीं होगा.

मैंने चैक किया तो पता चला कि सुभाष की टांग की हड्डी ही टूट गई है. मैंने उसे गोदी में उठा कर उसके बेडरूम में लेटाया, भाभी का रो रो कर बुरा हाल होने लगा.
रोते रोते भाभी ने ध्यान ही नहीं दिया कि उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ है.
मैंने भाभी को बोला कि भाभी अपना पल्लू ठीक कर लो.
भाभी ने मेरी तरफ देख कर एक स्माइल दी और पल्लू ठीक कर लिया.

डॉक्टर ने सुभाष की टांग पर प्लास्टर बाँध दिया. अब सुभाष की हालत ऐसी थी कि उसको सिर्फ़ बेड पर ही लेटा रहना पड़ रहा था.
सुभाष ने कहा- यार शेखर तू ऐसा कर कुछ दिन की छुट्टी और ले ले.. क्योंकि रेणुका यहां अभी सब कुछ नहीं जानती है.. और तू उसकी कुछ दिनों के लिए प्लीज़ हेल्प कर देना.
मैं मान गया और मैंने ऑफिस से 15 दिन की छुट्टी ले ली.

इसके तीसरे दिन भाभी बोलीं- भाई साहब, मुझे मार्केट लेकर चलो, मुझे कुछ खरीद कर लाना है.
मैंने पूछा- क्या खरीद कर लाना है भाभी मैं ले आता हूँ.
उन्होंने कहा- आप चलो जल्दी मार्केट ले चलो.
मैं भाभी को लेकर मार्केट चला गया. भाभी ने मुझसे कार एक लेडीजवियर वाले की दुकान पर रुकवाई और खुद अन्दर चली गईं. पूरे एक घंटे बाद भाभी बाहर आईं और बोलीं- अब चलो भाई साहब.

भाभी जैसे ही दरवाजा खोल कर कार में बैठीं.. उनका बैग दरवाजे में अटक गया और खुल गया, जिससे सारा सामान बाहर बिखर गया. मैं जब सामान उठा रहा था, तो मैंने देखा उसमें 5 अलग अलग कलर की पेंटी और सेम कलर की 5 ब्रा थीं. मैंने उनको उठाया और भाभी को दे दिया. भाभी मेरी तरफ देख कर हंसने लगीं और उनका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया.

मैंने बोला- भाभी, सामान देख लो पूरा है ना.
वो बोलीं- हां भाई साहब, पूरा है, आप घर चलो.

दोस्तो तभी अचानक मौसम बिगड़ गया और बारिश शुरू हो गई, बारिश शुरू होने के बाद रास्ते में इतना पानी भर गया कि कार लेकर जाना नामुमकिन था.

हम कार में बैठे हुए बारिश रुकने का इंतज़ार करने लगे, इतने हम एक दूसरे से इधर उधर की बातें करने लगे.
भाभी बोलीं- भाई साहब, आपकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने बोला- भाभी मेरी शादी फिक्स हो चुकी है.. बस अब देखते हैं कि शादी की डेट कब फिक्स होती है.

उन्होंने बोला- भाई साहब.. आप अपनी होने वाली वाइफ से मिलने जाते हो या नहीं?
मैंने कहा- उससे फ़ोन पर बात कर लेता हूँ और महीने के लास्ट हफ्ते में उससे मिलने जाता हूँ.
भाभी इतराते हुए बोलीं- अच्छा जी सिर्फ़ मिलने जाते हो या और कुछ और भी करते हो?
मैं शरमाते हुए बोला- भाभी मिलने भी जाता हूँ और भी बहुत कुछ करता हूँ.

इस बात पर भाभी ज़ोर देकर पूछने लगीं और बोलीं- अच्छा जी क्या क्या करते हो?
मैंने बोला- भाभी आपको पता नहीं है क्या कि क्या क्या करते हैं?
तो भाभी बोलीं- जी नहीं मुझे नहीं पता.
मैंने बिना शरमाते हुए बोला- भाभी जी.. हम दोनों महीने के आखिरी हफ्ते में एक दूसरे के साथ खूब मस्ती करते हैं.
भाभी बोलीं- अच्छा जी.. कैसी मस्ती करते हो जरा खुल कर बताओ ना.

