चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-1

(Choot mein Lund Bhabhi Ki Bhabhi Ki Chudai Karke- Part 1)

चूत में लंड घुसाने का मौक़ा वो भी बिना किसी चाहत के… मैं भाभी के मायके गया तो अचानक उनकी भाभी की चूत में लंड डालने का मौक़ा मिल गया. इस तरह से बिना किसी कोशिश के चूत मिल जाए तो मजा ही आ जाता है. ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम महेश कुमार है, मैं सरकारी नौकरी करता हूँ। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा।

मेरी पहले की कहानियों में आपने मेरे बारे में जान ही लिया होगा।
मेरी पिछली कहानी में आपने मेरे व सुमन के बारे में पढ़ा, यह उसी समय का एक वाकिया है… उम्मीद है कि यह भी आपको पसन्द आयेगा।

सुमन के साथ मेरे अच्छे से सम्बन्ध चल ‌रहे थे. इसी दौरान मेरी पायल भाभी के मायके में उनके पड़ोसी की लड़की की शादी थी। मेरी भाभी के घर वालों के साथ उनके अच्छे सम्बन्ध थे इसलिये उन्होंने हमारे यहाँ भी शादी का निमन्त्रण भिजवाया था, और वैसे भी जिस लड़की की शादी थी वो मेरी भाभी की काफी अच्छी सहेली है।

जैसा आपने अभी तक मेरे व मेरे परीवार के बारे में पढ़ा, मेरी मम्मी की तबियत खराब रहती है इसलिये मेरी भाभी अपने मायके में बहुत ही कम जाती थी और जाती भी तो बस एक या दो दिन के लिये ही जाती थी ताकि हमें घर के काम की‌ दिक्कत ना हो।
अब घर पर काम करने के लिये सुमन है, यह सोच कर मेरी भाभी उस शादी में जाना चाह रही थी और इसके लिये मेरे मम्मी पापा ने भी हामी भर दी थी।

अब समस्या यह थी कि भाभी के साथ कौन जायेगा, पहले जब मेरे भैया घर पर होते तो वो उनके साथ चले जाते थे मगर मगर आपको तो पता ही है मेरे भैया आर्मी में है और उनको छुट्टी समय से ही मिलती है‌ इसलिये भाभी के साथ जाने के लिये मेरे सिवाय और कोई‌ था भी नहीं।

वैसे सुमन को छोड़कर मेरा जाने का दिल तो नहीं कर रहा था मगर मैं भाभी को मना भी नहीं कर सकता था, ऊपर से मेरे पापा ने भी मुझे भाभी के साथ जाने के लिये बोल दिया था।
खैर दो दिन की ही बात थी, इसलिये मैं भाभी के साथ जाने के लिये तैयार हो गया और शादी से एक दिन पहले हम भाभी के मायके पहुँच गये।

हमारे घर जाते ही भाभी के घर वाले खुश हो गये, मेरी भाभी के घर में बस उनके मम्मी पापा, भैया भाभी और उनका एक लड़का ही है, जो उस समय बस तीन साल का ही था।
मेरी भाभी के भैया भी आर्मी में ही नौकरी‌ करते हैं, उनको छुट्टी नहीं मिली थी इसलिये वो शादी में नहीं आये थे।

इससे पहले भी दो तीन बार मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके मायके में गया था इसलिये भाभी के घर वाले मुझे जानते थे। मैंने उनका अभीवादन किया और फिर ड्राईंगरूम में जाकर बैठ गया।

मेरी भाभी बहुत ही कम अपने मायके में जाती थी इसलिये हमारे घर पहुँचते ही अड़ोस पड़ोस की काफी सारी औरतें व लड़कियाँ मेरी भाभी से मिलने के लिये आने लगी।
मेरी भाभी‌ से जो औरतें व लड़कियाँ मिलकर जा रही थी‌, उनमें से कुछ मुझे भी देखकर जा रही थी.

तभी मैंने गौर किया की एक दो लड़कियों ने मुझे देखकर ऐसा तँज सा कसा जैसे उन्हें मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों का पता हो। मैंने भी अब सोचा कि हो सकता है मेरी भाभी ने अपनी खास सहेलियों को हमारे सम्बन्धों के बारे में बता दिया हो।

