चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा -6

(Chacheri Bhabhi Ka Khubsurat Bhosda- Part 6)

This story is part of a series:

सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार।

मेरी कहानी चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा को आप सभी पाठकों ने खूब सराहा और अन्तर्वासना के सभी पाठकों को जिन्होंने मुझे मेल किए और मेरा उत्साह बढ़ाया.. इसलिए उन सभी शुक्रिया।

मुझे ढेर सारे मेल आने के बाद आप लोगों की बेसब्री का अहसास हुआ और वक्त न होते हुए भी बहुत जल्द भाभी की आगे की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ।

तो दोस्तो, भाभी की उस दिन की चुदाई के बाद 2-3 महीने तक तो कभी ठीक से चुदाई का मौका ही नहीं मिला.. क्योंकि हमारा 2 कमरे का फ्लैट था और मेरा और भैया का ऑफिस का टाइम भी एक ही था.. तो हम दोनों ही सुबह 8 बजे निकल जाते और रात को 7 बजे वापस आते थे।
भैया भी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर थे और उनके बाहर जाने का काम अधिक नहीं होता था।
हमारा गाँव भी ज्यादा दूर नहीं था.. तो कभी सुबह जाते.. तो शाम को वापस आ जाते।
हमारी छुट्टी भी एक ही दिन होती थी.. तो वो भी सेटिंग नहीं हो पाती थी।

रात को भी मैं और दीपू (मेरी भतीजी) एक ही कमरे में सोते और भैया और भाभी दूसरे कमरे में सोते थे।

लेकिन उस दिन की चुदाई के बाद मैं हर वक्त मौके की ताक में रहता था। कभी-कभी सुबह में भैया जब बाथरूम में होते और दीपू सो रही होती थी.. तो हम दोनों चुम्मा-चाटी और ‘बूब प्रेस’ जैसा आनन्द ले लेते थे.. लेकिन कभी चुदाई का मौका नहीं मिलता था।
उस दिन के बाद भाभी का प्यार मेरे लिए बढ़ गया था जोकि खाने से लेकर मेरे कपड़ों को प्रेस करने में दिखता था।

दोस्तो, मेरा यह मानना है कि औरत प्यार के लिए सेक्स करती है और मर्द सेक्स के लिए प्यार.. अगर कोई औरत मर्द को सेक्स में खुश रख सके.. तो मर्द उनके लिए कुछ भी करेगा और अगर आप औरत के साथ प्यार से पेश आओगे.. तो वो आपके लिए कुछ भी करेगी।

दोस्तो, ऐसे ही गर्मियों के दिन थे.. तो रात में मैं फ्रिज से पानी पीने के लिए रसोई में गया.. तभी भाभी भी पानी पीने के लिए उठी थीं.. उस वक्त रात के करीब 2 बजे होंगे।

मेरी तो जैसे किस्मत खुल गई, मैंने भाभी को पीछे पकड़ लिया और उनके गले को चूमने लगा.. वो अभी भी पानी पी ही रही थीं.. कि मेरे इस अचानक हमले से वो चौक गईं लेकिन मुझे देखकर वो खुश हो गईं और घूमकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगीं।

मैं भी उनको जोर से भींच कर चूमने लगा.. कभी मेरी जीभ उनके मुँह में.. तो कभी उनकी मेरे मुँह में..

इस दौरान में दोनों हाथों से उनके चूतड़ सहलाने लगा..
क्या बताऊँ दोस्तों.. क्या मस्त चूतड़ हैं मेरी भाभी के.. मस्त गोल और थोड़े नर्म.. थोड़े सख्त..

मैंने थोड़ी देर तक ऐसे ही चूमने के बाद पीछे से उनके गाउन को ऊपर करके उनकी पैन्टी में हाथ डाल दिया और उनके चूतड़ सहलाने लगा.. एकदम मुलायम और मस्त चूतड़ थे.. मैं कभी दबाता.. तो कभी उनकी गाण्ड की दरार में उंगली फिराता.. मेरा तो जी उनके चूतड़ को काटने का करता था.. लेकिन मैं अभी उनके होंठों को चूमने में व्यस्त था।

बीच-बीच में मैं उनकी गाण्ड का छेद टटोल लिया करता था.. जब मैंने थोड़ी सी उंगली उनकी गाण्ड में घुसाई.. तो वो थोड़ा ऊँचा हो गईं और जोर से मुझे दबा दिया।
फिर मेरी पीठ पर हल्की सी चपत लगा कर बोलीं- वहाँ नहीं..