मैं बोला- भाभी आप भी ना समझ कर भी समझ नहीं रही हो.
भाभी बोलीं- आप मुझे जरा खुल कर समझाओ भाईसाहब.
मैंने बोला- भाभी हम दोनों खूब सेक्स करते हैं.
इस बात को सुन कर भाभी शरारत भरी हंसी हंसने लगीं और बोलीं- नटखट भाई साहब, बारिश बंद हो चुकी है.. घर चलो.

मैं हंसते हुए भाभी को घर ले आया. घर आने के बाद भाभी मुस्कुराते हुए मुझसे बैठने का कह कर अपने रूम में चली गईं और थोड़ी देर बाद बाहर आकर बोलीं- शेखर भाई साहब हम दोनों को दुबारा मार्केट में उसी दुकान पर जाना पड़ेगा.
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
भाभी जी बोलीं- मैंने जो गारमेंट्स लिए हैं उसमें एक पीस छोटे साइज़ का निकल आया है, उसे चेंज करना है.
मैंने भी शरारत भरी हंसी देते हुए पूछा- क्या चीज़ छोटी निकल आई भाभी?
वो इठला कर बोलीं- देवर जी, पेंटी छोटी निकल आई.. वो चेंज करनी है.
मैंने कहा- क्या और सभी साइज़ में ठीक हैं?
वो बोलीं- हां जी..

मैं उनको लेकर दोबारा उसी दुकान पर गया. अबकी बार भाभी मुझे भी अन्दर ले गईं और उन्होंने मेरे सामने अपनी पेंटी चेंज करवाई.

चेंज करने के लिए जब सामने पेंटी आईं तो भाभी बोलीं- कौन सा कलर लूँ शेखर?
ये सुन कर मैं थोड़ा घबरा गया और हिचकिचाते हुए मैंने बोला- भाभी कोई भी कलर ले लो.. पहननी आपको है.
इस पर भाभी बोलीं- शेखर अपनी वाइफ को भी ये ही जवाब देते या कलर पसन्द करके देते.

इस पर मैंने भाभी को नेट वाली ब्लू कलर वाली पेंटी पसंद करके दे दी.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि हो ना हो भाभी का मन कुछ ना कुछ करने का सोच रहा है. रोज सेक्स करने वाली भाभी रेणुका चार दिन से बिना चुदे रह रही हैं.

मैंने मस्ती मस्ती में भाभी से बोला- भाभी आप हमेशा नेट वाली पेंटी ही पहनती हो क्या?
उन्होंने बोला- जी नहीं, आज आपकी पसंद से पहली बार पहनूंगी.
इस पर मैंने भाभी को बोला- अगर ऐसी ही बात है तो भाभी सेम कलर की नेट वाली ब्रा भी पहन कर देखो.

भाभी ने तुरंत वैसी ही ब्रा भी ले ली. अब हम घर चल दिए और भाभी को मैंने कहा- भाभी अब इनको पहन कर नहीं दिखाओगी क्या मुझे?
भाभी बोलीं- शेखर तुम बहुत नटखट हो..
मैंने कहा- भाभी अगर मेरी वाइफ को मैं ये सब पसंद करके दिलवाता तो मैं उसे भी पहन कर दिखाने को कहता.
इस पर भाभी बोलीं- ओके ओके शेखर तुम ऊपर वाले रूम में जाओ, मैं अभी आती हूँ.

मैं ऊपर वाले कमरे में चला गया और करीब आधे घंटे बाद भाभी वहां आईं. उन्हें देखते ही मेरे होश उड़ गए, भाभी नेट की ब्लू कलर की साड़ी विद ब्लू ब्लाउज में थीं. इसमें उनका फिगर ऐसा चमक रहा था मानो बिजली कड़क रही हों.