खैर इसके बाद मेरी भाभी तो अपनी सहेलियों व शादी के की रौनक में मशगूल हो गई और मैं ड्राईंगरूम में ही बैठा रहा।
मेरी भाभी व उनके घर वालों को छोड़कर बाकी किसी को मैं जानता भी नहीं था इसलिये दिन भर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठे टी वी देखता रहा. मगर ऐसा नहीं था कि मुझ पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, ड्राईंगरूम में ही चाय नाश्ते से लेकर खाने पीने तक का मेरा भी पूरा ख्याल रखा गया।
मेरी भाभी के घर वालों ने मेरी खातिरदारी में कोई कसर नहीं रखी और बीच बीच में मेरी भाभी की सहेलियाँ व संगीता भाभी (मेरी भाभी की भाभी) मुझसे हंसी मजाक भी करके चली‌ जाती थी।

रात को मेरे सोने का प्रबंध ऊपर छत पर एक कमरे में कर दिया गया।

आपने शायद मेरी भाभी की कहानी में मेरी भाभी के घर व घर वालों के बारे में पढ़ा होगा. खैर फिर भी मैं आपको बता देता हूँ कि मेरी भाभी का घर दो मंजिल का है, नीचे एक कमरा, ड्राइंगरूम, रसोई और लैटरीन बाथरूम है, ऊपर दो कमरे और उनके बीच में सांझा लैटरीन-बाथरूम है।
नीचे के कमरे में मेरी भाभी के मम्मी-पापा रहते हैं और ऊपर का एक कमरा उनके भैया-भाभी का है और दूसरा शादी से पहले मेरी भाभी का था मगर अब वो खाली‌ ही रहता है।

मेरे सोने का प्रबंध मेरी भाभी का जो खाली कमरा थ उसी में किया गया था। मैं भी कमरे में जाते ही सो गया और सुबह देर तक सोता रहा।

अगले दिन तैयार होने के बाद मैं जिनके यहाँ शादी थी उनके घर चला गया, उस रात को शादी होने वाली थी और शादी वाले दिन आपको तो पता ही है, दिन भर शादी में आने वाले मेहमानों का‌ ताँता लगा ही रहता है, साथ ही उनके खाने पीने का व नाच गाने का कार्यक्रम भी चलता रहता है।
मैं भी दिन भर वो सब देखता रहा और शादी में आने वाली सुन्दर सुन्दर लड़कियों व औरतों को ताड़ता रहा है।

दिन‌ में तो मेरी पायल भाभी मुझे एक बार भी दिखाई नहीं दी थी मगर रात को जब वो शादी में सज-सँवर कर आई तो मैं उन्हें देखता ही रह गया, वैसे तो‌ शादी में आने वाले हर एक महेमान‌ सजे सँवरे रहते हैं मगर मेरी भाभी सज सँवरने के बाद कुछ ज्यादा की खूबसूरत लग रही थी।
इससे पहले मैंने उनको खुद उनकी ‌ही शादी में इतना सजे सँवरे देखा था।

अपनी पायल भाभी की‌ खूबसूरती देखकर मेरा खुद पर अब काबू नहीं हो रहा था‌ और मैं उनको ‌ही ‌घूर घूर कर देखे जा रहा था। तभी पायल‌ भाभी की‌ नजर मुझ पर पड़ी और हम ‌दोनों की‌ नजर मिल गई… भाभी को‌ इस तरह से सजे सँवरे देखकर मेरा शैतानी दिमाग अब कहाँ चैन से बैठने वाला था, अब तो इस चूत में लंड घुसाने की प्रबल इच्छा होने लगी थी। मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें एक ‌तरफ आने का‌ इशारा सा कर दिया.

पता नहीं मेरी भाभी ने मेरा इशारा देखा भी या‌ नहीं… मगर हाँ, मेरे इशारा करते ही पायल भाभी सभी‌ औरतों के बीच से निकल कर एक तरफ आ गई और फिर शादी वाले घर से बाहर चली गई।

मैं भी अब उनके पीछे पीछे हो लिया मगर घर से बाहर आने पर मुझे पायल भाभी कहीं भी दिखाई नहीं दी। मैंने सोचा कि शायद पायल‌ भाभी अपने घर पर गई‌ होगी‌ इसलिये मैं अब उनके घर पर ‌आ गया मगर घर पर भी मुझे वो कहीं दिखाई ‌नहीं दी.

तभी मुझे ऊपर के दोनों कमरों का दरवाजा खुला दिखाई दिया और उनकी लाईट भी जल रही थी, मैंने सोचा शायद भाभी ऊपर होंगी.