फिर भी दोस्तो, मैंने अपनी उंगली बाहर न निकाली.. तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर खींच दिया..
अब मैं दुबारा उनके चूतड़ सहलाने लगा।
कुछ देर तक की किसिंग और स्मूचिंग के बाद.. हम दोनों थोड़ा अलग हुए और भाभी ने कहा- अब सो जाओ मेरे प्यारे देवर..

दोस्तो, आप ही बताओ मैं अब उनको चोदे बिना कैसे सो सकता था.. सो मैंने कहा- अब मैं आपको चोदे बिना नहीं सो सकता..

तो उन्होंने कहा- नहीं जीतू अभी नहीं, तुम्हारे भैया जाग गए तो हम मारे जाएंगे..
मैंने कहा- भाभी प्लीज़.. मैं जल्दी खत्म कर दूँगा.. प्लीज़ एक बार..
फिर भी वो नहीं मानी और प्यार से मुझे चूमकर बोलीं- कभी मौका मिलने पर जी भरके चुदाई कर लेना..
मैंने कहा- मेरा या आपका..
वो मुस्कुरा कर बोलीं- हम दोनों का..

मैंने कहा- आपको कुछ तो देना ही होगा..
वो बोलीं- और क्या दूँ..
मैंने कहा- चूत नहीं.. तो उसकी खुश्बू ही दे दीजिए..

मेरे ये कहने पर उन्होंने फट अपना गाउन ऊपर किया और अपनी चूतरस से भीगी हुई पैन्टी निकाल कर दे दी और कहा- सुबह इसे वापस कर देना..
मैंने कहा- क्यों.. अब तो ये मेरी है..
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इस पर वो बड़े ही प्यार से मेरे गाल पर चिमटा भर कर बोलीं- जब मेरी चूत ही तुम्हारी है.. तो बेशक ये तुम्हारी है.. पर मेरे प्यारे देवर जी सुबह तक इसकी खुश्बू खत्म हो जाएगी.. और फिर ये आपके किसी काम की नहीं रहेगी। आप जब चाहो.. मांग लेना.. मैं आपको बिल्कुल ताजा निकाल कर दे दूँगी..
मैं तो उनकी इस बात से खुश हो गया और उनको फिर से चूम लिया, अपनी बाँहों में उनको भींचते हुए कहा- मेरी प्यारी भाभी..

उन्होंने भी मुझे जोर से चूमा।
मैंने फिर भाभी से कहा- ये तो ठीक है फिर भी मुझे एक बार अपनी चूत चाटने दो..।
उन्होंने थोड़ी आँखें निकाल कर कहा- तुम नहीं मानोगे.. ठीक है.. लेकिन ऐसे ही खड़े-खड़े ही चाट लो और सिर्फ एक बार.. वर्ना कोई जाग गया तो हमारी शामत आ जाएगी।
मैंने कहा- ठीक है।

इस पर वो अपने पैर थोड़े चौड़े करके खड़ी हो गईं.. मैं उनका गाउन ऊपर करके गाउन के अन्दर घुस गया..
दोस्तो, अँधेरे की वजह से कुछ ज्यादा तो दिखाई नहीं दिया.. लेकिन मैंने सीधा अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया और अपनी नाक उनकी चूत में घुसा दी और एक लम्बी सांस ली.. उनकी चूत की पूरी खुश्बू मेरी नथुनों में भर गई.. मुझे मजा आ गया।

अब मैं अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा कर चाटने लगा.. दोस्तों इस बार उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे.. तो चूत थोड़ी खुरदुरी लग रही थी और वो खड़ी थीं.. तो चूत ज्यादा चौड़ी नहीं हो सकती थी। फिर भी दोस्तों बालों वाली चूत चाटने का भी एक अलग ही मजा होता है..

मैं बड़े ही चाव से उनके गाउन में घुस कर उनकी चूत चाट रहा था। कभी मैं उनके छेद में जीभ घुसेड़ता.. तो कभी उनके भगनासा को चाट लेता..
मैं पागलों की तरह उनकी चूत चाट रहा था..