मैंने कहा- भाभी क्या बात है मुझे मारने का इरादा है क्या.. जो ऐसे बिजली गिरा रही हो.
भाभी इठलाने लगीं.
मैंने कहा- भाभी मैंने तो बोला था ब्रा पेंटी पहन कर दिखाओ, उसका क्या रहा?
तब भाभी बोलीं- मैंने वो ब्रा पेंटी पहनी हुई है.. तुम खुद देख लो.
इस पर मैंने कहा- भाभी सुभाष को पता चल गया तो दिक्कत हो जाएगी.
भाभी बोलीं- पहले तो मुझे इस वक्त भाभी बोलना बंद करो.. सिर्फ रेणुका बोलो.. और रही बात सुभाष की, तो उसको मैंने दवा दे दी है, उसे नींद आ गई है, वो सो गया है.

ये सुनने के बाद मैंने तुरंत दरवाजा बंद किया और रेणुका भाभी का हाथ खींच कर अपनी जाँघ पर बैठा लिया. इसके बाद रेणुका भाभी की कमर में हाथ डाल कर उनके होंठों को किस करने लगा.

भाभी भी भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठों को किस कर रही थीं. मैंने अपने हाथ उनकी कमर से घुमाते हुए उनकी चिकनी पीठ को मसलने लगा और उनके गले पर किस करने लगा.

रेणुका भाभी ‘आअहह आहह..’ करने लगीं. मैंने भाभी को गोदी में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और भाभी पर लेट कर उनके मम्मों को मसलने लगा. साथ ही मैं भाभी के पेट पर होंठ फिराता हुआ उनकी नाभि को चूमने लगा.

भाभी के मुँह से लगातार आअहह आआहह.. की आवाज़ें निकल रही थीं.

मैंने अचानक साड़ी के ऊपर से ही भाभी की चुत पर हाथ रख दिया. चूत पर हाथ महसूस करते ही रेणुका भाभी को ना जाने क्या हुआ कि वो मुझसे तेज़ी से चिपक गईं. मैंने देखा भाभी की चुत की तरफ से साड़ी भी हल्की सी गीली हो गई थी. शायद भाभी झड़ गई थीं. मैंने रेणुका भाभी को सीधा खड़ा किया और उनकी साड़ी को उतार दिया.

अब मैं खड़े खड़े भाभी की नाभि को चूमने लगा. चूमते हुए पेटीकोट के ऊपर से ही मैं रेणुका भाभी की चुत को चूमने लगा. भाभी की चुत को चूमते चूमते चुत के अन्दर पेटीकोट में घुस गया.
साथ ही साथ अपने हाथों से रेणुका भाभी के कूल्हों को भी मैं मसल रहा था.
क्या नरम नरम कूल्हे थे रेणुका भाभी के..

अब भाभी को सीधा खड़ा करके मैं उनके पीछे चला गया और गर्दन को चूमते हुए उनकी चुत को पेटीकोट के ऊपर से ही सहलाने लगा.

थोड़ी देर में मैंने भाभी के ब्लाउज को खोल दिया और मैंने देखा कि ब्लू कलर की नेट वाली ब्रा में उनके मोटे मोटे चूचे क्या मस्त सेक्सी लग रहे थे. भाभी के मस्त रसीले मम्मों को देखते ही मैं ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को चाटने चूमने लगा. मेरा लंड तन कर तंबू होने लगा और पेटीकोट के ऊपर से ही रेणुका भाभी को मेरा लंड अपनी चुत की तरफ चुभता हुआ सा फील होने लगा.

भाभी ने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया, लंड पकड़ते ही मेरे अन्दर का जोश दुगना हो गया और मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगा हो गया. रेणुका भाभी मेरे लंड को देख खुश हो गईं. मैंने भाभी को बिस्तर में उल्टा गिरा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. मैं भाभी की कमर और पीठ को चूमते हुए मैंने अपने मुँह से ही उनकी ब्रा के हुक़ खोल दिए. ब्रा खुली तो दोनों दूध उछलते हुए हवा में लहराने लगे. मैं रेणुका भाभी को सीधा करके उनके मोटे मोटे मम्मों से दूध पीने लगा.

रेणुका भाभी ने सिसियाते हुए कहा- ओह्ह.. शेखर अब कंट्रोल नहीं हो रहा है.. प्लीज़ कुछ करो.
मैंने भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खोला और उसे खींच कर उतार दिया.