मेरे लिये यह तो और भी अच्छा हो गया था क्योंकि ऊपर मैं जिस कमरे में कल सोया था, वो खाली ही था, इससे अच्छा मौका मुझे मिल भी नहीं सकता था. मैंने अपने दिल में ही सोचा और ऊपर छत पर आ गया.
ऊपर छत पर आकर मैंने उस कमरे में देखा जहाँ मैं पिछली‌ रात को सोया था मगर उस कमरे में कुछ बच्चे व एक बूढ़ी सी औरत सो रही थी।

पायल भाभी को‌ देखने के लिये मैं अब दूसरे कमरे में चला गया, मगर वहाँ जाकर देखा तो कमरे में संगीता भाभी सोई हुई थी। मुझे देखते ही वो उठकर बैठ गई और मुझे टोकते हुए पूछ लिया- क्या हुआ, किसे देख रहे हो?
संगीता भाभी के सवाल से मैं हड़बड़ा सा गया, मुझे लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी‌ गई ‌हो और हकलाते हुए ‘क… कुछ नहीं..’ बोला’

‘खाना खा लिया?’ संगीता‌ भाभी ने फिर से पूछ‌ लिया।
‘ह… हाँ खा लिया!’ घबराहट में मैंने हकलाते हुए ऐसे ही झूठ बोल‌ दिया।

तभी मुझे बहाना सुझ गया… मुझे यह तो पता ही था कि जिस कमरे में मैं कल सोया था, वो‌ अब‌ खाली ‌नहीं है इसलिये मैंने सोने के लिये जगह ना होने का बहाना बना‌ लिया और उन्हें बताया कि मैंने खाना खा लिया है और मुझे अब सोना है इसलिये पायल भाभी‌ को ढूँढ रहा हूँ.

‘क्यों पायल के बिना आपको नींद नहीं आती क्या?’ उन्होंने हंसते हुए कहा।

उनकी बात सुनकर एक बार तो मैं झेंप सा गया और सोचने लगा कि कहीं इनको भी तो मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में नहीं पता?
मगर फिर जल्दी‌ ही मैंने अपने आपको सम्भाल लिया और हिचकिचाते… ‘न. नहीं.. नहीं, मैं तो वो बस सोने के लिये…’ मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कही थी की..
‘हाँ हाँ घर जाकर अपनी पायल भाभी के साथ ही सो जाना…पर कभी हमारे साथ भी सो जाओ!’
उन्होंने फिर से मुझे छेड़ते हुए कहा और हंसने लगी।

‘भाभी.. संगीता भाभी… बारात आने वाली है, आपको चाची बुला रही‌ है…’ तभी नीचे से किसी की आवाज सुनाई दी।
संगीता भाभी जाने के लिये अब उठकर खड़ी हो गई और सामान्य होकर मुझे बताया कि वो बस बच्चे को सुलाने के लिये यहाँ आई थी और अब जा रही है, उस कमरे में मेहमानों के बच्चे सो गये हैं इसलिये मैं इसी कमरे में सो जाँऊ…’
इतना कहकर संगीता भाभी कमरे से बाहर चली गई।

संगीता भाभी के चले जाने के बाद मैं बैड पर बैठ गया और सोचने लगा कि अब क्या किया जाये… मैंने झूठ में संगीता भाभी को बोल तो दिया कि मैंने खाना खा लिया है और अब सोने के लिये आया हूँ, जबकि मैंने खाना नहीं खाया था।
मुझे अब अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं अब अपने ही बनाये बहाने में फँस गया था… मुझे इतनी भूख नहीं थी इसलिये मुझे खाने की तो नहीं पड़ी थी मगर मैंने अपनी‌ पायल भाभी‌ के लिये जो‌ अरमान बनाये थे वो सारे अब धरे के धरे रह गये थे।

खैर, अब कर भी क्या सकता था इसलिये अपना मन‌ मसोस कर मैं उसी कमरे में संगीता भाभी के बच्चे के पास सो गया।
दिन भर बैठे बैठे मैं थक गया था इसलिये बिस्तर पर जाते ही मुझे नींद भी आ गई।

मैं दो तीन घण्टे ही सोया था कि तभी‌‌ मुझे अपने पैरों पर कुछ भारी भारी सा महसूस हुआ… मैं पूरी तरह से तो नहीं जागा था मगर फिर भी नींद में ही मैंने अपने हाथ से टटोल‌कर देखा तो मुझे एक करेंट का झटका सा लगा.. और मेरी‌ नींद खुल गई।
क्योंकि मेरा हाथ किसी की बिल्कुल ही चिकनी‌ व नर्म मुलायम नँगी‌ जाँघ को छू गया था जो मेरे पैरों पर रखी हुई थी। मैंने अब आँखें खोल कर देखा तो कमरे में घुप्प अन्धेरा था।
मैं जब सोया था उस समय कमरे की लाईट जल रही थी और मैंने दरवाजा भी खुला ही छोड़ दिया था मगर अब लाईट बन्द थी और दरवाजा भी शायद अन्दर से बन्द किया हुआ था।