वो भी अब मजा लेने लगी थीं.. तो उन्होंने थोड़ा नीचे झुक कर एक हाथ फ्रिज पर रख दिया और एक हाथ से मेरे सर को दबाने लगीं.. और अपनी टाँगें चौड़ी करके अपनी चूत थोड़ी और खोल दी।

अब मैं उनकी चूत के थोड़ा और अन्दर जा सकता था.. तो मैंने थोड़ी और अन्दर जीभ घुसा दी और जीभ से उनको चोदने लगा। बीच-बीच में उनकी क्लिट को भी काट लेता था.. जिस पर उनकी हल्की सी ‘आह…’ निकल जाती थी और वो मेरे सर को थोड़ा और जोर से दबा देती थीं।

मैं भी अपने पूरे जोर पर था और वो भी अब लाइन पर आने लगी थीं।
अब भाभी का यौनरस उनकी चूत से थोड़ा-थोड़ा बहने लगा था.. जैसे कि मैंने पहले हिस्से में कहा था कि ये थोड़ा खट्टा.. थोड़ा नमकीन चूतरस का मजा ही कुछ और है.. मैं उनकी चूतरस की हर एक बूंद चाट जाता था।

करीब 5 मिनट से मैं उनकी चूत चाट रहा था और उनके चूतड़ पकड़ उनको अपने ऊपर दबा रहा था।
क्या मजा आ रहा था..

कि तभी उनके बेडरूम से एक हल्की सी आहट सुनाई दी तो वो फट से खड़ी हो गईं और अपने कमरे की तरफ जाने लगीं। मैं भी खड़ा हो गया और मैंने जमीन पर रखी उनकी पैन्टी उठा ली और उनके पीछे जाकर देखने लगा।
भाभी अपने बेडरूम में जाकर देख रही थीं तो वहाँ सब कुछ ठीक था.. शायद भैया ने करवट बदली होगी। हम दोनों की जान में जान आई.. मैंने देखा तो भैया खर्राटे ले रहे थे।

भाभी ने मेरी तरफ देखा और दरवाजा बंद कर दिया।

दोस्तो, आप लोग हमारी हालत अच्छे से समझ सकते हैं.. वो हमारी अन्तर्वासना की भाषा में कहते हैं न.. KLPD.. खड़े लंड पे धोखा..
मेरे लिए तो ये खुली चूत पर धोखा जैसा था।

अब अपने आपको शांत करने के लिए मेरे पास एक ही सहारा था और वो थी मेरी खुबसूरत भाभी की खुश्बूदार पैन्टी.. वो भी ताज़ा चूत की खुश्बू के साथ। मैंने भी सोचा खामखां क्या टेन्शन लेना.. अगर मुझे उनकी चूत चाहिए तो उनको भी मेरा लंड चाहिए होगा ना..

मैंने भी अब उनकी पैन्टी उलटी करके ताकि उनकी चूत से सटा हुआ भाग बाहर की तरफ आ जाए.. अपने तकिए पर बिछा दी और उस पर सर रख कर उसको सूंघने लगा।

दोस्तो.. एक बार फिर उनकी चूत की खुश्बू ने अपना असर दिखाया और मेरा लंड फिर से टाईट हो गया। मैं उनकी चूत को याद करते हुए अपना लंड गद्दे पर रगड़ने लगा।

थोड़ी देर तक ऐसे रगड़ने के बाद अब मुझे थोड़ी नींद आने लगी थी। तभी अचानक से कोई मेरे ऊपर आकर बैठ गया। मैंने देखा तो वो मेरी प्यारी भाभी थीं.. मेरी तो जैसे किस्मत खुल गई।

दोस्तो.. भाभी के साथ मेरी चुदाई की दास्तान अभी भी जारी है। ये कहानी पढ़ रही मस्त भाभियों, लड़कियों.. आंटियों से मेरा निवेदन है कि अपनी चूत में से उंगली मत निकालिए.. मैं जल्द ही आगे का अहसास आपको बयान करता हूँ।
बहुत जल्द चुदाई का अगला हिस्सा आपके सामने रख दूँगा।
तब तक लंड हिलाते रहें और चूतवालियों अपनी चूत में से उंगली मत निकालना तुमको मेरे खड़े लौड़े की कसम।

मेरी यह सच्ची चुदाई आपको कैसी लग रही है मेल जरूर कीजिएगा.. आप लोगों के इसी रिस्पांस की वजह से ही मेरा कहानी लिखने का उत्साह बना रहता है।
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