मैंने भाभी की चुत को पेंटी के ऊपर से ही चूमना शुरू कर दिया. जोश ही जोश में मैंने पेंटी को चुत के ऊपर से फाड़ कर हटा दिया. चूत नंगी होते ही रेणुका भाभी उठ खड़ी हुईं और अलमारी की तरफ चल दीं. भाभी ने अलमारी में से कॉंडम निकाला और मेरे लंड को हाथ में लेकर पहले उसे किस किया और वो कॉंडम मेरे लंड पर चढ़ा कर मेरे ऊपर चढ़ गईं.
मैंने बोला- रेणुका यार ये क्यों लगा दिया?
भाभी बोलीं- शेखर, मैं अभी प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती हूँ.

ये सुन कर मैंने भाभी को उठा कर अपने लंड के नीचे लिया और उनकी टांगें चौड़ा कर अपने लंड को उनकी चुत के अन्दर पेल दिया.
लंड अन्दर घुसते ही रेणुका भाभी चीखती हुई मुझसे चिपक गईं और उनकी आँखों से आँसू आने लगे.
भाभी बोलीं- शेखर आराम से करो.. बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने भाभी की एक भी ना सुनते हुए उनकी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

भाभी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करती हुई चुद रही थीं. चुदाई करते टाइम मैंने कभी भाभी को कभी लिप किस किया, कभी उनके मम्मों को चूसा.. इसी तरह करीब 20 मिनट तक की धकापेल चुदाई में रेणुका भाभी 2 बार झड़ गईं.
मैं भी झड़ने लगा और उनकी चुत में अपना लंड डाले हुए ही उन पर निढाल सा होकर लेट गया.

मैंने कहा- रेणुका डार्लिंग, मजा आ गया तुम्हारे साथ.
रेणुका बोलीं- शेखर, मुझे भी बहुत मजा आया.
मैंने बोला- रेणुका तुम्हारा साइज़ क्या है?
रेणुका भाभी ने बोला- तुम ही नाप कर देख लो.. खाते पीते घर की हूँ, पूरा 36-32-38 का है.

फिर भाभी और मैं बिस्तर से उठे. रेणुका भाभी को चलने में थोड़ी प्राब्लम हो रही थी, सो मैंने अपने कंधे के सहारे से भाभी को वॉशरूम लेकर गया. वहां पर भाभी ने मेरे लंड से कॉंडम हटाया और टॉयलेट में फ्लश कर दिया. इसके बाद हम साथ साथ नहाने लगे.
मैंने भाभी को खूब मल मल कर नहलाया और भाभी ने मुझे रगड़ा. मैंने भाभी की चुत को अच्छे से साफ किया और उन्होंने मेरे लंड को हिला हिला कर साफ़ किया, जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

लेकिन रेणुका भाभी ने बाथरूम में चुदने से मना कर दिया. उन्होंने बोला कि अब कॉंडम नहीं है, सो प्लीज़ बिना सेफ्टी के नहीं चुदूँगी.
मैंने भाभी को हर जगह चूमा और रेणुका भाभी ने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसा, फिर मेरे लंड को अपने दोनों मम्मों के बीच में लेकर लंड को चुदाई जैसा मजा दिया. इससे मैं दुबारा झड़ गया.
मैंने भी भाभी के चूतड़ खूब मसले, चूचे निचोड़ दिए. फिर नहा धो कर हम बाहर आ गए. रेणुका भाभी को कपड़े पहनने में मैंने उसकी हेल्प की.

दोस्तो 15 दिनों तक मैंने उसे कम से कम 26 बार ऐसे ही चोदा. उसके बाद मैं वापिस दिल्ली चला गया और भाभी की चुदाई का सिलसिला जारी रहा.
मैं जब भी यहां आता, रेणुका भाभी की चुदाई किए बिना नहीं जाता था.

दोस्तो आपको मेरी भाभी की चुदाई की सेक्स स्टोरी कैसी लगी. मुझे अपने विचार मेल कीजिएगा.
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