कमरे में बिल्कुल घुप्प ‌अन्धेरा था मगर फिर भी ध्यान ‌से देखने पर मैं पहचान गया कि मेरी बगल संगीता भाभी सो रही है। उनकी‌ साड़ी व पेटीकोट घुटनों‌ से ऊपर थे, उन्होंने अपना मुँह मेरी तरफ ही कर रखा था इसलिये उनका पैर मेरे पैरों पर आ गया था।
पता नहीं संगीता भाभी कब मेरे पास आकर सो गई थी।

अभी‌ तक मुझे जोर से नींद आ रही थी मगर अब मेरी नींद कोसों दूर भाग गई थी… मेरा दिल‌ अब जोर से धड़कने लगा था और मेरे दिमाग में रह रह कर सवालों का भूचाल सा उठ ‌रहा था… मैं सोच रहा था कि कहीं संगीता भाभी के ‘कभी हमारे साथ भी सो जाओ’ का मतलब यही तो नहीं था?
मगर फिर दूसरा ख्याल आ गया कि ‘हो सकता है उनको‌‌ सोने के लिये जगह ना मिल रही हो इसलिये मेरे पास सो गई हों?’
और यह भी हो सकता है कि उनका बच्चा जाग गया होगा और वो अपने बच्चे को सुलाने के लिए मेरे पास ऐसे ही लेट गई हों और उनको नींद आ गई हो?
ऐसे ही पता नहीं मैं क्या क्या सोच रहा था।

चूत में लंड की यह हिंदी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

संगीता भाभी की उम्र लगभग 26-27 साल ही होगी, वो नयन नक्श से तो सुन्दर थी‌ ही… ऊपर‌ से उनके बदन का कटाव भी काफी आकर्षक था। इससे पहले मेरे मन में संगीता भाभी के बारे में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी मगर संगीता भाभी को ऐसे बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मच गई थी।
मेरा दिल‌ कर रहा था कि संगीता ‌भाभी के ऊपर चढ़ जाऊँ और अभी के अभी उन्हें पेल दूँ… क्योंकि उनकी वजह से ही मैं भाभी के साथ मजे लेने की बजाय सोने के लिये मजबूर हो गया था।

मैं सोच रहा था ‘चलो मेरी पायल भाभी नहीं मिली तो अब संगीता भाभी को ही पकड़ लेता हूँ…’
मगर मैं रिश्तेदारी में आया हुआ था, यहाँ पर कोई गलत बात हो गई और मेरी शिकायत हो गई तो बहुत ज्यादा दिक्कत हो जानी थी, इसलिये किसी तरह इन सब बातों से अपना ध्यान हटाकर मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगा.

मैं काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा मगर मेरे लाख कोशिश करने पर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरे दिमाग में अभी‌ तक‌ संगीता भाभी की ‘कभी हमारे साथ भी सो जाओ’ वाली बात ही घूम‌ रही थी और मेरा ध्यान बार बार उनकी नँगी जाँघ पर ही जा रहा था जो अभी तक मेरे पैरों पर ही रखी हुई थी, जिसकी वजह से मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था, भाभी की चूत में लंड जाने की जिद कर रहा था.

संगीता भाभी निश्चिंत भाव से सो रही थी मगर मेरा दिल अब भी रेल के इंजन की‌ तरह धक धक कर रहा था।
मैंने भी अब सोचा कि एक बार हाथ फिरा कर तो देख ही लेता हूँ और वैसे भी एक बार कोशिश करने में क्या जाता है अगर संगीता भाभी कुछ कहेगी भी तो नींद का बहाना करके उनसे माफी माँग लूँगा…

मुझे डर तो लग रहा था मगर फिर भी मैं खिसक कर संगीता भाभी के नजदीक हो गया और उनकी‌ तरफ करवट करके धीरे से अपना एक हाथ उठा कर उनके पैर पर रख दिया, जो मेरे पैरों पर रखा हुआ था… मेरा हाथ उनके नँगे घुटने पर पड़ा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरे हाथ का स्पर्श पाते‌ ही संगीता भाभी एक बार तो थोड़ा सा हिली जिससे डर के मारे मैंने भी अपना हाथ वापस खींच लिया और स्थिर सा हो गया मगर फिर संगीता भाभी शाँत हो गई।
मुझे लगा कि अब इस चूत में लंड घुसाने की कामना शायद पूरी ना हो पाए!

कहानी जारी रहेगी.
[email protected]

चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-2

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top